जर्मनी: एक शरणार्थी शिविर के सामने ट्रॉली लगाकर सरेआम गवाही दी जा रही है
पिछले साल की खास घटनाएँ
दुनिया के कोने-कोने से खास खबरें
शरणार्थियों और प्रवासियों को संदेश सुनाया गया
जर्मनी में दूसरे देशों से कई सारे शरणार्थी और प्रवासी आ बसे हैं, इसलिए वहाँ दूसरी भाषाओं में प्रचार काम काफी बढ़ गया है। हाल के नौ महीनों के दौरान 229 भाषाओं के समूह और शुरूआती समूह बनाए गए। लगभग 800 प्रचारक 13 भाषाओं में करीब 30 कोर्स कर रहे हैं।
हमारे भाई-बहन शरणार्थी शिविरों में जाकर प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने 200 से ज़्यादा जगहों पर ट्रॉली लगायी और करीब 6,40,000 प्रकाशन बाँटे।
शासी निकाय ने मई से जुलाई 2016 तक एक खास प्रचार अभियान चलाने की मंज़ूरी दी। सात देशों से अरबी बोलनेवाले करीब 700 प्रचारक ऑस्ट्रिया और जर्मनी की दस जगहों में गए और उन्होंने वहाँ अरबी लोगों के बड़े-बड़े समूहों को प्रचार किया।
सड़क पर सिक्के
बेलीज़ में क्रिओल भाषा बोलनेवाली फेबर रोड मंडली में 50 प्रचारक हैं। उन्हें प्रचार में अकसर बहुत चलना पड़ता है। ज़्यादातर भाई-बहन गरीब हैं, फिर भी वे दरियादिली दिखाने के मौके ढूँढ़ते हैं। कुछ साल पहले से उन्हें घर-घर प्रचार में धूल-भरे रास्तों में सिक्के मिलने लगे हैं। वे उन्हें उठा लेते हैं और साल के आखिर में सब मिलकर सिक्कों को धोते, अलग करते और गिनते हैं।
ज़्यादातर सिक्कों की कीमत बहुत कम होती है, करीब 30 पैसे के बराबर। मगर हर साल वे करीब 15,000 रुपए के बराबर सिक्के जमा कर लेते हैं। भाई उनमें से आधे पैसे अपने राज-घर के खर्च के लिए इस्तेमाल करते हैं और बाकी पैसे पूरी दुनिया में होनेवाले काम के लिए दान करते हैं।
चार लाख लोगों ने कार्यक्रम सुना!
5 मार्च, 2016 को बुरूंडी के साक्षियों के इतिहास में एक यादगार घटना घटी। मुख्यालय का प्रतिनिधि भाई एन्थनी ग्रिफिन शाखा दफ्तर का दौरा करने आया था। उसके दौरे के सिलसिले में 5 मार्च को सभी मंडलियों के लिए एक खास कार्यक्रम रखा गया और उसे मुख्य सरकारी रेडियो स्टेशन से देश-भर में प्रसारित किया गया। अनुमान लगाया गया कि करीब 4 लाख लोगों ने वह कार्यक्रम सुना!
इस रेडियो प्रसारण से बहुत सारे लोगों को गवाही मिली और कई लोगों ने इसकी तारीफ में बहुत कुछ कहा। उस प्रसारण में मदद करनेवाले एक तकनीकी कारीगर ने कहा, “आपको इस तरह के और भी कार्यक्रम पेश करने चाहिए!” रेडियो स्टेशन में काम करनेवाले एक आदमी ने लिखा, “मैं चाहता हूँ कि आगे भी आप [इस तरह के कार्यक्रम सुनाते रहें] जो बेशक कई लोगों की जान बचाएँगे।” कई बसों और टैक्सियों के रेडियो पर यह कार्यक्रम चलाया गया था।
संगीत बंद हो गया
नेपाल के एक दूर-दराज़ इलाके में एक छोटा-सा समूह है। सन् 2016 में उस समूह के भाई-बहनों ने स्मारक के लिए किराए पर एक हॉल लिया था। एक दिन पहले जब उन्हें पता चला कि हॉल के पासवाले स्कूल में एक बड़ा संगीत कार्यक्रम होनेवाला है तो वे बहुत परेशान हो गए।
ऐसे कार्यक्रमों में संगीत बहुत ज़ोर से बजाया जाता है। स्मारक की सुबह जब भाई हॉल की सफाई कर रहे थे तो उस कार्यक्रम का इंतज़ाम करनेवाले एक आदमी ने उनसे कहा, “आप लोगों को हमारे संगीत के सिवा कुछ और नहीं सुनायी देगा।”
कार्यक्रम दोपहर को शुरू हुआ और संगीत वाकई बहुत ज़ोर से बजने लगा। भाइयों ने पहले जो लाउडस्पीकर लेने की सोची थी उससे भी बड़ा लाउडस्पीकर उन्होंने किराए पर लिया। मगर वे उसकी जाँच करते वक्त उसकी आवाज़ सुन नहीं पाए। हमारे भाई बहुत दुखी हो गए और उन्होंने इस बारे में दिल से प्रार्थना की। मगर स्मारक शुरू होने से आधे घंटे पहले, जब बहुत-से भाई-बहन आने लगे, संगीत अचानक बंद हो गया। दरअसल हुआ यह कि उस कार्यक्रम में मौजूद कुछ लोग शराब पीने लगे और आपस में लड़ने लगे। फिर पुलिस ने आकर कार्यक्रम बंद करवा दिया। हमारे भाई शांति से और पूरे आदर के साथ स्मारक मना सके।
jw.org की तारीफ
जूज़ेप्पे इटली में एक पायनियर है। वह अपने घर से एक इंटरनेट कंपनी के लिए काम करता है। पिछले साल मई में वह कंपनी की एक सभा में गया जहाँ करीब 70 दूसरे कर्मचारी भी थे। सभा में चर्चा की गयी कि कंपनी कौन-से नए-नए तरीके आज़मा सकती है। सभा की शुरूआत में कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने कहा कि कुछ वेबसाइटों को एक नमूने के तौर पर देखा जा सकता है और उनकी कंपनी उनके जैसी साइट तैयार करने का लक्ष्य रख सकती है। फिर उस अधिकारी ने स्क्रीन पर एक वेबसाइट का नमूना दिखाया। जूज़ेप्पे यह देखकर दंग रह गया कि स्क्रीन पर jw.org का मुख्य पेज दिखाया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, “यह दुनिया की सबसे बढ़िया वेबसाइट है!” फिर वह jw.org की तकनीकी बातें बताने लगा। उसने इस वेबसाइट की तारीफ करते हुए कहा कि इसके लिंक आसानी से पाए जा सकते हैं और इसकी तसवीरें मनमोहक हैं।
जूज़ेप्पे कहता है, “मेरे साथी कर्मचारी यह जानकर हैरान रह गए कि यह वेबसाइट कितनी सारी भाषाओं में है। आखिर में मेरे सुपरवाइज़र ने हाज़िर लोगों और कंपनी के अधिकारी को बताया, ‘जूज़ेप्पे यहोवा का एक साक्षी है।’ तब उस अधिकारी ने मुझसे कहा, ‘आपका संगठन तारीफ के लायक है। आपकी वेबसाइट इतनी लाजवाब है कि दुनिया की हर कंपनी और संस्था वैसी वेबसाइट तैयार करना चाहेगी। मैं सोच भी नहीं सकता कि इस वेबसाइट में नयी-नयी चीज़ें डालने और इस्तेमाल के लिए इसे आसान बनाने में कितनी मेहनत लगती होगी। इतनी बड़ी वेबसाइट की हर छोटी-छोटी बात का ध्यान रखना आसान नहीं है।’ मुझे थोड़ा अजीब-सा लगा क्योंकि मुझे ऐसे काम के लिए तारीफ मिल रही थी जो मैंने नहीं किया। फिर भी मैं बहुत खुश था कि ऐसे कई लोगों को गवाही मिली जो यहोवा के साक्षियों के बारे में कुछ नहीं जानते थे। अब मैं समय-समय पर अपने साथ काम करनेवाले कुछ लोगों के साथ बाइबल के विषयों पर चर्चा कर पाता हूँ और उनमें से तीन के साथ मैंने एक बाइबल अध्ययन भी शुरू कर दिया है।” जूज़ेप्पे की कंपनी लगातार jw.org वेबासाइट का “अध्ययन” करती है, जबकि जूज़ेप्पे अपने साथ काम करनेवालों के साथ लगातार बाइबल पर चर्चा करता है।
उसने खेल की दुनिया में जाने से इनकार कर दिया
अर्जेंटीना: हॉरहे भाइयों के साथ फुटबॉल खेल रहा है
हॉरहे नाम का एक नौजवान अर्जेंटीना में रहता है। उसने 2010 की शुरूआत में पहली बार अपनी क्लास के एक विद्यार्थी से खुशखबरी के बारे में सुना था। फिर उसने बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब से बाइबल सीखना शुरू किया। स्कूल में वह फुटबॉल खेलता था। वह इस खेल में इतना माहिर हो गया कि उसे एक बड़े फुटबॉल क्लब की टीम में खेलने का मौका मिल गया। अप्रैल 2014 में उससे पूछा गया कि क्या वह जर्मनी की एक टीम के साथ खेलना चाहेगा। यह बहुत ही लुभावना प्रस्ताव था। वह फुटबॉल का एक बड़ा खिलाड़ी बनने के खयाल से रोमांचित हो उठा, इसलिए उसने ‘हाँ’ कह दिया। मगर हॉरहे जिस दिन यूरोप जानेवाला था उसके कुछ दिन पहले उसके कोच ने उससे कहा, “तुम एक यहोवा के साक्षी हो न? विदेश जाकर अपनी ज़िंदगी बरबाद मत करो। जब मैं जवान था तो मैं भी एक साक्षी था। मुझे एशिया के एक देश की टीम में शामिल होने के लिए कहा गया था। उन्होंने मुझसे कई चीज़ों का वादा किया। इसलिए मैं भी कई सपने संजोने लगा। मैं अपने परिवार के साथ सफर करके वहाँ गया, मगर हम निराश होकर लौटे।” हॉरहे कहता है, “कोच की बातों का मुझ पर गहरा असर हुआ और मैंने यूरोप न जाने का फैसला किया। मैं 2015 में खुशखबरी का प्रचारक बन गया और मैंने बपतिस्मा लिया।”
मुफ्त में एक बड़ी आशीष
सितंबर 2015 में युगांडा के कंपाला शहर में “यीशु के नक्शे-कदम पर चलिए!” क्षेत्रीय अधिवेशन हुआ। जब शासी निकाय के सदस्य भाई मार्क सैंडरसन ने लुगांडा भाषा में पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद रिलीज़ किया तो हाज़िर सभी लोगों में खुशी की लहर दौड़ गयी।
एक बाइबल विद्यार्थी ने कहा, “यह बेहतरीन बाइबल पाकर मैं बहुत खुश हूँ! जब अधिवेशन होनेवाला था तो उस समय चर्च के लोग पोप के आने की तैयारी में लगे हुए थे। ज़्यादा पैसा जमा करने के लिए रोज़री को करीब 2,000 रुपए में बेचा जाने लगा। इन रोज़री के बारे में कहा गया कि इनसे आशीष मिलेगी। लोग ये रोज़री पाना चाहते थे, मगर कइयों के पास पैसे नहीं थे। लेकिन मुझे सही मायनों में एक आशीष मिली और वह भी मुफ्त में। यहोवा ने अधिवेशन में आए सब लोगों को यह आशीष दी और उन पर छोड़ा गया कि वे अपनी खुशी से जितना चाहे उतना दान दे सकते हैं। हर दिन जब मैं अपनी मातृ-भाषा में यहोवा का वचन पढ़ती हूँ और यहोवा को पहले से ज़्यादा अच्छी तरह जान पाती हूँ, तो मैं महसूस करती हूँ कि मुझे एक बड़ी आशीष मिली है। मैं यहोवा का धन्यवाद करती हूँ कि उसने मुझे एक बाइबल दी है।”
भूत-प्रेत छापते हैं?
कांगो (किन्शासा) के एक प्रांत में कुछ चर्चों के अगुवों ने वेबसाइट www.pr418.com को बदनाम करने के लिए अपने लोगों को बताया कि यहोवा के साक्षियों की किताबें-पत्रिकाएँ भूत-प्रेत छापते हैं। अपनी बात साबित करने के लिए उन्होंने कहा कि “www” ये तीनों अक्षर प्रकाशितवाक्य में बतायी संख्या 666 को दर्शाते हैं। (प्रका. 13:18) इसलिए कुछ बाइबल विद्यार्थियों ने साक्षियों से बाइबल सीखना बंद कर दिया।
एक पायनियर जोड़े ने इस बारे में प्रार्थना की। फिर उन्होंने अपने बाइबल विद्यार्थियों को घर बुलाया और कहा कि वे अपने पति या पत्नी के साथ आएँ। तीन जोड़े उनके घर आए। पायनियर जोड़े ने उन्हें खाना खिलाने के बाद यहोवा के साक्षी—खुशखबरी सुनाने के लिए संगठित वीडियो दिखाया। वीडियो देखने के बाद हमारे प्रकाशनों की छपाई के बारे में उनकी सारी गलतफहमियाँ दूर हो गयीं। अगले हफ्ते उनमें से एक विद्यार्थी के पति ने पायनियर जोड़े को करीब 7,000 रुपए दान दिए, इसके बावजूद कि वह अध्ययन नहीं करता था। उसने कहा कि वे उसे ज़रूर लें और पूरी दुनिया में होनेवाले काम के लिए भेजें।
नए गीत सीखने के लिए उनका जज़्बा
पापुआ न्यू गिनी के एक दूर-दराज़ के इलाके के भाइयों के पास इंटरनेट नहीं है। फिर भी उनमें नए राज-गीत सीखने की गहरी इच्छा है। इसलिए मूनडिप मंडली एक भाई को सबसे पास के एक कसबे में भेजती है। वहाँ तक जाने के लिए भाई को दो घंटे पैदल चलना पड़ता है और फिर दो घंटे बस का सफर करना पड़ता है। वहाँ पहुँचने के बाद वह इंटरनेट से नए गीत के बोल एक नोटबुक में लिख लेता है। वापस आने के बाद वह राज-घर के ब्लैकबोर्ड पर गीत के बोल लिखता है और मंडली के सब लोग उसे लिखकर ले जाते हैं ताकि सभाओं में गा सकें। उन्हें बड़ी खुशी होती है कि वे भी दुनिया-भर की मंडलियों के साथ मिलकर यहोवा की उपासना में ये गीत गा पाते हैं।