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मत्ती अध्ययन नोट—अध्याय 16पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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तू पतरस है। और इस चट्टान पर: यूनानी शब्द पेट्रोस पुल्लिंग है और इसका मतलब है, “चट्टान का टुकड़ा; पत्थर।” यहाँ यह एक नाम (पतरस) के रूप में इस्तेमाल हुआ है जो यीशु ने शमौन को दिया था। (यूह 1:42) यूनानी शब्द पेट्रा स्त्रीलिंग है और उसका अनुवाद “चट्टान” किया गया है। इसका मतलब मिट्टी के नीचे चट्टान, या एक खड़ी चट्टान या फिर एक विशाल चट्टान हो सकता है। यह शब्द मत 7:24, 25; 27:60; लूक 6:48; 8:6; रोम 9:33; 1कुर 10:4; 1पत 2:8 में भी आता है। ज़ाहिर है कि पतरस ने खुद को वह चट्टान नहीं समझा जिस पर यीशु अपनी मंडली खड़ी करता। उसने 1पत 2:4-8 में लिखा कि यीशु ही ‘नींव में डाला जानेवाला कोने का पत्थर है,’ जिसके बारे में बरसों पहले भविष्यवाणी की गयी थी और जिसे खुद परमेश्वर ने चुना था। उसी तरह प्रेषित पौलुस ने यीशु को “नींव” और ‘परमेश्वर की चट्टान’ कहा। (1कुर 3:11; 10:4) इसलिए ज़ाहिर है कि यहाँ यीशु के कहने का मतलब था, ‘मैंने तुझे पतरस यानी चट्टान का टुकड़ा कहा और तूने मसीह यानी “इस चट्टान” को सही तरह से पहचाना जो मसीही मंडली की नींव बनेगी।’
मंडली: यूनानी शब्द एकलीसीया यहाँ पहली बार आया है। यह दो यूनानी शब्दों से मिलकर बना है, पहला है एक जिसका मतलब है “बाहर” और दूसरा है कलीयो जिसका मतलब है “बुलाना।” इसलिए एकलीसीया का मतलब है, ऐसे लोगों का समूह जिन्हें किसी खास मकसद या काम के लिए बुलाया या इकट्ठा किया गया है। (शब्दावली देखें।) इस संदर्भ में यीशु ने भविष्यवाणी की कि आगे चलकर मसीही मंडली की शुरूआत होगी जो अभिषिक्त मसीहियों से मिलकर बनेगी। उनके बारे में कहा गया है कि वे “जीवित पत्थर” हैं और “पवित्र शक्ति से एक भवन के रूप में [उनका] निर्माण किया जा रहा है।” (1पत 2:4, 5) सेप्टुआजेंट में शब्द एकलीसीया उस इब्रानी शब्द के लिए बहुत बार इस्तेमाल हुआ है जिसका अनुवाद “मंडली” किया गया है और जो अकसर परमेश्वर के लोगों के पूरे राष्ट्र के लिए इस्तेमाल हुआ है। (व्य 23:3; 31:30) जिन इसराएलियों को मिस्र से बाहर बुलाया या छुड़ाया गया था उन्हें प्रेष 7:38 में “मंडली” कहा गया है। उसी तरह जिन मसीहियों को ‘अंधकार से निकालकर रौशनी में बुलाया’ गया और “दुनिया से चुन लिया” गया है, उनसे ‘परमेश्वर की मंडली’ बनी है।—1पत 2:9; यूह 15:19; 1कुर 1:2.
कब्र: या “हेडीज़,” यानी एक लाक्षणिक जगह जहाँ ज़्यादातर इंसान मौत की नींद सो जाते हैं। (शब्दावली देखें।) बाइबल में मरे हुओं के बारे में कहा गया है कि वे “कब्र के दरवाज़ों” में बंद हैं (भज 107:18; यश 38:10) यानी मौत ने उन्हें कैद कर रखा है। यीशु वादा करता है कि वह कब्र पर जीत पाएगा तब उसके ‘दरवाज़े’ खोल दिए जाएँगे और मरे हुए उसमें से निकल आएँगे यानी ज़िंदा कर दिए जाएँगे। जब खुद यीशु को ज़िंदा किया गया तो यह और भी पुख्ता हो गया कि उसका वादा सच है। (मत 16:21) मंडली पर मौत हावी नहीं हो सकती या हमेशा के लिए उसे बंद करके नहीं रख सकती क्योंकि उसकी बुनियाद यीशु है जो उसके सदस्यों को मौत से छुड़ा सकता है।—प्रेष 2:31; प्रक 1:18; 20:13, 14.
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