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मत्ती 5:34नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
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34 लेकिन मैं कहता हूँ: तू कभी कसम न खाना, न स्वर्ग की क्योंकि वह परमेश्वर की राजगद्दी है।
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मत्ती अध्ययन नोट—अध्याय 5पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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कभी कसम न खाना: यीशु हर तरह की शपथ खाने से मना नहीं कर रहा था, क्योंकि अब भी परमेश्वर का कानून लागू था जिसके मुताबिक कुछ गंभीर मामलों में शपथ लेने या मन्नत मानने की इजाज़त थी। (गि 30:2; गल 4:4) इसके बजाय वह बिना सोचे-समझे और बात-बात पर कसम खाने की मनाही कर रहा था जो गलत था।
न स्वर्ग की: अपनी बात पर यकीन दिलाने के लिए लोग “स्वर्ग की,” “पृथ्वी की,” “यरूशलेम की,” यहाँ तक कि दूसरे के “सिर की” यानी उसके जीवन की कसम खाते थे। (मत 5:35, 36) लेकिन यहूदियों में यह मतभेद था कि परमेश्वर के नाम के बजाय उसकी सृष्टि की कसम खाना किस हद तक सही है। सबूत दिखाते हैं कि कुछ यहूदियों को लगता था कि वे इस तरह की कसम तोड़ सकते हैं और इसके लिए उन्हें कोई सज़ा नहीं मिलेगी।
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