अध्ययन लेख 38
गीत 120 यीशु जैसे कोमल बनें
दूसरों का आदर कीजिए
“आदर पाना सोना-चाँदी पाने से कहीं अच्छा है।”—नीति. 22:1.
क्या सीखेंगे?
हम जानेंगे कि हमें क्यों दूसरों का आदर करना चाहिए और जब ऐसा करना मुश्किल हो तब भी हम किस तरह उनका आदर कर सकते हैं।
1. जब दूसरे हमारा आदर करते हैं तो हमें क्यों अच्छा लगता है? (नीतिवचन 22:1)
जब लोग आपकी इज़्ज़त करते हैं, तो आपको कैसा लगता है? आपको ज़रूर अच्छा लगता होगा। हर कोई चाहता है कि उसका आदर किया जाए। इसलिए जब दूसरे हमारा आदर करते हैं तो हमें बहुत खुशी मिलती है। बाइबल में लिखा है, “आदर पाना सोना-चाँदी पाने से कहीं अच्छा है”!—नीतिवचन 22:1 पढ़िए।
2-3. (क) दूसरों का आदर करना क्यों हमेशा आसान नहीं होता? (ख) इस लेख में हम क्या जानेंगे?
2 दूसरों का आदर करना हमेशा आसान नहीं होता। वह इसलिए कि हम ना चाहते हुए भी उनकी गलतियों पर ध्यान देते हैं। इसके अलावा, हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब ज़्यादातर लोग दूसरों की इज़्ज़त नहीं करते। पर हम उनकी तरह नहीं बनना चाहते। इसके बजाय हम यहोवा की बात मानने की कोशिश करते हैं, जो चाहता है कि हम “हर किस्म के इंसान का आदर” करें।—1 पत. 2:17.
3 इस लेख में हम जानेंगे कि दूसरों का आदर करने का क्या मतलब है। फिर हम देखेंगे कि हम कैसे (1) अपने परिवारवालों, (2) मंडली के भाई-बहनों और (3) बाहरवालों का आदर कर सकते हैं। हम खासकर ध्यान देंगे कि जब हमें किसी का आदर करना मुश्किल लगता है तब भी हम किस तरह उसका आदर कर सकते हैं।
दूसरों का आदर करने का क्या मतलब है?
4. दूसरों का आदर करना का क्या मतलब है?
4 दूसरों का आदर करने का मतलब है, उनके बारे में अच्छा सोचना और उनके साथ अच्छा व्यवहार करना। जैसे, जब हम दूसरों के अच्छे गुण देखते हैं और ध्यान देते हैं कि वे कितने भले काम कर रहे हैं, तो हम उनका आदर करते हैं। इसके अलावा, हम उनका भी आदर करते हैं जिनके पास अधिकार होता है। हम यह सब दिखावे के लिए नहीं करते, बल्कि हम पूरे दिल से दूसरों का आदर करते हैं।—मत्ती 15:8.
5. हम क्यों दूसरों का आदर करते हैं?
5 यहोवा चाहता है कि हम दूसरों का आदर करें। वह हमसे कहता कि हम “ऊँचे अधिकारियों” की इज़्ज़त करें। (रोमि. 13:1, 7) लेकिन कुछ लोग शायद कहें, “इज़्ज़त यूँ ही नहीं मिलती। इसे कमाना पड़ता है।” क्या ऐसा सोचना सही है? जी नहीं। चाहे एक इंसान कैसा भी हो और वह कुछ भी करे, हमें उसका आदर करना चाहिए। क्यों? क्योंकि यहोवा चाहता है कि हम ऐसा करें। हम यहोवा से प्यार करते हैं और उसे खुश करना चाहते हैं इसलिए हम दूसरों का आदर करते हैं।—यहो. 4:14; 1 पत. 3:15.
6. क्या हम तब भी दूसरों की इज़्ज़त कर सकते हैं जब वे हमारी इज़्ज़त नहीं करते? समझाइए। ( तसवीर भी देखें।)
6 कभी-कभी हमारे लिए उन लोगों की इज़्ज़त करना मुश्किल हो सकता है, जो हमारी इज़्ज़त नहीं करते। हमें लग सकता है कि हम कभी दिल से उनकी इज़्ज़त नहीं कर पाएँगे। पर ऐसा नहीं है। आइए इस बारे में बाइबल से कुछ उदाहरण देखें। राजा शाऊल ने सबके सामने अपने बेटे योनातान की बेइज़्ज़ती की थी। (1 शमू. 20:30-34) फिर भी योनातान ने अपने पिता का आदर किया। वह आखिरी दम तक उसके साथ मिलकर दुश्मनों से लड़ता रहा। (निर्ग. 20:12; 2 शमू. 1:23) अब ज़रा हन्ना के बारे में सोचिए। महायाजक एली ने उस पर इलज़ाम लगाया कि वह शराब पीकर धुत्त है। (1 शमू. 1:12-14) लेकिन हन्ना ने उस पर गुस्सा नहीं किया बल्कि आदर से बात की। इसराएल में सभी लोग जानते थे कि एली ने अपने बेटों की गलती के लिए उन्हें नहीं सुधारा और वह पिता और महायाजक के नाते अच्छी मिसाल नहीं है। फिर भी हन्ना ने उसकी इज़्ज़त की। (1 शमू. 1:15-18; 2:22-24) आइए अब पौलुस के बारे में बात करते हैं। एथेन्स के लोगों ने उसकी बेइज़्ज़ती की और उसे “बकबक करनेवाला” कहा। (प्रेषि. 17:18) लेकिन फिर भी पौलुस ने उनके साथ आदर से बात की। (प्रेषि. 17:22) इन उदाहरणों से हम क्या सीखते हैं? अगर हम यहोवा से प्यार करते हैं और उसे खुश करना चाहते हैं तो हम दूसरों का आदर करेंगे, तब भी जब ऐसा करना हमें मुश्किल लगे। अब आइए देखते हैं कि हमें किन लोगों का आदर करना चाहिए और क्यों।
राजा शाऊल ने अपने बेटे योनातान की बेइज़्ज़ती की, फिर भी उसने अपने पिता का साथ दिया और उसके साथ मिलकर दुश्मनों से लड़ता रहा (पैराग्राफ 6)
परिवारवालों का आदर कीजिए
7. परिवार के लोगों का आदर करना क्यों मुश्किल हो सकता है?
7 यह क्यों मुश्किल हो सकता है? हम अपने परिवारवालों के साथ काफी समय बिताते हैं इसलिए हम उनकी खूबियों के साथ-साथ उनकी कमज़ोरियों को भी अच्छी तरह जानते हैं। जैसे, हो सकता है कि परिवार में किसी को बड़ी बीमारी हो और उसकी देखभाल करना हमारे लिए मुश्किल हो या फिर परिवार का कोई सदस्य हद-से-ज़्यादा चिंता करता हो या उसे डिप्रेशन हो। यह भी हो सकता है कि परिवार में कोई कुछ ऐसी बात कह दे या कुछ ऐसा कर दे, जिससे हमें दुख पहुँचे। इसके अलावा, हो सकता है परिवार का एक सदस्य दूसरों का आदर न करता हो या लड़ता-झगड़ता हो। और उसकी वजह से शायद परिवार की खुशी छिन जाए और शांति भंग हो जाए। इन हालात में परिवार के लोगों का आदर करना मुश्किल हो सकता है। ठीक जैसे आर्थराइटिस की बीमारी में जोड़ों की हड्डियाँ आपस में रगड़ खाती हैं और उनमें हमेशा दर्द रहता है, उसी तरह जब परिवारवाले एक-दूसरे का आदर नहीं करते तो आपसी रिश्तों में दरार आ सकती है यहाँ तक कि ये टूट भी सकते हैं। यह सच है कि आर्थराइटिस की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती, लेकिन पारिवारिक रिश्ते ठीक हो सकते हैं। अगर परिवार का हर सदस्य एक-दूसरे का आदर करे, तो आपसी रिश्तों में फिर से मिठास आ सकती है।
8. परिवारवालों का आदर करना क्यों ज़रूरी है? (1 तीमुथियुस 5:4, 8)
8 आदर क्यों करें? (1 तीमुथियुस 5:4, 8 पढ़िए।) पौलुस ने तीमुथियुस को लिखे अपने पहले खत में बताया कि परिवार के सदस्य कैसे एक-दूसरे का खयाल रख सकते हैं। उसने समझाया कि हमें अपने परिवारवालों का आदर सिर्फ एक फर्ज़ समझकर नहीं करना चाहिए। असल में ऐसा करके हम “परमेश्वर के लिए अपनी भक्ति” दिखा रहे होते हैं। इसका मतलब, दूसरों का आदर करना हमारी उपासना का हिस्सा है। यहोवा ने परिवार की शुरूआत की है, यह उसी का इंतज़ाम है। (इफि. 3:14, 15) इसलिए जब हम परिवारवालों का आदर करते हैं, तो हम यहोवा का आदर कर रहे होते हैं। अपने घरवालों का आदर करने की यह क्या ही बढ़िया वजह है!
9. पति-पत्नी कैसे एक-दूसरे का आदर कर सकते हैं? (तसवीरें भी देखें।)
9 आदर कैसे करें? अगर एक पति अपनी पत्नी का आदर करता है, तो वह उसे अनमोल समझेगा। वह दूसरों के सामने और अकेले में भी उसका आदर करेगा। (नीति. 31:28; 1 पत. 3:7) वह कभी उस पर हाथ नहीं उठाएगा, ना ही उसकी बेइज़्ज़ती करेगा या उसे नीचा दिखाएगा। एरीअलa नाम का भाई कहता है, “मेरी पत्नी बीमार है और वह कभी-कभी कुछ ऐसा कह देती है जिससे मुझे बहुत दुख पहुँचता है। लेकिन जब भी ऐसा होता है तो मैं खुद को याद दिलाता हूँ कि वह जानबूझकर ऐसा नहीं करती। मैं 1 कुरिंथियों 13:5 में लिखी बात याद करता हूँ। इससे मुझे शांत रहने में मदद मिलती है और मैं अपनी पत्नी के साथ आदर से बात कर पाता हूँ।” (नीति. 19:11) एक पत्नी, जो दिल से अपने पति का आदर करती है वह भी दूसरों के सामने उसकी तारीफ करेगी। (इफि. 5:33) वह कभी अपने पति पर ताने नहीं कसेगी, ना उसका मज़ाक उड़ाएगी और ना ही उसे बुरा-भला कहेगी। क्योंकि वह जानती है कि अगर वह ऐसा करेगी तो उनका शादी का रिश्ता धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ जाएगा। (नीति. 14:1) इटली में रहनेवाली एक बहन के उदाहरण पर गौर कीजिए, जिसका पति बीमार है और हद-से-ज़्यादा चिंता करता है। वह कहती है, “कभी-कभी मुझे लगता था कि मेरे पति छोटी-सी बात को लेकर कुछ ज़्यादा ही परेशान हो रहे हैं। पहले जब ऐसा होता था तो मेरे चेहरे से साफ दिख जाता था कि मुझे उन पर गुस्सा आ रहा है और मैं उन्हें कुछ भी बोल देती थी। लेकिन फिर मैं उन लोगों के साथ ज़्यादा रहने लगी, जो दूसरों का आदर करते हैं और उनके बारे में अच्छी बातें बोलते हैं। इसका मुझ पर अच्छा असर हुआ। मैं भी अपने पति के साथ आदर से बात करने लगी।”
जब हम परिवारवालों का आदर करते हैं, तो हम अपने परिवार के मुखिया यहोवा का आदर कर रहे होते हैं (पैराग्राफ 9)
10. बच्चे कैसे दिखा सकते हैं कि वे अपने माता-पिता का आदर करते हैं?
10 बच्चो, आप कैसे अपने माता-पिता का आदर कर सकते हैं? वे परिवार के लिए जो भी नियम बनाते हैं, उन्हें मानिए। (इफि. 6:1-3) उनके साथ आदर से बात कीजिए। (निर्ग. 21:17) जब माता-पिता बूढ़े होने लगें, तो उनका और भी अच्छी तरह खयाल रखिए। बहन मारिया के उदाहरण पर ध्यान दीजिए, जिसके पिता यहोवा के साक्षी नहीं हैं। जब मारिया के पिता बीमार पड़ गए, तो वह मारिया को बहुत परेशान करने लगे। उनकी देखभाल करना मरिया के लिए बहुत मुश्किल हो गया। वह कहती है, “मैं यहोवा से प्रार्थना करती थी, ‘मेरी मदद कर कि मैं पापा की इज़्ज़त करूँ और उनका अच्छा खयाल रखूँ।’ मैंने सोचा कि अगर यहोवा मुझसे कह रहा है कि मैं अपने पिता का आदर करूँ तो वह मुझे ऐसा करने की ताकत भी दे सकता है। समय के चलते मुझे एहसास हुआ कि भले ही पापा अपना व्यवहार ना बदलें, मुझे हर हाल में उनका आदर करना है।” जब हम अपने परिवारवालों की कमियों को जानते हुए भी उनका आदर करते हैं, तो हम दिखाते हैं कि हम यहोवा का आदर करते हैं, जिसने परिवार की शुरूआत की है।
मंडली के भाई-बहनों का आदर कीजिए
11. भाई-बहनों का आदर करना क्यों मुश्किल हो सकता है?
11 यह क्यों मुश्किल हो सकता है? हमारे भाई-बहन बाइबल के हिसाब से जीने की पूरी कोशिश करते हैं। लेकिन हो सकता है कि कोई भाई या बहन हमारे साथ बुरी तरह व्यवहार करे या हमारे बारे में कुछ ऐसा कहे जो सही ना हो या हमें गुस्सा दिलाए। जब हमारे पास “दूसरे के खिलाफ शिकायत की कोई वजह” होती है, तो उसका आदर करना मुश्किल हो सकता है। (कुलु. 3:13) ऐसे में क्या बात हमारी मदद कर सकती है?
12. मंडली के भाई-बहनों का आदर करना क्यों ज़रूरी है? (2 पतरस 2:9-12)
12 आदर क्यों करें? (2 पतरस 2:9-12 पढ़िए।) पतरस ने अपनी दूसरी चिट्ठी में बताया कि पहली सदी की मसीही मंडली में कुछ झूठे शिक्षक उठ खड़े हुए थे। ये शिक्षक उन लोगों के बारे में बुरी बातें बोल रहे थे “जिन्हें परमेश्वर ने महिमा दी” थी, यानी प्राचीनों के बारे में। स्वर्गदूत यह सब देख रहे थे, लेकिन उन्होंने क्या किया? उन्होंने “यहोवा का आदर करने की वजह से” झूठे शिक्षकों पर कोई दोष नहीं लगाया और ना ही उन्हें कुछ बुरा-भला कहा। ज़रा सोचिए, स्वर्गदूतों ने उन गुस्ताखों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा। इसके बजाय उन्होंने मामले को यहोवा के हाथ में छोड़ दिया कि वही उनका न्याय करेगा और उन्हें सज़ा देगा। (रोमि. 14:10-12; कृपया यहूदा 9 से तुलना करें।) हम स्वर्गदूतों से क्या सीख सकते हैं? उन्होंने विरोधियों के साथ बुरा व्यवहार नहीं किया, तो क्या हमें अपने भाई-बहनों के साथ बुरा व्यवहार करना चाहिए जो यहोवा से प्यार करते हैं? जी नहीं। इसके बजाय, हमें “खुद आगे बढ़कर” उनका आदर करना चाहिए। (रोमि. 12:10) जब हम ऐसा करते हैं तो हम दिखाते हैं कि हम यहोवा का आदर करते हैं।
13-14. हम मंडली के भाई-बहनों का आदर कैसे कर सकते हैं? उदाहरण दीजिए। (तसवीरें भी देखें।)
13 आदर कैसे करें? प्राचीनो, जब आप दूसरों को सिखाते हैं, तो प्यार से सिखाइए। (फिले. 8, 9) अगर किसी को सलाह देनी है, तो कभी-भी गुस्से में मत दीजिए, बल्कि हमेशा प्यार से दीजिए। बहनो, आप भी मंडली में एक अच्छा माहौल बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। आप आगे बढ़कर दूसरों का आदर कर सकते हैं और किसी के बारे में बुरी बात कहने या बेकार की गपशप करने से दूर रह सकते हैं। (तीतु. 2:3-5) मंडली के सभी भाई-बहन प्राचीनों का आदर कर सकते हैं। हमारे प्राचीन सभाएँ चलाने में खूब मेहनत करते हैं, प्रचार काम में अगुवाई लेते हैं और अगर कोई भाई या बहन “गलत कदम” उठाता है, तो उसकी मदद करते हैं। इन कामों के लिए उनका शुक्रिया अदा करके और उन्हें पूरा सहयोग देकर हम सब उनका आदर कर सकते हैं।—गला. 6:1; 1 तीमु. 5:17.
14 बहन रोसीओ को एक प्राचीन ने कुछ सलाह दी जिस वजह से वह उसका आदर नहीं कर पा रही थी। बहन कहती है, “मुझे लगा कि उस प्राचीन ने मुझसे सख्ती से बात की। घर पर मैं उसके बारे में बुरा-भला कहने लगी। मैं ऐसा दिखा रही थी कि मैंने उसकी सलाह मान ली है, पर मन-ही-मन मैं उसके इरादों पर शक कर रही थी और उसकी सलाह पर ध्यान नहीं दे रही थी।” फिर रोसीओ ने क्या किया? वह कहती है, “बाइबल पढ़ते वक्त मैंने 1 थिस्सलुनीकियों 5:12, 13 पढ़ा। मुझे एहसास हुआ कि मैं उस भाई का आदर नहीं कर रही हूँ। मेरा ज़मीर मुझे कचोटने लगा। मैंने यहोवा से इस बारे में प्रार्थना की और हमारे प्रकाशनों में खोजबीन की। मुझे ऐसी जानकारी मिली जिससे मैं अपनी सोच बदल पायी। मुझे एहसास हुआ कि उस भाई का कोई दोष नहीं था बल्कि दोष तो मेरा था। मेरा घमंड ही मुझे सलाह कबूल करने से रोक रहा था। इससे मैंने एक बात सीखी है, दूसरों का आदर करने के लिए नम्र होना बहुत ज़रूरी है। मैं ऐसा करने की बहुत कोशिश कर रही हूँ और मैं जानती हूँ कि यहोवा मेरी मेहनत देखकर खुश है।”
मंडली के सभी भाई-बहन प्राचीनों को पूरा सहयोग देकर और उनकी मेहनत की कदर करके उनका आदर कर सकते हैं (पैराग्राफ 13-14)
बाहरवालों का आदर कीजिए
15. बाहरवालों का आदर करना हमारे लिए क्यों मुश्किल हो सकता है?
15 यह क्यों मुश्किल हो सकता है? हम प्रचार में अकसर ऐसे लोगों से मिलते हैं, जिन्हें परमेश्वर या बाइबल के बारे में जानने में कोई दिलचस्पी नहीं होती। (इफि. 4:18) कुछ लोग हमारी बात सुनने से साफ मना कर देते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि उन्हें बचपन से जो सिखाया गया है वही सही है। इसके अलावा, हो सकता है कि साथ काम करनेवाले या स्कूल के साथी हमारे साथ अच्छा व्यवहार ना करते हों। या फिर हमारा बॉस या स्कूल का कोई टीचर हमारी मेहनत की कदर ना करता हो। ऐसे में उनकी इज़्ज़त करना हमारे लिए मुश्किल हो सकता है और यह भी हो सकता है कि हम धीरे-धीरे उनके साथ अच्छा व्यवहार करना छोड़ दें।
16. यह क्यों ज़रूरी है कि हम बाहरवालों का आदर करें? (1 पतरस 2:12; 3:15)
16 आदर क्यों करें? हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा इस बात पर ध्यान देता है कि हम बाहरवालों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। प्रेषित पतरस ने मसीहियों से कहा था कि हमारा अच्छा चालचलन देखकर शायद लोग “परमेश्वर की महिमा करें।” इसलिए उसने उन्हें सलाह दी कि जब वे अपने विश्वास की पैरवी करें, तो हमेशा “कोमल स्वभाव और गहरे आदर के साथ” करें। (1 पतरस 2:12; 3:15 पढ़िए।) तो फिर चाहे हम किसी बड़े अधिकारी या जज के सामने या फिर लोगों के सामने अपने विश्वास की पैरवी कर रहे हों, हमें ऐसा हमेशा आदर के साथ करना चाहिए। और हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा सबकुछ देख रहा है। वह इस बात पर ध्यान देते है कि हम क्या कहते हैं और कैसे कहते हैं। बाहरवालों का आदर करने की यह क्या ही ज़बरदस्त वजह है!
17. हम बाहरवालों का आदर कैसे कर सकते हैं?
17 आदर कैसे करें? हो सकता है कि हमारे इलाके में ज़्यादातर लोग बाइबल के बारे में न जानते हों या बहुत कम जानते हों। इसलिए प्रचार करते वक्त हम कभी-भी अपनी बातों या व्यवहार से लोगों को ऐसा महसूस नहीं कराएँगे कि वे किसी भी तरह हमसे कमतर हैं। हम हमेशा उन्हें खुद से बेहतर समझेंगे और याद रखेंगे कि वे यहोवा की नज़र में बहुत अनमोल हैं। (हाग्गै 2:7; फिलि. 2:3) अगर प्रचार में कोई हमारा विरोध करता है या हमें कुछ बुरा-भला कहता है, तो हम बदले में उन्हें बुरा-भला नहीं कहेंगे, ना ही कुछ ऐसा कहेंगे जिससे लगे कि हम उनसे ज़्यादा होशियार हैं। (1 पत. 2:23) और अगर हम कुछ ऐसा कह दें, जो हमें नहीं कहना चाहिए था, तो हम तुरंत उनसे माफी माँगेंगे। काम की जगह पर हम लोगों का आदर कैसे कर सकते हैं? हम जो भी काम करते हैं उसमें पूरी मेहनत करेंगे। साथ काम करनेवालों और अपने बॉस के अच्छे गुणों पर ध्यान देंगे। (तीतु. 2:9, 10) जब हम ईमानदार रहेंगे, मेहनती होंगे और पूरे दिलो-जान से काम करेंगे, तो लोग हमसे खुश हों या ना हों, यहोवा हमसे ज़रूर खुश होगा।—कुलु. 3:22, 23.
18. हमें क्यों अपने दिल में दूसरों के लिए आदर बढ़ाना चाहिए और उनकी इज़्ज़त करनी चाहिए?
18 इस लेख में हमने देखा कि दूसरों का आदर करने की हमारे पास ढेरों वजह हैं। जब हम परिवारवालों का आदर करते हैं, तो हम अपने परिवार के मुखिया यहोवा का आदर कर रहे होते हैं। जब हम मंडली के भाई-बहनों का आदर करते हैं तब भी हम यहोवा का आदर कर रहे होते हैं। और जब हम बाहरवालों का आदर करते हैं, तो हो सकता है कि वे हमारा चालचलन देखकर हमारे महान परमेश्वर यहोवा की महिमा करें। चाहे लोग हमारा आदर ना करें, फिर भी हमें अपने दिल में दूसरों के लिए आदर बढ़ाना चाहिए और उनकी इज़्ज़त करनी चाहिए। क्यों? क्योंकि ऐसा करने से यहोवा हमें आशीष देगा। उसने वादा किया है, “जो मेरा आदर करते हैं मैं उनका आदर करूँगा।”—1 शमू. 2:30.
गीत 129 हम धीरज धरेंगे
a इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।