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मत्तीयहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड—2019 संस्करण
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मत्ती अध्ययन नोट—अध्याय 24पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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जैतून पहाड़: यह यरूशलेम के पूरब में था। शहर और इस पहाड़ के बीच किदरोन घाटी थी। इस पहाड़ की ऊँचाई से यीशु और उसके चेले “पतरस, याकूब, यूहन्ना और अन्द्रियास” (मर 13:3, 4) शहर और उसके मंदिर को साफ देख सकते थे।
मौजूदगी: यूनानी शब्द पारूसीया का शाब्दिक मतलब है, “साथ-साथ रहना।” इस शब्द के लिए कई अनुवादों में “आने” शब्द इस्तेमाल किया गया है। लेकिन इसका मतलब ‘आना’ नहीं बल्कि मौजूदगी है यानी एक खास दौर। पारूसीया का यही मतलब है, यह बात हमें मत 24:37-39 से पता चलती है जहाँ ‘जलप्रलय से पहले के नूह के दिनों’ की तुलना “इंसान के बेटे की मौजूदगी” से की गयी है। फिल 2:12 में पौलुस ने दो समय के बारे में बताया, एक ‘जब वह उनके साथ था’ और दूसरा ‘जब वह उनसे दूर था’ और पहले समय के लिए उसने यही यूनानी शब्द इस्तेमाल किया।
दुनिया की व्यवस्था: या “ज़माने।” यहाँ यूनानी शब्द आयॉन का मतलब है, किसी दौर के हालात या कुछ खास बातें जो एक दौर या ज़माने को दूसरे दौर या ज़माने से अलग दिखाती हैं।—शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था या व्यवस्थाएँ” देखें।
आखिरी वक्त: इनके यूनानी शब्द सिनटीलीया का मतलब है, “मिलकर अंत होना; एक-साथ अंत होना।” (मत 13:39, 40, 49; 28:20; इब्र 9:26) यहाँ उस दौर की बात की जा रही है जब कई घटनाएँ एक-साथ होंगी और उसके बाद दुनिया का पूरी तरह “अंत” हो जाएगा, जिसके बारे में मत 24:6, 14 में बताया गया है। इन आयतों में “अंत” के लिए एक अलग यूनानी शब्द टीलोस इस्तेमाल हुआ है।—मत 24:6, 14 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त” देखें।
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