क्या आपके “शरीर में एक कांटा” है?
हमारी दिली तमन्ना यही है कि सुसमाचार प्रचार करने की आज्ञा पूरी करने के लिए हम क्षमता अनुसार अपना भरसक प्रयास करें। बहरहाल, हमारे ऐसे कई प्रिय भाई-बहन हैं जिन्हें सेवकाई में पूरी तरह से भाग लेने में दिक्कत महसूस होती है क्योंकि गंभीर शारीरिक बीमारियाँ या अपंगता उनके आड़े आती हैं, जिसके कारण वे चाहकर भी अपना भरसक नहीं कर पाते। निराशा की भावनाओं से निपटना ऐसे लोगों के लिए एक चुनौती हो सकती है। विशेषकर तब, जब वे अपने आस-पास के लोगों को सेवकाई में बड़ी फुरती से काम करते देखते हैं।—१ कुरि. ९:१६.
२ अनुकरण करनेयोग्य उदाहरण: प्रेरित पौलुस को ‘शरीर में एक कांटे’ के साथ संघर्ष करना पड़ा। उस क्लेशकर बाधा को दूर करने के लिए उसने यहोवा से तीन बार बिनती की, जिसका वर्णन उसने घूँसे मारनेवाले ‘शैतान के एक दूत’ के रूप में किया है। लेकिन, इसके बावजूद पौलुस ने बरदाश्त किया और अपनी सेवकाई में आगे बढ़ता रहा। उसने खुद पर तरस नहीं खाया, न ही उसने बारंबार शिकायत की। उसने अपना भरसक किया। इस क्लेश में उसकी सफलता का राज़, परमेश्वर की ओर से यह आश्वासन था: “मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है।” पौलुस की निर्बलता तब सामर्थ बन गई, जब उसने अपनी स्थिति को स्वीकारने और बरदाश्त करने के लिए यहोवा तथा पवित्र आत्मा पर भरोसा रखना सीखा।—२ कुरि. १२:७-१०.
३ आप कैसे बरदाश्त कर सकते हैं: परमेश्वर की सेवा करने में शारीरिक कमज़ोरी क्या आपके लिए रूकावट बन रही है? अगर ऐसा है तो पौलुस का नज़रिया अपनाइए। इस रीति-व्यवस्था में चाहे आपकी बीमारी या अपंगता का इलाज पूरी तरह से न भी हो, तौभी आप यहोवा पर अपना पूरा भरोसा रख सकते हैं। वह आपकी ज़रूरतों को समझता है और वही है जो आपको “असीम सामर्थ” देगा। (२ कुरि. ४:७) कलीसिया से जो भी सहायता मिलती है, उसका पूरा फायदा उठाइए और खुद को औरों से अलग मत कीजिए। (नीति. १८:१) अगर आप घर-घर के कार्य में भाग लेना मुश्किल पाते हैं तो अनौपचारिक या टेलिफोन से गवाही देने के कुछ व्यवहारिक रास्ते खोज निकालिए।
४ शरीर के काँटे के कारण आप शायद सेवकाई में जितना कर सकते थे उतना न कर पाएँ लेकिन इससे आपको यह महसूस करने की ज़रूरत नहीं कि सेवकाई में आपका कुछ हिस्सा नहीं है। अपनी शक्ति और परिस्थिति के अनुसार जितना हो सके उतना करते हुए पौलुस की तरह आप भी “परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार की गम्भीरता-पूर्वक साक्षी” दे सकते हैं। (प्रेरि. २०:२४, NHT) अपनी सेवकाई पूरी करने के लिए जब आप अपना पूरा प्रयास करते हैं तो निश्चित रहिए कि परमेश्वर आपसे प्रसन्न है।—इब्रा. ६:१०.