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  • ‘हम जानते हैं कि वे पुनरुत्थान में जी उठेंगे’
    प्रहरीदुर्ग—1990 | जुलाई 1
    • ‘अब ज़रा रुकिए,’ कुछ लोग जो बाइबल से परिचित हैं, असहमत होंगे, ‘क्या अय्यूब ने अध्याय १६, पद २२ में ऐसे नहीं कहा कि “मैं उस मार्ग से चला जाऊँगा, जिस से मैं फिर वापस न लौटूँगा”? और अय्यूब ७:९ में उसने बताया: “अधोलोक [क़बर] में उतरनेवाला फिर वहाँ से नहीं लौट सकता।” अय्यूब ने आगे १०वें पद में कहा: “वह अपने घर को फिर लौट न आएगा, और न अपने स्थान में फिर मिलेगा।”’

      इसलिए, जैसे कुछ विद्वान दावा करते हैं, क्या ये शास्त्रपद और सदृश वक्‍तव्य नहीं दिखाते कि अय्यूब ने मृत्यु को एक ‘ऐसी जगह जहाँ से वापसी नहीं,’ माना? क्या ऐसी उक्‍तियों का अर्थ है, कि अय्यूब भावी पुनरुत्थान में विश्‍वास नहीं करता था? उत्तर के लिए हमें इन शब्दों पर, उनके पार्श्‍व के आधार पर ध्यान देना चाहिए, और साथ ही इसी विषय पर अय्यूब द्वारा व्यक्‍त किए गए अन्य विचारों से इनकी तुलना करनी चाहिए।

      अय्यूब अपनी यातना का कारण नहीं जानता था। कुछ समय के लिए उसने ग़लत रूप से यह सोचा कि परमेश्‍वर उसके उत्पीड़न का कारण था। (अय्यूब ६:४; ७:१७-२०; १६:११-१३) निरुत्साही होकर, वह महसूस करने लगा कि तात्कालिक विश्राम की एकमात्र जगह क़बर है। (अय्यूब ७:२१; १७:१; तुलना ३:११-१३ से करें।) यहाँ, उसके समसामयिक व्यक्‍तियों के दृष्टिकोण से, वह दिखायी नहीं देता, वह अपने घर नहीं लौटता, न उसे कोई स्वीकृति मिलती, वह वापस न आता और न ही परमेश्‍वर के नियुक्‍त समय से पहले आने की कोई आशा रखता। अगर परमेश्‍वर के हस्तक्षेप के बिना उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया जाता, तो अय्यूब और आदम के सभी वंशज मरी हुई स्थिति से उठने के लिए शक्‍तिहीन होते।a—अय्यूब ७:९, १०; १०:२१; १४:१२.

  • ‘हम जानते हैं कि वे पुनरुत्थान में जी उठेंगे’
    प्रहरीदुर्ग—1990 | जुलाई 1
    • a इसी सन्दर्भ में, भजनकार परमेश्‍वर द्वारा किसी भी हस्तक्षेप से पहले, उस समय विद्यमान स्थिति के बारे में इस तरह लिखता है: “और उस [परमेश्‍वर] को स्मरण हुआ कि ये [इस्राएली] नाशमान हैं, कि आत्मा [या परमेश्‍वर से आनेवाली प्राण शक्‍ति] चली जाती है और लौट नहीं आती।”—भजन संहिता ७८:३९.

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