प्रश्न बक्स
◼ परमेश्वर की सेवा स्कूल, सेवा सभा, जन सभा और प्रहरीदुर्ग अध्ययन, इन सभाओं को गीत के साथ किसे शुरू करना चाहिए और गीत से पहले उसे क्या कहना चाहिए?
हर हफ्ते के परमेश्वर की सेवा स्कूल का शुरूआती गीत नंबर, परमेश्वर की सेवा स्कूल के कार्यक्रम में दिया जाता है। यह कार्यक्रम अक्टूबर की हमारी राज्य सेवकाई के इंसर्ट में दिया होता है। उसी तरह, हर हफ्ते की सेवा सभा का शुरूआती और आखिरी गीत नंबर हमारी राज्य सेवकाई के पेज 2 पर दिया होता है। और हर हफ्ते के प्रहरीदुर्ग अध्ययन के लिए गीत नंबर, प्रहरीदुर्ग के हर अंक के पेज 2 पर दिए जाते हैं। जो गीत जिस सभा के कार्यक्रम में दिया जाता है, वह उस सभा का हिस्सा होता है। इसलिए जो भाई जिस सभा को चलाएगा, उसे ही शुरूआती गीत के साथ सभा शुरू करनी चाहिए, न कि पिछली सभा चलानेवाले भाई को।
मिसाल के लिए, परमेश्वर की सेवा स्कूल अध्यक्ष, हाज़िर सभी लोगों का स्वागत करेगा और शुरूआती गीत की घोषणा करेगा। गीत के बाद, वह स्कूल चलाएगा और स्कूल खत्म होने के बाद, उस भाई को स्टेज पर बुलाएगा जिसका सेवा सभा में पहला भाग है। फिर यह भाई, हाज़िर लोगों से सेवा सभा का शुरूआती गीत गाने के लिए कहेगा।
उसी तरह, जन सभा की शुरूआत चेयरमैन करेगा। वह हाज़िर सभी लोगों का गर्मजोशी से स्वागत करेगा और उन्हें मिलकर शुरूआती गीत गाने के लिए कहेगा। यह गीत, जन भाषण का वक्ता चुनता है। गीत के बाद, चेयरमैन (या अगर किसी दूसरे काबिल भाई को प्रार्थना के लिए पहले से कहा गया है तो वह) प्रार्थना से सभा शुरू करेगा। चेयरमैन, वक्ता का परिचय देगा और उसके भाषण का विषय बताएगा। भाषण के बाद, चेयरमैन भाषण का सारांश नहीं देगा बल्कि उसमें दी गयी हिदायतों के लिए कदरदानी के चंद शब्द कहेगा। वह अगले हफ्ते के जन भाषण के विषय की घोषणा करेगा और फिर सभी को प्रहरीदुर्ग अध्ययन के लिए रुकने को कहेगा। अगर जन भाषण का वक्ता किसी दूसरी कलीसिया से है, तो चेयरमैन को यह पूछने की कोई ज़रूरत नहीं कि क्या भाई-बहन, वक्ता की कलीसिया को अपना प्यार भेजना चाहते हैं। आखिर में, चेयरमैन प्रहरीदुर्ग अध्ययन संचालक को स्टेज पर बुलाएगा।
प्रहरीदुर्ग अध्ययन संचालक, अध्ययन का शुरूआती गीत गाने के लिए सबसे से कहेगा। गीत के बाद, वह संस्था की किताबों में दी हिदायतों के मुताबिक अध्ययन चलाएगा। फिर वह आखिरी गीत की घोषणा करेगा और समाप्ति प्रार्थना के लिए जन भाषण देनेवाले भाई को स्टेज पर बुलाएगा।
इन हिदायतों को मानने से हम अपनी कलीसिया की सभाओं को संगठित तरीके से चला पाएँगे।