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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2023
w23 जून पेज 31

आपने पूछा

यीशु के जन्म के बाद यूसुफ और मरियम नासरत में अपने घर लौटने के बजाय बेतलेहेम में ही क्यों रुक गए?

बाइबल में इस बारे में साफ-साफ तो नहीं बताया गया है, पर इसमें ऐसी कुछ दिलचस्प जानकारी दी गयी है जिससे हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि वे शायद क्यों उस वक्‍त नासरत नहीं लौटे, बल्कि यहूदा के बेतलेहेम में ही रुक गए।

एक स्वर्गदूत ने मरियम को बताया कि वह गर्भवती होगी और एक बच्चे को जन्म देगी। जब उसने मरियम को यह संदेश दिया, तब मरियम और यूसुफ दोनों गलील के नासरत शहर में रह रहे थे। (लूका 1:26-31; 2:4) बाद में जब वे मिस्र से इसराएल लौटे, तो दोबारा नासरत में रहने लगे। यीशु वहीं पला-बढ़ा और आगे चलकर एक नासरी कहलाया। (मत्ती 2:19-23) इसलिए जब भी यीशु, यूसुफ या मरियम का ज़िक्र होता है, तो हमें नासरत शहर का खयाल आता है।

मरियम की एक रिश्‍तेदार थी, इलीशिबा जो यहूदा में रहती थी। इलीशिबा जकरयाह की पत्नी थी जो एक याजक था। आगे चलकर इलीशिबा ने यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले को जन्म दिया। (लूका 1:5, 9, 13, 36) मरियम इलीशिबा से मिलने यहूदा गयी थी। वह तीन महीने उसके साथ रही और फिर नासरत लौट आयी। (लूका 1:39, 40, 56) इससे हमें एक बात पता चल जाती है: मरियम यहूदा के इलाके के बारे में थोड़ा-बहुत जानती थी।

कुछ समय बाद एक फरमान जारी किया गया कि “सब लोग नाम लिखवाने के लिए अपने-अपने शहर” जाएँ। इसलिए यूसुफ नासरत से बेतलेहेम गया। बेतलेहेम को ‘दाविद का शहर’ भी कहा जाता था और भविष्यवाणी की गयी थी कि मसीहा वहीं पैदा होगा। (लूका 2:3, 4; 1 शमू. 17:15; 20:6; मीका 5:2) यीशु का जन्म बेतलेहेम में ही हुआ। पर बेतलेहेम नासरत से बहुत दूर था और मरियम ने अभी-अभी बच्चे को जन्म दिया था, शायद इस वजह से यूसुफ ने तुरंत नासरत लौटने की नहीं सोची। इसके बजाय, वे बेतलेहेम में ही रुक गए जो यरूशलेम से करीब नौ किलोमीटर (करीब 6 मील) दूर था। इस तरह मूसा के कानून के मुताबिक अपने बच्चे को मंदिर ले जाना और वहाँ बलिदान चढ़ाना उनके लिए आसान हो जाता।​—लैव्य. 12:2, 6-8; लूका 2:22-24.

परमेश्‍वर के स्वर्गदूत ने पहले ही मरियम को बता दिया था कि उसका जो बेटा होगा, उसे “दाविद की राजगद्दी” दी जाएगी और वह ‘राजा बनकर राज करेगा।’ और यूसुफ और मरियम ने गौर किया होगा कि कैसे यीशु का जन्म दाविद के शहर में ही हुआ। (लूका 1:32, 33; 2:11, 17) हो सकता है, इसी वजह से उन्होंने कुछ समय बेतलेहेम में रुकने का फैसला किया। शायद उन्होंने सोचा हो कि यहोवा अब उन्हें कुछ और हिदायतें देगा कि उन्हें क्या करना है।

हम यह तो नहीं जानते कि जब ज्योतिषी उनसे मिलने आए थे, तब तक उन्हें बेतलेहेम में रहते हुए कितना समय हो गया था। पर उस समय उनका परिवार एक घर में रह रहा था और यीशु एक छोटा ‘बच्चा’ था, ना कि एक नन्हा शिशु। (मत्ती 2:11) इससे मालूम होता है कि वे नासरत जाने के बजाय बेतलेहेम में ही रहने लगे थे।

हेरोदेस ने हुक्म दिया कि बेतलेहेम में ‘जितने लड़के दो साल के और उससे छोटे हैं, उन सबको मार डाला जाए।’ (मत्ती 2:16) परमेश्‍वर के एक स्वर्गदूत ने यूसुफ को इस फरमान के बारे में खबरदार किया, इसलिए यूसुफ और मरियम तुरंत यीशु को लेकर मिस्र के लिए निकल पड़े और जब तक हेरोदेस की मौत नहीं हुई, तब तक वहीं रहे। बाद में यूसुफ अपने परिवार को लेकर नासरत चला गया। लेकिन वे वापस बेतलेहेम क्यों नहीं आए? क्योंकि तब हेरोदेस का बेटा अरखिलाउस यहूदा पर राज करने लगा था और वह बहुत बेरहम था। और यूसुफ नहीं चाहता था कि यीशु को कोई खतरा हो। इसके अलावा परमेश्‍वर ने भी यूसुफ को चेतावनी दी थी, इसलिए उसने अपने परिवार को नासरत ले जाने का फैसला किया। वहाँ यीशु को कोई खतरा नहीं होता और यूसुफ अच्छे-से उसकी परवरिश कर पाता और उसे सच्चे परमेश्‍वर के बारे में सिखा पाता।​—मत्ती 2:19-22; 13:55; लूका 2:39, 52.

ऐसा मालूम होता है कि जब तक यीशु ने अपनी कुरबानी दी और लोगों के लिए स्वर्ग जाने का रास्ता खोला, तब तक यूसुफ की मौत हो चुकी थी। इसका मतलब, नयी दुनिया में यूसुफ को धरती पर ज़िंदा किया जाएगा। तब बहुत-से लोग उससे मिल पाएँगे और इस बारे में उससे और भी जान पाएँगे कि वह और मरियम यीशु के जन्म के बाद क्यों बेतलेहेम में ही रुक गए थे।

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