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यीशु मसीहा बनाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 74
यीशु मसीहा बना
यूहन्ना यह प्रचार करता था, ‘मुझसे भी बड़ा कोई आनेवाला है।’ जब यीशु करीब 30 साल का था तो वह गलील से यरदन नदी के पास गया। वहाँ यूहन्ना लोगों को बपतिस्मा देता था। यीशु चाहता था कि यूहन्ना उसे भी बपतिस्मा दे। मगर यूहन्ना ने उससे कहा, ‘मैं कैसे तुझे बपतिस्मा दे सकता हूँ? मुझे तो खुद तेरे हाथ से बपतिस्मा लेना है।’ यीशु ने यूहन्ना से कहा, ‘यहोवा चाहता है कि तू मुझे बपतिस्मा दे।’ तब वे दोनों यरदन नदी में गए और यूहन्ना ने यीशु को पानी में पूरी तरह डुबकी लगवायी।
जब यीशु पानी में से ऊपर आया तो उसने प्रार्थना की। उसी वक्त आकाश खुल गया और परमेश्वर की पवित्र शक्ति एक कबूतर के रूप में उस पर उतरी। फिर यहोवा ने स्वर्ग से कहा, “तू मेरा प्यारा बेटा है, मैंने तुझे मंज़ूर किया है।”
जब यहोवा की पवित्र शक्ति यीशु पर उतरी तो वह मसीहा बन गया। इसके बाद उसने वह काम शुरू कर दिया जिसके लिए यहोवा ने उसे धरती पर भेजा था।
बपतिस्मे के फौरन बाद यीशु वीराने में गया और 40 दिन वहीं रहा। वहाँ से लौटने के बाद वह यूहन्ना से मिलने गया। जब यीशु, यूहन्ना की तरफ आ रहा था तो यूहन्ना ने कहा, ‘यही परमेश्वर का मेम्ना है जो दुनिया का पाप दूर ले जाएगा।’ ऐसा कहकर यूहन्ना ने लोगों को बताया कि यीशु ही मसीहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं, जब यीशु वीराने में था तो उसके साथ क्या हुआ? आइए देखें।
“स्वर्ग से आवाज़ सुनायी दी: ‘तू मेरा प्यारा बेटा है, मैंने तुझे मंज़ूर किया है।’”—मरकुस 1:11
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शैतान ने यीशु की परीक्षा लीबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 75
शैतान ने यीशु की परीक्षा ली
यीशु के बपतिस्मे के बाद पवित्र शक्ति उसे वीराने में ले गयी। यीशु ने 40 दिन तक कुछ नहीं खाया, इसलिए उसे बहुत भूख लगी। तब शैतान ने उसे फुसलाने की कोशिश की। उसने यीशु से कहा, ‘अगर तू सचमुच परमेश्वर का बेटा है तो इन पत्थरों से बोल कि ये रोटियाँ बन जाएँ।’ मगर यीशु ने जवाब में शास्त्र में दर्ज़ यह बात कही, ‘लिखा है कि इंसान सिर्फ खाना खाकर ज़िंदा नहीं रह सकता। इससे भी ज़रूरी है कि वह यहोवा की हर बात ध्यान से सुने।’
इसके बाद शैतान ने यीशु से कहा, ‘अगर तू सचमुच परमेश्वर का बेटा है तो मंदिर की सबसे ऊँची जगह से कूद जा। लिखा है कि परमेश्वर अपने स्वर्गदूत भेजेगा और वे तुझे पकड़ लेंगे।’ मगर यीशु ने फिर से शास्त्र में दर्ज़ यह बात कही, ‘लिखा है कि तू यहोवा की परीक्षा न लेना।’
फिर शैतान ने यीशु को दुनिया के सारे राज्य और उनकी शानो-शौकत दिखायी और उससे कहा, ‘अगर तू बस एक बार मेरी उपासना करे तो मैं ये सारे राज्य और उनकी शानो-शौकत तुझे दे दूँगा।’ मगर यीशु ने कहा, ‘दूर हो जा शैतान! लिखा है कि तुझे सिर्फ यहोवा की उपासना करनी चाहिए।’
तब शैतान वहाँ से चला गया। फिर स्वर्गदूतों ने आकर यीशु को खाना दिया। इसके बाद यीशु परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनाने लगा। उसे यही काम करने के लिए धरती पर भेजा गया था। लोगों को उसकी बातें सुनना बहुत अच्छा लगता था। वह जहाँ-जहाँ जाता लोग उसके पीछे-पीछे जाते थे।
“जब [शैतान] झूठ बोलता है तो अपनी फितरत के मुताबिक बोलता है, क्योंकि वह झूठा है और झूठ का पिता है।”—यूहन्ना 8:44
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यीशु ने मंदिर को शुद्ध कियाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 76
यीशु ने मंदिर को शुद्ध किया
ईसवी सन् 30 में वसंत का मौसम था। यीशु यरूशलेम गया। बहुत-से लोग फसह मनाने यरूशलेम आए हुए थे। उन्होंने मंदिर में जानवरों की बलि चढ़ायी क्योंकि उस त्योहार में ऐसा करना ज़रूरी था। कुछ लोग जानवर लेकर आए थे, जबकि दूसरों ने यरूशलेम में जानवर खरीदे थे।
जब यीशु मंदिर गया तो उसने देखा कि लोग वहाँ जानवर बेच रहे हैं। वह जगह यहोवा की उपासना करने के लिए थी, मगर लोग वहीं पर पैसे कमा रहे थे! यह देखकर यीशु ने क्या किया? उसने रस्सियों का एक कोड़ा बनाया और भेड़ों और मवेशियों को मंदिर से बाहर कर दिया। उसने पैसा बदलनेवाले सौदागरों की मेज़ें पलट दीं और उनके सिक्के नीचे ज़मीन पर बिखरा दिए। उसने कबूतर बेचनेवालों से कहा, “यह सब लेकर यहाँ से निकल जाओ! मेरे पिता के घर को बाज़ार मत बनाओ!”
मंदिर में जितने लोग थे वे यीशु को ऐसा करते देखकर दंग रह गए। उसके चेलों को मसीहा के बारे में लिखी यह भविष्यवाणी याद आयी, ‘यहोवा के भवन के लिए मेरे अंदर जोश भर आएगा।’
बाद में ईसवी सन् 33 में यीशु ने एक और बार मंदिर को शुद्ध किया। उसने किसी को भी अपने पिता के भवन का अनादर करने नहीं दिया।
“तुम परमेश्वर के दास होने के साथ-साथ धन-दौलत की गुलामी नहीं कर सकते।”—लूका 16:13
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कुएँ के पास एक औरतबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 77
कुएँ के पास एक औरत
फसह के बाद यीशु और उसके चेले वापस गलील जाने के लिए सामरिया से गुज़र रहे थे। सूखार नाम के शहर के पास एक जगह थी जो याकूब का कुआँ कहलाती थी। वहाँ यीशु रुककर आराम करने लगा और उसके चेले खाना खरीदने के लिए शहर गए।
एक औरत पानी लेने उस कुएँ के पास आयी। यीशु ने उससे कहा, “मुझे पानी पिला।” औरत ने कहा, ‘तू मुझसे क्यों बात कर रहा है? मैं एक सामरी औरत हूँ और यहूदी लोग, सामरी लोगों से बात नहीं करते।’ यीशु ने उससे कहा, ‘अगर तू जानती कि मैं कौन हूँ तो तू मुझसे पानी माँगती और मैं तुझे जीवन देनेवाला पानी देता।’ औरत ने कहा, ‘तू मुझे पानी कैसे दे सकता है? तेरे पास पानी निकालने के लिए कोई बरतन भी नहीं है।’ यीशु ने कहा, ‘मैं जो पानी दूँगा उसे पीनेवाला फिर कभी प्यासा नहीं होगा।’ औरत ने कहा, “मुझे वह पानी दे।”
यीशु ने उससे कहा, “जा और अपने पति को लेकर यहाँ आ।” उसने कहा, “मेरा कोई पति नहीं है।” यीशु ने कहा, ‘तूने सही कहा। तूने पाँच बार शादी की और अब तू जिस आदमी के साथ रह रही है उसके साथ तेरी शादी नहीं हुई है।’ औरत ने कहा, ‘अब मुझे समझ आया कि तू एक भविष्यवक्ता है। मेरे लोग मानते हैं कि हम इस पहाड़ पर परमेश्वर की उपासना कर सकते हैं। मगर यहूदी कहते हैं कि हम सिर्फ यरूशलेम में उपासना कर सकते हैं। मैं मानती हूँ कि जब मसीहा आएगा तो वह हमें सिखाएगा कि कैसे उपासना करनी चाहिए।’ तब यीशु ने एक ऐसी बात बतायी जो अब तक उसने किसी को नहीं बतायी थी। उसने कहा, ‘मैं मसीहा हूँ।’
वह औरत भागकर अपने शहर गयी और उसने सामरी लोगों को बताया, ‘मैं एक आदमी से मिली हूँ। मुझे लगता है, वह मसीहा है। वह मेरे बारे में सबकुछ जानता है। तुम लोग खुद आकर देख लो!’ तब वे सब उसके साथ वापस कुएँ के पास गए और उन्होंने यीशु की बातें सुनीं।
सामरी लोगों ने यीशु से कहा कि वह उनके शहर में आकर रुके। यीशु ने दो दिन वहाँ रहकर लोगों को सिखाया और बहुत-से लोगों ने उस पर विश्वास किया। उन्होंने सामरी औरत से कहा, ‘इस आदमी की बातें सुनकर हम जान गए हैं कि दुनिया को बचानेवाला सचमुच यही है।’
“‘आ!’ और हर कोई जो प्यासा हो वह आए। जो कोई चाहे वह जीवन देनेवाला पानी मुफ्त में ले ले।”—प्रकाशितवाक्य 22:17
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यीशु ने राज का प्रचार कियाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 78
यीशु ने राज का प्रचार किया
बपतिस्मे के कुछ ही समय बाद यीशु यह प्रचार करने लगा, “परमेश्वर का राज पास आ गया है।” उसने पूरे गलील और यहूदिया में सफर किया और उसके चेले भी उसके साथ-साथ गए। जब यीशु वापस अपने शहर नासरत गया तो वह वहाँ के सभा-घर में गया। उसने यशायाह का खर्रा खोला और उसमें से यह पढ़कर सुनाया, ‘यहोवा ने मुझे पवित्र शक्ति दी है ताकि मैं खुशखबरी सुना सकूँ।’ इसका क्या मतलब था? इसका मतलब यह था कि लोग भले ही चाहते थे कि यीशु चमत्कार करे, मगर उसे पवित्र शक्ति देने की सबसे खास वजह यह थी कि वह खुशखबरी सुनाए। फिर उसने लोगों से कहा, ‘आज यह भविष्यवाणी पूरी हुई है।’
इसके बाद यीशु गलील झील के पास गया। वहाँ वह चार मछुवारों से मिला जो बाद में उसके चेले बने। वे थे पतरस, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना। यीशु ने उनसे कहा, ‘मेरे साथ चलो। जिस तरह तुम मछलियाँ पकड़ते हो, मैं तुम्हें इंसानों को पकड़नेवाले बनाऊँगा।’ उन्होंने फौरन अपना मछुवाई का कारोबार छोड़ दिया और यीशु के पीछे चलने लगे। उन्होंने पूरे गलील में जाकर यहोवा के राज का प्रचार किया। उन्होंने सभा-घरों और बाज़ारों में और सड़कों पर प्रचार किया। वे जहाँ भी जाते लोगों की एक बड़ी भीड़ उनके साथ-साथ जाती थी। यीशु के बारे में खबर हर कहीं फैल गयी, यहाँ तक कि दूर सीरिया तक भी।
कुछ समय बाद यीशु ने अपने कुछ चेलों को बीमारियाँ दूर करने और लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को निकालने की शक्ति दी। जब यीशु शहर-शहर और गाँव-गाँव जाकर प्रचार करता था तो कुछ चेले उसके साथ-साथ जाते थे। कई वफादार औरतें यीशु और उसके चेलों की सेवा करती थीं, जैसे मरियम मगदलीनी, योअन्ना और सुसन्ना।
यीशु ने अपने चेलों को प्रचार करना सिखाने के बाद उन्हें इस काम के लिए भेजा। जब उन्होंने पूरे गलील में प्रचार किया तो कई लोग चेले बन गए और उन्होंने बपतिस्मा लिया। इतने सारे लोग यीशु के चेले बनना चाहते थे कि यीशु ने कहा कि वे ऐसे खेत की तरह हैं जो कटाई के लिए तैयार है। उसने कहा, ‘यहोवा से प्रार्थना करो कि वह फसल काटने के लिए और भी मज़दूर भेजे।’ बाद में उसने 70 चेलों को चुना और उन्हें दो-दो करके पूरे यहूदिया में प्रचार करने भेजा। उन्होंने सब किस्म के लोगों को राज के बारे में सिखाया। जब वे वापस लौटे तो वे बहुत खुश थे और यीशु को जल्द-से-जल्द बताना चाहते थे कि उनका प्रचार काम कैसा रहा। शैतान उनके प्रचार काम को किसी भी तरह रोक नहीं सका।
यीशु चाहता था कि उसके स्वर्ग लौटने के बाद भी चेले यह ज़रूरी काम करते रहें। इसलिए उसने उनसे कहा, ‘तुम पूरी दुनिया में खुशखबरी सुनाना। लोगों को परमेश्वर के वचन के बारे में सिखाना और उन्हें बपतिस्मा देना।’
“मुझे दूसरे शहरों में भी परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनानी है क्योंकि मुझे इसीलिए भेजा गया है।”—लूका 4:43
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यीशु ने बहुत-से चमत्कार किएबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 79
यीशु ने बहुत-से चमत्कार किए
यीशु, परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनाने धरती पर आया था। यहोवा ने उसे पवित्र शक्ति दी ताकि वह बहुत-से चमत्कार करे और इस तरह दिखाए कि राजा बनने के बाद वह क्या-क्या करेगा। वह हर तरह की बीमारी दूर कर सकता था। वह जहाँ भी जाता बीमार लोग उसके पास आते थे और वह उन सबको ठीक करता था। अंधे लोग देखने लगे, बहरे सुनने लगे और जो बिस्तर से उठ नहीं सकते थे वे चलने लगे। यीशु ने लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को निकाला। लोग जब यीशु के कपड़े के बस छोर को छूते तो भी उनकी बीमारी ठीक हो जाती थी। यीशु जहाँ कहीं जाता लोग उसके पीछे-पीछे जाते थे। जब वह कहीं अकेला रहना चाहता था तब भी अगर लोग उसके पास आते तो वह उन्हें जाने के लिए नहीं कहता था।
एक बार जब यीशु एक घर में रुका था तो कुछ लोग उसके पास एक ऐसे आदमी को लाना चाहते थे जो बिस्तर से नहीं उठ सकता था। मगर घर में इतनी भीड़ थी कि वे अंदर नहीं जा पाए। इसलिए उन्होंने छत में एक छेद कर दी और उस आदमी को नीचे यीशु के पास उतार दिया। यीशु ने उस आदमी से कहा, ‘उठ और चल।’ जब वह उठकर चलने लगा तो लोग हैरान रह गए।
एक और बार जब यीशु एक गाँव के अंदर जा रहा था तो दूर में 10 आदमी खड़े थे जिन्हें कोढ़ की बीमारी थी। उन्होंने चिल्लाकर कहा, ‘यीशु, हमारी मदद कर!’ उन दिनों, कोढ़ियों को दूसरे लोगों के पास नहीं जाने दिया जाता था। यीशु ने उन आदमियों से कहा कि वे मंदिर जाएँ, क्योंकि यहोवा के कानून में लिखा था कि जब कोई कोढ़ी ठीक हो जाता है तो उसे मंदिर जाना चाहिए। जब वे वहाँ जा रहे थे तो रास्ते में ठीक हो गए। उनमें से एक कोढ़ी ने जब देखा कि वह ठीक हो गया है तो वह वापस यीशु के पास आया। उसने यीशु को शुक्रिया कहा और परमेश्वर की महिमा की। उन 10 आदमियों में से सिर्फ एक ने यीशु को शुक्रिया कहा।
एक औरत 12 साल से बीमार थी और वह किसी तरह ठीक होना चाहती थी। वह एक भीड़ में यीशु के पीछे से आयी और उसके कपड़े का छोर छुआ। उसे छूते ही वह ठीक हो गयी। तब यीशु ने पूछा, “किसने मुझे छुआ?” वह औरत डर गयी, फिर भी उसने सामने आकर सच बता दिया। यीशु ने यह कहकर उसका डर दूर किया, ‘बेटी, जा और चिंता मत कर।’
याइर नाम के एक अधिकारी ने यीशु से बिनती की, ‘मेरे घर आ! मेरी बच्ची बहुत बीमार है।’ मगर यीशु के वहाँ पहुँचने से पहले ही वह लड़की मर गयी। जब यीशु वहाँ पहुँचा तो उसने देखा कि बहुत-से लोग उस परिवार के साथ दुख मनाने आए थे। यीशु ने उनसे कहा, ‘मत रो, बच्ची बस सो रही है।’ फिर उसने लड़की का हाथ पकड़कर कहा, “बच्ची, उठ!” लड़की फौरन उठ गयी। यीशु ने उसके माता-पिता से कहा कि वे उसे कुछ खाने को दें। ज़रा सोचिए, उस बच्ची के माता-पिता कितने खुश हुए होंगे!
“परमेश्वर ने . . . पवित्र शक्ति से उसका अभिषेक किया और उसे ताकत दी और वह पूरे देश में भलाई करता रहा और शैतान के सताए हुओं को ठीक करता रहा, क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था।”—प्रेषितों 10:38
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यीशु ने 12 प्रेषितों को चुनाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 80
यीशु ने 12 प्रेषितों को चुना
करीब डेढ़ साल प्रचार करने के बाद, यीशु को एक ज़रूरी फैसला लेना था। उसे चुनना था कि कौन उसके साथ-साथ रहकर प्रचार करेंगे। उसे उन्हें यह सिखाना था कि वे कैसे मसीही मंडली में अगुवाई करें। यीशु चाहता था कि यह फैसला करने में यहोवा उसकी मदद करे। इसलिए वह अकेले एक पहाड़ पर गया और उसने सारी रात प्रार्थना की। सुबह होने पर उसने कुछ चेलों को अपने पास बुलाया और उनमें से 12 को प्रेषित चुना। आपको उनमें से किस-किसका नाम याद है? उनके नाम थे: पतरस, अन्द्रियास, याकूब, यूहन्ना, फिलिप्पुस, बरतुलमै, थोमा, मत्ती, याकूब जो हलफई का बेटा था, तद्दी, शमौन और यहूदा इस्करियोती।
अन्द्रियास, पतरस, फिलिप्पुस, याकूब
ये 12 प्रेषित यीशु के साथ-साथ सफर करते थे। यीशु ने उन्हें सिखाया कि उन्हें कैसे प्रचार करना है। इसके बाद उसने उन्हें खुद प्रचार करने भेजा। यहोवा ने प्रेषितों को शक्ति दी ताकि वे बीमारों को ठीक कर सकें और लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को निकाल सकें।
यूहन्ना, मत्ती, बरतुलमै, थोमा
यीशु 12 प्रेषितों को अपना दोस्त कहता था और उसे उन पर भरोसा था। फरीसी, प्रेषितों को अनपढ़ और मामूली आदमी समझते थे। मगर प्रेषितों को अपना काम कैसे करना चाहिए, यह शिक्षा उन्हें यीशु ने दी थी। वे यीशु की ज़िंदगी के सबसे अहम समय पर उसके साथ रहे, जैसे उसकी मौत से पहले और उसके ज़िंदा होने के बाद। यीशु की तरह 12 प्रेषितों में से ज़्यादातर जन गलील से थे। उनमें से कुछ शादीशुदा थे।
हलफई का बेटा याकूब, यहूदा इस्करियोती, तद्दी, शमौन
प्रेषित अपूर्ण थे यानी वे गलतियाँ करते थे। कभी-कभी वे बिना सोचे-समझे कुछ बोल देते और गलत फैसले लेते थे। कई बार वे अपना सब्र खो देते थे। यहाँ तक कि वे झगड़ा करते थे कि उनमें सबसे बड़ा कौन है। मगर वे अच्छे लोग थे और यहोवा से प्यार करते थे। यीशु के जाने के बाद उन्हीं से मसीही मंडली की शुरूआत हुई।
“मैंने तुम्हें अपना दोस्त कहा है क्योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना है वह सब तुम्हें बता दिया है।”—यूहन्ना 15:15
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पहाड़ पर उपदेशबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 81
पहाड़ पर उपदेश
यीशु 12 प्रेषितों को चुनने के बाद पहाड़ से उतरकर एक ऐसी जगह आया, जहाँ एक बड़ी भीड़ इकट्ठी थी। लोग गलील, यहूदिया, सोर, सीदोन, सीरिया और यरदन नदी के उस पार से आए थे। वे अपने साथ कई बीमारों को और ऐसे कुछ लोगों को ले आए जिन्हें दुष्ट स्वर्गदूत बहुत सताते थे। यीशु ने उन सबको ठीक किया। फिर वह पहाड़ के एक तरफ बैठ गया और उन्हें सिखाने लगा। उसने बताया कि परमेश्वर के दोस्त बनने के लिए हमें क्या करना चाहिए। हमें यह बात समझनी चाहिए कि हमें यहोवा की ज़रूरत है और हमें उससे प्यार करना सीखना चाहिए। मगर हम परमेश्वर से तभी प्यार कर पाएँगे जब हम दूसरे लोगों से प्यार करेंगे। हमें कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए बल्कि सबके साथ भलाई करनी चाहिए, यहाँ तक कि दुश्मनों के साथ भी।
यीशु ने कहा, ‘सिर्फ अपने दोस्तों से प्यार करना काफी नहीं है। तुम्हें अपने दुश्मनों से भी प्यार करना चाहिए और दूसरों को दिल से माफ करना चाहिए। अगर कोई तुमसे नाराज़ है तो तुम फौरन उसके पास जाओ और उससे माफी माँगो। दूसरों के साथ वैसा ही बरताव करो जैसा तुम चाहते हो कि वे तुम्हारे साथ करें।’
यीशु ने लोगों को पैसों और चीज़ों के बारे में भी अच्छी सलाह दी। उसने कहा, ‘यहोवा का दोस्त होना सबसे ज़रूरी है, न कि बहुत सारा पैसा होना। चोर तुम्हारा पैसा चुरा सकता है, मगर यहोवा के साथ तुम्हारी दोस्ती को कोई नहीं चुरा सकता। यह चिंता करना छोड़ दो कि तुम क्या खाओगे, क्या पीओगे या क्या पहनोगे। चिड़ियों को देखो। परमेश्वर उन्हें खाने के लिए हमेशा कुछ-न-कुछ देता है। चिंता करके तुम अपनी ज़िंदगी में एक दिन भी नहीं बढ़ा सकते। याद रखो, यहोवा जानता है कि तुम्हें किन चीज़ों की ज़रूरत है।’
लोगों ने इससे पहले कभी किसी को यीशु की तरह सिखाते नहीं सुना था। उनके धर्म गुरुओं ने उन्हें ये बातें नहीं सिखायी थीं। यीशु क्यों एक महान शिक्षक था? क्योंकि वह वही सिखाता था जो यहोवा ने उसे बताया था।
“मेरा जुआ उठाओ और मुझसे सीखो क्योंकि मैं कोमल स्वभाव का और दिल से दीन हूँ और तुम ताज़गी पाओगे।”—मत्ती 11:29
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यीशु ने प्रार्थना करना सिखायाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 82
यीशु ने प्रार्थना करना सिखाया
फरीसी हर काम दूसरों से तारीफ पाने के लिए करते थे। वे सिर्फ दिखाने के लिए लोगों की मदद करते थे। वे ऐसी जगहों पर खड़े होकर प्रार्थना करते थे जहाँ सभी उन्हें देख सकें। फरीसी लंबी-लंबी प्रार्थनाएँ रट लेते थे और उन्हें सभा-घरों और चौक पर दोहराते थे ताकि लोग उनकी प्रार्थनाएँ सुन सकें। इसलिए लोग दंग रह गए जब यीशु ने उनसे यह कहा, ‘फरीसियों की तरह प्रार्थना मत करो। वे सोचते हैं कि उनकी लंबी-लंबी प्रार्थनाओं से परमेश्वर खुश होगा। मगर परमेश्वर खुश नहीं होता। प्रार्थना तुम्हारे और यहोवा के बीच की बात है। और एक ही बात बार-बार मत कहो। यहोवा चाहता है कि तुम अपने दिल की बात उसे बताओ।
तुम्हें इस तरह प्रार्थना करनी चाहिए: “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र किया जाए। तेरा राज आए। तेरी मरज़ी जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे धरती पर भी पूरी हो।”’ यीशु ने उनसे यह भी कहा कि उन्हें हर दिन के खाने के लिए, पापों की माफी के लिए और अपनी ज़िंदगी की दूसरी बातों के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
यीशु ने कहा, ‘प्रार्थना करना कभी मत छोड़ो। अपने पिता यहोवा से अच्छी चीज़ें माँगते रहो। एक पिता यही चाहेगा कि वह अपने बच्चे को अच्छी चीज़ें दे। अगर तेरा बेटा रोटी माँगे तो क्या तू उसे पत्थर देगा? अगर वह मछली माँगे तो क्या तू उसे साँप देगा?’
फिर यीशु ने समझाया, ‘जब तुम अपने बच्चों को अच्छी चीज़ें देना जानते हो, तो क्या तुम्हारा पिता तुम्हें पवित्र शक्ति नहीं देगा? तुम्हें सिर्फ उससे माँगने की ज़रूरत है।’ क्या आप यीशु की यह बात मानते हैं? आप किन-किन बातों के बारे में प्रार्थना करते हैं?
“माँगते रहो तो तुम्हें दिया जाएगा, ढूँढ़ते रहो तो तुम पाओगे, खटखटाते रहो तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा।”—मत्ती 7:7
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यीशु ने हज़ारों लोगों को खाना खिलायाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 83
यीशु ने हज़ारों लोगों को खाना खिलाया
ईसवी सन् 32 के फसह से कुछ समय पहले, प्रेषित प्रचार करके लौटे। वे बहुत थक गए थे, इसलिए यीशु उन्हें नाव से बैतसैदा ले गया ताकि वे वहाँ आराम कर सकें। लेकिन जब नाव किनारे पहुँची तो यीशु ने देखा कि हज़ारों लोग उनके पीछे-पीछे वहाँ पहुँच गए हैं। हालाँकि यीशु अपने प्रेषितों के साथ अकेले में वक्त बिताना चाहता था, फिर भी वह लोगों से प्यार से मिला। उसने बीमारों को ठीक किया और सबको सिखाने लगा। यीशु ने पूरा दिन उन्हें परमेश्वर के राज के बारे में सिखाया। जब शाम हो गयी तो प्रेषितों ने उससे कहा, ‘लोगों को भूख लगी होगी। उन्हें भेज दे ताकि वे जाकर कुछ खा सकें।’
यीशु ने कहा, ‘उन्हें जाने की ज़रूरत नहीं। तुम उन्हें यहीं कुछ खाने को दो।’ प्रेषितों ने पूछा, ‘क्या तू चाहता है कि हम उनके लिए रोटी खरीदकर लाएँ?’ उनमें से एक प्रेषित फिलिप्पुस ने कहा, ‘अगर हमारे पास बहुत सारा पैसा होता तो भी हम इतनी रोटियाँ नहीं खरीद सकते कि इस भीड़ को खिला सकें।’
यीशु ने कहा, ‘हमारे पास कितना खाना है?’ अन्द्रियास ने कहा, ‘हमारे पास पाँच रोटियाँ और दो छोटी मछलियाँ हैं। यह तो कुछ भी नहीं है।’ यीशु ने कहा, ‘वे रोटियाँ और मछलियाँ मेरे पास लाओ।’ उसने लोगों से कहा कि वे 50-50 और 100-100 के समूहों में घास पर बैठ जाएँ। यीशु ने रोटियाँ और मछलियाँ लीं और स्वर्ग की तरफ देखकर प्रार्थना की। फिर उसने खाना प्रेषितों को दिया और उन्होंने लोगों में उसे बाँटा। वहाँ 5,000 आदमी और बहुत-सी औरतें और बच्चे थे, सबने भरपेट खाया। इसके बाद प्रेषितों ने बचा हुआ खाना इकट्ठा किया ताकि कुछ भी फेंका न जाए। बचे हुए खाने से 12 टोकरियाँ भर गयीं! है न यह हैरान कर देनेवाला चमत्कार?
लोग इतने खुश हुए कि वे यीशु को अपना राजा बनाना चाहते थे। मगर यीशु जानता था कि यहोवा अभी उसे राजा नहीं बनाना चाहता। इसलिए उसने भीड़ को भेज दिया और अपने प्रेषितों से कहा कि वे गलील झील के उस पार चले जाएँ। चेले अपनी नाव पर चढ़ गए और यीशु अकेले पहाड़ पर चला गया। क्यों? क्योंकि वह अपने पिता से प्रार्थना करना चाहता था। यीशु के पास चाहे कितना भी काम क्यों न हो, वह प्रार्थना करने के लिए हमेशा समय निकालता था।
“उस खाने के लिए काम मत करो जो नष्ट हो जाता है, बल्कि उस खाने के लिए काम करो जो नष्ट नहीं होता और हमेशा की ज़िंदगी देता है, वही खाना जो तुम्हें इंसान का बेटा देगा।”—यूहन्ना 6:27
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यीशु पानी पर चलाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 84
यीशु पानी पर चला
यीशु न सिर्फ बीमारों को ठीक कर सकता था और मरे हुओं को ज़िंदा कर सकता था बल्कि आँधी और बारिश को भी रोक सकता था। एक बार पहाड़ पर प्रार्थना करने के बाद उसने देखा कि नीचे गलील झील में तूफान उठा है। उसके प्रेषित अपनी नाव पर थे और उन्हें नाव चलाने में बहुत मुश्किल हो रही थी। यीशु नीचे गया और पानी पर चलकर उनकी नाव की तरफ जाने लगा। जब प्रेषितों ने देखा कि कोई पानी पर चल रहा है तो वे डर गए। मगर यीशु ने उनसे कहा, ‘डरो मत, मैं ही हूँ।’
पतरस ने कहा, ‘प्रभु, अगर तू है तो मुझे आज्ञा दे कि मैं तेरे पास चलकर आऊँ।’ यीशु ने पतरस से कहा, ‘मेरे पास आ।’ तब पतरस उस तूफान में नाव से उतरा और पानी पर चलता हुआ यीशु के पास जाने लगा। मगर जैसे ही वह यीशु के नज़दीक पहुँचा उसने तूफान को देखा। वह डर गया और डूबने लगा। पतरस चिल्लाने लगा, “प्रभु, मुझे बचा!” यीशु ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा, ‘तूने शक क्यों किया? कहाँ गया तेरा विश्वास?’
यीशु और पतरस नाव पर चढ़ गए और फौरन तूफान रुक गया। क्या आप सोच सकते हैं, यह सब देखकर प्रेषितों को कैसा लगा होगा? उन्होंने कहा, “तू वाकई परमेश्वर का बेटा है।”
यीशु ने एक और बार तूफान को शांत किया था। जब वह और प्रेषित नाव से झील के उस पार जा रहे थे तो वह नाव के पिछले हिस्से में सो गया। फिर एक ज़ोरदार आँधी चली। लहरें ज़ोर से नाव से टकराने लगीं और नाव में पानी भर गया। प्रेषितों ने यीशु को जगाया और वे चिल्लाने लगे, ‘गुरु, हमारी मदद कर वरना हम मर जाएँगे!’ यीशु ने उठकर झील से कहा, ‘खामोश हो जा!’ आँधी और झील फौरन शांत हो गए। यीशु ने प्रेषितों से पूछा, “कहाँ गया तुम्हारा विश्वास?” वे एक-दूसरे से कहने लगे, “आँधी और समुंदर तक उसका हुक्म मानते हैं।” प्रेषितों ने सीखा कि अगर वे यीशु पर पूरा भरोसा रखें तो उन्हें किसी भी बात से डरने की ज़रूरत नहीं।
“अगर मुझे विश्वास न होता कि यहोवा मेरे जीते-जी भलाई करेगा, तो न जाने मेरा क्या होता!”—भजन 27:13
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सब्त के दिन यीशु का चमत्कारबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 85
सब्त के दिन यीशु का चमत्कार
फरीसी, यीशु से नफरत करते थे और उसे गिरफ्तार करने के लिए कोई वजह ढूँढ़ रहे थे। उन्होंने कहा कि उसे सब्त के दिन बीमारों को ठीक नहीं करना चाहिए। एक बार, सब्त के दिन यीशु ने देखा कि सड़क पर एक अंधा आदमी भीख माँग रहा है। उसने अपने चेलों से कहा, ‘अब तुम देखना, परमेश्वर की शक्ति से कैसे इस आदमी को मदद मिलती है।’ यीशु ने अपनी थूक से मिट्टी मिलाकर लेप बनाया और उस अंधे आदमी की आँखों पर लगाया। यीशु ने उससे कहा, “जाकर सिलोम के कुंड में धो ले।” जब उस आदमी ने ऐसा किया तो उसे ज़िंदगी में पहली बार दिखायी देने लगा।
उस आदमी को देखकर लोग हैरान रह गए। वे कहने लगे, ‘क्या यह वही आदमी है जो पहले बैठकर भीख माँगता था या यह आदमी उसके जैसा दिखता है?’ उस आदमी ने उनसे कहा, ‘मैं वही आदमी हूँ जो जन्म से अंधा था!’ लोगों ने उससे पूछा, ‘तुझे अब कैसे दिखायी दे रहा है?’ जब उसने बताया कि वह कैसे ठीक हुआ तो वे उसे फरीसियों के पास ले गए।
उस आदमी ने फरीसियों को बताया, ‘यीशु ने मेरी आँखों पर लेप लगाया और मुझसे कहा कि मैं जाकर अपनी आँखें धो लूँ। जब मैंने ऐसा किया तो मुझे दिखायी देने लगा।’ फरीसियों ने कहा, ‘अगर यीशु सब्त के दिन बीमारों को ठीक करता है तो इसका मतलब है कि उसे परमेश्वर ने शक्ति नहीं दी है।’ मगर दूसरों ने कहा, ‘अगर उसे परमेश्वर ने शक्ति नहीं दी है तो वह किसी को ठीक नहीं कर सकता।’
फरीसियों ने उस आदमी के माता-पिता को बुलाया और उनसे पूछा, ‘तुम्हारा बेटा अब कैसे देख पा रहा है?’ उसके माता-पिता डरे हुए थे क्योंकि फरीसियों ने कहा था कि जो कोई यीशु पर विश्वास करेगा उसे सभा-घर से निकाल दिया जाएगा। इसलिए उन्होंने कहा, ‘हम नहीं जानते। उसी से पूछो।’ इसके बाद फरीसियों ने उस आदमी से और भी सवाल किए। आखिर में उस आदमी ने कहा, ‘मुझे जितना पता था वह सब मैंने बता दिया है। फिर तुम क्यों सवाल किए जा रहे हो?’ फरीसियों को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया।
यीशु उस आदमी से मिलने गया और उससे पूछा, ‘क्या तू मसीहा पर विश्वास करता है?’ उस आदमी ने कहा, ‘अगर मुझे पता होता कि वह कौन है तो मैं ज़रूर उस पर विश्वास करता।’ यीशु ने उससे कहा, ‘मैं ही मसीहा हूँ।’ देखा आपने, यीशु ने कैसे उस आदमी की मदद की? उसने न सिर्फ उसकी आँखें ठीक कीं बल्कि उसे विश्वास करने में भी मदद दी।
“तुम बड़ी गलतफहमी में हो क्योंकि तुम न तो शास्त्र को जानते हो, न ही परमेश्वर की शक्ति को।”—मत्ती 22:29
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यीशु ने लाज़र को ज़िंदा कियाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 86
यीशु ने लाज़र को ज़िंदा किया
बैतनियाह नाम के गाँव में यीशु के तीन करीबी दोस्त रहते थे। वे थे लाज़र और उसकी दो बहनें, मरियम और मारथा। एक दिन जब यीशु यरदन के उस पार था तो मरियम और मारथा ने उसे एक ज़रूरी खबर भेजी: ‘लाज़र बहुत बीमार है। तू जल्दी आ जा!’ मगर यीशु फौरन नहीं गया। वह दो दिन वहीं रुका रहा और फिर उसने अपने चेलों से कहा, ‘चलो, हम बैतनियाह चलें। लाज़र सो रहा है और मैं उसे जगाने जा रहा हूँ।’ प्रेषितों ने कहा, ‘अगर लाज़र सो रहा है तो वह ठीक हो जाएगा।’ तब यीशु ने उन्हें साफ-साफ बताया, “लाज़र मर चुका है।”
जब यीशु बैतनियाह पहुँचा तब तक लाज़र को दफनाए चार दिन हो चुके थे। बहुत सारे लोग मारथा और मरियम को दिलासा देने आए थे। जब मारथा ने सुना कि यीशु आया है तो वह फौरन उससे मिलने गयी। उसने यीशु से कहा, “प्रभु, अगर तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।” यीशु ने उससे कहा, ‘तेरा भाई ज़िंदा हो जाएगा। मारथा, क्या तू इस बात पर यकीन करती है?’ मारथा ने कहा, ‘मुझे यकीन है कि जब मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा तब वह ज़िंदा हो जाएगा।’ यीशु ने उससे कहा, “मरे हुओं को ज़िंदा करनेवाला और उन्हें जीवन देनेवाला मैं ही हूँ।”
फिर मारथा ने जाकर मरियम को बताया, ‘यीशु आया है।’ मरियम भागकर यीशु के पास गयी और उसके पीछे-पीछे लोगों की भीड़ भी गयी। मरियम यीशु के पैरों पर गिर पड़ी और रोती रही। उसने कहा, ‘प्रभु, अगर तू यहाँ होता तो आज हमारा भाई ज़िंदा होता!’ यीशु देख सकता था कि वह कितनी दुखी है और वह भी रो पड़ा। जब लोगों ने यीशु को रोते देखा तो उन्होंने कहा, ‘देखो, यीशु लाज़र से कितना प्यार करता था!’ मगर कुछ ने कहा, ‘उसने अपने दोस्त की जान क्यों नहीं बचायी?’ इसके बाद यीशु ने क्या किया?
यीशु कब्र के पास गया जिसके मुँह पर एक बड़ा-सा पत्थर रखा हुआ था। उसने हुक्म दिया, “पत्थर को हटाओ।” मगर मारथा ने कहा, ‘अब तक तो उसकी लाश में से बदबू आती होगी, क्योंकि चार दिन हो चुके हैं।’ फिर भी उन्होंने पत्थर हटा दिया और यीशु ने प्रार्थना की, ‘पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तूने मेरी सुनी है। मैं जानता हूँ कि तू हमेशा मेरी सुनता है, फिर भी मैं इसलिए सबके सामने यह कह रहा हूँ ताकि ये लोग जान लें कि तूने मुझे भेजा है।’ फिर उसने ज़ोर से पुकारा, “लाज़र, बाहर आ जा!” फिर हैरान कर देनेवाली एक घटना घटी: लाज़र कब्र में से बाहर आ गया। वह अब भी मलमल के कपड़ों में लिपटा हुआ था। यीशु ने कहा, “इसे खोल दो और जाने दो।”
बहुत-से लोगों ने यह देखकर यीशु पर विश्वास किया। मगर कुछ लोगों ने जाकर फरीसियों को बताया कि यीशु ने क्या किया। तब से फरीसी लाज़र और यीशु, दोनों को मार डालने की कोशिश करने लगे। बारह प्रेषितों में से एक प्रेषित, यहूदा इस्करियोती ने चुपके से फरीसियों के पास जाकर पूछा, ‘अगर मैं यीशु को पकड़ने में तुम्हारी मदद करूँ तो तुम मुझे कितने पैसे दोगे?’ उन्होंने कहा कि वे उसे चाँदी के 30 सिक्के देंगे। तब से यहूदा यीशु को फरीसियों के हाथ पकड़वाने के लिए मौका ढूँढ़ने लगा।
“सच्चा परमेश्वर हमें बचानेवाला परमेश्वर है, सारे जहान का मालिक यहोवा मौत से बचाता है।”—भजन 68:20
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यीशु का आखिरी भोजबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 87
यीशु का आखिरी भोज
यहूदी हर साल नीसान महीने के 14वें दिन फसह मनाते थे। उन्हें यह त्योहार इसलिए मनाना था ताकि उन्हें याद रहे कि यहोवा ने कैसे उन्हें मिस्र की गुलामी से छुड़ाया था और वादा किए गए देश में लाया था। ईसवी सन् 33 में यीशु और उसके प्रेषितों ने यरूशलेम के ऊपरी कमरे में फसह मनाया। जब उनका खाना खत्म होनेवाला था तो यीशु ने कहा, ‘तुममें से एक मेरे साथ विश्वासघात करेगा।’ यह सुनकर प्रेषित चौंक गए। वे यीशु से पूछने लगे, ‘वह कौन है?’ यीशु ने कहा, ‘जिसे मैं रोटी का यह टुकड़ा दूँगा, वही है।’ फिर उसने रोटी का टुकड़ा यहूदा इस्करियोती को दिया। इसके बाद यहूदा फौरन उठा और कमरे से चला गया।
फिर यीशु ने एक प्रार्थना की, एक रोटी के टुकड़े किए और अपने बचे हुए प्रेषितों को दिया। उसने उनसे कहा, ‘लो खाओ, यह मेरे शरीर की निशानी है जो मैं तुम्हारे लिए दे दूँगा।’ फिर उसने दाख-मदिरा के लिए प्रार्थना की और अपने प्रेषितों को दिया। उसने कहा, ‘यह दाख-मदिरा पीओ। यह मेरे खून की निशानी है, जो मैं इसलिए दूँगा ताकि लोगों को उनके पापों की माफी मिल सके। मैं तुमसे वादा करता हूँ कि तुम स्वर्ग में मेरे साथ राजा होगे। तुम मुझे याद करने के लिए हर साल ऐसा ही किया करना।’ आज भी हर साल उसी शाम यीशु के चेले साथ इकट्ठा होते हैं। उस सभा को ‘प्रभु का संध्या भोज’ कहा जाता है।
खाने के बाद प्रेषित आपस में झगड़ने लगे कि उनमें सबसे बड़ा कौन है। तब यीशु ने उन्हें समझाया, ‘तुममें सबसे बड़ा वह है जो खुद को सबसे छोटा समझता है यानी जो खुद को कुछ नहीं समझता।
तुम मेरे दोस्त हो। मैं तुम्हें वह सारी बातें बताता हूँ जो पिता चाहता है कि मैं तुम्हें बताऊँ। जल्द ही मैं अपने पिता के पास स्वर्ग चला जाऊँगा। तुम यहीं रहोगे और जब तुम एक-दूसरे से प्यार करोगे तो लोग जान जाएँगे कि तुम मेरे चेले हो। तुम एक-दूसरे से वैसे ही प्यार करो जैसे मैंने तुमसे प्यार किया है।’
आखिर में यीशु ने यहोवा से प्रार्थना की कि वह उसके सभी चेलों की रक्षा करे। उसने यहोवा से कहा कि वह उनकी मदद करे ताकि वे मिल-जुलकर काम कर सकें। उसने प्रार्थना की कि यहोवा का नाम पवित्र किया जाए। इसके बाद यीशु और उसके प्रेषितों ने यहोवा की तारीफ में गीत गाए और फिर बाहर चले गए। अब यीशु के गिरफ्तार होने का समय आ चुका था।
“हे छोटे झुंड, मत डर, क्योंकि तुम्हारे पिता ने तुम्हें राज देना मंज़ूर किया है।”—लूका 12:32
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यीशु गिरफ्तार किया गयाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 88
यीशु गिरफ्तार किया गया
यीशु और उसके प्रेषित किदरोन घाटी से होते हुए जैतून पहाड़ पर गए। आधी रात बीत चुकी थी और पूरा चाँद खिला था। जब वे गतसमनी के बाग में पहुँचे तो यीशु ने प्रेषितों से कहा, “तुम यहीं ठहरो और जागते रहो।” फिर यीशु थोड़ा आगे गया और घुटनों के बल गिरा। वह बहुत दुखी था और उसने यहोवा से प्रार्थना की, “तेरी मरज़ी पूरी हो।” यहोवा ने यीशु को हिम्मत देने के लिए एक स्वर्गदूत भेजा। जब यीशु वापस प्रेषितों के पास गया तो उसने देखा कि वे सो रहे हैं। उसने कहा, ‘उठो! यह सोने का वक्त नहीं है। वह समय आ गया है कि मुझे दुश्मनों के हाथ सौंप दिया जाए।’
कुछ ही समय में यहूदा वहाँ पहुँच गया और वह अपने साथ एक बड़ी भीड़ को लाया था। भीड़ के लोगों के पास तलवारें और लाठियाँ थीं। यहूदा जानता था कि उसे यीशु कहाँ मिलेगा क्योंकि वे अकसर उस बाग में जाते थे। यहूदा ने सैनिकों को बताया कि वह उन्हें यीशु को पहचानने में मदद देगा। वह सीधे यीशु के पास गया और उसने उससे कहा, ‘नमस्कार गुरु’ और फिर उसने यीशु को चूमा। यीशु ने कहा, ‘यहूदा, क्या तू मुझे चूमकर पकड़वा रहा है?’
यीशु ने आगे आकर भीड़ से पूछा, “तुम किसे ढूँढ़ रहे हो?” उन्होंने कहा, “यीशु नासरी को।” यीशु ने कहा, “मैं वही हूँ।” तब वे आदमी पीछे हट गए और ज़मीन पर गिर पड़े। यीशु ने दोबारा भीड़ से पूछा, “तुम किसे ढूँढ़ रहे हो?” उन्होंने फिर से कहा, “यीशु नासरी को।” यीशु ने कहा, ‘मैंने तुम्हें बताया है कि मैं वही हूँ। इन आदमियों को जाने दो।’
जब पतरस समझ गया कि क्या हो रहा है, तो उसने एक तलवार निकाली और महायाजक के एक दास मलखुस का एक कान काट दिया। मगर यीशु ने उस आदमी का कान छूकर ठीक कर दिया। यीशु ने पतरस से कहा, ‘तलवार वापस रख। अगर तू तलवार से लड़ेगा तो तलवार से मार डाला जाएगा।’ तब सैनिकों ने यीशु को पकड़ लिया और उसके हाथ बाँध दिए। सभी प्रेषित भाग गए। फिर वह भीड़ यीशु को प्रधान याजक हन्ना के पास ले गयी। हन्ना ने यीशु से कई सवाल पूछे और फिर उसे महायाजक कैफा के घर भेज दिया। मगर प्रेषितों का क्या हुआ?
“दुनिया में तुम्हें तकलीफें झेलनी पड़ेंगी, मगर हिम्मत रखो! मैंने इस दुनिया पर जीत हासिल कर ली है।”—यूहन्ना 16:33
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पतरस ने यीशु को जानने से इनकार कर दियाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 89
पतरस ने यीशु को जानने से इनकार कर दिया
जब यीशु अपने प्रेषितों के साथ ऊपरी कमरे में था तो यीशु ने उनसे कहा था, ‘आज रात तुम सब मुझे अकेला छोड़कर भाग जाओगे।’ पतरस ने कहा था, ‘नहीं, मैं ऐसा नहीं करूँगा! चाहे सब लोग तुझे छोड़कर चले जाएँ, मगर मैं तुझे छोड़कर कभी नहीं जाऊँगा।’ मगर यीशु ने पतरस से कहा, ‘मुर्गे के बाँग देने से पहले तू तीन बार कहेगा कि तू मुझे नहीं जानता।’
जब सैनिक, यीशु को कैफा के घर ले गए तो ज़्यादातर प्रेषित भाग गए थे। मगर दो प्रेषित कुछ दूरी पर रहकर उनके पीछे-पीछे गए। उनमें से एक पतरस था। वह कैफा के घर के आँगन में गया और आग तापने लगा। आग की रौशनी में एक दासी ने पतरस का चेहरा देखा और कहा, ‘मैं तुझे जानती हूँ! तू यीशु के साथ था!’
पतरस ने कहा, ‘नहीं, मैं नहीं था! मैं नहीं जानता तू क्या कह रही है!’ वह फाटक के पास चला गया। मगर तभी एक और दासी ने उसे देख लिया और भीड़ से कहा, ‘यह आदमी यीशु के साथ था!’ पतरस ने कहा, ‘मैं यीशु को जानता तक नहीं!’ एक आदमी ने कहा, ‘तू उनमें से एक है! तेरी बोली से साफ पता चलता है कि तू भी यीशु की तरह गलील से है।’ मगर पतरस कसम खाकर कहने लगा, ‘मैं उसे नहीं जानता!’
उसी घड़ी एक मुर्गे ने बाँग दी। तब पतरस ने देखा कि यीशु मुड़कर उसे देख रहा है। उसे यीशु की बात याद आयी और वह बाहर जाकर फूट-फूटकर रोने लगा।
इस बीच कैफा के घर में महासभा यानी बड़ी अदालत के सभी लोग इकट्ठा हुए ताकि यीशु पर मुकदमा चला सकें। वे पहले से फैसला कर चुके थे कि वे यीशु को मार डालेंगे। अब वे सिर्फ उसे मार डालने की एक वजह ढूँढ़ रहे थे। मगर उन्हें कोई वजह नहीं मिली। आखिर में कैफा ने यीशु से सीधे पूछा, ‘क्या तू परमेश्वर का बेटा है?’ यीशु ने कहा, ‘हाँ, मैं हूँ।’ कैफा ने कहा, ‘हमें और सबूतों की ज़रूरत नहीं है। इसने परमेश्वर का अपमान किया है!’ अदालत में सबने कहा, ‘इस आदमी को मार डाला जाए।’ उन्होंने यीशु को थप्पड़ मारे, उस पर थूका, उसका मुँह ढककर उसे घूँसे मारे और कहा, ‘अगर तू एक भविष्यवक्ता है तो बता किसने तुझे मारा!’
जब सुबह हुई तो वे यीशु को महासभा के भवन में ले गए और उससे दोबारा पूछा, “क्या तू परमेश्वर का बेटा है?” यीशु ने जवाब दिया, “तुम खुद कह रहे हो कि मैं हूँ।” उन्होंने कहा कि उसने परमेश्वर का अपमान करने का पाप किया है। वे उसे रोमी राज्यपाल, पुन्तियुस पीलातुस के महल में ले गए। इसके बाद क्या हुआ? आइए देखें।
“वह घड़ी . . . आ चुकी है, जब तुम सब तितर-बितर हो जाओगे और अपने-अपने घर चले जाओगे और मुझे अकेला छोड़ दोगे। फिर भी मैं अकेला नहीं हूँ क्योंकि पिता मेरे साथ है।”—यूहन्ना 16:32
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गुलगुता में यीशु की मौतबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 90
गुलगुता में यीशु की मौत
प्रधान याजक, यीशु को राज्यपाल के महल में ले गए। पीलातुस ने उनसे पूछा, “तुम इस आदमी को किस इलज़ाम में मेरे पास लाए हो?” उन्होंने कहा, ‘यह कहता है कि यह राजा है!’ पीलातुस ने यीशु से पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” यीशु ने कहा, “मेरा राज इस दुनिया का नहीं है।”
तब पीलातुस ने यीशु को गलील के राजा हेरोदेस के पास भेजा ताकि वह देख सके कि क्या उसे यीशु में कुछ दोष मिलता है। हेरोदेस को यीशु में कोई दोष नहीं मिला, इसलिए उसने यीशु को वापस पीलातुस के पास भेज दिया। तब पीलातुस ने लोगों से कहा, ‘न हेरोदेस को और न ही मुझे इस आदमी में कोई दोष मिला है। इसलिए मैं इसे छोड़ दूँगा।’ मगर भीड़ चिल्लाने लगी, ‘इसे मार डालो! मार डालो!’ सैनिकों ने यीशु को कोड़े लगाए, उस पर थूका और उसे मारा। उन्होंने उसके सिर पर काँटों का एक ताज रखा और उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा, “हे यहूदियों के राजा, सलाम!” पीलातुस ने दोबारा भीड़ से कहा, ‘मुझे इस आदमी में कोई दोष नहीं मिला है।’ मगर वे चिल्लाने लगे, “इसे काठ पर लटका दे!” पीलातुस ने उसे मार डालने के लिए सैनिकों के हवाले कर दिया।
सैनिक उसे गुलगुता नाम की जगह ले गए, उसे एक काठ पर ठोंक दिया और काठ को सीधा खड़ा किया। तब यीशु ने प्रार्थना की, “पिता, इन्हें माफ कर दे क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।” लोगों ने यह कहकर यीशु का मज़ाक उड़ाया, ‘अगर तू परमेश्वर का बेटा है तो काठ से नीचे उतर आ! खुद को बचा ले!’
यीशु के दोनों तरफ एक-एक अपराधी को लटकाया गया था। उनमें से एक ने यीशु से कहा, “जब तू अपने राज में आए तो मुझे याद करना।” यीशु ने उससे वादा किया, “तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।” दोपहर को पूरे देश में अंधकार छा गया और तीन घंटों तक छाया रहा। कुछ चेले काठ के पास खड़े थे। यीशु की माँ मरियम भी खड़ी थी। यीशु ने यूहन्ना से कहा कि वह मरियम को अपनी माँ समझकर उसकी देखभाल करे।
आखिर में यीशु ने कहा, “पूरा हुआ!” उसने सिर झुकाकर दम तोड़ दिया। तभी एक बड़ा भूकंप हुआ। मंदिर के पवित्र भाग और परम-पवित्र भाग के बीच में जो बड़ा परदा था वह फटकर दो टुकड़े हो गया। एक सेना-अफसर ने कहा, “वाकई यह परमेश्वर का बेटा था।”
“परमेश्वर के चाहे कितने ही वादे हों, वे सब उसी के ज़रिए ‘हाँ’ हुए हैं।”—2 कुरिंथियों 1:20
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यीशु को ज़िंदा किया गयाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 91
यीशु को ज़िंदा किया गया
यीशु की मौत के बाद, यूसुफ नाम के एक अमीर आदमी ने पीलातुस से पूछा कि क्या वह यीशु की लाश काठ से उतारकर ले जा सकता है। यूसुफ ने लाश को मसालों के साथ बढ़िया मलमल में लपेटा और एक नयी कब्र में रखा। उसने कब्र के द्वार पर एक बड़ा पत्थर लुढ़काकर रख दिया। प्रधान याजकों ने पीलातुस से कहा, ‘हमें डर है कि यीशु के कुछ चेले आकर उसकी लाश ले जाएँगे और कहेंगे कि वह ज़िंदा हो गया है।’ तब पीलातुस ने उनसे कहा, ‘कब्र को अच्छी तरह बंद कर दो और पहरेदारों को खड़ा कर दो।’
तीन दिन बाद, सुबह-सुबह कुछ औरतें कब्र के पास गयीं। उन्होंने देखा कि कब्र से पत्थर हटा दिया गया है। कब्र के अंदर एक स्वर्गदूत था जिसने औरतों से कहा, ‘डरो मत। यीशु को ज़िंदा कर दिया गया है। जाओ जाकर उसके चेलों को बताओ कि वे उससे मिलने गलील जाएँ।’
मरियम मगदलीनी, पतरस और यूहन्ना को ढूँढ़ने फौरन निकल पड़ी। उसने उनसे कहा, ‘कोई यीशु की लाश उठाकर ले गया है!’ पतरस और यूहन्ना भागकर कब्र के पास गए। जब उन्होंने देखा कि कब्र खाली है तो वे अपने घर लौट गए।
जब मरियम कब्र लौटी तो उसने देखा कि उसके अंदर दो स्वर्गदूत हैं। उसने उनसे कहा, ‘मैं नहीं जानती कि वे मेरे प्रभु को कहाँ ले गए।’ फिर उसने एक आदमी को देखा और सोचा कि वह माली है। उसने उस आदमी से कहा, ‘भाई, मुझे बता तू उसे कहाँ ले गया।’ मगर जब उस आदमी ने उसे “मरियम!” कहकर पुकारा तो वह पहचान गयी कि वह आदमी यीशु है। वह चिल्ला उठी, “गुरु!” और वह यीशु को पकड़े रही। यीशु ने उससे कहा, ‘जाकर मेरे भाइयों को बता कि तूने मुझे देखा है।’ मरियम भागकर चेलों के पास गयी और उसने उन्हें बताया कि उसने यीशु को देखा है।
उसी दिन बाद में दो चेले यरूशलेम से इम्माऊस जा रहे थे। रास्ते में एक आदमी उनके साथ-साथ चलने लगा और उसने उनसे पूछा कि वे किस बारे में बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘क्या तूने नहीं सुना? तीन दिन पहले प्रधान याजकों ने यीशु को मार डाला था। अब कुछ औरतें कह रही हैं कि वह ज़िंदा है!’ उस आदमी ने पूछा, ‘क्या तुम्हें भविष्यवक्ताओं की बात पर यकीन नहीं है? उन्होंने कहा था कि मसीह मर जाएगा और फिर उसे ज़िंदा किया जाएगा।’ वह उन्हें शास्त्र में लिखी बातें समझाता रहा। जब वे इम्माऊस पहुँचे तो चेलों ने उससे कहा कि वह उनके साथ आए। शाम के खाने के वक्त जब उसने रोटी के लिए प्रार्थना की तब उन्होंने पहचान लिया कि वह यीशु है। फिर यीशु गायब हो गया।
दोनों चेले फौरन यरूशलेम में उस घर में गए जहाँ प्रेषित इकट्ठा थे और जो-जो हुआ वह सब उन्हें बताया। जब वे घर के अंदर थे तो यीशु उन सबको दिखायी दिया। पहले तो प्रेषितों को यकीन नहीं हुआ कि वह यीशु है। तब यीशु ने उनसे कहा, ‘मेरे हाथ देखो और मुझे छूओ। शास्त्र में लिखा है कि मसीह को मरे हुओं में से ज़िंदा किया जाएगा।’
“मैं ही वह राह, सच्चाई और जीवन हूँ। कोई भी पिता के पास नहीं आ सकता, सिवा उसके जो मेरे ज़रिए आता है।”—यूहन्ना 14:6
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यीशु मछुवारों को दिखायी दियाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 92
यीशु मछुवारों को दिखायी दिया
जब यीशु प्रेषितों को दिखायी दिया तो उसके कुछ समय बाद, पतरस ने फैसला किया कि वह गलील झील में मछली पकड़ने जाएगा। थोमा, याकूब, यूहन्ना और दूसरे कुछ चेले भी उसके साथ गए। उन्होंने पूरी रात मछलियाँ पकड़ने की कोशिश की, मगर उन्हें एक भी मछली नहीं मिली।
अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने देखा कि झील किनारे एक आदमी खड़ा है। उस आदमी ने चिल्लाकर उनसे पूछा, ‘क्या तुम्हें मछलियाँ मिलीं?’ उन्होंने कहा, “नहीं!” आदमी ने कहा, “नाव के दायीं तरफ जाल डालो।” जब उन्होंने ऐसा किया तो जाल इतनी सारी मछलियों से भर गया कि वे उसे खींच नहीं पा रहे थे। तब अचानक यूहन्ना को एहसास हुआ कि वह आदमी यीशु है। उसने कहा, “यह तो प्रभु है!” यह सुनते ही पतरस पानी में कूद गया और तैरकर किनारे गया। बाकी चेले भी नाव से किनारे गए।
जब वे किनारे पहुँचे तो उन्होंने देखा कि आग पर रोटी और मछलियाँ पक रही हैं। यीशु ने उनसे कहा कि वे भी खाने के लिए अपनी कुछ मछलियाँ ले आएँ। फिर उसने कहा, “आओ, नाश्ता कर लो।”
नाश्ते के बाद यीशु ने पतरस से पूछा, ‘क्या तू मछली पकड़ने के काम से ज़्यादा मुझसे प्यार करता है?’ पतरस ने कहा, ‘हाँ प्रभु, तू जानता है कि मैं तुझसे ज़्यादा प्यार करता हूँ।’ यीशु ने कहा, “मेरे मेम्नों को खिला।” यीशु ने फिर पूछा, ‘पतरस, क्या तू मुझसे प्यार करता है?’ पतरस ने कहा, ‘प्रभु, तू जानता है कि मैं तुझसे प्यार करता हूँ।’ यीशु ने कहा, “चरवाहे की तरह मेरी छोटी भेड़ों की देखभाल कर।” यीशु ने तीसरी बार वही सवाल पूछा। तब पतरस दुखी हो गया और उसने कहा, ‘प्रभु, तू सबकुछ जानता है। तू जानता है कि मैं तुझसे प्यार करता हूँ।’ यीशु ने कहा, “मेरी छोटी भेड़ों को खिला।” फिर उसने पतरस से कहा, “मेरे पीछे चलता रह।”
“[यीशु ने] उनसे कहा, ‘मेरे पीछे हो लो और जिस तरह तुम मछलियाँ पकड़ते हो, मैं तुम्हें इंसानों को पकड़नेवाले बनाऊँगा।’ वे फौरन अपने जाल छोड़कर उसके पीछे चल दिए।”—मत्ती 4:19, 20
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यीशु स्वर्ग लौट गयाबाइबल से सीखें अनमोल सबक
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पाठ 93
यीशु स्वर्ग लौट गया
यीशु गलील में अपने चेलों से मिला। उसने उन्हें एक आज्ञा दी जिसे मानना बहुत ज़रूरी था। उसने कहा, ‘जाओ और सब देशों के लोगों को चेला बनाओ। उन्हें वह सब बातें सिखाओ जो मैंने तुम्हें सिखायी हैं और उन्हें बपतिस्मा दो।’ फिर यीशु ने उनसे वादा किया, ‘याद रखना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।’
यीशु ज़िंदा होने के बाद 40 दिन तक गलील और यरूशलेम में सैकड़ों चेलों को दिखायी देता रहा। उसने उन्हें ज़रूरी बातें सिखायीं और बहुत-से चमत्कार किए। फिर वह आखिरी बार अपने प्रेषितों से जैतून पहाड़ पर मिला। उसने उनसे कहा, ‘तुम यरूशलेम छोड़कर मत जाना। पिता ने जो वादा किया है उसके पूरा होने तक इंतज़ार करना।’
प्रेषित उसकी बात समझ नहीं पाए। उन्होंने उससे पूछा, ‘क्या तू अभी इसराएल का राजा बननेवाला है?’ यीशु ने कहा, ‘अब तक यहोवा का समय नहीं आया है कि मैं राजा बनूँ। जल्द ही जब तुम पर पवित्र शक्ति आएगी तो तुम ताकत पाओगे और मेरे बारे में गवाही दोगे। तुम यरूशलेम, यहूदिया और सामरिया और दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में प्रचार करना।’
इसके बाद यीशु को आकाश में उठा लिया गया और एक बादल ने उसे ढाँप दिया। चेले ऊपर की तरफ ताकते रहे, मगर वह चला गया था।
चेले जैतून पहाड़ से यरूशलेम चले गए। वे लगातार एक ऊपरी कमरे में इकट्ठा होते और प्रार्थना करते थे। वे इंतज़ार कर रहे थे कि यीशु उन्हें बताएगा कि आगे क्या करना है।
“राज की इस खुशखबरी का सारे जगत में प्रचार किया जाएगा ताकि सब राष्ट्रों को गवाही दी जाए और इसके बाद अंत आ जाएगा।”—मत्ती 24:14
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