जीएँ मसीहियों की तरह
उपासना की जगह बनाने और उनका रख-रखाव करने का सम्मान
यहोवा का मंदिर बनाने में बहुत मेहनत लगी और काफी खर्च हुआ। लेकिन इसराएलियों ने जोश से इस काम को पूरा किया। (1इत 29:2-9; 2इत 6:7, 8) मंदिर के निर्माण के बाद कुछ इसराएलियों ने जिस तरह उसका रख-रखाव किया, उससे पता चलता है कि वे यहोवा की उपासना के लिए जोशीले थे या नहीं। इससे यह पता चलता है कि उनमें यहोवा की उपासना के लिए जोश था। (2रा 22:3-6; 2इत 28:24; 29:3) आज मसीही राज-घरों और सम्मेलन भवनों को बनाने, साफ रखने और उनका रख-रखाव करने में बहुत समय लगाते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं। लेकिन इस तरह परमेश्वर के साथ काम करना वाकई सम्मान की बात है और यह यहोवा के लिए हमारी पवित्र सेवा का हिस्सा है।—भज 127:1; प्रक 7:15.
हम इन तरीकों से सहयोग दे सकते हैं . . .
इस बात का ध्यान रखिए कि हर सभा के बाद राज-घर साफ-सुथरा हो। अगर आप ज़्यादा समय तक नहीं रुक सकते, तो जहाँ आप बैठे थे, उसके आस-पास गिरी चीज़ें उठा लीजिए।
समय-समय पर राज-घर में होनेवाली साफ-सफाई में और उसके रख-रखाव में हिस्सा लीजिए। अगर सब मिलकर काम करें, तो काम का बोझ हलका हो जाता है और काम करने में मज़ा भी आता है।—परमेश्वर का प्यार पेज 105 पैरा. 18.
दान दीजिए। अगर हम खुशी से “दो पैसे” भी दें, तो उससे यहोवा का दिल बहुत खुश होता है।—मर 12:41-44.
अगर आपके हालात इजाज़त देते हैं, तो उपासना की जगह बनाने या उनकी मरम्मत करने के लिए आगे आएँ। इस काम को करने के लिए यह ज़रूरी नहीं कि आपको निर्माण काम का तजुरबा हो।