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परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए
be पेज 71-पेज 73 पैरा. 3

चिट्ठियों के ज़रिए संदेश पहुँचाना

चिट्ठियों की बदौलत लाखों लोगों की ज़िंदगी और उनके व्यवहार में बदलाव आया है। मसीही यूनानी शास्त्र की ज़्यादातर किताबें चिट्ठियों के रूप में ही लिखी गयी थीं। चाहे नए लोगों का विश्‍वास बढ़ाना हो, दोस्तों की खैर-खबर पूछनी हो, खास ज़िम्मेदारियों में लगे भाई-बहनों का हौसला बढ़ाना हो, परीक्षाओं का सामना करनेवालों को मज़बूत करना हो, कलीसिया के इंतज़ाम के बारे में जानकारी भेजनी हो, चिट्ठियाँ एक असरदार माध्यम है।—1 थिस्स. 1:1-7; 5:27; 2 पत. 3:1, 2.

चिट्ठी लिखना गवाही देने का भी एक बढ़िया तरीका है। कुछ इलाकों में, बहुत-से लोग या तो कड़ी सुरक्षावाली इमारतों में या फिर ऐसे होटलों में रहते हैं, जहाँ वे लंबे-समय के लिए कमरे किराए पर लेते हैं। ऐसी जगहों में रहनेवालों तक खुशखबरी पहुँचाना आसान नहीं है। फिर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो ज़्यादातर वक्‍त घर से बाहर रहते हैं, इसलिए घर-घर के प्रचार में हम उनसे नहीं मिल पाते। और कई लोग ऐसे दूर-दराज़ इलाकों में रहते हैं, जहाँ पहुँचना बहुत मुश्‍किल है।

कभी-कभी आप शायद बीमारी, खराब मौसम या कर्फ्यू की वजह से अपने घर की चारदीवारी से बाहर ना निकल पाएँ। उस वक्‍त क्या आप अपने किसी रिश्‍तेदार को या ऐसे शख्स को जिसे आपने किसी दूसरे मौके पर गवाही दी थी, आगे और गवाही देने के लिए चिट्ठी लिख सकते हैं? क्या आपका बाइबल विद्यार्थी दूसरे इलाके में जाकर बस गया है? ऐन मौके पर मिलनेवाली आपकी चिट्ठी, चिराग में घी का काम करेगी और उसकी आध्यात्मिक दिलचस्पी की ज्योति को जलाए रखेगी। नए शादी-शुदा जोड़े, या जो हाल ही में माँ-बाप बने हैं या जिनके किसी अज़ीज़ की मौत हो गयी है, ऐसे लोगों को भी आप चिट्ठी लिखकर उनके हालात के मुताबिक बाइबल से अच्छा मशविरा दे सकते हैं।

चिट्ठी के ज़रिए गवाही देना

अगर आप गवाही देने के लिए एक ऐसे शख्स को लिख रहे हैं जिससे आप कभी नहीं मिले, तो खत में सबसे पहले अपना परिचय दीजिए। आप बता सकते हैं कि आप एक अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवा के काम में हिस्सा ले रहे हैं। अगर सही लगे, तो आप यह भी बता सकते हैं कि आप यहोवा के एक साक्षी हैं। बताइए कि आप खुद मिलने के बजाय चिट्ठी क्यों लिख रहे हैं। ऐसे लिखिए मानो आप उससे आमने-सामने बात कर रहे हों। साथ ही, ख्याल रखें कि एक अनजान इंसान को अपने बारे में उतनी ही जानकारी दें जितनी सही हो, क्योंकि बाइबल हिदायत देती है: “सांपों की नाईं बुद्धिमान और कबूतरों की नाईं भोले बनो।”—मत्ती 10:16.

आप अपनी चिट्ठी में उन बातों को शामिल कर सकते हैं जो आप उनसे खुद मुलाकात करने पर कहते। आप रीज़निंग किताब में दी गयी पेशकश को या फिर हाल की हमारी राज्य सेवकाई में छपी बाइबल पर आधारित किसी पेशकश को इस्तेमाल कर सकते हैं। आप एक सवाल उठा सकते हैं और उसके जवाब के बारे में सोचने के लिए उसे उकसा सकते हैं। कुछ प्रचारक सीधे-सीधे यह लिखते हैं कि वे बाइबल के बारे में सवालों के जवाब देने का मुफ्त कार्यक्रम चला रहे हैं और इसके लिए वे हमारी छपी किसी अध्ययन की किताब के कुछ शीर्षकों के नाम भी देते हैं। इस किताब के पेज 73 पर गवाही देने के लिए लिखी गयी एक चिट्ठी, नमूने के तौर पर दी गयी है। इससे आपको थोड़ा-बहुत अंदाज़ा लग सकता है, लेकिन अच्छा होगा अगर आप अलग-अलग विषयों पर चिट्ठी लिखें, वरना ऐसा होगा कि लोगों को बार-बार एक ही ढंग की चिट्ठियाँ मिलेंगी।

कुछ लोग अजनबियों से मिली लंबी-चौड़ी चिट्ठी को पढ़ने में हिचकिचाते हैं। इसलिए अक्लमंदी इसी में है कि आपकी चिट्ठी छोटी हो। पढ़नेवाला पढ़ते-पढ़ते उकता ना जाए, इसलिए उतना ही लिखिए जितना पढ़कर उसकी दिलचस्पी बनी रहे। अच्छा होगा कि आप उसे सभाओं में हाज़िर होने के लिए चिट्ठी के साथ किंगडम हॉल में आने का छपा हुआ न्यौता भेजें। इसके अलावा, आप एक ट्रैक्ट, ब्रोशर, प्रहरीदुर्ग या सजग होइए! का एक अंक भी भेज सकते हैं, साथ ही यह बता सकते हैं कि अगर वे चाहें तो इन पत्रिकाओं को उन तक नियमित रूप से पहुँचाया जा सकता है। या आप उनसे यह पूछ सकते हैं कि अगर उनकी इच्छा हो, तो कोई उनके घर आकर इस विषय पर आगे चर्चा कर सकता है।

लिखने के अंदाज़ के बारे में चंद हिदायतें

पेज 73 पर दी तसवीर

अब चिट्ठी के नमूने पर ज़रा गौर कीजिए। ध्यान दीजिए: (1) इसकी लिखाई साफ-सुथरी है, घिच-पिच नहीं। (2) अगर लिफाफा गुम भी हो जाए, फिर भी पढ़नेवाले के पास चिट्ठी भेजनेवाले का नाम और पता होगा। (3) चिट्ठी लिखने का मकसद पहले ही पैराग्राफ में साफ-साफ बताया गया है। (4) हर ज़रूरी विचार को अलग पैराग्राफ में लिखकर समझाया गया है। (5) चिट्ठी जिस मकसद से लिखी गयी है, उसके हिसाब से इसकी भाषा न तो बहुत ज़्यादा निजी है, ना ही बहुत ज़्यादा औपचारिक।

एक औपचारिक चिट्ठी में, मसलन जो खत कलीसिया के सेक्रेटरी शाखा दफ्तर को भेजते हैं, खत भेजनेवाले के पते की जगह कलीसिया के नाम के साथ-साथ सेक्रेटरी अपना नाम, पता और तारीख भी लिखता है। जिस व्यक्‍ति या संगठन को खत भेजा जा रहा है, उसका नाम और पता भी लिखा जाना चाहिए। उसके बाद सही अभिवादन लिखा जाना चाहिए। कुछ भाषाओं में चिट्ठी के आखिर में दस्तखत के ऊपर “आपका/आपकी” या “भवदीय” जैसे शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं। और उसके नीचे अपने हाथों से दस्तखत करने चाहिए।

कोई भी चिट्ठी लिखते वक्‍त सही वर्तनी, व्याकरण, विराम-चिन्ह और साफ-सुथरी लिखाई पर ध्यान दिया जाना चाहिए। ऐसा करने से आपकी चिट्ठी और उसमें लिखी जानकारी का गौरव और बढ़ जाएगा।

लिफाफे के बाहर एक कोने पर हमेशा जवाब भेजने का पता लिखना चाहिए, अच्छा होगा अगर आप अपना पता लिखें। लेकिन अगर आपको लगता है कि एक अजनबी को चिट्ठी के ज़रिए गवाही देते वक्‍त अपना पता देना अक्लमंदी नहीं, तो आप प्राचीनों से किंगडम हॉल का पता लिखने की इजाज़त माँग सकते हैं। इन चिट्ठियों में शाखा दफ्तर का पता कभी-भी नहीं दिया जाना चाहिए, वरना इसका मतलब यह होगा कि चिट्ठी शाखा दफ्तर से भेजी गयी है जो कि सरासर गलत होगा और इससे समस्या पैदा हो सकती है। अगर चिट्ठी पर लिखनेवाले का पता-ठिकाना नहीं दिया गया है और उसके साथ कोई साहित्य भेजा जाता है, तो इससे भी यह गलतफहमी पैदा हो सकती है कि भेजनेवाला और कोई नहीं, शाखा दफ्तर है।

ध्यान दें कि आपने चिट्ठी पर पूरे डाक टिकट लगाए हैं, खासकर जब आप चिट्ठी के साथ कोई साहित्य भेज रहे हों। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो चिट्ठी पानेवाले को हर्जाना भरना पड़ेगा और इससे हो सकता है कि उसकी नज़र में आपके संदेश की कीमत घट जाए। याद रखिए कि बहुत-से देशों में जब चिट्ठी के साथ-साथ एक ब्रोशर या पत्रिका डाक के ज़रिए भेजे जाते हैं, तो उस पर सिर्फ एक चिट्ठी भेजने लायक टिकट लगाना काफी नहीं होता बल्कि ज़्यादा डाक टिकट लगाने की ज़रूरत पड़ती है।

लिखने का सही लहज़ा

एक बार चिट्ठी लिखकर खत्म करें, तो जो लिखा है उसकी जाँच करने के लिए उसे दोबारा पढ़िए। आपकी चिट्ठी पढ़ने से कैसी लगती है? क्या लगता है कि किसी दोस्त की चिट्ठी है? क्या आपने समझ-बूझ का सबूत दिया है? हमारी हरदम यह कोशिश होनी चाहिए कि दूसरों के साथ बर्ताव करते वक्‍त हमारा प्यार और भलाई उन्हें नज़र आए। (गल. 5:22, 23) अगर आपको लगता है कि आपकी बातें चुभ सकती हैं या उदासी और नीरसता लगती हैं, तो उनमें फेरबदल कीजिए।

एक चिट्ठी वहाँ पहुँच सकती है, जहाँ आप नहीं जा सकते। यही वजह है कि यह प्रचार करने का एक खास औज़ार है। चिट्ठी, आपके बारे में और आप जिन सिद्धांतों को मानते हैं, उनके बारे में भी बहुत कुछ बताती है। इसलिए चिट्ठी में क्या लिखा है, किस लहज़े में लिखा है, यह दिखने में कैसी है और पढ़ने में कैसी लगती है, इन सब बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है। आपकी चिट्ठी एक कीमती जान को ज़िंदगी की राह पर चलना शुरू करने, उस पर चलते रहने या उसका हौसला मज़बूत करने में बेहद ज़रूरी मदद दे सकती है।

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