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  • आपके टॆलिफ़ोन आचार कैसे हैं?
  • सजग होइए!–1996
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सजग होइए!–1996
g96 7/8 पेज 12-14

आपके टॆलिफ़ोन आचार कैसे हैं?

“पारिवारिक स्नेह, स्वास्थ्य, और काम के प्रेम के साथ, क्या और कोई बात जीवन के आनन्द में इतना योगदान देती है, और हमारे आत्म-सम्मान को पुनःस्थापित करती और बढ़ाती है, जितना कृपालु वार्तालाप देता है?”

यह सवाल पूछने में, मरहूम अमरीकी लेखिका और प्रशिक्षक लूसी इलीयट कीलर उस व्यक्‍तिगत सुख और परितोष को बहुत महत्त्व दे रही थीं जो मौखिक संचार के आदान-प्रदान से पाया जा सकता है। यह एक ऐसी क्षमता है जो मनुष्य को उसकी सृष्टि के समय प्रेमपूर्ण रूप से दी गयी थी।—निर्गमन ४:११, १२.

गत १२ दशकों में मानव वाणी के प्रवाह की वृद्धि में अत्यधिक योगदान देनेवाला एलॆक्ज़ांडर ग्रैहॆम बॆल का टॆलिफ़ोन का आविष्कार रहा है। आज, पृथ्वी के अरबों निवासियों के लिए टॆलिफ़ोन मनुष्यों के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी प्रदान करता है, चाहे इसका इस्तेमाल व्यवसाय के लिए अथवा मौज-मस्ती के लिए होता हो।

टॆलिफ़ोन और आप

टॆलिफ़ोन का इस्तेमाल आपके जीवन की गुणवत्ता को किस हद तक निखारता है? क्या आप सहमत नहीं होंगे कि इस सवाल के लिए आपका जवाब स्वयं यंत्र के बजाय सम्मिलित लोगों पर ज़्यादा निर्भर करता है? वाक़ई, यह समयोचित है कि हम यह सवाल पूछते हैं, आपके टॆलिफ़ोन आचार कैसे हैं?

टॆलिफ़ोन शिष्टाचार ऐसे क्षेत्र सम्मिलित करता है जैसे मानसिक मनोवृत्ति, वाक्‌ गुण, और सुनने की क्षमता। साथ ही, यह विषय कि एक टॆलिफ़ोन कैसे इस्तेमाल करें और परेशान करनेवाले कॉल्स से निपटने के तरीक़े भी संगत होंगे।

दूसरों के लिए विचारशील लिहाज़

जैसे सभी मानवी आदान-प्रदान के बारे में सच है, टॆलिफ़ोन शिष्टाचार सहानुभूति से निकलते हैं। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “एक दूसरे के हित को देखो और केवल अपने ही नहीं।”—फिलिप्पियों २:४, द न्यू इंग्लिश बाइबल।

जब यह सवाल पूछा गया, “आपने किस बात को टॆलिफ़ोन अशिष्टता का सबसे सामान्य उदाहरण पाया है?,” एक अनुभवी टॆलिफ़ोन स्विचबोर्ड ऑपरॆटर ने जवाब दिया कि उसकी सूची में सबसे ऊपर थी “वह टॆलिफ़ोन करनेवाली जो कहती है ‘मैं रानी हूँ’ (आप कितने लोगों को जानते हैं जिनका नाम रानी है?) या, इससे भी बदतर, ‘मैं हूँ,’ अथवा ‘सोचो तो कौन है।’” ऐसी अविचारशील शुरूआतें, जो शायद नेकनीयत हों, शर्मिंदगी और अधीरता उत्पन्‍न कर सकती हैं। ऑपरॆटर ने आगे कहा: “स्पष्ट रूप से अपनी पहचान कराने और इसके अतिरिक्‍त, जिसे फ़ोन किया गया है उसके लिए लिहाज़ की ख़ातिर, क्यों न कॉल की एक आनन्दपूर्ण शुरूआत करें, और यह पूछें कि क्या यह बात करने का सुविधाजनक समय है?”

याद रखिए, हालाँकि आपके चेहरे का हावभाव नहीं देखा जा सकता, आपकी मनोवृत्ति प्रकट होगी। यह कैसे? आपके स्वर से। अधीरता, ऊब, क्रोध, उदासीनता, निष्कपटता, प्रसन्‍नता, सहायकता, और स्नेह—सभी प्रकट होते हैं। यह सच है कि जब एक व्यक्‍ति को टोका जाता है, तो खीज एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया हो सकती है। इस स्थिति में, शिष्टाचार की ख़ातिर, जवाब देने से पहले थोड़ा रुककर अपनी आवाज़ में एक “मुस्कान” डालने की कोशिश कीजिए। एक अप्रिय स्वर इस्तेमाल किए बिना असहमत होना सम्भव है।

विचारशील लिहाज़ और एक आनन्दप्रद स्वर का सम्मिश्रण ऐसी बातों में परिणित हो सकता है जो “आवश्‍यकता के अनुसार . . . उन्‍नति के लिये उत्तम हो” और जिससे “सुननेवालों पर अनुग्रह हो।”—इफिसियों ४:२९.

वाक्‌ गुण

जी हाँ, जिस प्रकार की बोली हम इस्तेमाल करते हैं, वह महत्त्वपूर्ण है। क्या आप निम्नलिखित नियमों से सहमत होते और उनका पालन करते हैं? स्वाभाविक रूप से, साफ़-साफ़, और स्पष्ट रूप से बोलिए। फुसफुसाइए मत। चिल्लाइए मत—लम्बी-दूरी के कॉल पर भी। अपने शब्दों का अस्पष्ट उच्चारण मत कीजिए। फूहड़ बोली से दूर रहिए जो शब्दों को संक्षिप्त करते या छोड़ देते हैं; साथ ही “शब्दों की खींच-तान” और पुनरावर्तन से दूर रहिए, जो विक्षुब्ध करनेवाले हो सकते हैं और जिससे चिढ़ पैदा हो सकती है। नीरस एकस्वरता का इस्तेमाल बन्द कीजिए। उचित भाव पर ज़ोर देना और स्वर-परिवर्तन बोली को अर्थपूर्ण, रंगीन, और ताज़गी देनेवाला बना देता है। यह भी ध्यान में रखिए कि एक टॆलिफ़ोन वार्तालाप करते समय खाना, वाक्‌ गुणों को नहीं निखारता या शिष्टाचार नहीं प्रदर्शित करता है।

शब्द चयन भी ग़ौरतलब है। समझदारी की माँग की जाती है। सीधे-साधे, सरल शब्दों का इस्तेमाल कीजिए जो आसानी से समझ आते हैं। शब्दों के स्वगुणार्थ होते हैं। वे कृपाल या क्रूर हो सकते हैं, शामक या कठोर हो सकते हैं, प्रोत्साहक या दिल तोड़नेवाले हो सकते हैं। इसके अतिरिक्‍त, एक व्यक्‍ति कर्णकटु हुए बिना हाज़िर-जवाब हो सकता है, मुँहफट या गुस्ताख़ हुए बिना स्पष्टवादी हो सकता है, और टालमटोल करनेवाला हुए बिना कुशल हो सकता है। “कृपया” और “शुक्रिया” जैसी शिष्ट अभिव्यक्‍तियों का हमेशा स्वागत किया जाता है। कृपाल, लिहाज़ दिखानेवाले, और रुचिकर शब्द ही प्रेरित पौलुस के मन में थे, जब उसने लिखा: “तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।”—कुलुस्सियों ४:६.

एक अच्छे श्रोता बनिए

एक युवक की कहानी है जिसने अपने पिता से एक अच्छा संवादपटु होने का राज़ बताने के लिए कहा। “मेरे बेटे, सुनो,” जवाब था। “मैं सुन रहा हूँ,” युवक ने कहा। “मुझे और भी बताइए।” “कहने के लिए और कुछ नहीं है,” पिता ने जवाब दिया। वाक़ई, एक दिलचस्पी दिखानेवाला, सहानुभूतिशील श्रोता होना टॆलिफ़ोन शिष्टाचार के नुसख़े की अत्यावश्‍यक सामग्री है।

एक सरल-से नियम का पालन करने में असफलता आपके एक टॆलिफ़ोन कानखाऊ के रूप में समझे जाने में परिणित हो सकती है। वह क्या है? वार्तालाप पर ख़ुद का हक़ मत जताइए। मशगूल मत हो जाइए, उदाहरणार्थ, किसी ऐसे बेकार वार्तालाप के अन्तहीन, शब्दशः वृत्तान्त में जिसमें आप अन्तर्ग्रस्त रहे हों या किसी छोटे-मोटे दुःख-दर्द के लम्बे-चौड़े व्यक्‍तिगत इतिहास में। एक बार फिर, हमारे पास एक उपयोज्य, संक्षिप्त बाइबल नियम है, इस समय शिष्य याकूब से। “सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा . . . हो।”—याकूब १:१९.

समापक विचार

आइए अब हम दो अंतिम सवालों को संबोधित करें जो टॆलिफ़ोन शिष्टाचार के संदर्भ में आते हैं: टॆलिफ़ोन के इस्तेमाल के बारे में क्या कहा जा सकता है? अनचाहे कॉल्स से निपटने के लिए क्या कुछ सुझाए गए निर्देशन हैं?

टॆलिफ़ोन पर, क्या आपने लाईन के उस छोर की आवाज़ को आवर्तक रूप से धीमा पड़ते हुए पाया है? इससे आपको चोंगे में बोलने, और इसे अपने होठों से क़रीब दो सॆंटिमीटर दूर रखने के लिए याद रहना चाहिए। इसके अतिरिक्‍त, बाहरी आवाज़ों को नियंत्रित करना सुसभ्य है। जब आप एक कॉल करते हैं, तो ग़लत नम्बर लगाने से बचने के लिए ध्यानपूर्वक नंबर मिलाइए; और जब आप कॉल समाप्त करते हैं, तो रिसीवर को उसके ढाँचे पर धीरे से रखिए।

क्या आप परेशान करनेवाले कॉल्स्‌ के एक शिकार रहे हैं? अफ़सोस की बात है, ऐसा लगता है कि इसमें वृद्धि हो रही है। अनुचित, विचारोत्तेजक, या अश्‍लील भाषा केवल एक ही प्रतिक्रिया के योग्य है—कॉल का काट दिया जाना। (इफिसियों ५:३, ४ से तुलना कीजिए।) यही बात सच होगी जब कॉल करनेवाला अपनी पहचान कराने से इनकार करता है। यदि आपके पास किसी कॉल पर शक करने का कारण है, तो प्रकाशन हाऊ टू राईट एण्ड स्पीक बॆटर (अंग्रेज़ी) सुझाता है कि “यदि एक अजनबी आवाज़ पूछती है, ‘कौन बोल रहा है?’ तो” आप “उत्तर न दें,” और आप एक अजनबी के साथ अपनी योजनाओं की चर्चा न करें।

यह जानना कितना अच्छा है कि अन्ततः, टॆलिफ़ोन शिष्टाचार का पालन करना नियमों और विनियमों की एक लम्बी सूची की माँग नहीं करता! लोगों के साथ सभी व्यवहार में जैसा होता है, आनन्ददायी और फलदायी सम्बन्ध उस बात के अनुप्रयोग से होते हैं जो सामान्यतः स्वर्ण नियम कहलाता है। यीशु मसीह ने कहा: “जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो।” (मत्ती ७:१२) मसीही के लिए, उस व्यक्‍ति को प्रसन्‍न करने की इच्छा भी होती है जिसने मनुष्य को बोलने का तोहफ़ा दिया है। भजनहार ने प्रार्थना की: “मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्‍वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करनेवाले!”—भजन १९:१४.

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