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हमारी राज-सेवा—2005
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शाखा दफ्तर का खत

प्यारे राज्य प्रचारको:

बीते कुछ सेवा सालों के दौरान, भारत की कलीसियाओं और सर्किटों को लगातार अच्छी तरह संगठित और मज़बूत किया गया। अगर पिछले सेवा साल की ही बात लें, तो 14 कलीसियाओं को बंद करके उन्हें पास की कलीसियाओं के साथ मिला दिया गया। बीते दो सेवा सालों के दौरान कुल मिलाकर 36 कलीसियाएँ बंद कर दी गयीं। अब क्योंकि और भी ज़्यादा-से-ज़्यादा भाई, सेवा की ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए काबिलीयतें बढ़ा रहे हैं, इसलिए फिलहाल हर कलीसिया में औसतन तीन प्राचीन और चार सहायक सेवक हैं।

कलीसियाओं में प्रचारकों की तादाद बढ़ने से और भी अच्छे राज्य घरों की ज़रूरत आन पड़ी है। हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पिछले सितंबर से अब तक 10 जगहों पर नए राज्य घर बनाए गए हैं, और उनके समर्पण कार्यक्रम में शाखा दफ्तर के प्रतिनिधि हाज़िर हुए थे। इनमें से दो इमारतों में दो राज्य घर हैं। इससे भविष्य में अच्छी बढ़ोतरी के लिए रास्ता तैयार हो गया है।

यहाँ शाखा दफ्तर में बेथेल घर, ऑफिस और प्रिंटरी अब अच्छी तरह स्थापित हो गयी हैं। हम प्रचार में पहले से कई गुना ज़्यादा बढ़ोतरी होने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं और इस हिसाब से साहित्य वगैरह की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए शाखा दफ्तर तैयार है। सन्‌ 2005 के शुरूआती महीनों के दौरान, छपाई की नयी मशीनें लगायी गयीं। अब हमारे पास दो नयी रैपिडा प्रिंटिंग प्रैस हैं जो एक घंटे में 12,000 पत्रिकाएँ दनादन छाप सकती हैं, यानी पुरानी मशीनों से दो गुना ज़्यादा पत्रिकाएँ। अब हमारे पास पेपर काटने, उनकी फोल्डिंग करने, ट्रिमिंग और स्टिचिंग करने के लिए भी नयी मशीनें हैं। इसलिए आनेवाले कई सालों तक हम साहित्य की माँग को आसानी से पूरा कर सकेंगे।

इन नयी मशीनों को लगाने के लिए अलग-अलग देशों से छः भाई अपनी पत्नियों के संग हमारी मदद करने आए थे। साथ ही, हमारे ही देश के पाँच भाइयों ने, जो हुनरमंद टेकनीशियन हैं, इस काम में हाथ बँटाया। बेथेल परिवार के सदस्यों ने इन सभी स्वंयसेवकों के तजुरबे और त्याग की भावना की बहुत कदर की और काम पूरा होने के बाद, जब ये भाई-बहन हमें छोड़कर जा रहे थे तो उन्हें अलविदा कहते हमें बहुत दुःख हुआ।

सुनामी के शिकार भाई-बहनों को राहत पहुँचाने में भी देश-विदेश के भाई-बहनों ने हिस्सा लिया। पूरे भारत के भाई-बहनों ने और दूसरे देशों में रहनेवाले भारतीय भाई-बहनों ने हमें दिल खोलकर दान भेजा। इसलिए हम सुनामी के एक ही हफ्ते के अंदर राहत-सामग्री लेकर पीड़ित इलाकों में भाई-बहनों के पास पहुँच सके। खासकर हम अंदमान-निकोबार द्वीप समूह में गए, जहाँ सुनामी ने काफी तबाही मचायी थी। बाद में काबिल सर्किट अध्यक्षों और निर्माण काम में शामिल भाइयों ने इन इलाकों का दौरा करके इस बात का ध्यान रखा कि जिन भाई-बहनों का सबकुछ लुट गया था, उन तक मदद पहुँचाना जारी रहे। सुनामी पीड़ित इलाकों के भाई-बहनों ने हमसे गुज़ारिश की है कि उनकी तरफ से हम उन सभी का दिल से शुक्रिया अदा करें जिन्होंने हादसे से उबरने और उनकी ज़रूरतें पूरी करने में मदद की। मसीही प्यार से सराबोर इस भाईचारे का हिस्सा होना हमारे लिए क्या ही बड़ी आशीष है!—1 पत. 2:17.

राज्य के कामों को आगे बढ़ाने में भाई-बहनों का यह जोश काबिले-तारीफ है! साथ ही, इस काम के लिए आप जो दान देते हैं, उसकी बहुत कदर की जाती है। (नीति. 3:9, 10) हमारी प्रार्थना है कि हम सभी एक-जुट होकर यहोवा की “महिमा की स्तुति” के लिए जो मेहनत करते हैं, उस पर वह आशीष दे!—इफि. 1:12.

आपके भाई,

भारत का शाखा दफ्तर

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