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लूका 1:9नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
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9 तो याजकपद के रिवाज़ के मुताबिक धूप जलाने की उसकी बारी आयी और वह यहोवा के मंदिर में गया।
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दुनिया के लिए सच्ची रौशनीयीशु की ज़िंदगी—एक अनोखी दास्तान—वीडियो गाइड
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जिब्राईल, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के जन्म की भविष्यवाणी करता है (यीशु की ज़िंदगी 1 06:04–13:53)
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लूका अध्ययन नोट—अध्याय 1पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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धूप जलाने की उसकी बारी आयी: शुरूआत में महायाजक हारून सोने की वेदी पर धूप जलाता था। (निर्ग 30:7) लेकिन धूप और पवित्र डेरे की दूसरी चीज़ों की देखरेख की ज़िम्मेदारी उसके बेटे एलिआज़र को दी गयी थी। (गि 4:16) यहाँ बताया गया है कि जकरयाह, जो महायाजक के अधीन सेवा करता था, धूप जला रहा है। इससे मालूम पड़ता है कि यह काम महायाजक के अलावा दूसरे याजक भी करते थे। (मगर प्रायश्चित के दिन सिर्फ महायाजक धूप जलाता था।) हर दिन मंदिर में जो काम किए जाते थे, उनमें धूप जलाना शायद सबसे सम्मान का काम माना जाता था। यह बलिदान चढ़ाए जाने के बाद किया जाता था और उस दौरान लोग मंदिर के बाहर इकट्ठा होकर प्रार्थना करते थे। रब्बियों के लेखों के मुताबिक, इस काम के लिए चिट्ठियाँ डाली जाती थीं। अगर चुना हुआ याजक पहले यह काम कर चुका होता था, तो उसे दोबारा यह मौका नहीं दिया जाता था। वह दोबारा यह काम तभी कर सकता था जब सभी याजकों को मौका मिल जाता था। अगर यह सच है, तो एक याजक को यह सम्मान शायद ज़िंदगी में एक ही बार मिलता था।
यहोवा के मंदिर: जैसे लूक 1:6 के अध्ययन नोट में बताया गया है, लूका की किताब के पहले दो अध्यायों में इब्रानी शास्त्र के ऐसे बहुत-से शब्दों और आयतों का सीधे तौर पर या दूसरे तरीके से ज़िक्र किया गया है जिनमें परमेश्वर का नाम है। मिसाल के लिए, जहाँ-जहाँ “यहोवा के मंदिर [या “पवित्र-स्थान”]” से मिलते-जुलते शब्द आते हैं, वहाँ अकसर परमेश्वर का नाम चार इब्रानी अक्षरों में लिखा होता है। (गि 19:20; 2रा 18:16; 23:4; 24:13; 2इत 26:16; 27:2; यिर्म 24:1; यहे 8:16; हाग 2:15) अति. ग1 में बताया है कि यह मानने के ठोस कारण हैं कि मूल भाषा में यहाँ परमेश्वर का नाम इस्तेमाल हुआ था, लेकिन बाद में इसकी जगह प्रभु इस्तेमाल हुआ है। इसलिए मुख्य पाठ में परमेश्वर का नाम यहोवा आया है।—अति. ग3 परिचय; लूक 1:9 देखें।
मंदिर: यहाँ यूनानी शब्द नेयोस का मतलब है, मंदिर की मुख्य इमारत। जब जकरयाह की ‘धूप जलाने की बारी आयी’ तो उसे मंदिर के पहले भाग में यानी ‘पवित्र भाग’ में जाना था, जहाँ धूप की वेदी थी।—मत 27:5; 27:51 के अध्ययन नोट और अति. ख11 देखें।
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