जवान और बूढ़ें, सबके लिए एक अच्छी मिसाल
नूह एक ऐसा इंसान था, जिसका परमेश्वर के साथ गहरा और करीबी रिश्ता था। उसने अपनी सारी ज़िंदगी परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने में लगायी। वह सच्चे “परमेश्वर के साथ-साथ चलता” था, इसलिए उसे बहुत-सी आशीषें मिलीं। नूह ने जवानों और बूढ़ों, सबके लिए एक अच्छी मिसाल पेश की है। (उत्प. 6:9) नूह—वह परमेश्वर के साथ-साथ चला (अँग्रेज़ी) वीडियो देखने से आप अपने मन में एक तसवीर बना पाएँगे कि नूह को कैसे हालात का सामना करना पड़ा था, वह क्यों यहोवा की आशीष पाने के लायक था और आप उसके जैसे अच्छे गुण कैसे दिखा सकते हैं।
नूह का वीडियो जो डी.वी.डी. पर मौजूद है, उसमें “वीडियो पर सवाल” दिए गए हैं। इस वीडियो को देखिए और फिर खुद से पूछिए ये सवाल: (1) कुछ स्वर्गदूतों ने क्या पाप किया था, और नेफिलीम कौन थे? (उत्प. 6:1, 2, 4) (2) नूह के दिनों में लोग इतने दुष्ट क्यों बन गए थे, और उन्हें देखकर परमेश्वर को कैसा लगा? (उत्प. 6:4-6) (3) नूह अपने ज़माने के लोगों से कैसे अलग था? (उत्प. 6:22) (4) दुष्ट लोगों का नाश कैसे किया गया? (उत्प. 6:17) (5) जहाज़ कितना बड़ा था? (उत्प. 6:15) (6) नूह ने जहाज़ बनाने के अलावा कौन-सा काम किया, और लोगों ने कैसा रवैया दिखाया? (मत्ती 24:38,39; 2 पत. 2:5) (7) हर जानवर में से कितनों को जहाज़ में ले जाया गया? (उत्प. 7:2, 3, 8, 9) (8) धरती पर पानी कितने समय तक बरसता रहा, और कितने समय तक धरती पूरी तरह पानी में डूबी रही? (उत्प. 7:11, 12; 8:3, 4) (9) नूह और उसका परिवार जलप्रलय से क्यों ज़िंदा बच पाए? (उत्प. 6:18, 22; 7:5) (10) जहाज़ कहाँ जाकर टिका? (उत्प. 8:4) (11) नूह को कैसे पता चला कि अब जहाज़ से बाहर निकलने में कोई खतरा नहीं है? (उत्प. 8:6-12) (12) जहाज़ से बाहर निकलने के बाद नूह ने क्या किया? (उत्प. 8:20-22) (13) मेघधनुष किस बात की निशानी है? (उत्प. 9:8-16) (14) ‘परमेश्वर के साथ-साथ चलने’ का क्या मतलब है? (उत्प. 6:9,22; 7:5) (15) अगर हम फिरदौस में नूह से मिलना चाहते हैं, तो आज हमें क्या करने की ज़रूरत है? (मत्ती 28:19, 20; 1 पत. 2:21)
बाइबल में दर्ज़ परमेश्वर की आज्ञा माननेवाले, वफादार नूह की कहानी पढ़कर आपने क्या सीखा? नूह की तरह, आप भी कैसे ‘परमेश्वर के साथ-साथ चल’ सकते हैं? और आप कैसे यह भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा आज भी अपने लोगों को बचाने की ताकत रखता है?—उत्प. 7:1; नीति. 10:16; इब्रा. 11:7; 2 पत. 2:9.