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गुस्ताखी करने से अपमान होता हैप्रहरीदुर्ग—2000 | अगस्त 1
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16. शाऊल ने जल्दबाज़ी में क्या गलत कदम उठाया?
16 लेकिन राजा बनने के बाद शाऊल में धीरे-धीरे घमंड पैदा होने लगा। जब इस्राएल और पलिश्तियों के बीच युद्ध छिड़ा तो शाऊल को गिलगाल जाकर वहाँ शमूएल का इंतज़ार करना था ताकि वह आकर इस्राएलियों की खातिर होमबलि चढ़ाए और प्रार्थना करे। लेकिन शमूएल को आने में देर हो रही थी, इसलिए शाऊल बेसब्र हो गया और उसने खुद होमबलि चढ़ा दी। उसके बलि चढ़ाने के कुछ ही समय बाद शमूएल वहाँ पहुँच गया। शमूएल ने शाऊल से पूछा: “तू ने क्या किया?” तब शाऊल ने कहा: “जब मैं ने देखा कि लोग मेरे पास से इधर उधर हो चले हैं, और तू ठहराए हुए दिनों के भीतर नहीं आया . . . सो मैं ने अपनी इच्छा न रहते भी होमबलि चढ़ाया।”—1 शमूएल 13:8-12.
17. (क) एक बार को शाऊल का काम शायद सही क्यों लगे? (ख) शाऊल ने जो कदम उठाया उसे यहोवा ने गलत क्यों ठहराया?
17 ऊपरी तौर पर शायद हमें शाऊल का यह कदम सही लगे। आखिर यहोवा के लोग “सकेती में” और “संकट में” पड़े थे, उन्हें मुसीबत से बचाने के लिए मदद की सख्त ज़रूरत थी। (1 शमूएल 13:6, 7) यह सच है कि मुसीबत के वक्त जल्द-से-जल्द कोई कदम उठाना गलत बात नहीं है।d लेकिन याद रखिए कि यहोवा देख सकता है कि हम जो भी करते हैं, उसके पीछे हमारा इरादा क्या है। (1 शमूएल 16:7) हालाँकि बाइबल में साफ नहीं बताया गया है, मगर यहोवा ने देखा होगा कि शाऊल ने किस इरादे से होमबलि चढ़ाई। शायद शाऊल के बेसब्र होने की वज़ह उसका घमंड हो। उसे यह सोचकर गुस्सा आया होगा कि ‘जब मैं पूरे इस्राएल का राजा हूँ तो मुझे उस बूढ़े नबी का इंतज़ार करने की क्या ज़रूरत है? वह कौन होता है मुझसे इंतज़ार करवानेवाला?’ उसने यह भी सोचा होगा कि शमूएल के आने तक बहुत देर हो जाएगी, मुझे ही कुछ करना होगा। इसलिए उसने यहोवा से मिली साफ हिदायतों को नज़रअंदाज़ किया और आगे बढ़कर खुद ही बलि चढ़ा दी। मगर इसका अंजाम क्या हुआ? शमूएल ने उसे फटकारते हुए कहा: “अब तेरा राज्य बना न रहेगा . . . क्योंकि तू ने यहोवा की आज्ञा को नहीं माना।” (1 शमूएल 13:13, 14) शाऊल की कहानी एक और मिसाल है कि गुस्ताखी करने से अपमान ही होता है।
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गुस्ताखी करने से अपमान होता हैप्रहरीदुर्ग—2000 | अगस्त 1
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d मिसाल के लिए, जब एक मरी की वज़ह से हज़ारों इस्राएली मारे जा रहे थे, तो उस मरी को रोकने के लिए पीनहास ने फौरन कदम उठाया। और जब दाऊद के आदमी भूख से तड़प रहे थे, तो दाऊद ने उनके साथ मिलकर “परमेश्वर के घर” से भेंट की रोटी खाई। परमेश्वर ने न तो पीनहास को, ना ही दाऊद को दंड दिया क्योंकि उनके इरादे नेक थे। उन्होंने गुस्ताखी नहीं की थी।—मत्ती 12:2-4; गिनती 25:7-9; 1 शमूएल 21:1-6.
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