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हमारी राज-सेवा—2002
km 5/02 पेज 7

प्रश्‍न बक्स

◼ खतों के ज़रिए गवाही देते वक्‍त सावधानी बरतने की ज़रूरत क्यों है?

खतों के ज़रिए गवाही देना लंबे समय से एक असरदार तरीका रहा है। लेकिन हाल ही में संसार भर में हुई घटनाओं की वजह से लोग, अजनबियों से मिलनेवाले खतों के बारे में खबरदार रहने लगे हैं। अगर उन्हें कोई ऐसा खत मिलता है जिस पर भेजनेवाले का पता नहीं है तो वे उसे खोलने से डरते हैं, खासकर जब वह हाथ से लिखा हुआ और वज़नी हो। घर-मालिक शायद ऐसे खतों को बिना खोले ही फेंक दें। हमारे खतों के साथ ऐसा न हो, इसके लिए क्या किया जा सकता है?

अगर मुमकिन हो तो खत और लिफाफे दोनों पर टाइप करना अच्छा होगा। लिफाफे पर घर-मालिक का नाम लिखा होना चाहिए। उस पर “निवासी” मत लिखिए। इसके अलावा हमेशा अपना पता लिखिए। अगर आपका पता भेजना उचित नहीं है, तो अपने नाम के साथ किंगडम हॉल का पता दे सकते हैं। बिना नाम-पते का खत मत भेजिए। कभी-भी शाखा दफ्तर का पता इस्तेमाल मत कीजिए।—नवंबर 1996 की हमारी राज्य सेवकाई का प्रश्‍न बक्स देखिए।

ज़्यादा सुझाव और ऐसे खत के एक नमूने के लिए, बॆनिफिट फ्रॉम थियोक्रैटिक मिनिस्ट्री स्कूल एजुकेशन, किताब के पेज 71-3 देखिए। उसमें दी गयी हिदायतें हमारी मदद करेंगी ताकि हम खतों के ज़रिए असरदार तरीके से दूसरों तक सुमसाचार पहुँचा सकें।

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