निजी दिलचस्पी दिखाइए—प्यार और अदब से पेश आइए
हालाँकि यहोवा इस पूरे जहान का महाराजा और मालिक है, फिर भी वह पापी इंसानों के साथ प्यार और अदब से पेश आता है, और उनका लिहाज़ करता है। (उत्प. 13:14; 19:18-21, 29) अगर हम यहोवा की इस मिसाल पर चलें और प्रचार में दूसरों के साथ प्यार और अदब से पेश आएँ, तो हमारी पेशकश का उन पर अच्छा असर पड़ेगा। (कुलु. 4:6) मगर इसके लिए सिर्फ बातचीत में तहज़ीब और इज़्ज़त से पेश आना काफी नहीं है।
2 घर-घर के प्रचार में: मान लीजिए कि हम प्रचार में एक घर पर जाते हैं, मगर घर-मालिक बहुत व्यस्त है या किसी और वजह से हमारे लिए ज़्यादा वक्त नहीं दे सकता। ऐसे में हमें क्या करना चाहिए? अच्छा होगा कि हम घर-मालिक का लिहाज़ करें और चंद शब्दों में अपनी पेशकश दें या फिर उससे कहें कि मैं दोबारा कभी आपसे मिलने आऊँगा। अगर कोई हमारी किताबें-पत्रिकाएँ लेने से इनकार कर देता है तो हम उसे ज़बरदस्ती थमाने की कोशिश नहीं करेंगे। दूसरों के लिए लिहाज़ दिखाने में यह भी शामिल है कि हम उनके घर जाते वक्त उनकी चीज़ों का खयाल रखें, जैसे फाटक या दरवाज़ा खोलने के बाद उन्हें बंद करें, और अपने बच्चों को भी ऐसा करने की तालीम दें। जिस घर पर ताला लगा हो, वहाँ पर साहित्य इस तरह छोड़ आइए कि आने-जानेवालों की नज़र उस पर न पड़े। वाकई, दूसरों के साथ प्यार और अदब से पेश आने के लिए हम उनके साथ बिलकुल वैसा ही व्यवहार करना चाहेंगे जैसा हम चाहते हैं कि वे हमारे साथ व्यवहार करें।—लूका 6:31.
3 सड़क गवाही में: सड़क पर गवाही देते वक्त हम दूसरों के साथ अदब से कैसे पेश आ सकते हैं? हमें फुटपाथ के बीच में नहीं खड़े होना चाहिए क्योंकि इससे दूसरों को आने-जाने में दिक्कत हो सकती है और ना ही किसी दुकान के सामने जमघट लगाना चाहिए। किसी को गवाही देने से पहले हम देखेंगे कि क्या उसके पास सुनने के लिए वक्त होगा। हम सिर्फ उन लोगों से बात करेंगे जो हमारे लिए थोड़ा वक्त दे सकते हैं, ना कि उनके साथ जो बहुत जल्दी में होते हैं। कभी-कभी गाड़ियों के शोरगुल की वजह से हमें थोड़ा ज़ोर से बात करने की ज़रूरत पड़ सकती है। मगर ऐसे में भी हमें गरिमा से पेश आना चाहिए, ताकि सबका ध्यान हमारी तरफ न आए।—मत्ती 12:19.
4 टेलिफोन पर गवाही देते वक्त: टेलिफोन पर गवाही देते वक्त हम एक शांत जगह से फोन करेंगे, ताकि घर-मालिक को हमारी बात साफ सुनायी दे। अदब से पेश आने का एक तरीका है, नंबर डायल करने के बाद फौरन घर-मालिक को बताना कि हम कौन हैं और क्यों फोन कर रहे हैं। दूसरा तरीका है, सीधे फोन में बात करना और पूरी बातचीत के दौरान एक दोस्ताना अंदाज़ बनाए रखना। ऐसा करने से घर-मालिक भी चर्चा में शामिल होगा और आप उसके साथ बाइबल के किसी विषय पर अच्छी बातचीत कर पाएँगे। (1 कुरि. 14:8, 9) अगर हम इन सभी तरीकों से दूसरों के साथ प्यार और अदब से पेश आएँगे, और उनका लिहाज़ करेंगे, तो हम अपने परमेश्वर यहोवा की मिसाल पर चल रहे होंगे, जो दूसरों के साथ प्यार और अदब से पेश आता है।