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यिर्मयाह का सारांश

      • मलमल का कमरबंद खराब (1-11)

      • दाख-मदिरा के मटके चूर किए जाएँगे (12-14)

      • कभी न सुधरनेवाले यहूदा की बँधुआई (15-27)

        • ‘क्या एक कूशी अपने चमड़े का रंग बदल सकता है?’ (23)

यिर्मयाह 13:9

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इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 3/2017, पेज 2

यिर्मयाह 13:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सजग होइए!,

    10/2015, पेज 7

यिर्मयाह 13:13

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  • खोजबीन गाइड

    यहोवा के करीब, पेज 258

यिर्मयाह 13:16

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फुटनोट

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    या “को घेर लिया गया है।”

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फुटनोट

  • *

    या “इथियोपियाई।”

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    या “शर्मनाक।”

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दूसरें अनुवाद

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यिर्म. 13:9लैव 26:19; सप 3:11
यिर्म. 13:102इत 36:15, 16
यिर्म. 13:10यिर्म 6:28
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
यिर्मयाह 13:1-27

यिर्मयाह

13 यहोवा ने मुझसे कहा, “तू जाकर अपने लिए मलमल का एक कमरबंद खरीद और अपनी कमर पर बाँध। मगर उसे पानी में मत डुबाना।” 2 मैंने यहोवा के कहे मुताबिक एक कमरबंद खरीदा और अपनी कमर पर बाँध लिया। 3 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा: 4 “जो कमरबंद तूने खरीदकर पहना है, उसे लेकर फरात नदी के पास जा और वहाँ एक चट्टान की दरार में छिपा दे।” 5 मैं यहोवा की आज्ञा के मुताबिक फरात के पास गया और वहाँ कमरबंद छिपा दिया।

6 कई दिनों बाद यहोवा ने मुझसे कहा, “तू उठकर फरात नदी के पास जा और वहाँ से वह कमरबंद निकाल जिसे छिपाने की आज्ञा मैंने तुझे दी थी।” 7 मैं फरात के पास गया और जिस जगह मैंने कमरबंद छिपाया था, वहाँ से खोदकर उसे निकाला। मैंने देखा कि कमरबंद खराब हो गया है और किसी काम का नहीं रहा।

8 फिर यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 9 “यहोवा कहता है, ‘मैं इसी तरह यहूदा का घमंड चूर-चूर कर दूँगा और यरूशलेम का गुरूर तोड़ दूँगा।+ 10 ये दुष्ट लोग जो मेरी आज्ञा मानने से इनकार कर देते हैं,+ ढीठ होकर अपने मन की करते हैं+ और दूसरे देवताओं के पीछे जाते हैं, उनकी सेवा करते और उनके आगे दंडवत करते हैं, वे इस कमरबंद की तरह किसी काम के न रहेंगे।’ 11 यहोवा ऐलान करता है, ‘क्योंकि जैसे एक आदमी कमरबंद को अपनी कमर पर बाँधे रहता है, उसी तरह मैंने इसराएल के पूरे घराने और यहूदा के पूरे घराने को खुद से बाँधे रखा था ताकि वे मेरी प्रजा,+ मेरी शान,+ मेरी महिमा और मेरी शोभा बनें। मगर उन्होंने मेरी आज्ञा नहीं मानी।’+

12 तू उन्हें यह संदेश भी देना: ‘इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “हर बड़ा मटका दाख-मदिरा से भरा रहे।”’ वे तुझसे कहेंगे, ‘हमें पता है, हर बड़ा मटका दाख-मदिरा से भरा होना चाहिए।’ 13 तब तू उनसे कहना, ‘यहोवा कहता है, “देखो, मैं इस देश के सभी निवासियों को, दाविद की राजगद्दी पर बैठनेवाले राजाओं को, याजकों और भविष्यवक्‍ताओं और यरूशलेम के सभी निवासियों को तब तक दाख-मदिरा पिलाता रहूँगा जब तक कि वे मदहोश न हो जाएँ।”+ 14 यहोवा ऐलान करता है, “मैं उन्हें एक-दूसरे से टकरा दूँगा, पिताओं और बेटों को एक-दूसरे से टकराऊँगा।+ मैं उन पर करुणा नहीं करूँगा, न उनके लिए दुख महसूस करूँगा और न ही उन पर दया करूँगा। उन्हें तबाह करने से मुझे कोई चीज़ नहीं रोकेगी।”’+

15 सुनो और ध्यान दो।

तुम मगरूर मत बनो क्योंकि यह बात यहोवा ने कही है।

16 अपने परमेश्‍वर यहोवा की महिमा करो,

इससे पहले कि वह अंधकार ले आए

और शाम के झुटपुटे के समय पहाड़ों पर तुम्हारे पाँव लड़खड़ा जाएँ।

तुम रौशनी की आस लगाओगे,

मगर वह काली छाया ले आएगा,

वह रौशनी को घोर अंधकार में बदल देगा।+

17 और अगर तुम सुनने से इनकार कर दोगे,

तो मैं तुम्हारे घमंड की वजह से छिपकर रोऊँगा।

मैं आँसू बहाऊँगा, मेरी आँखों से आँसुओं की धारा बहेगी,+

क्योंकि यहोवा के झुंड को बंदी बनाकर ले जाया गया है।+

18 राजा और राजमाता से कहना,+ ‘तुम निचली जगह पर बैठो,

क्योंकि तुम्हारे सिर से सुंदर ताज गिर पड़ेंगे।’

19 दक्षिण के शहरों के फाटक बंद हो चुके हैं,* उन्हें खोलनेवाला कोई नहीं।

पूरे यहूदा को बंदी बनाकर ले जाया गया है, किसी को नहीं बख्शा गया।+

20 अपनी आँखें उठा और उत्तर से आनेवालों को देख।+

कहाँ गया वह झुंड जो तुझे सौंपा गया था? कहाँ गयीं तेरी सुंदर-सुंदर भेड़ें?+

21 जब तुझे उन लोगों के हाथों सज़ा मिलेगी,

जिन्हें तूने शुरू से अपना करीबी दोस्त बनाया है, तब तू क्या कहेगी?+

क्या तुझे अचानक दर्द नहीं उठेगा जैसे बच्चा जननेवाली औरत को उठता है?+

22 जब तू मन में कहेगी, ‘यह सब मेरे साथ क्यों हो रहा है?’+

तो तू जान लेना कि तेरे घोर पाप की वजह से ही तेरा घाघरा उतार दिया गया है+

और तेरी एड़ियों को इतना दर्द सहना पड़ा है।

23 क्या एक कूशी* अपने चमड़े का रंग या चीता अपने धब्बे बदल सकता है?+

तो तू कैसे भलाई कर सकती है

जिसने बुराई करना सीख लिया है?

24 मैं उन्हें ऐसे बिखरा दूँगा जैसे रेगिस्तान से चलनेवाली तेज़ हवा घास-फूस को बिखरा देती है।+

25 यह तेरा हिस्सा है, मैंने तेरे लिए यही नापकर दिया है,

क्योंकि तू मुझे भूल गयी+ और झूठी बातों पर भरोसा करती है।”+ यहोवा का यह ऐलान है।

26 “इसलिए मैं तेरा घाघरा उतार दूँगा

ताकि तू सरेआम शर्मिंदा हो जाए,+

27 तेरे व्यभिचार के कामों+ और तेरी वासना का,

तेरे वेश्‍या के अश्‍लील* कामों का परदाफाश हो जाए।

मैंने पहाड़ियों पर और मैदानों में

तेरी घिनौनी हरकतें देखी हैं।+

हे यरूशलेम, धिक्कार है तुझ पर!

तू और कब तक इसी तरह अशुद्ध रहेगी?”+

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