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श्रेष्ठगीत का सारांश

    • राजा सुलैमान की छावनी में शूलेम्मिन लड़की (1:1–3:5)

श्रेष्ठगीत 2:1

फुटनोट

  • *

    शा., “केसर।”

  • *

    या “लिली।”

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श्रेष्ठगीत 2:2

फुटनोट

  • *

    या “लिली।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2015, पेज 31

    1/1/1988, पेज 8

श्रेष्ठगीत 2:3

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    प्रहरीदुर्ग,

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श्रेष्ठगीत 2:7

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    12/1/2006, पेज 4-5

    1/1/1988, पेज 8

श्रेष्ठगीत 2:8

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    युवाओं के प्रश्‍न, पेज 194

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    युवाओं के प्रश्‍न, पेज 194

श्रेष्ठगीत 2:10

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    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2015, पेज 32

    युवाओं के प्रश्‍न, पेज 194

श्रेष्ठगीत 2:11

फुटनोट

  • *

    या “बरसात।”

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श्रेष्ठगीत 2:12

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श्रेष्ठगीत 2:13

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श्रेष्ठगीत 2:14

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श्रेष्ठगीत 2:15

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श्रेष्ठगीत 2:16

फुटनोट

  • *

    या “लिली।”

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फुटनोट

  • *

    या शायद, “पहाड़ों के दर्रों।” या “बेतेर के पहाड़ों।”

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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
श्रेष्ठगीत 2:1-17

श्रेष्ठगीत

2 मैं मैदानों में उगनेवाला जंगली फूल* हूँ,

हाँ, घाटियों का एक मामूली फूल* हूँ।”+

 2 “सब लड़कियों में मेरी सजनी ऐसी है,

जैसे काँटों में खिला सोसन* का फूल।”

 3 “जवान लड़कों में मेरा साजन ऐसा है,

जैसे जंगल के पेड़ों में सेब का पेड़।

उसकी छाँव में कितना सुख मिलता है,

उसके फल कितने रसीले हैं।

 4 वह मुझे दावतवाले घर में ले आया

और उसने मुझ पर प्यार का झंडा फहराया।

 5 मुझे किशमिश की टिकिया दो कि मैं तरो-ताज़ा हो जाऊँ,+

सेब खिलाओ कि मुझे ताकत मिले,

क्योंकि मैं उसके प्यार में दीवानी हो गयी हूँ।

 6 उसका बायाँ हाथ मेरे सिर के नीचे है

और दाएँ हाथ से उसने मुझे बाँहों में भर लिया है।+

 7 हे यरूशलेम की बेटियो,

तुम्हें चिकारे+ और मैदान की हिरनियों की कसम,

जब तक प्यार खुद मेरे अंदर न जागे, तुम उसे जगाने की कोशिश नहीं करोगी।+

 8 मेरा साजन आ रहा है! मुझे उसकी आवाज़ सुनायी दे रही है!

वह देखो, वह रहा!

कैसे पहाड़ों पर चढ़ता हुआ, पहाड़ियों को फाँदता हुआ चला आ रहा है!

 9 मेरा साजन चिकारे जैसा, जवान हिरन जैसा है।+

देखो, वह दीवार के पीछे खड़ा है,

खिड़की से झाँक रहा है,

झरोखे से ताक रहा है।

10 मेरा साजन मुझे बुला रहा है,

‘ओ मेरी सजनी, मेरी सुंदरी,

चल, मेरे साथ चल!

11 देख, ठंड* का मौसम बीत गया,

बादल बरसकर चले गए।

12 चारों तरफ फूल खिले हैं,+

छँटाई का वक्‍त आ गया है,+

जगह-जगह फाख्ते का मधुर गीत सुनायी दे रहा है।+

13 अंजीर की पहली फसल पक चुकी है,+

अंगूर की बेलों पर फूल खिल आए हैं,

पूरा समाँ महक रहा है।

ओ मेरी सजनी, मेरी सुंदरी,

चल, मेरे साथ चल!

14 ओ मेरी फाख्ता, चट्टानों में छिपी मत रह,+

खड़ी चट्टानों की दरार से बाहर आ,

अपनी मीठी आवाज़ मुझे सुना,+

अपना खूबसूरत चेहरा दिखा।’”+

15 “जा, छोटी-छोटी लोमड़ियाँ पकड़,

कहीं वे हमारे अंगूरों के बाग तहस-नहस न कर दें,

अभी-अभी तो उनमें फूल आए हैं।”

16 “मेरा साजन मेरा है और मैं उसकी हूँ।+

वह मैदान में भेड़ें चरा रहा है+ जहाँ सोसन* के फूल खिले हैं।+

17 इससे पहले कि ठंडी-ठंडी हवा बहने लगे और छाया गायब होने लगे,

लौट आ मेरे साजन, लौट आ।

हमारे बीच खड़े इन पहाड़ों* को फाँदकर जल्दी आ,

चिकारे की तरह,+ जवान हिरन की तरह चला आ।+

हिंदी साहित्य (1972-2025)
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