पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग अग. 1
“परमेश्वर पर गहरी आस्था रखनेवालों के बारे में अकसर कहा जाता है कि वे ‘परमेश्वर का भय मानते’ हैं। आपको क्या लगता है, परमेश्वर का भय मानने का असल में क्या मतलब है? [जवाब के लिए रुकिए, फिर नीतिवचन 9:10 पढ़िए। पेज 21 पर दिया लेख खोलिए।] इस लेख में समझाया गया है कि परमेश्वर का सच्चा भय मानने का क्या मतलब है और हम इसे कैसे पैदा कर सकते हैं।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“आतंकवाद कोई नयी बात नहीं है, मगर आज यह तेज़ी से बढ़कर पूरी दुनिया में फैल गया है और इसका असर लगभग हर इंसान पर हुआ है। आपकी राय में आतंकवाद क्यों इतना बढ़ गया है? [जवाब के लिए रुकिए।] सजग होइए! का यह अंक बाइबल से दिखाता है कि आतंकवाद का अंत कब होगा और परमेश्वर इस धरती पर सच्ची शांति कैसे लाएगा।” मीका 4:4 पढ़िए।
प्रहरीदुर्ग सितं. 1
“हम जानना चाहते हैं कि यीशु ने जो कहा था, उसके बारे में आप क्या सोचते हैं। [मत्ती 5:5 पढ़िए।] जब यह वादा पूरा होगा, तब क्या दुनिया के हालात, आज के जैसे रहेंगे? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका, बाइबल से बताती है कि कैसे यीशु इस धरती को बदल देगा। और यह भी समझाती है कि कौन इस धरती के अधिकारी होंगे।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“अनुमान लगाया जाता है कि दुनिया की आबादी में हर तीसरा शख्स किसी-न-किसी तरह से मेन्टली रिटारडेड या मानसिक रूप से मंद है। ऐसे में उनका परिवार हालात का सामना कैसे कर सकता है? [जवाब के लिए रुकिए। पेज 17 पर दिया लेख खोलिए।] यह लेख समझाता है कि कुछ परिवार, इस तरह के हालात का कैसे सामना करते हैं और यह भी बताता है कि दूसरे किस तरह उनकी मदद कर सकते हैं?” यशायाह 35:5,6 पढ़िए।