प्रश्न बक्स
▪ कलीसिया में एक और बुक स्टडी ग्रुप बनाना कब सही होता है?
नया ग्रुप बनाने की बात तब सोचनी चाहिए जब राज्यगृह के साथ-साथ हर जगह जहाँ बुक स्टडी चलायी जाती है वहाँ 15 या उससे कम लोगों की संख्या बनाए रखना ज़रूरी हो। ऐसा करने की सलाह क्यों दी गयी है?
जब कलीसिया में बुक स्टडी ग्रुप छोटे रखे जाते हैं, तो इससे सभा चलानेवाले भाई को हाज़िर होनेवाले हर व्यक्ति पर और अच्छी तरह ध्यान देने का मौका मिलता है। इसके अलावा, कम लोग होने से सभी को पूरा मौका मिलता है कि वे अपने जवाबों से अपना विश्वास सब पर ज़ाहिर करें। (इब्रा. 10:23; 13:15) कलीसिया के इलाके में अलग-अलग जगहों पर कई छोटे-छोटे ग्रुप होने से बुक स्टडी में और क्षेत्र सेवा की सभाओं में आना ज़्यादा आसान हो जाता है। जिन कलीसियाओं ने बुक स्टडी के ग्रुप बढ़ाए हैं, उन्होंने पाया कि बुक स्टडी में उनकी कलीसिया की कुल हाज़िरी भी बढ़ गयी है।
ऐसे खास हालात भी हो सकते हैं जिनमें चाहे काफी छोटा ही सही, मगर एक नया ग्रुप बनाना ज़रूरी हो जाता है। किसी अलग-थलग इलाके में ऐसा किया जा सकता है या जहाँ बुक स्टडी चलायी जा रही है, वहाँ अगर बहुत ज़्यादा भीड़ होती है या सबके बैठने के लिए काफी जगह नहीं हो पाती तो ऐसा किया जा सकता है। जब ज़रूरत हो, तब दिन के वक्त बुक स्टडी चलाने का इंतज़ाम किया जा सकता है जो बुज़ुर्ग भाई-बहनों, रात की शिफ्ट में काम करनेवालों या ऐसी बहनों के लिए फायदेमंद होगा जिनके पति साक्षी नहीं हैं।
हर बुक स्टडी में ऐसे कई प्रकाशक होने चाहिए जो आध्यात्मिक तरीके से मज़बूत और सक्रिय हों और अध्ययन चलाने के लिए एक काबिल भाई और पढ़नेवाला भाई भी होना चाहिए। भाइयों को कलीसिया में ये ज़रूरतें पूरी करने के काबिल होने के लिए आगे आना चाहिए।
प्राचीन, कलीसिया को उन्नति करने में मदद दे सकते हैं अगर वे इस बात का ध्यान रखें कि कलीसिया के बुक स्टडी ग्रुप में बहुत ज़्यादा लोग न हों और आध्यात्मिक तरीके से उनकी अच्छी देखभाल की जाए और वे ऐसी जगहों पर मिलें जहाँ सभी को आने में सहूलियत हो। जहाँ फायदेमंद हो, वहाँ नए ग्रुप बनाए जा सकते हैं ताकि सभी लोग इस बेजोड़ आध्यात्मिक इंतज़ाम का पूरा-पूरा फायदा उठा सकें। क्या आप अपने घर में बुक स्टडी चलाने की पेशकश रख सकते हैं? जिन लोगों ने ऐसा किया है उन्हें बहुत-सी आध्यात्मिक आशीषें मिली हैं।