अध्ययन लेख 20
गीत 7 यहोवा, बल हमारा!
यहोवा हमें ज़रूर दिलासा देगा
“हमारे . . . पिता की तारीफ हो। वह कोमल दया का पिता है और हर तरह का दिलासा देनेवाला परमेश्वर है।”—2 कुरिं. 1:3.
क्या सीखेंगे?
हम जानेंगे कि यहोवा ने कैसे उन यहूदियों को दिलासा दिया जो बैबिलोन में बंदी थे और हम इससे क्या सीख सकते हैं।
1. जो यहूदी बैबिलोन में बंदी थे, उन पर क्या बीत रही थी?
ज़रा सोचिए कि उन यहूदियों पर क्या बीती होगी जो बैबिलोन में बंदी थे। उन्होंने अपनी आँखों के सामने अपने देश को तबाह होते देखा था और अब वे एक अनजान देश में थे। लेकिन उनके साथ ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि उन्होंने और उनके बाप-दादों ने यहोवा के खिलाफ पाप किया था। (2 इति. 36:15, 16, 20, 21) बैबिलोन में वे एक आम ज़िंदगी जी रहे थे और उनके पास थोड़ी-बहुत आज़ादी थी। (यिर्म. 29:4-7) लेकिन उनकी ज़िंदगी इतनी आसान नहीं थी। असल में, वे वहाँ मजबूरी में जी रहे थे। ध्यान दीजिए कि उनमें से एक वफादार यहूदी ने क्या कहा: “हम बैबिलोन की नदियों के किनारे बैठा करते थे। सिय्योन को याद करके रो पड़ते थे।” (भज. 137:1) बैबिलोन में रहनेवाले यहूदी बहुत निराश थे। ऐसे में कौन उन्हें दिलासा दे सकता था?
2-3. (क) जो यहूदी बैबिलोन में बंदी थे, उनके लिए यहोवा ने क्या किया? (ख) इस लेख में हम क्या जानेंगे?
2 यहोवा “हर तरह का दिलासा देनेवाला परमेश्वर है।” (2 कुरिं. 1:3) वह अपने लोगों से बहुत प्यार करता है और उन्हें दिलासा देता है। यहोवा जानता था कि बैबिलोन जाकर कुछ यहूदियों को अपनी गलती का एहसास होगा और वे दोबारा उसकी उपासना करने लगेंगे। (यशा. 59:20) इसलिए उनके बँधुआई में जाने से 100 साल पहले ही यहोवा ने यशायाह के ज़रिए कुछ भविष्यवाणियाँ लिखवायीं। ये भविष्यवाणियाँ यशायाह की किताब में दर्ज़ हैं। यहोवा ने इसे क्यों लिखवाया था? यशायाह ने लिखा, “तुम्हारा परमेश्वर कहता है, ‘मेरे लोगों को दिलासा दो, उन्हें दिलासा दो!’” (यशा. 40:1) तो यहोवा अपने लोगों को दिलासा देना चाहता था। आगे चलकर इस किताब से बैबिलोन में रहनेवाले यहूदियों को बहुत हिम्मत मिली होगी।
3 इस लेख में हम जानेंगे कि यहूदियों को दिलासा देने के लिए यहोवा ने क्या किया: (1) उसने वादा किया कि वह पश्चाताप करनेवालों को माफ करेगा, (2) उसने अपने लोगों को आशा दी और (3) उसने उनका डर दूर किया। आज हमें भी समय-समय पर दिलासे की ज़रूरत होती है। इसलिए हम देखेंगे कि यहोवा ने यहूदियों के लिए जो बातें लिखवायी थीं, उनसे हमें कैसे दिलासा मिल सकता है।
यहोवा हम पर दया करता है और हमें माफ करता है
4. यहोवा ने यहूदियों पर कैसे दया की? (यशायाह 55:7)
4 यहोवा “कोमल दया का पिता है।” (2 कुरिं. 1:3) उसने यशायाह के ज़रिए पश्चाताप करनेवाले यहूदियों से वादा किया कि वह उन पर दया करेगा और उन्हें माफ करेगा। (यशायाह 55:7 पढ़िए।) उसने कहा, “मैं तुझ पर दया करूँगा क्योंकि मेरा प्यार सदा कायम रहता है।” (यशा. 54:8) यहोवा ने कैसे उन पर दया की? हालाँकि यहूदियों को अपनी गलतियों की वजह से कई सालों तक बैबिलोन में बंदी रहना पड़ा, लेकिन यहोवा ने उनसे वादा किया कि वे हमेशा बंदी नहीं रहेंगे। (यशा. 40:2) ज़रा सोचिए, यह सुनकर पश्चाताप करनेवाले यहूदियों को कितना दिलासा मिला होगा!
5. यहोवा माफ करता है, इस बात पर यकीन करने की हमारे पास क्या वजह है जो यहूदियों के पास नहीं थी?
5 हम इससे क्या सीखते हैं? यहोवा अपने सेवकों को दिल खोलकर माफ करता है। इस बात पर यकीन करने की हमारे पास और भी बड़ी वजह है, जो उन यहूदियों के पास नहीं थी। आज हम जानते हैं कि हमारे पाप माफ करने के लिए यहोवा ने क्या किया है। यशायाह के भविष्यवाणी करने के करीब 700 साल बाद यहोवा ने अपने प्यारे बेटे को धरती पर भेजा ताकि वह हमारे लिए अपनी जान फिरौती में दे। आज जो कोई इस फिरौती पर विश्वास करता है और अपने पापों का पश्चाताप करता है, यहोवा उसके पाप पूरी तरह ‘मिटा’ देता है। (प्रेषि. 3:19; यशा. 1:18; इफि. 1:7) सच में, यहोवा बहुत दया करनेवाला पिता है!
6. यहोवा ने हमें माफ कर दिया है, यह बात याद रखने से हमें कैसे दिलासा मिलता है? (तसवीर भी देखें।)
6 अगर हम किसी गलती की वजह से खुद को दोषी महसूस कर रहे हैं, तो यशायाह 55:7 में लिखी बात से हमें दिलासा मिल सकता है। हो सकता है कि हमने बीते समय में कोई गलती की हो और उसके लिए पश्चाताप भी किया हो। पर सालों बाद भी हम शायद उस गलती को याद कर-करके दोषी महसूस कर रहे हों। और अगर हम अब भी उन गलतियों के अंजाम भुगत रहे हैं, तो शायद हम और भी ज़्यादा दोषी महसूस करें। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं? याद रखिए, अगर हमने अपनी गलतियाँ कबूल कर ली हैं और सही राह पर चलने लगे हैं, तो हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा ने हमें माफ कर दिया है। और माफ करने के बाद वह फिर कभी हमारी गलतियाँ याद नहीं करता। (यिर्मयाह 31:34 से तुलना करें।) सोचिए, अगर यहोवा हमारी गलतियाँ याद नहीं करता, तो क्या हमें उन्हें याद करके खुद को कोसते रहना चाहिए? और हाँ, यह भी याद रखिए, यहोवा यह नहीं देखता कि हमने बीते समय में क्या गलती की थी, बल्कि वह यह देखता है कि हम आज क्या कर रहे हैं। (यहे. 33:14-16) हमारा दयालु पिता यहोवा बहुत जल्द उन सारे दुखों को मिटा देगा जो हमें अपनी गलतियों की वजह से झेलने पड़ रहे हैं।
यहोवा यह नहीं देखता कि हमने बीते समय में क्या गलतियाँ की थीं, बल्कि यह देखता है कि हम आज क्या कर रहे हैं (पैराग्राफ 6)
7. अपने गंभीर पाप प्राचीनों को बताने में क्या बात हमारी मदद करेगी?
7 अगर हमने कोई गंभीर पाप किया है और उसे छिपाए रखने की वजह से हम दोषी महसूस कर रहे हैं, तो हमें क्या करना चाहिए? बाइबल में बताया है कि हमें प्राचीनों से मदद लेनी चाहिए। (याकू. 5:14, 15) माना कि अपने पाप कबूल करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन एक बात याद रखने से हम ऐसा कर पाएँगे। वह क्या? यही कि यहोवा प्राचीनों के ज़रिए हमारी मदद करता है और ये प्राचीन यहोवा की तरह हमसे प्यार करते हैं और हम पर दया करना चाहते हैं। अगर हम यह बात याद रखें और पूरे दिल से पश्चाताप करें, तो हम प्राचीनों से बात करने से डरेंगे नहीं। आइए इस बारे में भाई आर्थरa के अनुभव पर गौर करें। वे अपनी गलती के बोझ से दबे हुए थे, लेकिन यहोवा ने प्राचीनों के ज़रिए उनकी मदद की, उन्हें दिलासा दिया। भाई आर्थर कहते हैं, “मैंने करीब एक साल तक पोर्नोग्राफी देखी। पर फिर मैंने एक भाषण सुना जिसमें ज़मीर के बारे में समझाया गया था। इसे सुनने के बाद मैंने अपनी पत्नी के सामने अपनी गलती मानी और प्राचीनों को भी इस बारे में बताया। इसके बाद मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे दिल से एक भारी बोझ उतर गया हो। मुझे बहुत सुकून मिला। मैंने पश्चाताप तो कर लिया था, लेकिन मेरा दिल अभी-भी मुझे कोस रहा था। तब प्राचीनों ने मुझे यकीन दिलाया कि यहोवा मेरे साथ है, उसने मुझे छोड़ा नहीं है। वह मुझसे प्यार करता है, इसलिए मुझे सुधार रहा है। उनकी प्यार-भरी बातें मेरे दिल को छू गयीं और मैं अपनी सोच बदल पाया।” आज भाई आर्थर पायनियर सेवा कर रहे हैं और एक सहायक सेवक हैं। यह जानकर कितना दिलासा मिलता है कि अगर हम पश्चाताप करें, तो यहोवा हम पर दया करता है और हमें माफ कर देता है।
यहोवा ने हमें आशा दी है
8. (क) जो यहूदी बैबिलोन में थे, यहोवा ने उन्हें क्या आशा दी? (ख) जब पश्चाताप करनेवाले यहूदियों को यह आशा मिली, तो उन्हें कैसा लगा होगा? (यशायाह 40:29-31)
8 बैबिलोन की बँधुआई से छूटना यहूदियों के लिए नामुमकिन था। वह क्यों? क्योंकि बैबिलोन उस वक्त की विश्व शक्ति था और वह कभी अपने बंदियों को आज़ाद नहीं करता था। (यशा. 14:17) लेकिन यहोवा ने अपने लोगों को एक आशा दी। उसने वादा किया कि वह उन्हें आज़ाद करेगा और दुनिया की कोई भी ताकत उसे ऐसा करने से रोक नहीं सकती थी। (यशा. 44:26; 55:12) यहोवा के लिए बैबिलोन के लोग मेज़ पर जमी धूल के समान थे। (यशा. 40:15) उसे बस एक फूँक मारनी थी और उनका कोई अता-पता नहीं रहता। यहोवा का वादा सुनकर यहूदियों को कैसा लगा होगा? उन्हें ज़रूर दिलासा मिला होगा। इतना ही नहीं, यशायाह ने लिखा, “यहोवा पर भरोसा रखनेवालों को नयी ताकत मिलती रहेगी।” (यशायाह 40:29-31 पढ़िए।) यहोवा ने जो आशा दी थी, उससे यहूदियों में नया दमखम भर आया होगा। अब वे ‘उकाब की तरह ऊँची उड़ान’ भर सकते थे।
9. यहूदियों के पास यहोवा के वादों पर भरोसा करने की क्या वजह थी?
9 यहोवा ने बैबिलोन में रहनेवाले यहूदियों को उसके वादों पर भरोसा करने की वजह भी दी। ज़रा सोचिए यहूदियों ने कितनी भविष्यवाणियाँ पूरी होते देखी थीं। वे जानते थे कि अश्शूरियों ने इसराएल के उत्तरी राज्य पर कब्ज़ा कर लिया था और लोगों को बंदी बनाकर ले गए थे। (यशा. 8:4) उन्होंने अपनी आँखों से देखा था कि बैबिलोन के लोगों ने किस तरह उनके शहर यरूशलेम का नाश किया और लोगों को बंदी बनाकर अपने देश ले आए। (यशा. 39:5-7) उन्होंने अपने जीते-जी यह भी देखा कि किस तरह राजा सिदकियाह की आँखें फोड़ दी गयीं और उसे बैबिलोन ले जाया गया। (यिर्म. 39:7; यहे. 12:12, 13) ये सारी बातें यहोवा ने पहले ही बता दी थीं और ये शब्द-ब-शब्द पूरी हुईं। (यशा. 42:9; 46:10) इससे ज़रूर यहूदियों का विश्वास मज़बूत हुआ होगा। और उनका भरोसा बढ़ा होगा कि यहोवा ने उन्हें बैबिलोन से छुड़ाने का जो वादा किया है, वह भी पूरा होगा।
10. इन आखिरी दिनों में हमारी आशा धुँधली ना पड़ जाए, इसके लिए हम क्या कर सकते हैं?
10 हम इससे क्या सीखते हैं? जब हम निराश होते हैं, तो यहोवा से मिली आशा से हमें दिलासा मिल सकता है और यह आशा हममें जान फूँक सकती है। आखिरी दिनों के इस मुश्किल-भरे वक्त में हमें कई ताकतवर दुश्मनों का सामना करना पड़ता है। लेकिन हमें डरने या निराश होने की ज़रूरत नहीं है। यहोवा ने हमें एक शानदार आशा दी है। उसने वादा किया है कि वह हमें हमेशा की ज़िंदगी देगा और ऐसी दुनिया लाएगा जहाँ सच्ची शांति और सुरक्षा होगी। हमें इस आशा को याद रखना है। अगर हम ऐसा करने से चूक जाएँ, तो यह ऐसा होगा मानो हमारी खिड़की से जो खूबसूरत नज़ारा दिखता है, वह धुँधला पड़ गया है। क्यों? क्योंकि हमारी खिड़की के शीशे पर धूल जमी है। हम इस “धूल” को कैसे साफ कर सकते हैं ताकि हमारी आशा हमें साफ नज़र आए? नयी दुनिया में हमारी ज़िंदगी कितनी हसीन होगी, इस बारे में हर दिन समय निकालकर सोचिए। हमारी शानदार आशा के बारे में कई लेख आए हैं, उन्हें पढ़िए। इस बारे में जो वीडियो हैं, उन्हें देखिए। जो गाने हैं, उन्हें सुनिए। यही नहीं, यहोवा को प्रार्थना में बताइए कि आप उसके वादों को पूरा होते देखने के लिए बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। ऐसा करने से हमारी आशा कभी धुँधली नहीं पड़ेगी।
11. बहन जॉय को अपनी बीमारी से लड़ने की ताकत कैसे मिली?
11 बहन जॉय के अनुभव पर ध्यान दीजिए। बहन को एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अपनी आशा के बारे में सोचने से उन्हें बहुत दिलासा और हिम्मत मिली है। वे कहती हैं, “जब भी चिंताएँ मुझ पर हावी हो जाती हैं, तो मैं यहोवा को अपने दिल का सारा हाल कह सुनाती हूँ। मैं जानती हूँ कि वह मुझे अच्छी तरह समझता है। उसने मेरी प्रार्थनाओं का जवाब भी दिया है। उसने मुझे ‘वह ताकत दी है जो आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर है।’” (2 कुरिं. 4:7) प्रार्थना के अलावा बहन जॉय एक और चीज़ करती हैं। वे नयी दुनिया की कल्पना करती हैं और खुद को वहाँ देखती हैं। वे सोचती हैं कि वह कितना अच्छा समय होगा जब “कोई निवासी न कहेगा, ‘मैं बीमार हूँ।’” (यशा. 33:24) इस बहन की तरह अगर हम भी यहोवा के आगे अपना दिल खोलकर रख दें और अपनी आशा के बारे में सोचते रहें, तो वह हममें भी दोबारा ताकत भर देगा।
12. यहोवा के वादों पर यकीन करने की हमारे पास क्या वजह हैं? (तसवीर भी देखें।)
12 यहोवा ने बैबिलोन में रहनेवाले यहूदियों को कई वजह दी थीं ताकि वे उसके वादों पर यकीन कर सकें। उसने आज हमें भी ढेरों वजह दी हैं। ज़रा सोचिए, हम किन भविष्यवाणियों को पूरा होते देख रहे हैं। आज हमारे समय में वह विश्व शक्ति हुकूमत कर रही है जो ‘एक मामले में मज़बूत है तो दूसरे में कमज़ोर।’ (दानि. 2:42, 43) हम ‘एक-के-बाद-एक कई जगह भूकंप’ होते देख रहे हैं। और अपनी आँखों से देख रहे हैं कि “सारे जगत में” खुशखबरी का प्रचार किया जा रहा है। (मत्ती 24:7, 14) इन भविष्यवाणियों से और दूसरी भविष्यवाणियों से यहोवा पर हमारा भरोसा बढ़ता है कि वह अपने बाकी वादे भी ज़रूर पूरे करेगा।
आज हम जो भविष्यवाणियाँ पूरी होते देख रहे हैं, उनसे हमें यहोवा के वादों पर यकीन करने की वजह मिलती है (पैराग्राफ 12)
यहोवा हमारा डर दूर करता है
13. (क) बँधुआई से छूटने से पहले यहूदियों को किस मुश्किल का सामना करना पड़ा? (ख) बैबिलोन में रहनेवाले यहूदियों को यहोवा ने कैसे दिलासा दिया? (यशायाह 41:10-13)
13 यहोवा जानता था कि उसने यहूदियों को जो आशा दी है, उससे उन्हें दिलासा मिलेगा। लेकिन वह यह भी जानता था कि जब उनका छुटकारा नज़दीक होगा, तो उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। यहोवा ने भविष्यवाणी की थी कि बँधुआई से छूटने से कुछ समय पहले, एक राजा आस-पास के देशों को तबाह कर देगा और फिर बैबिलोन पर भी हमला करेगा। (यशा. 41:2-5) लेकिन क्या यहूदियों को डरने की या खौफ खाने की ज़रूरत थी? बिलकुल नहीं। यहोवा ने अपने लोगों को दिलासा देने के लिए पहले ही उनसे वादा किया था। उसने कहा था, “डर मत क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ, घबरा मत क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ।” (यशायाह 41:10-13 पढ़िए।) यहोवा ने यह क्यों कहा कि “मैं तेरा परमेश्वर हूँ”? यहोवा उनसे यह नहीं कह रहा था कि वह उनका परमेश्वर है और उन्हें उसकी उपासना करनी चाहिए। यह बात तो यहूदी जानते थे। इसके बजाय, यहोवा उन्हें याद दिला रहा था कि वह अब भी उनके साथ है।—भज. 118:6.
14. अपने लोगों का डर दूर करने के लिए यहोवा ने उन्हें और क्या याद दिलाया?
14 अपने लोगों का डर दूर करने के लिए यहोवा ने उन्हें यह भी याद दिलाया कि उसके पास बेहिसाब ताकत है और वह सबकुछ जानता है। उसने उन यहूदियों से कहा कि वे तारों से भरे आसमान को देखें। फिर यहोवा ने उन्हें बताया कि उसने ना सिर्फ ये बेशुमार तारे बनाए हैं, बल्कि वह उनमें से हरेक का नाम भी जानता है। (यशा. 40:25-28) अगर यहोवा इतने सारे तारों के नाम जानता है, तो क्या वह अपने किसी भी सेवक को भूल सकता है? बिलकुल नहीं। वह उनमें से हरेक को जानता है। और अगर यहोवा के पास इतने सारे तारों को बनाने की ताकत है, तो क्या वह अपने लोगों की मदद नहीं करेगा? सच में, बैबिलोन में रहनेवाले यहूदियों के पास डरने की या घबराने की कोई वजह नहीं थी।
15. यहोवा ने अपने लोगों को आनेवाले समय के लिए कैसे तैयार किया?
15 यहोवा ने अपने लोगों को आनेवाले समय के लिए भी तैयार किया। यशायाह की किताब के शुरू के अध्यायों में बताया है कि यहोवा ने अपने लोगों से कहा, “अपने-अपने अंदरवाले कमरे में जाओ और दरवाज़ा बंद कर लो। थोड़ी देर के लिए छिप जाओ, जब तक कि मेरी जलजलाहट शांत नहीं हो जाती।” (यशा. 26:20) यह भविष्यवाणी कुछ हद तक उस समय पूरी हुई, जब राजा कुसरू ने बैबिलोन पर हमला किया। पुराने ज़माने का एक यूनानी इतिहासकार कहता है कि जब कुसरू बैबिलोन में दाखिल हुआ, तो उसने “[अपने सैनिकों को] हुक्म दिया कि जो भी बाहर दिखे, उसे मार डालो।” ज़रा सोचिए, बैबिलोन के लोगों पर कितना खौफ छा गया होगा! लेकिन जहाँ तक यहूदियों की बात है, उन्होंने यहोवा की बात मानी और वे अपने घरों में ही रहे। और शायद इसी वजह से उनकी जान बच गयी होगी।
16. हमें क्यों आगे होनेवाली घटनाओं के बारे में सोचकर ज़्यादा घबराना नहीं चाहिए? (तसवीर भी देखें।)
16 हम इससे क्या सीखते हैं? बहुत जल्द हम एक ऐसे महा-संकट का सामना करनेवाले हैं, जैसा आज तक कभी नहीं आया। जब यह संकट शुरू होगा, तो लोग खौफ खाएँगे, उन्हें कुछ नहीं सूझेगा कि क्या करें। लेकिन यहोवा के लोगों के बारे में क्या कहा जा सकता है? उस वक्त हम नहीं डरेंगे। क्योंकि हमें भरोसा होगा कि यहोवा हमारा परमेश्वर है और वह हमारे साथ है। हम पूरे यकीन के साथ खड़े रहेंगे, क्योंकि हमें पता होगा कि “[हमारे] छुटकारे का वक्त पास” आ गया है। (लूका 21:28) यहाँ तक कि जब राष्ट्रों का गठबंधन हम पर हमला करेगा तब भी हम यहोवा पर भरोसा रखेंगे और डगमगाएँगे नहीं। उस वक्त यहोवा अपने स्वर्गदूतों के ज़रिए हमारी हिफाज़त करेगा। वह हमें ज़रूरी निर्देश भी देगा। ये निर्देश हमें किसके ज़रिए मिलेंगे? यह जानने के लिए हमें इंतज़ार करना होगा। लेकिन ऐसा लगता है कि ये निर्देश हमें मंडलियों के ज़रिए मिलेंगे। शायद ये मंडलियाँ ही वे “अंदरवाले कमरे” हैं जहाँ हम सुरक्षित रहेंगे। आगे जो घटनाएँ होनेवाली हैं, उनके लिए हम कैसे तैयार हो सकते हैं? हमें अभी से भाई-बहनों के साथ एक मज़बूत रिश्ता बनाना होगा, यहोवा के संगठन से मिलनेवाले निर्देश मानने होंगे और यकीन रखना होगा कि आज हमारे संगठन को यहोवा ही चला रहा है।—इब्रा. 10:24, 25; 13:17.
यहोवा सबसे ताकतवर है और वह हमें हर मुसीबत से बचा सकता है। इस बार में सोचने से हम महा-संकट के दौरान बहुत ज़्यादा घबराएँगे नहीं (पैराग्राफ 16)b
17. यहोवा से दिलासा पाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
17 यहूदियों के लिए बैबिलोन में ज़िंदगी आसान नहीं थी और वे निराश थे। लेकिन यहोवा ने उन्हें दिलासा दिया और वह हमें भी दिलासा देगा। इसलिए यह चिंता मत कीजिए कि कल क्या होगा, बल्कि यहोवा पर भरोसा रखिए। यकीन रखिए कि वह हम पर दया करेगा और हमें माफ करेगा। उसने हमें जो आशा दी है, उसे कभी धुँधला मत पड़ने दीजिए। याद रखिए, यहोवा आपका परमेश्वर है और आपको डरने की कोई ज़रूरत नहीं है!
गीत 3 हमारी ताकत, आशा और भरोसा
a इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।
b तसवीर के बारे में: कुछ भाई-बहन एक कमरे में इकट्ठा हैं। उन्हें भरोसा है कि यहोवा बहुत ताकतवर है और अपने सेवकों को हर मुसीबत से बचा सकता है, फिर चाहे वे कहीं भी रहते हों।