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  • “मैं आपका साहित्य तभी लूँगा, जब आप मेरा लेंगे”

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  • “मैं आपका साहित्य तभी लूँगा, जब आप मेरा लेंगे”
  • हमारी राज-सेवा—2013
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राज-सेवा 9/13 पेज 3

“मैं आपका साहित्य तभी लूँगा, जब आप मेरा लेंगे”

कुछ घर-मालिक ऐसा सुझाव देते हैं। मगर हम अपने बाइबल साहित्यों का अदान-प्रदान दूसरे धार्मिक साहित्यों से नहीं करते जो गलत बातें फैलाते हैं, ऐसे में हम सूझ-बूझ के साथ कैसे उन्हें जवाब दे सकते हैं? (रोमि. 1:25) हम कुछ ऐसा कह सकते हैं: “आपके सुझाव के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया। क्या यह साहित्य मानवजाति की समस्याओं के हल के बारे में बताता है? [जवाब के लिए रुकिए। अगर वह जवाब के लिए आपको अपना साहित्य पढ़ने के लिए कहता है, तो आप समझदारी से कह सकते हैं कि हमने साहित्य की जानकारी दिए बगैर उसे पेश नहीं किया। फिर मत्ती 6:9, 10 पढ़िए या उसका हवाला दीजिए।] यीशु ने बताया, परमेश्‍वर के राज के ज़रिए धरती पर परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी होगी। और मैं जो धार्मिक साहित्य पढ़ता हूँ सिर्फ वही परमेश्‍वर के राज पर ज़ोर देता है। क्या मैं आपको बाइबल से ऐसी कुछ खास बातें बता सकता हूँ, जो परमेश्‍वर का राज लाएगा?”

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