खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखो
1. खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखो किताब किस मकसद से छापी गयी है?
हमें 4 जनवरी से शुरू होनेवाले हफ्ते का बेसब्री से इंतज़ार है, क्योंकि उस हफ्ते से हम मंडली बाइबल अध्ययन में, खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखो किताब से चर्चा करनेवाले हैं। शासी निकाय ने यहोवा से प्यार करनेवाले हरेक के लिए इस किताब में एक खत लिखा है, जिसके आखिरी शब्द इस तरह हैं: “हमें पूरी उम्मीद है कि यह किताब आपको हर रोज़ सच्चाई पर अमल करते रहने में मदद देगी। इस तरह आप खुद को ऐसा इंसान बनाए रखेंगे ‘जिससे परमेश्वर प्यार करे’ और आपको ‘हमेशा की ज़िंदगी’ मिले।—यहूदा 21.”
2. यह नयी किताब ज़िंदगी के किन पहलुओं में हमारी मदद कर सकती है?
2 हम क्या उम्मीद कर सकते हैं: यह किताब हमें अपनी ज़िंदगी के अलग-अलग पहलुओं में बाइबल के सिद्धांत लागू करने में मदद देगी। मसलन संगति, मनोरंजन, अधिकार रखनेवालों का आदर करने, निजी आदतों, शादी-ब्याह, बोली, साथ ही रिवाज़ों और दस्तूरों के मामले में। इस तरह यह बाइबल में बताए परमेश्वर के ऊँचे और नेक स्तरों के मुताबिक हमारे ज़मीर को ढालने में हमारी मदद करेगी। (भज. 19:7, 8) यहोवा की सोच के बारे में जैसे-जैसे हमारी समझ बढ़ेगी, वैसे-वैसे उसे खुश करने की हमारी इच्छा बढ़ती जाएगी। और यह इच्छा हमें ज़िंदगी के हर पहलू में उसकी आज्ञा मानने के लिए उभारेगी।—नीति. 27:11; 1 यूह. 5:3.
3. हमें क्यों हर हफ्ते अध्ययन में हिस्सा लेने की पूरी कोशिश करनी चाहिए?
3 हिस्सा लेने की ठान लीजिए: अध्ययन की तैयारी इस लक्ष्य से कीजिए कि आप परमेश्वर की मंडली में उसका गुणगान करेंगे। (इब्रा. 13:15) इस नयी किताब का अध्ययन पूरी मंडली साथ करेगी। हर हफ्ते चर्चा के लिए ज़्यादा पैराग्राफ नहीं होंगे। इसलिए हमें अच्छी तैयारी करने का मौका मिलेगा, जिससे हम पूरे विश्वास के साथ सभा में हिस्सा ले पाएँगे। जब हम अच्छी तैयारी करके छोटे-छोटे जवाब देंगे, तो हमें दूसरों को प्यार और बढ़िया कामों में उकसाने का मौका मिलेगा, साथ ही अध्ययन बहुत जानदार होगा। (इब्रा. 10:24) इतना ही नहीं, अपने विश्वास के बारे में जवाब देने से खुद हमारी खुशी बढ़ेगी।
4. यहोवा की आज्ञाएँ मानना क्यों बेहद ज़रूरी है?
4 यीशु ने धरती पर अपनी आखिरी रात को कहा कि परमेश्वर के प्यार में बने रहने के लिए उसकी आज्ञाएँ मानना ज़रूरी है। (यूह. 15:10) “परमेश्वर के प्यार” किताब की मदद से हम अपना यह इरादा और पक्का कर पाएँगे कि हम अपने रोज़-ब-रोज़ की ज़िंदगी में बाइबल के सिद्धांत लागू करेंगे और ‘खुद को ऐसा इंसान बनाए रखेंगे जिससे परमेश्वर प्यार करे।’—यहू. 21.