19 मगर इस ज़माने की ज़िंदगी की चिंताएँ+ और धोखा देनेवाली पैसे की ताकत*+ और बाकी सब चीज़ों की चाहत+ उनमें समा जाती है और वचन को दबा देती है और वे फल नहीं देते।
19 मगर इस ज़माने* की ज़िंदगी की चिंताएँ+ और धोखा देनेवाली पैसे की ताकत+ और बाकी सब चीज़ों की चाहत+ उनमें समा जाती है और वचन को दबा देती है और वे फल नहीं देते।