18 हमारे चेहरे पर परदा नहीं पड़ा है और हम सब आईने की तरह यहोवा की महिमा झलकाते हैं। इस दौरान हमारी छवि परमेश्वर के जैसी बनती जा रही है और हम दिनों-दिन पहले से ज़्यादा उसकी महिमा झलका रहे हैं, ठीक जैसे यहोवा हमें बदलता जा रहा है जो अदृश्य परमेश्वर है।+