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अपना विद्यार्थी-भाग तैयार करनापरमेश्वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए
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अपना विद्यार्थी-भाग तैयार करना
स्कूल में मिलनेवाला हर विद्यार्थी-भाग आपको कदम-ब-कदम तरक्की करने का मौका देता है। इसलिए मन लगाकर अपने भाग की तैयारी कीजिए। अगर आप ऐसा करेंगे तो कुछ समय बाद ना सिर्फ आपको बल्कि दूसरों को भी आपकी उन्नति नज़र आने लगेगी। (1 तीमु. 4:15) स्कूल में आपको अपना हुनर बढ़ाने के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
क्या पूरी कलीसिया के सामने बात करने का खयाल आते ही आपके हाथ-पैर काँपने लगते हैं? ऐसा महसूस करना स्वाभाविक है, फिर चाहे आपको स्कूल में दाखिल हुए काफी वक्त क्यों ना हो गया हो। लेकिन कुछ कदम उठाने से आप अपनी घबराहट को कम कर सकते हैं। घर पर ज़ोर-ज़ोर से पढ़ने का अभ्यास कीजिए। कलीसिया की सभाओं में ज़्यादा-से-ज़्यादा जवाब देने की कोशिश कीजिए और अगर आप एक प्रचारक हैं, तो प्रचार में लगातार हिस्सा लीजिए। इससे लोगों के सामने बोलने का आपको तजुर्बा हासिल होगा। इसके अलावा, जब कभी आपको विद्यार्थी-भाग सौंपा जाता है, तो काफी समय पहले से ही तैयारी कीजिए और ऊँची आवाज़ में बोलकर उसे पेश करने का अभ्यास कीजिए। याद रखिए कि सभा में बैठे लोग आपके दोस्त ही हैं। कोई भी भाग पेश करने के लिए स्टेज पर जाने से पहले, यहोवा से प्रार्थना कीजिए। जो सेवक उससे पवित्र आत्मा की बिनती करते हैं, उन्हें वह खुशी-खुशी अपनी आत्मा देता है।—लूका 11:13; फिलि. 4:6, 7.
आपका भाषण कितना अच्छा होगा, इस बारे में बड़ी-बड़ी उम्मीदें मत लगाइए। एक अच्छा वक्ता और काबिल शिक्षक बनने में वक्त लगता है। (मीका 6:8) अगर आप सेवा स्कूल में नए विद्यार्थी हैं, तो यह उम्मीद मत कीजिए कि अभी से आपकी पेशकश बहुत बढ़िया होगी। इसके बजाय, एक समय पर सलाह पर्चे में दिए एक ही गुण को अपने अंदर बढ़ाने की कोशिश कीजिए। हर गुण के बारे में इस किताब के जिस अध्याय में चर्चा की गयी है, उसका अध्ययन कीजिए। अध्याय के आखिर में जो अभ्यास दिया गया है, उसे भी करने की कोशिश कीजिए। तब आप कलीसिया में अपना भाग पेश करने से पहले काफी हद तक उस गुण को बढ़ा चुके होंगे। इससे उन्नति ज़रूर होगी।
पढ़ने का भाग कैसे तैयार करें
स्कूल में पढ़कर सुनाने की तैयारी करते वक्त सिर्फ दिए गए हिस्से के हर शब्द को सही-सही पढ़ लेना काफी नहीं है। इसके बजाय, जो लिखा है उसे अच्छी तरह समझने की कोशिश कीजिए। इसलिए जैसे ही आपको पढ़ाई का भाग सौंपा जाता है, तो इसकी जानकारी को समझने के लिए इसे पूरा पढ़िए। हर वाक्य और हर पैराग्राफ में क्या विचार दिए गए हैं, उन्हें समझने की कोशिश कीजिए। तब आप पढ़ते वक्त विचारों को सही-सही और पूरी भावनाओं के साथ ज़ाहिर कर पाएँगे। अगर हो सके, तो कठिन शब्दों का सही उच्चारण जानने के लिए व्याकरण की कोई किताब देखिए या किसी ऐसे व्यक्ति से पूछिए जो अच्छी हिंदी जानता हो। आपको पढ़ने के लिए जो भाग सौंपा जाता है, उससे अच्छी तरह वाकिफ होइए। अगर यह भाग छोटे बच्चों को सौंपा जाता है, तो माता-पिता को उनकी मदद करने की ज़रूरत पड़ सकती है।
क्या आपको बाइबल का कोई हिस्सा या प्रहरीदुर्ग के किसी लेख के पैराग्राफ पढ़ने का भाग सौंपा गया है? हो सके, तो एक ऐसे व्यक्ति की मदद लें जो हिंदी अच्छी तरह पढ़ता हो। उससे कहिए कि आपको वह भाग ज़ोर से पढ़कर सुनाए। जब वह पढ़ रहा हो तो ध्यान दीजिए कि वह शब्दों का उच्चारण कैसे करता है, कई शब्दों को मिलाकर किस तरीके से पढ़ता है, किन शब्दों पर ज़ोर देता है और आवाज़ में उतार-चढ़ाव कैसे लाता है। फिर आप भी पढ़ते वक्त वैसा ही कीजिए।
जब आप अपने विद्यार्थी-भाग की तैयारी करने बैठते हैं, तो आपको भाषण के जिस गुण पर काम करने के लिए कहा गया है, इस किताब में उस अध्याय का अध्ययन करना मत भूलिए। अगर हो सके तो अपने भाग को बार-बार ज़ोर से पढ़कर अभ्यास करने के बाद, दोबारा उस अध्याय की खास बातों पर नज़र डालें। उसमें दी गयी सारी सलाह पर अमल करने की भरसक कोशिश कीजिए।
इस तरह की ट्रेनिंग से आपको प्रचार में काफी मदद मिलेगी। आपको प्रचार में दूसरों को पढ़कर सुनाने के कई मौके मिलेंगे। परमेश्वर के वचन में लोगों की ज़िंदगी बदलने की ताकत है, इसलिए इसे सही ढंग से पढ़कर सुनाना बेहद ज़रूरी है। (इब्रा. 4:12) यह उम्मीद मत कीजिए कि एक या दो बार स्कूल में भाग पेश करते ही आप अच्छी तरह पढ़ने में महारत हासिल कर लेंगे। गौर कीजिए कि प्रेरित पौलुस ने, सालों का तजुर्बा रखनेवाले एक मसीही प्राचीन को लिखा: ‘पढ़ने की तरफ ध्यान लगाए रह।’—1 तीमु. 4:13, हिन्दुस्तानी बाइबल।
जब आपके भाग में एक विषय और सैटिंग होती है
अगर आपको स्कूल में कोई ऐसा विद्यार्थी-भाग पेश करना है जिसमें एक सैटिंग भी है, तो आपको इसकी तैयारी कैसे करनी चाहिए?
इसके लिए तीन अहम बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है: (1) आपको दिया गया विषय, (2) आपकी सैटिंग और वह व्यक्ति जिससे आप बात करेंगे और (3) सलाह पर्चे के जिस मुद्दे पर आपको काम करने के लिए कहा गया है।
आपको जो विषय दिया गया है, उसके बारे में आपको जानकारी इकट्ठी करनी होगी। लेकिन इससे पहले, आपकी सैटिंग क्या होगी और आप किस व्यक्ति से बात करेंगे, आपको इस बारे में गहराई से सोचना होगा। क्योंकि इन्हीं बातों के आधार पर आप फैसला कर सकेंगे कि किस तरह की जानकारी इकट्ठी करनी है और किस तरीके से उसे पेश करना है। आप क्या सैटिंग रखेंगे? क्या आप किसी जान-पहचानवाले को सुसमाचार सुनाने का तरीका दिखाएँगे? या क्या आप यह दिखाएँगे कि प्रचार में जब हम लोगों से पहली बार मिलते हैं, तब क्या-क्या हो सकता है और उस हालात में गवाही कैसे दी जा सकती है? जिस व्यक्ति से आप बात करनेवाले हैं, वह आपसे उम्र में बड़ा है या छोटा? जिस विषय पर आप उसके साथ चर्चा करने की सोच रहे हैं, उसके बारे में वह क्या सोचता है? उस विषय के बारे में उसे पहले से कितनी जानकारी होगी? उससे बात करते वक्त आप क्या हासिल करने की उम्मीद करते हैं? इन सारे सवालों के जवाब से आप तय कर पाएँगे कि आपको किस तरह की जानकारी इकट्ठी करनी है।
आपको अपने विषय पर जानकारी कहाँ से मिल सकती है? इस किताब के पेज 33 से 38 पर “खोजबीन कैसे करें,” इसके बारे में चर्चा की गयी है। उसे पढ़िए और फिर खोजबीन के लिए जो साहित्य आपके पास है, उसका इस्तेमाल कीजिए। अकसर आप पाएँगे कि आपको ज़रूरत से ज़्यादा जानकारी मिल जाती है। आपके विषय के बारे में कितनी जानकारी उपलब्ध है, यह जानने के लिए ज़्यादा-से-ज़्यादा साहित्य पढ़िए। लेकिन ऐसा करते वक्त, अपनी सैटिंग और जिसके साथ आप बात करने जा रहे हैं, उसे ध्यान में रखिए। जो मुद्दे आपके काम आ सकते हैं, उन पर निशान लगाइए।
अपनी पेशकश तैयार करने से पहले और छोटी-मोटी जानकारी का चुनाव करने से पहले, वक्त निकालकर, सलाह पर्चे के जिस मुद्दे पर आपको काम करने के लिए कहा गया है, उसके बारे में ज़रूर पढ़िए। उस सलाह पर अमल करना, आपके भाग पेश करने की एक खास वजह है।
अगर आप अपनी जानकारी को तय किए गए समय में पेश करेंगे तो आप एक अच्छी समाप्ति भी दे पाएँगे, क्योंकि समय पूरा होने पर आपको एक सिगनल दिया जाएगा और आप भाषण की समाप्ति नहीं दे पाएँगे। हाँ, जहाँ तक प्रचार की बात है, वहाँ हमेशा समय का ध्यान रखने की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए अपने भाग की तैयारी करते वक्त इस बात का ध्यान रखिए कि आपको कितने समय के अंदर इसे पूरा करना है। मगर हमेशा आपका ज़ोर, असरदार तरीके से सिखाने पर होना चाहिए।
सैटिंग के बारे में ज़रूरी हिदायत। सैटिंग के बारे में पेज 82 पर दिए सुझावों पर गौर कीजिए। फिर उनमें से ऐसी सैटिंग चुनिए जो प्रचार में कारगर साबित होगी और जिससे आप अपनी जानकारी को ऐसे पेश कर सकेंगे जो असल ज़िंदगी में काम आए। अगर आप काफी समय से इस स्कूल के विद्यार्थी रहे हैं, तो समझिए कि यह प्रचार के लिए नए-नए हुनर बढ़ाने का एक अच्छा मौका है।
अगर आपको, सेवा स्कूल का ओवरसियर सैटिंग देता है, तो उस चुनौती को स्वीकार कीजिए। ज़्यादातर सैटिंग, दूसरों को गवाही देने के बारे में हैं। सैटिंग में बताए हालात में अगर आपको गवाही देने का तजुर्बा नहीं है, तो उन प्रचारकों से सुझाव माँगिए जिन्हें इसका तजुर्बा है। अगर मुमकिन हो तो, स्कूल में जो सैटिंग इस्तेमाल करेंगे, उसी से मिलती-जुलती सैटिंग में किसी से अपने विषय के बारे में पहले ही चर्चा कर लें। ऐसा करने से, आप स्कूल में मिलनेवाली ट्रेनिंग का एक अहम लक्ष्य हासिल कर पाएँगे।
जब अपना भाग एक भाषण के रूप में देना हो
अगर आप एक भाई हैं, तो आपको कलीसिया के सामने एक छोटा-सा भाषण देने के लिए कहा जा सकता है। ऐसे भाषणों की तैयारी में भी वही हिदायतें लागू होती हैं, जो प्रदर्शन के रूप में दिए जानेवाले विद्यार्थी-भागों के लिए हैं, जिनके बारे में पहले चर्चा की गयी है। खास फर्क बस यह है कि एक के बजाय सारी सभा आपके सुननेवाले होते हैं और भाग पेश करने का तरीका भी बदल जाता है।
अच्छा होगा अगर आप भाषण की तैयारी इस तरह करें जिससे सभी सुननेवालों को फायदा पहुँचे। वहाँ मौजूद ज़्यादातर लोग बाइबल की बुनियादी सच्चाइयाँ जानते हैं। हो सकता है आप जिस विषय पर भाषण देने जा रहे हैं, उसके बारे में उन्हें पहले से अच्छी जानकारी हो। इसलिए भाषण की तैयारी करते वक्त ध्यान में रखिए कि उन्हें पहले से कितनी जानकारी है। उसके ज़रिए उन्हें कुछ-न-कुछ फायदा पहुँचाने की कोशिश कीजिए। खुद से पूछिए: ‘इस विषय के ज़रिए, मैं अपने और सुननेवालों के दिल में यहोवा के लिए कदरदानी कैसे बढ़ा सकता हूँ, उन्हें यहोवा के करीब कैसे ला सकता हूँ? मेरे भाषण में ऐसा कौन-सा मुद्दा है जो परमेश्वर की मरज़ी जानने में हमारी मदद करता है? यह जानकारी हमें इस दुनिया में रहते हुए भी, जो शरीर की लालसाएँ पूरी करने में डूबी हुई है, सही फैसले करने में कैसे मदद दे सकती है?’ (इफि. 2:3) इन सवालों के सही जवाब दे पाने के लिए आपको खोजबीन करने की ज़रूरत होगी। जब आप भाषण में बाइबल का इस्तेमाल करते हैं, तो उसकी आयतें सिर्फ पढ़कर सुना देना काफी नहीं है। आयतों के बारे में दलीलें देकर समझाइए और बताइए कि इनकी मदद से हम किस तरह सही नतीजों पर पहुँच सकते हैं। (प्रेरि. 17:2, 3) अपने भाषण में बहुत ज़्यादा जानकारी ठूँसने की कोशिश मत कीजिए। इस तरीके से जानकारी पेश कीजिए कि सुननेवालों के लिए याद रखना आसान हो।
भाषण की तैयारी करते समय आपको इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि आप अपना भाषण किस ढंग से पेश करेंगे। इसकी अहमियत को कभी कम मत समझिए। ऊँची आवाज़ में भाषण पेश करने का अभ्यास कीजिए। भाषण के अलग-अलग गुणों के बारे में अच्छी तरह अध्ययन करने और उनके बारे में दी गयी सलाह पर अमल करने से आप भाषण देने की कला बढ़ा सकेंगे। आप चाहे नए हों या तजुर्बेकार, अपने भाषणों की हमेशा अच्छी तैयारी कीजिए ताकि आप पूरे यकीन के साथ बोल सकें और अपनी जानकारी के मुताबिक सही भावनाएँ इज़हार कर सकें। जब कभी आप स्कूल में भाग पेश करते हैं, तो यह बात हमेशा याद रखिए कि परमेश्वर से आपको बोलने का जो वरदान मिला है उसका मकसद है, यहोवा की महिमा करना।—भज. 150:6.
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कलीसिया के लिए भाषण तैयार करनापरमेश्वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए
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कलीसिया के लिए भाषण तैयार करना
परमेश्वर की सेवा स्कूल का कार्यक्रम, पूरी कलीसिया को फायदा पहुँचाने के लिए तैयार किया गया है। इसके अलावा, कलीसिया की दूसरी सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों में भी बेहतरीन जानकारी दी जाती है। इसलिए अगर आपको इनमें से किसी भी कार्यक्रम में कोई भाग पेश करने के लिए कहा गया है, तो यह एक भारी ज़िम्मेदारी है। प्रेरित पौलुस ने मसीही अध्यक्ष, तीमुथियुस को उकसाया था कि वह अपने उपदेश देने के तरीके पर लगातार ध्यान देता रहे। (1 तीमु. 4:15, 16) मसीही सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों में आकर उन हिदायतों को सुनने के लिए भाई-बहन अपना कीमती वक्त लगाते हैं, यहाँ तक कि कुछ को काफी संघर्ष करना पड़ता है। वे हाज़िर होने के लिए इतनी मेहनत इसलिए करते हैं, क्योंकि इन सभाओं में उन्हें परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते को और भी मज़बूत बनाने की शिक्षा मिलती है। ऐसी शिक्षा देने की ज़िम्मेदारी वाकई बड़े सम्मान की बात है! लेकिन आप इस ज़िम्मेदारी को कैसे अच्छी तरह पूरा कर सकते हैं?
बाइबल झलकियाँ
स्कूल का यह भाग हफ्ते की बाइबल पढ़ाई पर आधारित होता है। इसमें इस बात पर ज़ोर दिया जाना चाहिए कि बाइबल पढ़ाई के हिस्से से आज हम क्या सीख सकते हैं। जैसा नहेमायाह 8:8 (ईज़ी-टू-रीड वर्शन) में लिखा है कि याजक एज्रा और उसके साथ लेवियों ने लोगों के सामने परमेश्वर का वचन पढ़कर सुनाया, उसका अर्थ बताया, उसकी व्याख्या की, और ‘उसका अभिप्राय: क्या है, इसे खोलकर समझाया।’ बाइबल पढ़ाई की झलकियाँ बताते वक्त आपको भी वही करने का मौका मिलता है।
इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए आपको कैसे तैयारी करनी चाहिए? आपको बाइबल के जिस हिस्से की झलकियाँ बतानी हैं, उसे एक हफ्ते या उससे भी पहले पढ़ने की कोशिश कीजिए। उसके बाद सोचिए कि आपकी कलीसिया की ज़रूरतें क्या हैं। उन ज़रूरतों को समझने के बारे में परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए। इसके अलावा, यह भी प्रार्थना कीजिए कि बाइबल के इस भाग से कौन-सी सलाह, कौन-से उदाहरण या सिद्धांत बताए जा सकते हैं।
खोजबीन करना ज़रूरी है। आपको जो भाषा आती है, क्या उस भाषा में वॉच टावर पब्लिकेशन्स इंडैक्स या सीडी-रॉम पर वॉचटावर लाइब्रेरी उपलब्ध है? अगर नहीं, तो आप हर साल दिसंबर 15 की प्रहरीदुर्ग में दी गयी विषय-सूची का अच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं। जब आप चुनी हुई आयतों पर संस्था के साहित्य में खोजबीन करेंगे, तो आपको बहुत-सी फायदेमंद जानकारी मिलेगी जैसे कि उन आयतों को कब और किन हालात में लिखा गया था, उन आयतों में दी गयी भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हुईं, उनसे हम यहोवा के बारे में क्या सीख सकते हैं, इस बारे में लेख दिए हैं, या सिद्धांतों की चर्चा की गयी है। बहुत सारे मुद्दे बताने की कोशिश मत कीजिए। इसके बजाय, अच्छा होगा अगर कुछ आयतें चुनकर सिर्फ उन्हीं पर ध्यान दिलाएँ और उन्हें अच्छी तरह समझाएँ।
अपना यह भाग पेश करने में आपको सुननेवालों से यह सवाल पूछना पड़ सकता है कि हफ्ते की बाइबल पढ़ाई से उन्हें क्या फायदा हुआ है। उन्होंने ऐसी कौन-सी बात सीखी जिसे निजी बाइबल अध्ययन में, पारिवारिक अध्ययन में, अपने प्रचार काम में या अपने जीवन में लागू करने से उन्हें फायदा होगा? यहोवा ने लोगों और जातियों के साथ जिस तरह से व्यवहार किया, उससे यहोवा के कौन-से गुण देखने को मिलते हैं? सभा में मौजूद लोगों ने इससे क्या सीखा जिससे उनका विश्वास मज़बूत हुआ और उनके दिल में यहोवा के लिए श्रद्धा और बढ़ी? आयतों की बारीकियों या उनके कठिन मुद्दों को समझाने में ज़्यादा वक्त मत गवाँइए। बल्कि चुने हुए मुद्दों का मतलब समझाइए और उन्हें ज़िंदगी में कैसे लागू किया जाना चाहिए, इस पर ज़ोर दीजिए।
हिदायत भाषण
यह भाषण प्रहरीदुर्ग या सजग होइए! के किसी लेख से या फिर किसी किताब के भाग से दिया जाएगा। अकसर यह जानकारी इतनी होती है कि इसे तय किए गए समय में आसानी से पेश किया जा सकता है। आपको यह भाषण किस ढंग से पेश करना चाहिए? एक शिक्षक की तरह! सिर्फ जानकारी को शुरू से लेकर आखिर तक बता देना काफी नहीं। हर अध्यक्ष को “सिखाने में निपुण” होना चाहिए।—1 तीमु. 3:2.
इस भाषण की तैयारी करने में, सबसे पहले आपको जिस भाग से भाषण देना है, उसका अध्ययन कीजिए। उसमें बतायी गयी आयतें, बाइबल से पढ़िए। उस पर मनन कीजिए। यह सबकुछ, भाषण के दिन से काफी पहले करने की कोशिश कीजिए। याद रखिए कि जिस किताब या लेख से आप भाषण देने जा रहें हैं, उसे पहले से पढ़कर आने के लिए भाई-बहनों को उकसाया जाता है। आपके भाषण का मकसद सिर्फ उस जानकारी के बारे में फिर से बताना या उसका सारांश देना नहीं है, बल्कि यह दिखाना है कि उस जानकारी पर कैसे अमल किया जाना चाहिए। इसलिए जानकारी में से ज़रूरी बातों को चुनकर इस ढंग से पेश कीजिए ताकि कलीसिया को वाकई फायदा हो।
जिस तरह हर बच्चे का स्वभाव अलग होता है, उसी तरह हर कलीसिया की एक अलग पहचान होती है। जो पिता अपने बच्चे को अच्छी तरह सिखाता है, वह अच्छे-बुरे के नियमों के बारे में सिर्फ उपदेश ही नहीं देता बल्कि उसके साथ तर्क करके उसे समझाता है। पिता हमेशा इस बात का ध्यान रखता है कि बच्चे का स्वभाव कैसा है और वह किन मुश्किलों का सामना कर रहा है। उसी तरह, कलीसिया में सिखानेवाला यह समझने की कोशिश करता है कि जिन भाई-बहनों से वह बात कर रहा है, उन्हें किन-किन मामलों पर सलाह की ज़रूरत है। लेकिन उसे समझदारी से काम लेना होगा ताकि वह भाषण में ऐसे उदाहरण ना दे जिनसे किसी भाई या बहन को शर्मिंदा होना पड़े। इसके बजाय वह उन आशीषों की तरफ ध्यान दिलाएगा जो उन्हें यहोवा के मार्गों पर चलने से मिल रही हैं और वह बाइबल से सलाह देगा जिससे कि कलीसिया के भाई-बहन अपनी समस्याओं का सामना करने में कामयाब हो सकें।
अच्छी शिक्षा, सुननेवालों के दिल में उतर जाती है। आपके भाषण का भी ऐसा असर हो, इसके लिए सिर्फ सच्चाइयाँ बयान करना काफी नहीं, बल्कि आपको यह भी बताना चाहिए कि यह जानकारी, सुननेवालों के लिए क्या मायने रखती है। इसके लिए ज़रूरी है कि आप अपने सुननेवालों के लिए सच्ची परवाह दिखाएँ। आध्यात्मिक चरवाहों को चाहिए कि वे अपने झुंड की ज़रूरतों को जानें। अगर उनमें हर भाई-बहन के लिए प्यार होगा और वे उनकी मौजूदा समस्याओं को ध्यान में रखेंगे, तो वे समझ के साथ, दया और हमदर्दी दिखा सकेंगे और उनका हौसला बढ़ा पाएँगे।
हर काबिल शिक्षक को पता होता है कि उसके भाषण का मकसद क्या है। जानकारी को इस ढंग से पेश किया जाना चाहिए ताकि सुननेवाले मुख्य मुद्दों को आसानी से समझ सकें और उन्हें याद रख सकें। साथ ही, उन्हें यह याद रह जाए कि भाषण की किन व्यवहारिक बातों को उन्हें अपने जीवन में लागू करना है।
सेवा सभा
अगर आपका भाषण हमारी राज्य सेवकाई के किसी लेख से है, तो यह आपके लिए एक अलग चुनौती हो सकती है। आप अकसर पाएँगे कि आप दी गयी जानकारी में से अहम मुद्दे नहीं चुन सकते, बल्कि आपको पूरी-की-पूरी जानकारी पेश करनी होगी। लेख में जिन आयतों के आधार पर सलाह दी गयी है, उन्हें समझने और सही नतीजे पर पहुँचने में सुननेवालों की मदद कीजिए। (तीतु. 1:9) सेवा सभा में हर भाग के लिए समय तय होता है, इसलिए ज़्यादातर भागों में कोई और जानकारी बताने का वक्त नहीं होता।
कभी-कभी आपको ऐसे विषय पर भी भाषण देने के लिए कहा जा सकता है जो हमारी राज्य सेवकाई में से किसी लेख से न हो। शायद किसी प्रहरीदुर्ग का हवाला दिया गया हो या फिर इस भाग के बारे में आपको कुछ नोट्स् दिए गए हों। एक शिक्षक के तौर पर अब आपको यह तय करना है कि दिए गए भाग को कलीसिया की ज़रूरतों के मुताबिक कैसे पेश किया जाए। आपको शायद अपनी बात कहने के लिए एक छोटी-सी और सही मिसाल या कोई अनुभव पेश करने की ज़रूरत पड़ सकती है। याद रखिए कि आपका मकसद सिर्फ किसी विषय पर बात करना ही नहीं बल्कि भाषण को इस तरीके से पेश करना है जिससे कलीसिया को परमेश्वर के वचन में बताए काम को पूरा करने में मदद मिले और खुशी भी।—प्रेरि. 20:20, 21.
जब आप अपना भाग तैयार करते हैं, तो अपनी कलीसिया के भाई-बहनों के अलग-अलग हालात पर गौर कीजिए। वे परमेश्वर की सेवा में जो कुछ कर रहे हैं, उसके लिए उनकी तारीफ कीजिए। खुद से पूछिए कि दिए गए भाग की सलाह पर अमल करने से, वे कैसे प्रचार में ज़्यादा कामयाब हो सकते हैं और अपनी खुशी बढ़ा सकते हैं?
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