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न्यायियों का सारांश

      • दानी जगह ढूँढ़ते हैं (1-31)

        • मीका की मूरतें और याजक उठा लिए गए (14-20)

        • लैश पर कब्ज़ा और उसका नाम दान रखना (27-29)

        • दान में मूर्तिपूजा (30, 31)

न्यायियों 18:1

संबंधित आयतें

  • +न्या 8:23; 1शम 8:4, 5
  • +यह 19:40
  • +यह 19:47, 48; न्या 1:34

न्यायियों 18:2

संबंधित आयतें

  • +यह 19:41, 48
  • +न्या 17:1, 5

न्यायियों 18:3

फुटनोट

  • *

    या “बोलने का लहज़ा।”

न्यायियों 18:4

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  • +न्या 17:9, 10

न्यायियों 18:7

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  • +यह 19:47, 48; न्या 18:29
  • +न्या 18:27

न्यायियों 18:8

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  • +यह 15:20, 33; न्या 18:2

न्यायियों 18:10

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  • +न्या 18:7, 27
  • +निर्ग 3:8; व्य 8:7-9

न्यायियों 18:11

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  • +न्या 18:2

न्यायियों 18:12

फुटनोट

  • *

    मतलब “दान की छावनी।”

संबंधित आयतें

  • +1शम 7:1
  • +न्या 13:24, 25

न्यायियों 18:13

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  • +न्या 17:1, 5

न्यायियों 18:14

संबंधित आयतें

  • +न्या 18:2, 29
  • +व्य 27:15; न्या 17:4, 5

न्यायियों 18:15

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  • +न्या 17:7, 12; 18:30

न्यायियों 18:16

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  • +न्या 18:11

न्यायियों 18:17

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  • +न्या 18:2
  • +निर्ग 28:6; न्या 8:27
  • +लैव 19:4; व्य 27:15; न्या 17:3-5
  • +उत 31:19
  • +न्या 17:12

न्यायियों 18:19

फुटनोट

  • *

    शा., “पिता।”

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  • +न्या 17:12
  • +न्या 18:30

न्यायियों 18:20

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  • +न्या 17:4, 5

न्यायियों 18:27

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  • +यह 19:47, 48; न्या 18:29
  • +न्या 18:7, 10

न्यायियों 18:28

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  • +गि 13:17, 21

न्यायियों 18:29

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  • +यह 19:47, 48; न्या 20:1; 1रा 4:25; 12:28, 29
  • +उत 30:6; 32:28
  • +न्या 18:7

न्यायियों 18:30

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  • +न्या 17:1, 4; 18:18
  • +निर्ग 2:21, 22
  • +न्या 17:12

न्यायियों 18:31

फुटनोट

  • *

    या “पवित्र डेरा।”

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 40:2; यह 18:1; 1शम 1:3

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

न्यायि. 18:1न्या 8:23; 1शम 8:4, 5
न्यायि. 18:1यह 19:40
न्यायि. 18:1यह 19:47, 48; न्या 1:34
न्यायि. 18:2यह 19:41, 48
न्यायि. 18:2न्या 17:1, 5
न्यायि. 18:4न्या 17:9, 10
न्यायि. 18:7यह 19:47, 48; न्या 18:29
न्यायि. 18:7न्या 18:27
न्यायि. 18:8यह 15:20, 33; न्या 18:2
न्यायि. 18:10न्या 18:7, 27
न्यायि. 18:10निर्ग 3:8; व्य 8:7-9
न्यायि. 18:11न्या 18:2
न्यायि. 18:121शम 7:1
न्यायि. 18:12न्या 13:24, 25
न्यायि. 18:13न्या 17:1, 5
न्यायि. 18:14न्या 18:2, 29
न्यायि. 18:14व्य 27:15; न्या 17:4, 5
न्यायि. 18:15न्या 17:7, 12; 18:30
न्यायि. 18:16न्या 18:11
न्यायि. 18:17न्या 18:2
न्यायि. 18:17निर्ग 28:6; न्या 8:27
न्यायि. 18:17लैव 19:4; व्य 27:15; न्या 17:3-5
न्यायि. 18:17उत 31:19
न्यायि. 18:17न्या 17:12
न्यायि. 18:19न्या 17:12
न्यायि. 18:19न्या 18:30
न्यायि. 18:20न्या 17:4, 5
न्यायि. 18:27यह 19:47, 48; न्या 18:29
न्यायि. 18:27न्या 18:7, 10
न्यायि. 18:28गि 13:17, 21
न्यायि. 18:29यह 19:47, 48; न्या 20:1; 1रा 4:25; 12:28, 29
न्यायि. 18:29उत 30:6; 32:28
न्यायि. 18:29न्या 18:7
न्यायि. 18:30न्या 17:1, 4; 18:18
न्यायि. 18:30निर्ग 2:21, 22
न्यायि. 18:30न्या 17:12
न्यायि. 18:31निर्ग 40:2; यह 18:1; 1शम 1:3
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
न्यायियों 18:1-31

न्यायियों

18 उन दिनों इसराएल में कोई राजा न था।+ इसराएल के गोत्रों के बीच दान के लोगों+ को विरासत में जो ज़मीन दी गयी थी, वह कम पड़ रही थी और वे अपने लिए और जगह ढूँढ़ने लगे।+

2 इसलिए उन्होंने सोरा और एशताओल+ से अपने गोत्र के पाँच काबिल आदमियों को चुना और उन्हें देश की जासूसी करने भेजा। उन्होंने कहा, “जाओ, देश की खोज-खबर लेकर आओ।” तब वे आदमी निकल पड़े और उन्होंने एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में मीका के घर रात गुज़ारी।+ 3 वे मीका के घर के पास ही थे कि उन्हें लेवी की आवाज़* सुनायी दी और वे उसे पहचान गए। उन्होंने उसके पास जाकर पूछा, “तू यहाँ क्या कर रहा है? किसके कहने पर यहाँ आया है?” 4 लेवी ने उन्हें बताया कि मीका ने उसके लिए क्या-क्या किया और कहा, “उसने मुझे याजक का काम करने के लिए रखा है।”+ 5 उन्होंने लेवी से कहा, “ज़रा हमारे लिए भी परमेश्‍वर से पूछ कि हम जिस काम के लिए निकले हैं, उसमें हम कामयाब होंगे या नहीं।” 6 लेवी ने कहा, “बेफिक्र होकर जाओ। यहोवा तुम्हारे साथ है।”

7 तब वे पाँचों अपने सफर में आगे बढ़े और लैश आ पहुँचे।+ उन्होंने देखा कि सीदोनियों की तरह यहाँ के लोग भी किसी पर निर्भर नहीं। वे शांति से जी रहे हैं। उन्हें किसी हमले का डर नहीं+ और न ही उन्हें सतानेवाला कोई तानाशाह है। उनका शहर सीदोन से बहुत दूर है और बाकी लोगों से उनका कोई लेना-देना नहीं।

8 जब वे आदमी अपने भाइयों के पास वापस सोरा और एशताओल आए+ तो उनके भाइयों ने पूछा, “कहो, क्या खबर लाए हो?” 9 उन्होंने जवाब दिया, “वह देश बहुत ही बढ़िया है। आओ हम उस पर चढ़ाई करें। हमारी मानो, हम अभी उस पर कब्ज़ा कर सकते हैं। तो अब देर किस बात की! 10 तुम खुद अपनी आँखों से देख लेना कि वह देश कितना बड़ा है! वहाँ के लोगों को किसी हमले का डर नहीं।+ परमेश्‍वर ने वह इलाका तुम्हारे हाथ कर दिया है! उसने तुम्हें ऐसी जगह दी है जहाँ किसी चीज़ की कमी नहीं।”+

11 फिर दान गोत्र से 600 आदमी युद्ध के लिए तैयार हुए और सोरा और एशताओल से निकल पड़े।+ 12 वे यहूदा में किरयत-यारीम के पास गए और उन्होंने वहाँ छावनी डाली।+ इसलिए उस जगह का नाम आज तक महनेदान*+ है जो किरयत-यारीम के पश्‍चिम में पड़ती है। 13 वहाँ से वे एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश की तरफ बढ़े और मीका के घर पहुँचे।+

14 लैश की जासूसी करनेवाले पाँच आदमियों+ ने अपने भाइयों से कहा, “पता है, इन घरों में एक एपोद, एक तराशी हुई मूरत, एक ढली हुई मूरत और कुल देवताओं की मूरतें हैं।+ अब तुम ही सोचो कि क्या किया जाए।” 15 तब वे वहीं रुक गए और पाँच आदमी मीका के घर के पास लेवी के घर आए+ और उसका हाल-चाल पूछा। 16 इस बीच दान के 600 आदमी+ जो युद्ध के लिए तैयार थे, द्वार पर ही खड़े रहे। 17 वे पाँच आदमी+ घर के अंदर घुसे ताकि एपोद,+ तराशी हुई मूरत, ढली हुई मूरत+ और कुल देवताओं की मूरतें+ ले लें। (याजक+ उन 600 आदमियों के साथ जो युद्ध के लिए तैयार थे, द्वार पर खड़ा था।) 18 जब वे मीका के घर से एपोद, तराशी हुई मूरत, ढली हुई मूरत और कुल देवताओं की मूरतें उठाकर ले जा रहे थे तो उस याजक ने कहा, “यह तुम क्या कर रहे हो?” 19 उन्होंने कहा, “खबरदार जो एक शब्द भी निकाला तो। चुपचाप हमारे साथ चल और हमारा सलाहकार* और याजक बन जा। तू ही सोच, क्या तू एक ही आदमी के घराने का याजक बने रहना चाहता है?+ या इसराएल के एक पूरे गोत्र, उसके सारे कुलों का याजक बनना चाहता है?”+ 20 उनकी बात सुनकर याजक खुश हो गया। उसने एपोद, तराशी हुई मूरत और कुल देवताओं की मूरतें लीं+ और उन लोगों के साथ चल दिया।

21 दान के लोग अपने रास्ते जाने लगे और उन्होंने अपने बच्चों, मवेशियों और कीमती चीज़ों को सबसे आगे रखा और वे खुद पीछे-पीछे चले। 22 वे थोड़ी ही दूर गए थे कि मीका और उसके पड़ोसी इकट्ठा हुए और दानियों के पीछे गए। दानियों के पास पहुँचकर 23 उन्होंने आवाज़ लगायी। दानियों ने मुड़कर मीका को देखा और उससे पूछा, “क्या हुआ? तू इतने सारे लोगों को लेकर क्यों आया है?” 24 तब मीका ने कहा, “तुम मेरे देवताओं की मूरतें उठा लाए जिन्हें मैंने बनवाया था और मेरे याजक को भी अपने साथ ले आए। मेरा सबकुछ लूटकर पूछ रहे हो, क्या हुआ?” 25 दानियों ने कहा, “अपनी आवाज़ नीची रख! कहीं हमारे आदमियों को गुस्सा आ गया तो वे तुम पर टूट पड़ेंगे। और तुझे और तेरे घराने के लोगों को जान से मार डालेंगे।” 26 यह कहकर दान के लोग अपने रास्ते चल दिए। और मीका उलटे पाँव घर लौट गया क्योंकि उसने देखा कि दान के लोग उससे ज़्यादा ताकतवर हैं।

27 दान के लोग, मीका की मूरतें और उसके याजक को लेकर लैश आ पहुँचे,+ जहाँ के निवासी शांति से जी रहे थे और उन्हें किसी हमले का डर नहीं था।+ दानियों ने उन्हें तलवार से मार डाला और उनके शहर को जला दिया। 28 उन्हें बचानेवाला कोई न था क्योंकि उनका शहर सीदोन से बहुत दूर था और बाकी लोगों से उनका कोई लेना-देना न था। लैश, घाटी में बसा था जो बेत-रहोब नाम के इलाके+ में आती थी। फिर दानियों ने उस शहर को दोबारा खड़ा किया और उसमें बस गए। 29 उन्होंने उस शहर का नाम बदलकर अपने पुरखे के नाम पर दान रखा,+ जो इसराएल का बेटा था।+ लेकिन उस शहर का पुराना नाम लैश था।+ 30 इसके बाद, दानियों ने तराशी हुई मूरत+ को वहाँ स्थापित किया। और मूसा के बेटे गेरशोम+ के वंशज, योनातान+ और उसके बेटों को दान गोत्र का याजक बनाया। वे तब तक उनके लिए याजक ठहरे, जब तक देश के लोगों को बंदी न बना लिया गया। 31 मीका की तराशी हुई मूरत वहाँ तब तक स्थापित रही जब तक सच्चे परमेश्‍वर का घर* शीलो में रहा।+

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