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  • वफादारी से परमेश्‍वर के ठहराए हुए अधिकार के अधीन रहिए
    प्रहरीदुर्ग—2002 | अगस्त 1
    • 13. (क) यहोवा के सामने धूप चढ़ाकर बागी कैसे अपनी हद पार कर गए? (ख) यहोवा ने उन बागियों का क्या हश्र किया?

      13 परमेश्‍वर की व्यवस्था के मुताबिक धूप जलाने का काम सिर्फ याजकों को दिया गया था। याजकवर्ग से जुदा इन लेवियों ने जब सुना कि उन्हें यहोवा के सामने धूप जलाना है, तो इसके ख्याल से ही उनके होश ठिकाने आ जाने चाहिए थे। (निर्गमन 30:7; गिनती 4:16) मगर कोरह और उसके साथियों को होश कहाँ! अगले दिन, उसने “सारी मण्डली को [मूसा और हारून के] विरुद्ध मिलापवाले तम्बू के द्वार पर इकट्ठा कर लिया।” बाइबल आगे कहती है: “तब यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, उस मण्डली के बीच में से अलग हो जाओ। कि मैं उन्हें पल भर में भस्म कर डालूं।” मगर मूसा और हारून ने यहोवा से बिनती की कि वह सब लोगों की जान न ले। यहोवा ने उनकी बिनती सुनी। जहाँ तक कोरह और उसके साथियों की बात थी, “तब यहोवा के पास से आग निकली, और उन अढ़ाई सौ धूप चढ़ानेवालों को भस्म कर डाला।”—गिनती 16:19-22, 35.c

  • वफादारी से परमेश्‍वर के ठहराए हुए अधिकार के अधीन रहिए
    प्रहरीदुर्ग—2002 | अगस्त 1
    • c कुलपिताओं के ज़माने में, हर परिवार का मुखिया अपनी पत्नी और बच्चों की तरफ से परमेश्‍वर के सामने खड़ा होता था, यहाँ तक कि उनकी तरफ से बलिदान भी चढ़ाता था। (उत्पत्ति 8:20; 46:1; अय्यूब 1:5) मगर जब व्यवस्था शुरू की गयी, तब यहोवा ने हारून के घराने के आदमियों को याजक ठहराया और उन्हीं को बलिदान चढ़ाने का काम दिया गया था। ज़ाहिर है कि ये 250 बागी इस बदलाव को मानने के लिए तैयार नहीं थे।

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