दरवाज़े पर और टेलिफोन से तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलाइए
1. बाइबल अध्ययन चलाने का हमारा मकसद क्या है?
जब हम किसी के साथ बाइबल अध्ययन शुरू करते हैं तो हमें कितनी खुशी होती है, है ना? मगर ऐसे दिलचस्पी रखनेवाले इंसान को पाना तो बस एक शुरूआत है। उसके साथ बाइबल अध्ययन करने का हमारा मकसद है, यीशु का एक सच्चा चेला बनने में उसकी मदद करना। (मत्ती 28:19, 20) इस मकसद को हासिल करने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
2. दरवाज़े पर खड़े-खड़े और टेलिफोन से बाइबल अध्ययन कैसे किया जाता है, और ऐसा करना क्यों असरदार है?
2 जो बहुत व्यस्त हैं: आजकल, लोग पहले के मुकाबले इतने व्यस्त होते जा रहे हैं कि उन्हें ज़रा भी फुरसत नहीं मिलती। कुछ जगहों पर तो ऐसे लोग बहुत कम मिलते हैं जो शुरू में बाइबल अध्ययन के लिए एक घंटा देने को राज़ी हों। इसलिए हमें बढ़ावा दिया गया है कि हम ऐसे लोगों के साथ, दरवाज़े पर खड़े-खड़े या फिर टेलिफोन पर बाइबल अध्ययन शुरू करने की कोशिश करें। पहले-पहल ऐसे अध्ययन चलाने में कम समय बिताया जाता है। इसमें बाइबल सिखाती है जैसी किताब से चंद आयतों और एक-दो पैराग्राफों पर चर्चा की जाती है। यह वाकई काबिले-तारीफ है कि बहुत-से प्रचारकों ने यह सुझाव माना है और वे लोगों के साथ दरवाज़े पर खड़े-खड़े और टेलिफोन से बाइबल अध्ययन चला रहे हैं!
3. हम दरवाज़े पर खड़े जो अध्ययन चलाते हैं, उनका समय बढ़ाने की हमें क्यों कोशिश करनी चाहिए?
3 लेकिन क्या हमें हर हफ्ते बस दरवाज़े पर खड़े-खड़े ही बाइबल अध्ययन चलाना चाहिए? जी नहीं। यह सच है कि जब हम ऐसे अध्ययन शुरू करते हैं, तो समझदारी इसी में होगी कि पहली कुछ मुलाकातों में हम ज़्यादा वक्त न बिताएँ। फिर भी, गौर कीजिए कि जून 1990 की हमारी राज्य सेवकाई, पेज 4 में क्या बताया गया है। उसमें लिखा है कि एक बार जब बाइबल अध्ययन पक्के तौर पर शुरू हो जाता है और घर-मालिक की दिलचस्पी बढ़ने लगती है, तो अध्ययन का वक्त बढ़ाया जा सकता है। ऐसा करना ज़रूरी है। इसे समझने के लिए एक उदाहरण लीजिए। अगर एक बच्चा कई दिनों से भूखा है, तो पहले-पहल उसकी भूख बढ़ाने के लिए उसे थोड़ा-थोड़ा खाना खिलाया जाता है। लेकिन अगर उसे कई महीनों तक उतना ही खाना खिलाया जाए, तो क्या वह तंदुरुस्त होगा और दूसरे बच्चों की तरह बढ़ेगा? नहीं। उसी तरह, एक विद्यार्थी के साथ नियमित तौर पर, बाकायदा अध्ययन करना ज़रूरी है, तभी वह तरक्की करके परमेश्वर का तजुरबेकार सेवक बन सकेगा।—इब्रा. 5:13, 14.
4. घर के अंदर बाइबल अध्ययन चलाने के क्या फायदे हैं?
4 घर के अंदर बाइबल अध्ययन चलाना: अच्छा होगा अगर बाइबल अध्ययन घर पर या किसी ऐसी जगह पर चलाया जाए जहाँ कम लोग आते-जाते हों। इससे विद्यार्थी को सीखने के लिए अच्छा माहौल मिलेगा और वह परमेश्वर के वचन की सही समझ हासिल कर पाएगा। (मत्ती 13:23) यही नहीं, अध्ययन चलानेवाला भी विद्यार्थी की ज़रूरत के हिसाब से जानकारी को समझा पाएगा। इसके अलावा, अध्ययन में ज़्यादा वक्त बिताने से विद्यार्थी, परमेश्वर के वचन की और भी अच्छी तरह जाँच कर पाएगा, साथ ही उसका विश्वास मज़बूत होगा।—रोमि. 10:17.
5. हम दरवाज़े पर खड़े जो अध्ययन चलाते हैं, उन्हें घर के अंदर चलाने का इंतज़ाम कैसे कर सकते हैं?
5 आप दरवाज़े पर खड़े जो अध्ययन चलाते हैं, उन्हें घर के अंदर चलाने का इंतज़ाम कैसे कर सकते हैं? कई बार चंद समय के लिए अध्ययन करने के बाद, आप विद्यार्थी से सीधे पूछ सकते हैं कि क्या वह और भी लंबे समय तक अध्ययन करना चाहेगा। फिर आप दोनों मिलकर कोई समय तय कर सकते हैं। या, आप सीधे न पूछकर इस बात की तरफ इशारा करने के लिए कुछ ऐसा कह सकते हैं: “क्या आज हम बैठकर इस बारे में चर्चा कर सकते हैं? आपके पास वक्त है?” या “इस विषय पर चर्चा करने के लिए आज आप कितना समय दे सकते हैं?” अगर आपकी कोशिश नाकाम हो जाए, तो आप पहले की तरह दरवाज़े पर खड़े, चंद समय के लिए अध्ययन करना जारी रख सकते हैं। फिर कुछ दिनों बाद, आप घर के अंदर बाइबल अध्ययन चलाने की दोबारा कोशिश कर सकते हैं।
6. हमें किस मकसद से सेवा करनी चाहिए, और ऐसा करने में इस लेख के सुझाव कैसे हमारी मदद कर सकते हैं?
6 योग्य लोगों को ढूँढ़ते वक्त, आइए हम यह हमेशा याद रखें कि बाइबल अध्ययन शुरू करने और उसे चलाने का हमारा असली मकसद क्या है। हमारा मकसद है, नेकदिल लोगों को यहोवा के समर्पित और बपतिस्मा-शुदा सेवक बनने में मदद देना। हमारी दुआ है कि इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए हम सेवा में जो मेहनत करते हैं, उस पर यहोवा की आशीष हो।—2 तीमु. 4:5.