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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
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अध्ययन लेख 17

गीत 99 लाखों हज़ारों भाई

हम कभी अकेले नहीं हैं!

‘मैं तेरी मदद करूँगा।’—यशा. 41:10.

क्या सीखेंगे?

हम चार तरीकों पर ध्यान देंगे कि यहोवा कैसे हमारी परवाह करता है।

1-2. (क) हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि हम मुश्‍किलों में कभी अकेले नहीं होंगे? (ख) इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

जब हम मुश्‍किलों के तूफान में फँस जाते हैं, तो शायद हमें लगे कि हम बिलकुल अकेले हैं। लेकिन सच तो यह है कि हम कभी अकेले नहीं होते। हमारा प्यारा पिता यहोवा हमेशा हमारे साथ होता है। वह अच्छी तरह जानता है कि हम किन तकलीफों से गुज़र रहे हैं और उसने वादा किया है कि वह हमारी मदद करेगा। बाइबल में उसने अपने हर वफादार सेवक को यकीन दिलाया है, ‘मैं तेरी मदद करूँगा।’—यशा. 41:10.

2 इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि यहोवा किस तरह हमारी मदद करता है: (1) वह हमें राह दिखाता है, (2) वह हमारी ज़रूरतें पूरी करता है, (3) वह हमारी हिफाज़त करता है और (4) वह हमें दिलासा देता है। यहोवा हमें यकीन दिलाता है कि हमारी ज़िंदगी में चाहे जो भी मुश्‍किल आए, वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा, ना ही कभी भूलेगा। इसलिए हम कभी अकेले नहीं होंगे।

यहोवा हमें राह दिखाता है

3-4. यहोवा हमें कैसे राह दिखाता है? (भजन 48:14)

3 भजन 48:14 पढ़िए। यहोवा जानता है कि हम इंसान अपने कदमों को राह नहीं दिखा सकते, इसलिए वह हमारी मदद करता है। वह अपने वफादार सेवकों को कैसे राह दिखाता है? एक तरीका है, बाइबल के ज़रिए। (भज. 119:105) बाइबल में उसने बुद्धि-भरी बातें लिखवायी हैं जिनकी मदद से हम अच्छे फैसले ले पाते हैं और बढ़िया गुण बढ़ा पाते हैं। इसमें लिखी बातें मानकर हम आज खुश रह सकते हैं और आगे चलकर हमें हमेशा की ज़िंदगी भी मिल सकती है।a उदाहरण के लिए यहोवा ने बाइबल में बताया है कि हमें नाराज़गी नहीं पालनी है, सब बातों में ईमानदार होना है और पूरे जतन के साथ एक-दूसरे को दिल से प्यार करना है। (भज. 37:8; इब्रा. 13:18; 1 पत. 1:22) जब हम ऐसा करते हैं, तो हम अच्छे माता-पिता, जीवन-साथी और दोस्त बन पाते हैं।

4 हमें राह दिखाने के लिए यहोवा ने बाइबल में उन लोगों के किस्से भी लिखवाए हैं जिन्होंने हमारे जैसी मुश्‍किलों का सामना किया और जिनमें हमारे जैसी भावनाएँ थीं। (1 कुरिं. 10:13; याकू. 5:17) जब हम इन किस्सों को पढ़ते हैं और सीखी बातों पर चलते हैं, तो हमें कम-से-कम दो फायदे होते हैं: (1) हमें एहसास होता है कि हम अकेले नहीं हैं जो मुश्‍किलें सह रहे हैं, दूसरों ने भी हमारे जैसी मुश्‍किलें सही हैं और वे उन्हें पार कर पाए हैं। (1 पत. 5:9) और (2) हम सीखते हैं कि हम अपनी मुश्‍किलों का कैसे सामना कर सकते हैं।—रोमि. 15:4.

5. यहोवा और किस तरह हमें राह दिखाता है?

5 यहोवा भाई-बहनों के ज़रिए भी हमें राह दिखाता है।b जैसे समय-समय पर सर्किट निगरान हमारी मंडलियों का दौरा करते हैं और हमारा हौसला बढ़ाते हैं। उनके भाषणों से हमारा विश्‍वास मज़बूत होता है और हमें बढ़ावा मिलता है कि हम अपने बीच एकता बनाए रखें। (प्रेषि. 15:40–16:5) प्राचीन भी मंडली के हरेक भाई-बहन की मदद करते हैं ताकि वह यहोवा के करीब बना रहे। (1 पत. 5:2, 3) माता-पिता अपने बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखाते हैं, उनमें अच्छी आदतें डालते हैं और उन्हें सूझ-बूझ से काम लेना सिखाते हैं। (नीति. 22:6) और मंडली की प्रौढ़ बहनें, जवान बहनों के लिए एक अच्छी मिसाल रखती हैं। वे उन्हें बढ़िया सलाह देती हैं और प्यार से उनका हौसला बढ़ाती हैं।—तीतु. 2:3-5.

6. यहोवा हमें जो सलाह देता है, उससे फायदा पाने के लिए हमें क्या करना होगा?

6 यहोवा ने हमें राह दिखाने के लिए बहुत कुछ किया है। लेकिन हमें क्या करना होगा ताकि हमें उसकी सलाह से पूरा फायदा हो? नीतिवचन 3:5, 6 में लिखा है, “तू अपनी समझ का सहारा न लेना, बल्कि पूरे दिल से यहोवा पर भरोसा रखना।” जब हम ऐसा करेंगे, तो क्या होगा? आगे लिखा है, “वह तुझे सही राह दिखाएगा।” इस वजह से हम कई मुसीबतों से बच पाएँगे और जीवन में खुश रहेंगे। ज़रा सोचिए, यहोवा कितना अच्छा परमेश्‍वर है! वह हममें से हरेक से प्यार करता है और हमारी ज़रूरत के हिसाब से हमें सलाह देता है।—भज. 32:8.

यहोवा हमारी ज़रूरतें पूरी करता है

7. यहोवा किस तरह हमारी ज़रूरतें पूरी करता है? (फिलिप्पियों 4:19)

7 फिलिप्पियों 4:19 पढ़िए। हमें राह दिखाने के साथ-साथ यहोवा हमारी ज़रूरतें पूरी करने में भी हमारी मदद करता है। हम रोटी, कपड़ा और मकान जैसी ज़रूरी चीज़ों के लिए जो मेहनत करते हैं, यहोवा उस पर आशीष देता है। (मत्ती 6:33; 2 थिस्स. 3:12) हम सबको इस बात की चिंता होती है कि हमारी ज़रूरतें कैसे पूरी होंगी, लेकिन यहोवा हमसे कहता है कि हम इस बारे में हद-से-ज़्यादा चिंता ना करें। (मत्ती 6:25 का अध्ययन नोट देखें।) क्यों नहीं? क्योंकि हमारा पिता यहोवा अपने वफादार सेवकों को कभी नहीं छोड़ता। (मत्ती 6:8; इब्रा. 13:5) उसने वादा किया है कि वह हमारी ज़रूरतें पूरी करेगा और हम उसके वादे पर पूरा भरोसा रख सकते हैं।

8. यहोवा ने दाविद के लिए क्या किया?

8 ध्यान दीजिए कि यहोवा ने किस तरह दाविद की ज़रूरतें पूरी कीं। जब वह शाऊल से जान बचाकर भाग रहा था, तो यहोवा ने उसका और उसके आदमियों का खयाल रखा। जब दाविद ने इस बारे में गहराई से सोचा कि सालों के दौरान यहोवा ने कैसे उसे सँभाला, तो उसने कहा, “अपनी जवानी से लेकर बुढ़ापे तक न तो मैंने कभी किसी नेक इंसान को त्यागा हुआ, न ही उसकी औलाद को रोटी के लिए भीख माँगते हुए देखा।” (भज. 37:25) आपने भी दाविद की तरह अपनी ज़िंदगी में देखा होगा कि यहोवा ने किस तरह आपकी और दूसरे सेवकों की ज़रूरतें पूरी की हैं।

9. जब कोई विपत्ति आती है, तो यहोवा कैसे अपने सेवकों की ज़रूरतें पूरी करता है? (तसवीरें भी देखें।)

9 जब कोई विपत्ति आती है, तब भी यहोवा अपने लोगों की ज़रूरतों का खयाल रखता है। उदाहरण के लिए जब पहली सदी में एक जगह भारी अकाल पड़ा, तो अलग-अलग इलाकों के मसीहियों ने वहाँ के भाई-बहनों के लिए राहत का सामान भेजा। (प्रेषि. 11:27-30; रोमि. 15:25, 26) आज भी यहोवा अपने लोगों को उभारता है कि वे दिल खोलकर अपने भाई-बहनों की मदद करें। इसलिए जब कोई विपत्ति आती है, तो वे तुरंत भाई-बहनों तक ज़रूरत की चीज़ें पहुँचाते हैं, जैसे खाना, पानी, कपड़े और दवाइयाँ। निर्माण काम में हाथ बँटानेवाले भाई-बहन राज-घरों की और भाई-बहनों के घरों की मरम्मत करते हैं। यहीं नहीं, जिन लोगों के घर तहस-नहस हो गए या जिन्होंने अपनों को खो दिया है, यहोवा के सेवक उन्हें बाइबल से दिलासा देते हैं और उनका हौसला बढ़ाते हैं।c

तसवीरें: मलावी में विपत्ति आने के बाद भाई-बहनों को खाना और दूसरी ज़रूरी चीज़ें दी जा रही हैं और बाइबल से दिलासा भी दिया जा रहा है। 1. बाढ़ की वजह से एक बड़े इलाके में पानी भर गया है। 2. भाई गेज फ्लीगल भाई-बहनों से बात कर रहे हैं। 3. कुछ भाई एक गाड़ी से बोरियाँ निकाल रहे हैं जिनमें खाने की चीज़ें हैं।

जब कोई विपत्ति आती है, तो यहोवा कैसे हमें दिलासा देता है? (पैराग्राफ 9)e


10-11. आपने बोरिस के अनुभव से क्या सीखा?

10 यहोवा उन लोगों की भी दिल खोलकर मदद करता है जो उसकी उपासना नहीं करते। हम भी उसकी तरह बनना चाहते हैं, इसलिए हम ऐसे लोगों की मदद करने के मौके ढूँढ़ते हैं जो यहोवा की सेवा नहीं करते। (गला. 6:10) और अकसर ऐसा करने से बढ़िया नतीजे निकलते हैं। ज़रा बोरिस नाम के आदमी के अनुभव पर ध्यान दीजिए जो यूक्रेन में एक स्कूल का प्रिंसिपल है। बोरिस एक यहोवा का साक्षी नहीं है। लेकिन उसके स्कूल में जो बच्चे यहोवा के साक्षी थे, वह उनके साथ बहुत अच्छे-से पेश आता था और उनकी इज़्ज़त करता था। जब युद्ध की वजह से बोरिस को अपने इलाके से निकलना पड़ा, तो भाइयों ने एक सुरक्षित जगह पहुँचने में उसकी मदद की। बाद में बोरिस यीशु की मौत के स्मारक समारोह में आया। भाइयों ने जिस तरह उसकी मदद की, उस बारे में बोरिस कहता है, “साक्षियों ने मेरी बहुत मदद की और मेरा अच्छा खयाल रखा। मैं उनका एहसान कभी नहीं भूलूँगा।”

11 हम अपने दयालु पिता यहोवा की तरह बनने की कोशिश करते हैं और उन लोगों से भी प्यार करते हैं जो उसकी सेवा नहीं करते। (लूका 6:31, 36) हम उम्मीद करते हैं कि हमारा प्यार देखकर वे भी यहोवा के बारे में जानना चाहें और उसकी सेवा करने लगें। (1 पत. 2:12) चाहे वे उसकी सेवा करें या ना करें, हमें वह खुशी मिलेगी जो देने से मिलती है।—प्रेषि. 20:35.

यहोवा हमारी हिफाज़त करता है

12. यहोवा ने किस तरह एक समूह के तौर पर अपने लोगों की हिफाज़त करने का वादा किया है? (भजन 91:1, 2, 14)

12 भजन 91:1, 2, 14 पढ़िए। यहोवा ने वादा किया है कि वह अपने लोगों को ऐसे हर खतरे से बचाएगा जिसकी वजह से उसके साथ उनका रिश्‍ता खराब हो सकता है। यहोवा कभी-भी शैतान को शुद्ध उपासना दूषित नहीं करने देगा। (यूह. 17:15) यहीं नहीं, “महा-संकट” के दौरान भी यहोवा अपना वादा निभाएगा और अपने लोगों की हिफाज़त करेगा। कैसे? वह उनका विश्‍वास मज़बूत बनाए रखेगा और एक समूह के तौर पर उन्हें मिटने नहीं देगा।—प्रका. 7:9, 14.

13. यहोवा किस तरह अपने हरेक सेवक की हिफाज़त करता है?

13 यहोवा हममें से हरेक की भी हिफाज़त करता है। वह कैसे? वह अपने वचन के ज़रिए हमें सिखाता है कि क्या सही है और क्या गलत। (इब्रा. 5:14) जब हम बाइबल सिद्धांतों के हिसाब से जीते हैं, तो यहोवा के साथ हमारे रिश्‍ते पर कोई आँच नहीं आती, हमारी सेहत अच्छी रहती है और हम ज़िंदगी में खुश रहते हैं। (भज. 91:4) इसके अलावा यहोवा मंडली के ज़रिए भी हमारी हिफाज़त करता है। (यशा. 32:1, 2) हमारे भाई-बहन यहोवा से प्यार करते हैं और उसके स्तरों के हिसाब से जीते हैं। इसलिए जब हम उनके साथ वक्‍त बिताते हैं, तो हमारा हौसला बढ़ता है और बुरे कामों से दूर रहने का हमारा इरादा मज़बूत हो जाता है।—नीति. 13:20.

14. (क) यहोवा हमें हर मुश्‍किल से क्यों नहीं बचाता? (ख) भजन 9:10 से हमें किस बात का यकीन हो जाता है? (फुटनोट भी देखें।)

14 बीते समय में यहोवा ने कई मौकों पर अपने सेवकों की जान बचायी। पर क्या उसने हमेशा ऐसा किया? जी नहीं। कई बार यहोवा के सेवक किसी ‘हादसे’ का शिकार हुए हैं। (सभो. 9:11) तो कई बार उन पर ज़ुल्म हुए हैं और उन्हें अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा है। यहोवा ने ऐसा क्यों होने दिया? ताकि शैतान का दावा झूठा साबित हो सके। (अय्यू. 2:4-6; मत्ती 23:34) यहोवा आज भी शायद हमें हर मुश्‍किल से ना बचाए। लेकिन हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि जो उससे प्यार करते हैं, वह उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ेगा।d—भज. 9:10.

यहोवा हमें दिलासा देता है

15. प्रार्थना, बाइबल और भाई-बहनों से हमें कैसे दिलासा मिलता है? (2 कुरिंथियों 1:3, 4)

15 2 कुरिंथियों 1:3, 4 पढ़िए। हो सकता है, कभी-कभी हम बहुत ज़्यादा दुखी या निराश हो जाएँ या हमें चिंताएँ सताने लगें। क्या आप भी किसी मुश्‍किल से गुज़र रहे हैं और अकेला महसूस कर रहे हैं? अगर हाँ, तो शायद आपको लगे कि आप पर जो बीत रही है, उसे कोई नहीं समझता। लेकिन यहोवा समझता है। वह ना सिर्फ हमारा दर्द जानता है, बल्कि “हमारी सब परीक्षाओं में हमें दिलासा” भी देता है। वह कैसे? जब हम यहोवा से मिन्‍नतें करते हैं, तो हमें “परमेश्‍वर की वह शांति [मिलती है] जो समझ से परे है।” (फिलि. 4:6, 7) और बाइबल में जब हम यहोवा की बातें पढ़ते हैं, तो उससे भी हमें बहुत दिलासा मिलता है। इसमें बताया है कि वह हमसे कितना प्यार करता है, हमें बुद्धिमान बनना सिखाता है और हमें एक आशा देता है। ये बातें पढ़कर हमें बहुत हिम्मत मिलती है। और सभाओं में जब हम बाइबल से बढ़िया बातें सुनते हैं और भाई-बहनों से मिलते हैं, तो उससे भी हमें बहुत दिलासा मिलता है।

16. आपने नेथन और प्रिसिल्ला के अनुभव से क्या सीखा?

16 यहोवा अपने वचन के ज़रिए हमें दिलासा देता है और हमारा हौसला बढ़ाता है। इसे समझने के लिए नेथन और प्रिसिल्ला के अनुभव पर ध्यान दीजिए जो अमरीका में रहते हैं। कुछ साल पहले उन्होंने तय किया कि वे एक ऐसी जगह जाकर सेवा करेंगे जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। नेथन कहता है, “हमें भरोसा था कि यहोवा हमारी मेहनत पर आशीष देगा।” लेकिन जब वे नयी जगह जाकर सेवा करने लगे, तो अचानक हालात बदल गए। उनकी सेहत बिगड़ने लगी और नौकरी ना मिलने की वजह से उनके लिए गुज़ारा चलाना भी मुश्‍किल होने लगा। कुछ समय बाद उन्हें अपने घर लौटना पड़ा, लेकिन वहाँ भी उन्हें पैसों की दिक्कत हुई। उस समय को याद करते हुए नेथन कहता है, “हमने सोचा था कि यहोवा हमें बहुत-सी आशीषें देगा। लेकिन हमने जैसा सोचा था, वैसा कुछ नहीं हुआ। फिर मैं सोचने लगा कि कहीं मुझसे कोई गलती तो नहीं हो गयी।” लेकिन आगे चलकर नेथन और प्रिसिल्ला को एहसास हुआ कि उस मुश्‍किल घड़ी में यहोवा ने उनका साथ नहीं छोड़ा था। नेथन बताता है, “जैसे मुश्‍किल वक्‍त में एक दोस्त हमारा हौसला बढ़ाता है और हमारी मदद करता है, वैसे ही बाइबल से हमें बहुत हौसला मिला और हम समझ पाए कि हमें क्या करना चाहिए। अपनी तकलीफों पर ध्यान देने के बजाय हमने इस बात पर ध्यान दिया कि यहोवा ने कैसे उन्हें सहने में हमारी मदद की है। इससे हमारा विश्‍वास मज़बूत हुआ और हम आनेवाली किसी भी मुश्‍किल का सामना करने के लिए तैयार थे।”

17. बहन हेल्गा को कैसे दिलासा मिला? (तसवीर भी देखें।)

17 भाई-बहनों के ज़रिए भी हमें दिलासा मिल सकता है। इसे समझने के लिए बहन हेल्गा के अनुभव पर ध्यान दीजिए जो हंगरी में रहती हैं। कई सालों तक उन्हें अलग-अलग मुश्‍किलों का सामना करना पड़ा जिस वजह से वे बहुत परेशान रहती थीं। उन्हें लगने लगा कि उनसे कुछ नहीं हो पा रहा है, वे एकदम बेकार हैं। पर आज जब वह उस समय के बारे में सोचती हैं, तो उन्हें एहसास होता है कि यहोवा ने भाई-बहनों के ज़रिए उन्हें दिलासा दिया। वे कहती हैं, “मैं नौकरी करती थी, अपने बीमार बच्चे की देखभाल करती थी और दूसरी मुश्‍किलों का भी सामना कर रही थी। इस वजह से कई बार मैं हिम्मत हार जाती थी। तब यहोवा मुझे फिर से ताकत से भर देता था। पिछले 30 सालों में ऐसा एक भी दिन नहीं गया जब यहोवा ने अपना वादा ना निभाया हो और मुझे दिलासा ना दिया हो। मैंने देखा है कि जब मैं बहुत मायूस होती हूँ, तभी कोई-न-कोई भाई-बहन मुझे मैसेज भेजता है, मुझे कार्ड लिखकर देता है या तारीफ के दो शब्द कहता है। उनकी हौसला बढ़ानेवाली बातें सुनकर, उनका प्यार देखकर मुझमें फिर से हिम्मत आ जाती है। मैं जानती हूँ इस सब के पीछे यहोवा का ही हाथ है।”

तसवीरें: एक बुज़ुर्ग भाई को दिलासा मिल रहा है। 1. वे उन ड्रॉइंग को देख रहे हैं जो बच्चों ने उनके लिए बनायी हैं। 2. एक भाई ने उन्हें मैसेज भेज रहा है। 3. एक पति-पत्नी उनके लिए खाने-पीने की चीज़ें लाए हैं। 4. एक भाई उन्हें फोन कर रहा है। 5. एक छोटी लड़की उनके लिए फिरदौस की ड्रॉइंग बना रही है जिसमें उसने एक शेर भी बनाया है।

यहोवा आपके ज़रिए दूसरों को कैसे दिलासा दे सकता है? (पैराग्राफ 17)


18. हम किस तरह दूसरों को दिलासा दे सकते हैं?

18 ज़रा सोचिए, हम भी यहोवा की तरह दूसरों को दिलासा दे सकते हैं, यह कितनी बड़ी बात है! पर हम यह कैसे कर सकते हैं? हम ध्यान से लोगों की सुन सकते हैं, अपनी बातों से उन्हें तसल्ली दे सकते हैं और उनकी मदद करने के लिए हमसे जो बन पड़ता है, वह कर सकते हैं। (नीति. 3:27) हमारी यही कोशिश रहती है कि हम हर किसी को दिलासा दें, उन्हें भी जो यहोवा की सेवा नहीं करते। जैसे जब कोई बीमार होता है, बहुत ज़्यादा परेशान होता है या गम में डूबा होता है, तो हम उससे मिलने जाते हैं, ध्यान से उसकी सुनते हैं और बाइबल से उसे कुछ ऐसी बात बताते हैं जिससे उसकी हिम्मत बँधे। जब हम यहोवा जैसे बनते हैं जो “हर तरह का दिलासा देनेवाला परमेश्‍वर है,” तो हम मुश्‍किलें सहने में भाई-बहनों की मदद कर पाते हैं। इतना ही नहीं, जो लोग यहोवा की सेवा नहीं करते उन पर भी इसका अच्छा असर हो सकता है। वे शायद यहोवा के बारे में सीखना चाहें।—मत्ती 5:16.

यहोवा हमेशा हमारा साथ देता है

19. यहोवा हमारे लिए क्या करता है और हम उसकी तरह कैसे बन सकते हैं?

19 यहोवा उन सभी की बहुत परवाह करता है जो उससे प्यार करते हैं। जब हम मुश्‍किलों में होते हैं, तो वह हमारा साथ नहीं छोड़ता। जिस तरह माता-पिता अपने बच्चे का खयाल रखते हैं, उसी तरह यहोवा भी अपने वफादार सेवकों का बहुत खयाल रखता है। वह उन्हें राह दिखाता है, उनकी ज़रूरतें पूरी करता है, उनकी हिफाज़त करता है और उन्हें दिलासा देता है। हम भी अपने प्यारे पिता यहोवा की तरह बन सकते हैं। जब लोग मुश्‍किलों से गुज़रते हैं, तो हम उनका साथ दे सकते हैं और उनका हौसला बढ़ा सकते हैं। हो सकता है, हमें भी मुश्‍किलों का सामना करना पड़े या किसी बात को लेकर हम बहुत निराश हो जाएँ। ऐसे में हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमारे साथ है। उसने खुद हमसे वादा किया है, “डर मत क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ।” (यशा. 41:10) यह आयत पढ़कर हमें कितनी हिम्मत मिलती है! सच में, यहोवा हमें कभी अकेला नहीं छोड़ेगा।

यहोवा किस तरह . . .

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गीत 100 मेहमान-नवाज़ी किया करें

a 15 अप्रैल, 2011 की प्रहरीदुर्ग में दिया लेख “ऐसे फैसले लीजिए जिनसे परमेश्‍वर की महिमा हो” पढ़ें।

b फरवरी 2024 की प्रहरीदुर्ग में दिए लेख “यहोवा की दिखायी राह पर चलते रहिए” के पैराग्राफ 11-14 पढ़ें।

c इस बारे में हाल में आयी जानकारी पढ़ने के लिए jw.org पर खोजें बक्स में “राहत काम” टाइप करें।

d फरवरी 2017 की प्रहरीदुर्ग में दिया लेख “आपने पूछा” पढ़ें।

e तसवीर के बारे में: मलावी में विपत्ति आने के बाद भाई-बहनों को खाना और दूसरी ज़रूरी चीज़ें दी जा रही हैं और बाइबल से दिलासा भी दिया जा रहा है।

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