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  • यिर्मयाह 17
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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यिर्मयाह का सारांश

      • यहूदा का पाप गहराई तक समाया हुआ (1-4)

      • यहोवा से मिलनेवाली आशीषें (5-8)

      • धोखेबाज़ दिल (9-11)

      • यहोवा, इसराएल की आशा (12, 13)

      • यिर्मयाह की प्रार्थना (14-18)

      • सब्त को पवित्र मानना (19-27)

यिर्मयाह 17:2

फुटनोट

  • *

    शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +न्या 3:7; 2इत 24:18; 33:1, 3
  • +यश 1:29; यहे 6:13

यिर्मयाह 17:3

संबंधित आयतें

  • +2रा 24:11, 13; यिर्म 15:13
  • +लैव 26:30; यहे 6:3

यिर्मयाह 17:4

फुटनोट

  • *

    या शायद, “मेरे क्रोध की वजह से तुझे आग की तरह जलाया गया है।”

संबंधित आयतें

  • +विल 5:2
  • +व्य 28:48; यिर्म 16:13
  • +यश 5:25; यिर्म 15:14

यिर्मयाह 17:5

फुटनोट

  • *

    या “ताकतवर आदमी।”

संबंधित आयतें

  • +यश 30:1, 2
  • +2रा 16:7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 44

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/2007, पेज 10

    8/15/1998, पेज 6-7

यिर्मयाह 17:7

फुटनोट

  • *

    या “ताकतवर आदमी।”

संबंधित आयतें

  • +भज 34:8; 146:5; यश 26:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/2007, पेज 10

यिर्मयाह 17:8

संबंधित आयतें

  • +भज 1:3; 92:12, 13

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    9/2019, पेज 8

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2011, पेज 28

    3/15/2011, पेज 14

    7/1/2009, पेज 16-17

यिर्मयाह 17:9

फुटनोट

  • *

    या “दगाबाज़।”

  • *

    या शायद, “लाइलाज।”

संबंधित आयतें

  • +उत 6:5; 8:21; नीत 28:26

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2004, पेज 10-11

    10/15/2001, पेज 25

    8/1/2001, पेज 9-10

    3/1/2000, पेज 30

यिर्मयाह 17:10

फुटनोट

  • *

    या “गहरी भावनाओं।” शा., “गुरदों।”

संबंधित आयतें

  • +1शम 16:7; 1इत 28:9; नीत 17:3; 21:2
  • +रोम 2:6; गल 6:7; प्रक 2:23; 22:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2013, पेज 9

यिर्मयाह 17:11

फुटनोट

  • *

    या “जो दौलत कमाता है मगर न्याय से नहीं।”

संबंधित आयतें

  • +नीत 28:20; यश 1:23; याकू 5:4

यिर्मयाह 17:12

संबंधित आयतें

  • +2इत 2:5; यश 6:1

यिर्मयाह 17:13

फुटनोट

  • *

    शा., “मुझसे,” ज़ाहिर है कि यहाँ यहोवा की बात की गयी है।

संबंधित आयतें

  • +भज 73:27; यश 1:28
  • +यिर्म 2:13; प्रक 22:1

यिर्मयाह 17:14

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  • +यिर्म 15:20

यिर्मयाह 17:15

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  • +यश 5:19; 2पत 3:4

यिर्मयाह 17:18

फुटनोट

  • *

    या “दो बार नाश कर दे।”

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  • +यिर्म 15:15; 20:11
  • +यिर्म 18:23

यिर्मयाह 17:19

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  • +यिर्म 7:2

यिर्मयाह 17:21

संबंधित आयतें

  • +नहे 13:19

यिर्मयाह 17:22

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  • +निर्ग 20:9, 10; लैव 23:3
  • +निर्ग 31:13

यिर्मयाह 17:23

संबंधित आयतें

  • +यश 48:4; यहे 20:13

यिर्मयाह 17:24

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  • +व्य 5:12-14

यिर्मयाह 17:25

संबंधित आयतें

  • +भज 132:11
  • +यिर्म 22:4

यिर्मयाह 17:26

फुटनोट

  • *

    या “दक्षिण।”

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  • +यिर्म 32:44
  • +यिर्म 33:13
  • +लैव 1:3
  • +एज 3:3
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  • +भज 107:22; 116:17; यिर्म 33:10, 11

यिर्मयाह 17:27

संबंधित आयतें

  • +2रा 25:9, 10; यिर्म 39:8
  • +2रा 22:16, 17; विल 4:11

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

यिर्म. 17:2न्या 3:7; 2इत 24:18; 33:1, 3
यिर्म. 17:2यश 1:29; यहे 6:13
यिर्म. 17:32रा 24:11, 13; यिर्म 15:13
यिर्म. 17:3लैव 26:30; यहे 6:3
यिर्म. 17:4विल 5:2
यिर्म. 17:4व्य 28:48; यिर्म 16:13
यिर्म. 17:4यश 5:25; यिर्म 15:14
यिर्म. 17:5यश 30:1, 2
यिर्म. 17:52रा 16:7
यिर्म. 17:7भज 34:8; 146:5; यश 26:3
यिर्म. 17:8भज 1:3; 92:12, 13
यिर्म. 17:9उत 6:5; 8:21; नीत 28:26
यिर्म. 17:101शम 16:7; 1इत 28:9; नीत 17:3; 21:2
यिर्म. 17:10रोम 2:6; गल 6:7; प्रक 2:23; 22:12
यिर्म. 17:11नीत 28:20; यश 1:23; याकू 5:4
यिर्म. 17:122इत 2:5; यश 6:1
यिर्म. 17:13भज 73:27; यश 1:28
यिर्म. 17:13यिर्म 2:13; प्रक 22:1
यिर्म. 17:14यिर्म 15:20
यिर्म. 17:15यश 5:19; 2पत 3:4
यिर्म. 17:18यिर्म 15:15; 20:11
यिर्म. 17:18यिर्म 18:23
यिर्म. 17:19यिर्म 7:2
यिर्म. 17:21नहे 13:19
यिर्म. 17:22निर्ग 20:9, 10; लैव 23:3
यिर्म. 17:22निर्ग 31:13
यिर्म. 17:23यश 48:4; यहे 20:13
यिर्म. 17:24व्य 5:12-14
यिर्म. 17:25भज 132:11
यिर्म. 17:25यिर्म 22:4
यिर्म. 17:26यिर्म 32:44
यिर्म. 17:26यिर्म 33:13
यिर्म. 17:26लैव 1:3
यिर्म. 17:26एज 3:3
यिर्म. 17:26लैव 2:1, 2
यिर्म. 17:26भज 107:22; 116:17; यिर्म 33:10, 11
यिर्म. 17:272रा 25:9, 10; यिर्म 39:8
यिर्म. 17:272रा 22:16, 17; विल 4:11
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
यिर्मयाह 17:1-27

यिर्मयाह

17 “यहूदा का पाप लोहे की कलम से लिखा गया है।

हीरे की नोक से उनके दिल की पटिया पर

और उनकी वेदियों के सींगों पर गढ़ दिया गया है,

 2 उनके बेटे भी उनकी वेदियों और पूजा-लाठों* को याद करते हैं,+

जो एक घने पेड़ के पास, ऊँची पहाड़ियों पर+

 3 और खुले देहात में पहाड़ों पर थीं।

तेरी दौलत, तेरा सारा खज़ाना मैं लूट में दे दूँगा,+

हाँ, तेरी ऊँची जगह लूट में दे दूँगा क्योंकि तूने अपने सारे इलाकों में पाप किया है।+

 4 तू अपने ही दोष के कारण मेरी दी हुई विरासत खो बैठेगा।+

मैं तुझे एक अनजान देश में भेज दूँगा जहाँ तू अपने दुश्‍मनों की गुलामी करेगा,+

क्योंकि तूने मेरे क्रोध की आग भड़का दी है।*+

यह हमेशा जलती रहेगी।”

 5 यहोवा कहता है,

“शापित है वह इंसान* जो अदना इंसानों पर भरोसा करता है,+

जो इंसानी ताकत का सहारा लेता है,+

जिसका दिल यहोवा से दूर हो जाता है।

 6 वह उस पेड़ की तरह बन जाएगा जो वीराने में अकेला खड़ा रहता है।

वह कभी भलाई नहीं देखेगा,

वह वीराने की सूखी जगहों में ही रहेगा,

नमकवाली जगह में, जहाँ कोई नहीं रह सकता।

 7 उस इंसान* पर परमेश्‍वर की आशीष होती है,

जो यहोवा पर भरोसा रखता है,

जो यहोवा पर आशा रखता है।+

 8 वह उस पेड़ की तरह बन जाएगा जिसे पानी के सोतों के पास लगाया गया है,

जो अपनी जड़ें बहते पानी तक फैलाता है।

उसे तपती गरमी का एहसास नहीं होगा,

उसके पत्ते हमेशा हरे रहेंगे।+

सूखे के साल में उसे कोई चिंता नहीं होगी,

न ही वह फल देना छोड़ेगा।

 9 दिल सबसे बड़ा धोखेबाज़* है और यह उतावला* होता है।+

इसे कौन जान सकता है?

10 मैं यहोवा दिल को जाँचता हूँ,+

गहराई में छिपे विचारों* को परखता हूँ

ताकि हरेक को उसके चालचलन

और उसके कामों के नतीजे के मुताबिक फल दूँ।+

11 जैसे एक तीतर उन अंडों को सेती है जो उसने नहीं दिए,

वैसे ही वह इंसान होता है जो बेईमानी से दौलत कमाता है।*+

दौलत उसे उसकी अधेड़ उम्र में छोड़ देगी

और आखिर में वह मूर्ख साबित होगा।”

12 जिस गौरवशाली राजगद्दी की शुरूआत से महिमा हुई है,

वही हमारा पवित्र-स्थान है।+

13 हे यहोवा, इसराएल की आशा,

तुझे छोड़नेवाले सब शर्मिंदा किए जाएँगे।

तुझसे* बगावत करनेवालों के नाम धूल पर लिखे जाएँगे,+

क्योंकि उन्होंने यहोवा को छोड़ दिया है, जो जीवन का जल देता है।+

14 हे यहोवा, मुझे चंगा कर, तब मैं चंगा हो जाऊँगा।

मुझे बचा ले, तब मैं बच जाऊँगा,+

क्योंकि मैं तेरी ही तारीफ करता हूँ।

15 देख! वे मुझसे कहते हैं,

“यहोवा का वचन अब तक पूरा क्यों नहीं हुआ?”+

16 मगर मैं एक चरवाहे के नाते तेरे पीछे चलना छोड़कर दूर नहीं भागा,

न ही मैंने मुसीबत के दिन की कामना की।

तू अच्छी तरह जानता है कि मेरे होंठों ने क्या-क्या कहा,

यह सब तेरे सामने ही हुआ है!

17 तू मेरे लिए खौफ की वजह न बन।

तू विपत्ति के दिन मेरी पनाह है।

18 मुझे सतानेवाले शर्मिंदा हो जाएँ,+

मगर मुझे शर्मिंदा न होने दे।

उन पर खौफ छा जाए,

मगर मुझ पर खौफ न छाने दे।

उन पर विपत्ति का दिन ले आ+

और उन्हें कुचलकर पूरी तरह नाश कर दे।*

19 यहोवा ने मुझसे कहा, “जाकर इन लोगों के बेटों के फाटक के पास खड़ा हो, जहाँ से यहूदा के राजा आते-जाते हैं और यरूशलेम के सभी फाटकों के पास खड़ा हो।+ 20 तू उनसे कहना, ‘यहूदा के राजाओ, यहूदा के सब लोगो और यरूशलेम के सभी निवासियो, तुम जो इन फाटकों से दाखिल होते हो, यहोवा का संदेश सुनो। 21 यहोवा कहता है, “तुम इस बात का ध्यान रखना: सब्त के दिन कोई बोझ मत ढोना, न ही उसे यरूशलेम के फाटकों से अंदर लाना।+ 22 सब्त के दिन तुम अपने घरों से कोई बोझ बाहर मत लाना और कोई भी काम मत करना।+ सब्त के दिन को पवित्र मानना, ठीक जैसे मैंने तुम्हारे पुरखों को आज्ञा दी थी।+ 23 मगर उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी थी और उस पर कान नहीं लगाया था। उन्होंने ढीठ होकर मेरी आज्ञा मानने और मेरी शिक्षा कबूल करने से इनकार कर दिया था।”’+

24 ‘यहोवा ऐलान करता है, “लेकिन अगर तुम सख्ती से मेरी बात मानोगे और सब्त के दिन इस शहर के फाटकों से कोई बोझ ढोकर नहीं लाओगे और सब्त के दिन कोई भी काम नहीं करोगे और इस तरह उसे पवित्र मानोगे,+ 25 तो दाविद की राजगद्दी+ पर बैठनेवाले राजा और हाकिम, रथ और घोड़ों पर सवार होकर इस शहर के फाटकों से अंदर आ पाएँगे। राजा और उनके हाकिम, यहूदा के लोग और यरूशलेम के निवासी अंदर आ पाएँगे+ और यह शहर सदा लोगों से आबाद रहेगा। 26 यहूदा के शहरों, यरूशलेम के आस-पास की जगहों, बिन्यामीन के इलाके,+ निचले प्रदेश,+ पहाड़ी प्रदेश और नेगेब* से लोग आ पाएँगे। वे अपने साथ पूरी होम-बलियाँ,+ बलिदान,+ अनाज के चढ़ावे,+ लोबान और धन्यवाद-बलियाँ लेकर यहोवा के भवन में आ पाएँगे।+

27 लेकिन अगर तुम मेरी आज्ञा तोड़कर सब्त के दिन को पवित्र नहीं मानोगे और सब्त के दिन बोझ ढोओगे और उसे यरूशलेम के फाटकों से अंदर लाओगे, तो मैं उसके फाटकों पर आग लगा दूँगा और यह आग यरूशलेम की किलेबंद मीनारों को ज़रूर भस्म कर देगी+ और यह बुझायी नहीं जाएगी।”’”+

हिंदी साहित्य (1972-2025)
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