मण्डली की पुस्तक अध्ययन व्यवस्था
भाग १: अध्ययन संचालक की ज़िम्मेदारी
मण्डली का पुस्तक अध्ययन यहोवा के लोगों के आध्यात्मिक विकास में एक अत्यावश्यक भूमिका पूरा करता है। आनेवाले महीनों में, हम मण्डली की पुस्तक अध्ययन व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं की जाँच करेंगे और इस बात पर विचार करेंगे कि हम इस से किस तरह लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस अंक में हम इस पहलू पर ध्यान केंद्रित करना चाहेंगे कि पुस्तक अध्ययन संचालक किस तरह अध्ययन को प्रोत्साहक बना सकता है और हमारे विश्वास को शक्ति प्रदान कर सकता है।
२ अपने शिक्षण-कार्य में प्रभावकारी होने के लिए, संचालक को अच्छी तरह से तैयारी करनी चाहिए। परमेश्वर के वचन के एक संजीदा विद्यार्थी होने के नाते, उसे न केवल प्रत्येक सवाल का जवाब मालूम होना चाहिए बल्कि उसे यह भी समझना चाहिए कि वह जवाब क्यों सही है। उसकी यही कोशिश होनी चाहिए कि वह अध्ययन में उपस्थित हर एक व्यक्ति को जवाबों के कारण जानने की सहायता करे। (१ पत. ३:१५) इस से अध्ययन विषय के लिए उनका मूल्यांकन बढ़ेगा।
अध्ययन संचालित करने में लक्ष्य
३ संचालक का एक लक्ष्य यह है कि वह अध्ययन विषय को इस तरह उपयोग करेगा कि उपस्थित सभी लोगों के विश्वास की शक्ति बढ़ेगी और वे अधिक पूर्ण रूप से परमेश्वर की इच्छानुसार करने के वास्ते प्रेरित होंगे। (भजन ११०:३; २ थिस्स. १:३-५) इसे पूरा करने के लिए, संचालक को उचित जगहों में रुकना चाहिए ताकि वह उन बातों को लोगों के ‘मन में बैठा सके,’ जो यहोवा, उनके वचन, और उनके संघटन में आन्तरिक भरोसा विकसित करती हैं। (गल. ६:६, रेफरेंस बाइबल फुटनोट) समय की पाबंदी के अनुसार, बड़े कौशल से बनाए गए सवालों को ऐसी विश्वास-बढ़ानेवाली तफ़सील को निकलवाने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।
४ एक और लक्ष्य सब लोगों को यह समझने की मदद करना है, कि वे किस तरह अध्ययन विषय को एक व्यावहारिक रीति से इस्तेमाल कर सकते हैं। वे इसे क्षेत्र सेवकाई में कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं? भाइयों को और साथ ही नए लोगों को प्रोत्साहित करने में कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं? अपने परिवारों और खुद का बल बढ़ाने में कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं? जब मण्डली के पुस्तक अध्ययन संचालक प्रत्येक पाठ को तैयार करते हैं, उन्हें अध्ययन में दी गयी विशेष बातों के प्रयोगात्मक उपयोग को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए।
५ कुछ जानकारी अविश्वासी रिश्तेदारों, सह-पाठियों, या सह-कर्मचारियों को मदद करने के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। दूसरी जानकारी से उन लोगों की मदद होगी जो विभाजित परिवारों में या एक-जनक परिवारों में रहते हैं। उपस्थित लोगों को सोच-विचार करने तथा यह देखने की मदद करने के द्वारा, कि जिस अध्ययन विषय पर विचार किया जा रहा है उसका व्यवहार्य अनुप्रयोग कैसे किया जा सकता है, संचालक शायद उनके मन की बात निकलवा सकता है। संचालक को अध्ययन रोचक बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए, जिस से यह अध्ययन को मात्र सवाल-जवाब के द्वारा विषय पूरा करने से कुछ ज़्यादा बन जाता है।—१ कुरिन्थियों १४:९, १९ से तुलना करें।
वैयक्तिक रूप से दिलचस्पी लें
६ समूह के हर एक व्यक्ति में वैयक्तिक रूप से दिलचस्पी लेने के द्वारा, संचालक पूरी सहभागिता प्रोत्साहित कर सकता है। संकोची लोगों को पहले से ही कोई शास्त्रपद पढ़ने के लिए नियुक्त किया जा सकता है, या उन्हें पहले से ही ऐसा कोई सवाल दिया जाना चाहिए जिसके लिए वे जवाब तैयार कर सकते हैं। हर एक को अपने शब्दों में टिप्पणी करने का प्रयास करना चाहिए। टिप्पणियों को ध्यान से सुनने के द्वारा, संचालक तै कर सकता है कि क्या कुछेकों को वैयक्तिक सहायता की ज़रूरत है या नहीं। इस तरह वैयक्तिक रूप से ध्यान देने में मदद करने के लिए वह समूह के अन्य अनुभवी लोगों का उपयोग कर सकता है।
७ मण्डली का पुस्तक अध्ययन हमारे लिए एक आशीर्वाद है। इस से हमें छोटे समूहों में मिलने और अधिक वैयक्तिक रूप से ध्यान प्राप्त करने का अवसर मिलता है। हमें कभी भी इसे अन्य सभाओं से कम महत्त्व का समझना नहीं चाहिए। आपका पुस्तक अध्ययन संचालक प्रत्येक अध्ययन को यहोवा में आपके विश्वास की शक्ति बढ़ाने और परमेश्वर के आध्यात्मिक प्रबंधों के लिए आपके मूल्यांकन को विकसित करने की अपनी ज़िम्मेदारी को संजीदगी से लेता है।