5 या क्या तुम्हें लगता है कि शास्त्र बेवजह ही कहता है, “हमारे अंदर जो फितरत समायी है वह हममें ईर्ष्या पैदा करके अपनी लालसाएँ पूरी करने को उकसाती रहती है”?+
5 या क्या तुम्हें लगता है कि शास्त्र बेवजह ही कहता है, “हमारे अंदर जो फितरत समायी है वह हममें ईर्ष्या पैदा करके अपनी लालसाएँ पूरी करने को उकसाती रहती है”?+