अध्ययन लेख 43
गीत 41 मेरी दुआ सुन!
दूसरों के लिए प्रार्थना करना मत भूलिए
“एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करो . . . एक नेक इंसान की मिन्नतों का ज़बरदस्त असर होता है।”—याकू. 5:16.
क्या सीखेंगे?
दूसरों के लिए प्रार्थना करना क्यों ज़रूरी है और यह हम कैसे कर सकते हैं?
1. हम क्यों कह सकते हैं कि हमारी प्रार्थनाएँ यहोवा के लिए बहुत मायने रखती हैं?
सोचिए, यह कितनी अनोखी बात है कि हम अदना इंसान पूरे जहान के मालिक यहोवा से बात कर सकते हैं! (भज. 91:11) वैसे तो यहोवा ने कुछ ज़िम्मेदारियाँ स्वर्गदूतों को भी दी हैं और उसने अपने बेटे को भी बड़ी-बड़ी ज़िम्मेदारियाँ सौंपी हैं। (मत्ती 28:18) लेकिन जहाँ तक प्रार्थनाएँ सुनने की बात है, तो यह ज़िम्मेदारी उसने किसी को नहीं दी। यहोवा खुद हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है। तभी बाइबल में उसे ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ कहा गया है।—भज. 65:2.
2. दूसरों के लिए प्रार्थना करने के बारे में हम पौलुस से क्या सीख सकते हैं?
2 वैसे तो हम अपनी चिंता-परेशानियों के बारे में कभी-भी यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं। लेकिन हमें दूसरों के लिए भी प्रार्थना करनी चाहिए। प्रेषित पौलुस ने भी ऐसा किया था। उदाहरण के लिए उसने इफिसुस की मंडली को लिखा, “मैं हमेशा तुम्हारे लिए प्रार्थना करता हूँ।” (इफि. 1:16) पौलुस पूरी मंडली के लिए तो प्रार्थना करता ही था, पर वह कुछ भाई-बहनों का नाम लेकर भी उनके लिए प्रार्थना करता था। जैसे उसने तीमुथियुस से कहा, “मैं परमेश्वर का एहसानमंद हूँ . . . मैं अपनी मिन्नतों में तुझे रात-दिन याद करता हूँ।” (2 तीमु. 1:3) देखा जाए तो पौलुस की ज़िंदगी में भी कई मुश्किलें थीं जिनके लिए वह प्रार्थना करता था। (2 कुरिं. 11:23; 12:7, 8) पर उसने वक्त निकालकर दूसरों के लिए भी प्रार्थना की।
3. हम शायद क्यों दूसरों के लिए प्रार्थना करना भूल जाएँ?
3 कभी-कभी हम शायद दूसरों के लिए प्रार्थना करना भूल ही जाएँ। ऐसा क्यों? सबरीनाa नाम की एक बहन इसकी एक वजह बताती है। वह कहती है, “आजकल हमारे पास दिन में इतने सारे काम होते हैं कि हमें साँस लेने की भी फुरसत नहीं रहती। और इतनी सारी मुश्किलें होती हैं कि हम शायद उन्हीं में उलझकर रह जाएँ और बस अपने लिए ही प्रार्थना करें।” क्या आपके साथ भी ऐसा होता है? अगर हाँ, तो इस लेख से आपको काफी मदद मिल सकती है। इसमें हम जानेंगे कि (1) दूसरों के लिए प्रार्थना करना क्यों बहुत ज़रूरी है और (2) यह हम कैसे कर सकते हैं।
हमें दूसरों के लिए प्रार्थना क्यों करनी चाहिए?
4-5. जब हम दूसरों के लिए प्रार्थना करते हैं, तो इसका कैसे “ज़बरदस्त असर” हो सकता है? (याकूब 5:16)
4 दूसरों के लिए प्रार्थना करने का “ज़बरदस्त असर होता है।” (याकूब 5:16 पढ़िए।) क्या दूसरों के लिए प्रार्थना करने से सच में उनके हालात पर फर्क पड़ सकता है? हाँ बिलकुल। यीशु भी यह बात जानता था। ज़रा उस घटना पर ध्यान दीजिए जब पतरस यीशु को जानने से इनकार करनेवाला था। यीशु को यह बात पता थी, इसलिए उसने पतरस से कहा, “मैंने तेरे लिए मिन्नत की है कि तू अपना विश्वास खो न दे।” (लूका 22:32) पौलुस भी जानता था कि दूसरों के लिए प्रार्थना करने से बहुत फर्क पड़ सकता है। जब वह एक बार रोम में कैद में था तो उसने फिलेमोन को लिखा, “मैं उम्मीद करता हूँ कि तुम लोगों की प्रार्थनाओं की वजह से मैं बहुत जल्द तुमसे मिलने आ सकूँगा।” (फिले. 22)b और ऐसा ही हुआ। कुछ ही समय बाद पौलुस को कैद से रिहा कर दिया गया और वह फिर से प्रचार काम करने लगा।
5 लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि प्रार्थना करके हम यहोवा को कोई कदम उठाने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इसके बजाय जब हम दूसरों के लिए प्रार्थना करते हैं, तो वह इस बात पर ध्यान देता है कि हमें उनकी कितनी परवाह है। और कई बार तो वह हमारी प्रार्थनाओं की वजह से कोई कदम उठाता है। यह बात जानने से हमारा मन करेगा कि हम किसी मामले के बारे में और भी दिल से प्रार्थना करें और फिर सबकुछ यहोवा पर छोड़ दें।—भज. 37:5; 2 कुरिं. 1:11.
6. दूसरों के लिए प्रार्थना करने के कौन-से फायदे होते हैं? (1 पतरस 3:8)
6 दूसरों के लिए प्रार्थना करने से हम अपने दिल में उनके लिए “कोमल करुणा” पैदा कर पाते हैं। (1 पतरस 3:8 पढ़िए।) जिस व्यक्ति के दिल में दूसरों के लिए करुणा होती है, वह इस बात पर ध्यान देता है कि सामनेवाला किस तकलीफ से गुज़र रहा है और उसका मन करता है कि वह उसकी मदद करे। (मर. 1:40, 41) ध्यान दीजिए कि माइकल नाम के एक प्राचीन ने इस बारे में क्या कहा: “जब हम दूसरों के लिए प्रार्थना करते हैं कि उनकी ज़रूरतें पूरी हों, तो हम और भी अच्छी तरह यह समझ पाते हैं कि वे किस तकलीफ से गुज़र रहे हैं और हमारे दिल में उनके लिए प्यार और भी बढ़ जाता है। हम उनके करीब महसूस करते हैं, फिर चाहे वे यह बात ना भी जानते हों।” रिचर्ड नाम के एक प्राचीन ने बताया कि दूसरों के लिए प्रार्थना करने का एक और फायदा क्या है। उन्होंने कहा, “जब हम किसी के लिए प्रार्थना करते हैं, तो हमारा और भी मन करता है कि हम उसके लिए कुछ करें। फिर जब हम उसकी मदद करते हैं, तो एक तरह से यहोवा हमारे ज़रिए ही हमारी प्रार्थना का जवाब दे रहा होता है।”
7. दूसरों के लिए प्रार्थना करने से और क्या फायदा होता है? समझाइए। (फिलिप्पियों 2:3, 4) (तसवीरें भी देखें।)
7 दूसरों के लिए प्रार्थना करने से हम बस अपनी ही समस्याओं के बारे में नहीं सोचते रहते। (फिलिप्पियों 2:3, 4 पढ़िए।) शैतान की इस दुनिया में रहने की वजह से हम सब पर कोई-न-कोई तकलीफ आती है। (1 यूह. 5:19; प्रका. 12:12) इसलिए जब हम दूसरों के लिए प्रार्थना करने की आदत बना लेते हैं, तो हमें एहसास रहता है कि हम ही अकेले नहीं हैं जिस पर तकलीफें आती हैं, बल्कि ‘दुनिया-भर में फैली हमारे भाइयों की पूरी बिरादरी ऐसी ही दुख-तकलीफें झेल रही है।’ (1 पत. 5:9) कैथरीन नाम की बहन जो पायनियर है, कहती है, “जब मैं दूसरों के लिए प्रार्थना करती हूँ, तो मुझे एहसास होता है कि वे भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। यह बात याद रखने से मैं बस अपनी ही मुश्किलों के बारे में नहीं सोचती रहती।”
दूसरों के लिए प्रार्थना करने से हम बस अपनी ही समस्याओं के बारे में नहीं सोचते रहते (पैराग्राफ 7)e
उन्हें हमारी प्रार्थनाओं की बहुत ज़रूरत है
8. हम किनके लिए प्रार्थना कर सकते हैं?
8 हम किन भाई-बहनों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं? हम उनके लिए प्रार्थना कर सकते हैं जिनकी सेहत ठीक नहीं रहती और उन नौजवानों के लिए जिनका स्कूल में मज़ाक उड़ाया जाता है या जिन पर गलत काम करने का दबाव डाला जाता है। हम उन भाई-बहनों को भी अपनी प्रार्थनाओं में याद कर सकते हैं जो ढलती उम्र के साथ आनेवाली मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। हमारे कई भाई-बहनों के परिवारवाले उनका विरोध करते हैं या सरकार उन पर ज़ुल्म कर रही है। (मत्ती 10:18, 36; प्रेषि. 12:5) कुछ भाई-बहनों को राजनैतिक उथल-पुथल की वजह से अपना घर-बार छोड़ना पड़ा है और कुछ प्राकृतिक विपत्तियों की मार झेल रहे हैं। हम इन सभी भाई-बहनों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं, भले ही हम इन्हें जानते ना हों। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम यीशु की यह आज्ञा मान रहे होते हैं: “एक-दूसरे से प्यार करो।”—यूह. 13:34.
9. हमें संगठन में अगुवाई करनेवाले भाइयों और उनकी पत्नियों के लिए क्यों प्रार्थना करनी चाहिए?
9 हम यहोवा के संगठन में अगुवाई करनेवाले भाइयों के लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं। जैसे, शासी निकाय के सदस्यों और उनके मददगारों के लिए, शाखा-समिति के सदस्यों और शाखा दफ्तर में अलग-अलग विभागों के निगरानों के लिए और सर्किट निगरानों के लिए। हम मंडली के प्राचीनों और सहायक सेवकों के लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं। इनमें से कई भाइयों की अपनी चिंताएँ-परेशानियाँ हैं, फिर भी वे हमारी खातिर कड़ी मेहनत करते हैं। (2 कुरिं. 12:15) जैसे मार्क नाम के एक सर्किट निगरान ने कहा, “मैं जहाँ सेवा करता हूँ, वहाँ से मेरे मम्मी-पापा काफी दूर रहते हैं। और अब उनकी उम्र ढलने लगी है और उनकी सेहत भी ठीक नहीं रहती। वैसे तो मेरी दीदी और जीजाजी उनकी देखभाल करते हैं, फिर भी मुझे यह सोचकर बहुत दुख होता है कि मैं उनके लिए ज़्यादा कुछ नहीं कर पाता।” अगर हमें इन भाइयों की तकलीफों के बारे में ना भी पता हो, तब भी हमें उनके लिए प्रार्थना करनी चाहिए। (1 थिस्स. 5:12, 13) हम इन भाइयों की पत्नियों के लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं, क्योंकि उनकी मदद से ही वे अपनी ज़िम्मेदारियाँ अच्छी तरह निभा पाते हैं।
10-11. जब हम एक-साथ बहुत-से भाई-बहनों के लिए प्रार्थना करते हैं, तो क्या यहोवा खुश होता है? समझाइए।
10 जैसे हमने चर्चा की, कई बार हम एक-साथ बहुत-से भाई-बहनों के लिए प्रार्थना करते हैं। जैसे हम शायद किसी एक भाई या बहन के बारे में ना सोचें, बल्कि हम यहोवा से बिनती करें कि वह उन सभी भाई-बहनों की मदद करे, जो जेल में हैं या फिर जिनके अज़ीज़ों की मौत हो गयी है, उन्हें वह दिलासा दे। डौनल्ड नाम के एक प्राचीन कहते हैं, “आजकल हमारे बहुत-से भाई-बहन मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। इसलिए कई बार हम एक-साथ उन सभी भाई-बहनों के लिए प्रार्थना करते हैं। हम यहोवा से कहते हैं कि वह उन सबकी मदद करे।”
11 क्या ऐसी प्रार्थनाओं से यहोवा खुश होता है? बिलकुल। वैसे भी हम हरेक भाई या बहन की चिंताओं या ज़रूरतों के बारे में नहीं जानते। इसलिए बहुत-से भाई-बहनों के लिए एक-साथ प्रार्थना करना गलत नहीं है। (यूह. 17:20; इफि. 6:18) इन प्रार्थनाओं से पता चलता है कि हम “भाइयों की सारी बिरादरी से प्यार” करते हैं।—1 पत. 2:17.
किसी भाई या बहन के लिए प्रार्थना करते वक्त क्या करें?
12. भाई-बहनों पर ध्यान देने से हम कैसे उनके लिए और भी अच्छी तरह प्रार्थना कर पाएँगे?
12 भाई-बहनों पर ध्यान दीजिए। एक-साथ बहुत-से भाई-बहनों के लिए प्रार्थना करने के अलावा हम कुछ भाई-बहनों का नाम लेकर भी प्रार्थना कर सकते हैं। क्या आपकी मंडली में कोई ऐसा भाई या बहन है जो काफी लंबे समय से बीमार है? या कोई नौजवान बहुत निराश है, क्योंकि शायद उसके स्कूल में बच्चे उस पर गलत काम करने का दबाव डालते हैं? या फिर क्या कोई भाई या बहन अकेले अपने बच्चे की परवरिश कर रही है और उसे ‘यहोवा की मरज़ी के मुताबिक सिखाने और समझाने’ की कोशिश कर रही है? (इफि. 6:4) जब हम इस तरह भाई-बहनों पर ध्यान देंगे, तो हम उनकी तकलीफ और अच्छी तरह समझ पाएँगे और हमारे दिल में उनके लिए प्यार बढ़ेगा। फिर हमारा और भी मन करेगा कि हम उनके लिए प्रार्थना करें।c—रोमि. 12:15.
13. हम जिन लोगों से मिले नहीं हैं, उनके लिए भी कैसे प्रार्थना कर सकते हैं?
13 दूसरों का नाम लेकर प्रार्थना कीजिए। हम उन लोगों का भी नाम लेकर प्रार्थना कर सकते हैं जिनसे हम कभी नहीं मिले। उदाहरण के लिए उन भाई-बहनों के बारे में सोचिए जो क्रीमिया, एरिट्रिया, रूस या सिंगापुर जैसे देशों में जेल में कैद हैं। आपको उन भाई-बहनों के नाम jw.org पर मिल सकते हैं।d ब्रायन नाम के एक सर्किट निगरान ने कहा, “मैंने देखा है कि जब मैं किसी भाई या बहन का नाम लिख लेता हूँ जो जेल में है और फिर उसे बोलता हूँ, तो वह नाम मुझे याद रह पाता है। और फिर जब मैं अकेले में प्रार्थना करता हूँ, तो उसका भी ज़िक्र कर पाता हूँ।”
14-15. हम किस तरह भाई-बहनों की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर प्रार्थना कर सकते हैं?
14 भाई-बहनों की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर प्रार्थना कीजिए। भाई माइकल जिनका पहले ज़िक्र किया गया था, बताते हैं, “जब मैं jw.org पर उन भाइयों के बारे में पढ़ता हूँ जो जेल में हैं, तो मैं यह सोचने की कोशिश करता हूँ कि अगर मैं उनकी जगह होता तो कैसा महसूस करता। मैं जानता हूँ कि मुझे अपनी पत्नी की चिंता होती और मैं चाहता कि उसे किसी बात की कमी ना हो। इस तरह सोचने से मैं जेल में कैद उन भाइयों की ज़रूरतों के बारे में खास तौर से प्रार्थना कर पाता हूँ जो शादीशुदा हैं।”—इब्रा. 13:3, फु.
15 जब हम इस बारे में सोचेंगे कि जेल में कैद भाइयों का हर दिन कैसे बीतता होगा, तो हम उनकी ज़िंदगी से जुड़ी कुछ और भी बातों के लिए प्रार्थना कर पाएँगे। जैसे हम यह प्रार्थना कर सकते हैं कि जेल के गार्ड उनके साथ अच्छे-से पेश आएँ और अधिकारी उन्हें उपासना करने की छूट दें। (1 तीमु. 2:1, 2) जेल में कैद कोई भाई जिस मंडली से है, हम उस मंडली के भाई-बहनों के लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं ताकि उस भाई की अच्छी मिसाल से उन सबका हौसला बढ़े। या हम यह भी प्रार्थना कर सकते हैं कि उस भाई का अच्छा व्यवहार देखकर लोग हमारा संदेश सुनने के लिए तैयार हों। (1 पत. 2:12) कुछ इसी तरह अगर हम उन भाई-बहनों के बारे में भी सोचें जो दूसरी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, तो हम उनकी भी ज़रूरतों को ध्यान में रखकर प्रार्थना कर पाएँगे। तो जब हम भाई-बहनों पर ध्यान देते हैं, उनका नाम लेकर और उनकी ज़रूरतों के बारे में प्रार्थना करते हैं, तो हम दिखा रहे होते हैं कि हमारे दिल में उनके लिए ‘प्यार बढ़ता’ जा रहा है।—1 थिस्स. 3:12.
प्रार्थना के बारे में सही नज़रिया
16. प्रार्थना करते वक्त हमें किस बात का ध्यान रखना चाहिए? (मत्ती 6:8)
16 जैसे अब तक हमने देखा, जब हम किसी के लिए प्रार्थना करते हैं तो इसका उस पर ज़बरदस्त असर हो सकता है। लेकिन जब हम किसी के लिए प्रार्थना करते हैं, तो हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हम यहोवा को कुछ ऐसा बता रहे हैं जो उसे पता नहीं है। और ना ही हमें उसे यह सलाह देनी चाहिए कि वह किसी मामले को सबसे अच्छी तरह कैसे निपटा सकता है। यहोवा पहले से ही जानता है कि उसके सेवकों की क्या ज़रूरतें हैं, यहाँ तक कि उनसे या हमसे भी पहले। (मत्ती 6:8 पढ़िए।) तो फिर हमें दूसरों के लिए प्रार्थना करने की क्या ज़रूरत है? हमने इस लेख में इसकी कई वजह देखीं। इसके अलावा, जब हम दूसरों के लिए प्रार्थना करते हैं तो हम दिखाते हैं कि हमें सच में उनकी परवाह है। हम उनसे प्यार करते हैं, इसलिए उनके लिए प्रार्थना करते हैं। और जब यहोवा देखता है कि हम उसकी तरह दूसरों से प्यार करते हैं, तो उसे बहुत खुशी होती है।
17-18. हम अपने भाई-बहनों के लिए क्यों प्रार्थना करते हैं और यह देखकर यहोवा को कैसा लगता है? उदाहरण देकर समझाइए।
17 शायद हमें ऐसा लगे कि हम जिन भाई-बहनों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, उनके हालात में कोई सुधार नहीं हो रहा है। लेकिन हम याद रख सकते हैं कि हमारी प्रार्थनाओं से उनके लिए हमारा प्यार ज़ाहिर होता है और यहोवा इस बात पर ध्यान देता है। इसे समझने के लिए एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। एक परिवार में दो छोटे बच्चे हैं, एक लड़का और एक लड़की। एक बार लड़का बहुत बीमार हो जाता है। तब लड़की अपने पापा से गुज़ारिश करती है, “पापा प्लीज़, भाई को ठीक कर दो! वह बहुत बीमार है।” ऐसा नहीं है कि पापा को बेटे के बारे में पता नहीं है। वह अपने बेटे से बहुत प्यार करता है और उसकी अच्छी देखभाल कर रहा है। लेकिन जब वह देखता है कि उसकी बेटी को अपने भाई की कितनी परवाह है, तो उसे बहुत खुशी होती है।
18 उसी तरह यहोवा चाहता है कि हम एक-दूसरे की परवाह करें और एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करें। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम दिखाते हैं कि हम सिर्फ अपने बारे में नहीं सोचते, बल्कि हमें दिल से दूसरों की परवाह है और यहोवा इस बात पर ध्यान देता है। (2 थिस्स. 1:3; इब्रा. 6:10) और जैसे हमने देखा, कई बार ऐसा होता है कि हमारी प्रार्थनाओं की वजह से दूसरों के हालात बदल जाते हैं। तो आइए हम एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करना कभी ना भूलें!
गीत 101 एकता बनाए रखें
a इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।
b इस आयत में पौलुस ने जब “तुम लोगों” कहा, तो शायद वह उस मंडली के भाई-बहनों की प्रार्थनाओं की बात कर रहा था, जो मंडली फिलेमोन के घर पर मिलती थी। उसकी बातों से लगता है कि उसका मानना था कि इस तरह की प्रार्थनाओं का काफी अच्छा नतीजा निकल सकता है, उसे रोम में कैद से रिहा किया जा सकता है। पौलुस मानो कह रहा था कि वफादार मसीहियों की प्रार्थनाओं की वजह से यहोवा शायद जल्दी कोई कदम उठाए या कुछ ऐसा करे जो शायद उसने ना करने की सोची हो।—इब्रा. 13:19.
c jw.org पर टाकाशी शीमीज़ू: यहोवा ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ है नाम का वीडियो देखें।
d जेल में कैद भाई-बहनों के नाम जानने के लिए jw.org की अँग्रेज़ी वेबसाइट पर खोजें बक्स में “Jehovah’s Witnesses Imprisoned for Their Faith—By Location” टाइप करें।
e तसवीर के बारे में: जो भाई-बहन खुद मुश्किलों से जूझ रहे हैं, वे दूसरों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।