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हमारी राज-सेवा—2010
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प्रश्‍न बक्स

▪ हम किन कारगर तरीकों से पायनियरों की मदद कर सकते हैं?

2009 के सेवा साल के दौरान, पूरी दुनिया में करीब 8,00,000 भाई-बहनों ने पायनियर और खास पायनियर के तौर पर सेवा की। ये पूरे समय के सेवक राज की खुशखबरी फैलाने के लिए अपने वक्‍त, ताकत और साधनों की पहली उपज देते हैं यानी अपना भरसक करते हैं। (नीति. 3:9) यहोवा इनकी मेहनत से कितना खुश होता होगा! हम यहोवा जैसा नज़रिया कैसे दिखा सकते हैं और किन तरीकों से पायनियरों को अपनी सेवा में खुशी पाने और उसमें लगे रहने की मदद कर सकते हैं?

इसमें कोई शक नहीं कि हमारे सोचे-समझे और हौसला बढ़ानेवाली बातों से उन्हें पायनियर सेवा जारी रखने की हिम्मत मिलती है। (नीति. 25:11) लेकिन क्या हम अपने शेड्‌यूल में कुछ फेरबदल करके उनके साथ प्रचार सेवा में जा सकते हैं? प्रचार में साथ जाते वक्‍त, हम उनसे कह सकते हैं कि वे अपनी गाड़ी से जाने के बजाय हमारी गाड़ी में चलें। और अगर हम उनकी गाड़ी में जाते हैं, तो हम उन्हें पेट्रोल के पैसे दे सकते हैं। (1 कुरिं. 13:5; फिलि. 2:4) हम मेहमान-नवाज़ी दिखाने और कभी-कभी उन्हें अपने घर खाने पर बुलाने के ज़रिए उनके लिए अपना प्यार दिखा सकते हैं।—1 पत. 4:8, 9.

बाइबल गारंटी देती है कि जो परमेश्‍वर के राज को पहली जगह देगा, यहोवा उसकी ज़रूरतें ज़रूर पूरी करेगा। (भज. 37:25; मत्ती 6:33) हमारी मदद के लिए परमेश्‍वर का एक इंतज़ाम है, हमारा प्यार-भरा मसीही भाईचारा। (1 यूह. 3:16-18) बेशक, पायनियर यह उम्मीद नहीं करते कि दूसरे उनकी ज़रूरतें पूरी करें। और जब उन्हें किसी चीज़ की ज़रूरत होती है या वे तंगी से गुज़र रहे होते हैं, तो शायद वे इस बारे में दूसरों को कुछ न बताएँ। फिर भी, अगर हम थोड़ा ध्यान दें तो हम कारगर तरीकों से वफादार पायनियरों की मदद कर सकते हैं और उनकी “घटी को पूरा” कर सकते हैं।—2 कुरिं. 8:14, 15.

पहली सदी में जब किंख्रिया मंडली की एक जोशीली प्रचारक फीबे रोम गयी, तो पौलुस ने रोम के भाइयों को बढ़ावा दिया: “प्रभु में उसका वैसे ही स्वागत करो जैसे पवित्र जनों का किया जाना चाहिए, और अगर किसी भी काम में उसे तुम्हारी ज़रूरत पड़े तो उसकी मदद करना।” (रोमि. 16:1, 2) हमारे पास भी मौका है कि हम अपनी मंडली के पायनियरों और खास पायनियरों की उसी तरह प्यार से मदद करें, जो खुशखबरी का ऐलान करने में लगे हुए हैं।—प्रेषि. 5:42.

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