मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
1-7 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 44-45
“यूसुफ ने अपने भाइयों को माफ किया”
प्र15 7/1 पेज 14-15
“क्या मैं परमेश्वर की जगह पर हूँ?”
फिर यूसुफ ने एक चाल चली। उसने अपने नौकरों से कहा कि वे उसके भाइयों का पीछा करें, उन्हें गिरफ्तार करें और उन पर चाँदी का कटोरा चुराने का इलज़ाम लगाएँ। जब वह कटोरा बिन्यामीन के बोरे में मिला, तो उन सब को यूसुफ के पास लाया गया। अब यूसुफ के पास यह जानने का मौका था कि उसके भाई असल में कैसे हैं। यहूदा ने अपने भाइयों की तरफ से बात की। उसने दया की भीख माँगी और यह भी कहा कि वे सब-के-सब मिस्र में गुलाम बनने के लिए तैयार हैं। लेकिन यूसुफ ने कहा कि सिर्फ बिन्यामीन ही मिस्र में गुलाम बनकर रहेगा और बाकी सब जा सकते हैं।—उत्पत्ति 44:2-17.
इस पर यहूदा अपने दिल की गहराई से ये शब्द बोलता है, “वह अब अपनी माँ का अकेला रह गया है। उसका पिता उससे बेहद प्यार करता है।” बेशक, ये शब्द यूसुफ के दिल को छू गए होंगे, क्योंकि वह याकूब की पत्नी, राहेल का बड़ा बेटा था और बिन्यामीन को जन्म देते वक्त राहेल की मौत हो गयी थी। अपने पिता की तरह यूसुफ के दिल में भी अपनी माँ की मीठी यादें ताज़ा थीं। इस बात को सुनकर यूसुफ के दिल में बिन्यामीन के लिए और भी प्यार उमड़ आया।—उत्पत्ति 35:18-20; 44:20.
यहूदा यूसुफ से बिनती करता है कि वह बिन्यामीन को अपना गुलाम न बनाए। यहाँ तक कि वह खुद बिन्यामीन की जगह गुलाम बनने को तैयार था। और फिर उसने दिल को छू लेनेवाली यह बिनती की, “मैं इस लड़के के बगैर अपने पिता के पास नहीं जा सकता। मैं अपनी आँखों से अपने पिता को तड़पते हुए नहीं देख सकता!” (उत्पत्ति 44:18-34) इस बात से साबित हो गया कि यहूदा बदल चुका था। उसने न सिर्फ दिल से पश्चाताप किया था, बल्कि अब वह दूसरों का दुख समझ सकता था, वह मतलबी नहीं था और सच्चा प्यार ज़ाहिर कर रहा था।
यूसुफ से अब रहा नहीं गया। उसका दिल भर आया और अब वह अपने आँसुओं को रोक नहीं सकता था। इसलिए उसने अपने सारे नौकरों को जाने को कहा, और फिर फूट-फूटकर रोने लगा। उसके रोने की आवाज़ राजा के महल तक पहुँच गयी। आखिरकार उसने उन्हें अपनी पहचान बताते हुए कहा, “मैं तुम्हारा भाई यूसुफ हूँ।” यह सुनकर उसके भाई चौंक गए। उसने उन्हें गले से लगा लिया और उसके खिलाफ किए उनके सभी गुनाहों के लिए उन्हें माफ कर दिया। (उत्पत्ति 45:1-15) ऐसा करके वह अपने परमेश्वर यहोवा की तरह पेश आया, जो दिल खोलकर माफ करता है। (भजन 86:5) क्या हम भी ऐसा ही करते हैं?
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-2 पेज 813
कपड़े फाड़ना
यहूदी और पूर्वी देश के लोग दुख ज़ाहिर करने के लिए अपने कपड़े फाड़ते थे, खासकर उस वक्त जब वे किसी नज़दीकी रिश्तेदार की मौत की खबर सुनते थे। ऐसा करना उनके बीच आम बात थी। ऐसा नहीं कि वे पूरी तरह कपड़ा फाड़ देते थे कि वह पहनने के लायक न बचे। इसके बजाय ज़्यादातर मामलों में वे सिर्फ छाती तक कपड़ा फाड़ते थे।
बाइबल में पहली बार कपड़े फाड़ने का ज़िक्र तब आता है, जब याकूब का सबसे बड़ा बेटा रूबेन गड्ढे के पास आता है और देखता है कि यूसुफ वहाँ नहीं है। वह अपना कपड़ा फाड़कर कहता है, “लड़का वहाँ नहीं है! अब क्या होगा? अब मैं क्या करूँ?” वह ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि पहलौठा होने की वजह से यह उसकी ज़िम्मेदारी थी कि वह अपने छोटे भाई की देखभाल करे। फिर जब याकूब को उसके बेटे की मौत की झूठी खबर दी जाती है, तो वह दुख के मारे अपने कपड़े फाड़ता है और कमर पर टाट बाँधकर मातम मनाता है। (उत 37:29, 30, 34) बाद में जब मिस्र में बिन्यामीन पर चोरी का इलज़ाम लगाया जाता है, तो उस वक्त भी यूसुफ के भाई दुख के मारे अपने कपड़े फाड़ते हैं।—उत 44:13.
प्र04 8/15 पेज 15 पै 15
बेवजह बैर के शिकार
15 क्या बात हमारी मदद कर सकती है कि हमसे बेवजह बैर करनेवालों के लिए हमारे मन में कड़वाहट का ज़हर न भर जाए? यह मत भूलिए कि हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं, शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूत। (इफिसियों 6:12) यह सच है कि कुछ इंसान सब कुछ जानते-बूझते भी हमें सताते हैं, मगर ज़्यादातर लोग अनजाने में या दूसरों के बहकावे में आकर परमेश्वर के लोगों का विरोध करते हैं। (दानियेल 6:4-16; 1 तीमुथियुस 1:12, 13) यहोवा चाहता है कि “सब किस्म के लोगों का उद्धार हो और वे सच्चाई का सही ज्ञान पाएँ।” (1 तीमुथियुस 2:4) दरअसल, पहले जो हमारे विरोधी थे वे अब बदलकर हमारे मसीही भाई बन गए हैं क्योंकि उन्होंने हमारा निर्दोष चालचलन देखा है। (1 पतरस 2:12) इसके अलावा, हम याकूब के बेटे यूसुफ की मिसाल से एक सबक सीख सकते हैं। यूसुफ को उसके सौतेले भाइयों ने बहुत दुख दिया था, फिर भी उसने उनके खिलाफ दिल में दुश्मनी नहीं पाली। क्यों? क्योंकि उसने समझा कि जो कुछ हुआ उसमें यहोवा का हाथ था, जो अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए घटनाओं का रुख बदल देता है। (उत्पत्ति 45:4-8) उसी तरह जब हमारे साथ अन्याय होता है, तो यहोवा इसे भी अपने नाम की महिमा करवाने के लिए इस्तेमाल करता है।—1 पतरस 4:16.
8-14 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 46-47
“अकाल से राहत”
प्र88 8/1 पेज 7 पै 2
अकाल के समय में जीवन का परिरक्षण करना
2 बहुतायत के सात वर्ष खत्म हुए, और जिस तरह यहोवा ने पहले बताया था, उसी तरह अकाल शुरू हुआ—एक ऐसा अकाल जो न केवल मिस्र देश में बल्कि “सारी पृथ्वी पर फैल गया।” जब मिस्र देश में भूखों मर रही प्रजा फिरौन के सामने चिल्ला चिल्लाकर रोटी माँगने लगी, फिरौन ने उनसे कहा: “यूसुफ के पास जाओ, और जो कुछ वह तुम से कहे, वही करो।” जब तक कि उनका पैसा खत्म न हुआ, यूसुफ मिस्रियों को अनाज बेचता रहा। फिर वह पैसों के बदले उनके जानवर लेकर उन्हें खाना देता रहा। आखिर में, प्रजा यूसुफ के पास यह कहती हुई आयी: “अनाज के बदले तू हमें और हमारी ज़मीन खरीद ले कि हम फिरौन के दास बन जाएँ और हमारी ज़मीन उसकी हो जाए।” इसलिए यूसुफ ने मिस्रियों की सारी भूमि को फिरौन के लिए मोल लिया।—उत्पत्ति 41:53-57; 47:13-20.
परमेश्वर का राज धरती पर उसकी मरज़ी पूरी करेगा
11 बहुतायत: देखा जाए तो आज पूरी दुनिया में अकाल है। बाइबल में पहले से बताया गया था, “सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘देखो! वे दिन आ रहे हैं, जब मैं देश में अकाल भेजूँगा, रोटी और पानी के लिए नहीं बल्कि यहोवा के वचन सुनने के लिए लोग भूखे-प्यासे रह जाएँगे।’” (आमो. 8:11) क्या परमेश्वर के राज के नागरिक भी उस अकाल की मार सह रहे हैं? यहोवा ने भविष्यवाणी की थी कि उसके लोगों और उसके दुश्मनों के हालात में फर्क होगा। उसने कहा, “मेरे सेवक खाएँगे, मगर तुम भूखे रहोगे, मेरे सेवक पीएँगे, मगर तुम प्यासे रहोगे, मेरे सेवक खुशियाँ मनाएँगे, मगर तुम शर्मिंदा होगे।” (यशा. 65:13) क्या आपने इस भविष्यवाणी को पूरा होते देखा है?
12 परमेश्वर के साथ एक मज़बूत रिश्ता बनाने में मदद करने के लिए कई इंतज़ाम किए गए हैं। ये ऐसी नदी की तरह हैं जो लगातार बड़ी और गहरी होती जा रही है। हमारे पास बाइबल की समझ देनेवाले प्रकाशनों की भरमार है। साथ ही ढेरों रिकॉर्डिंग, वीडियो, सभाएँ, अधिवेशन और वेबसाइट पर मिलनेवाली जानकारी भी है। एक तरफ जहाँ दुनिया में सही मार्गदर्शन का अकाल पड़ा है, वहीं परमेश्वर से हमें कितनी बहुतायत में शिक्षा मिल रही है। (यहे. 47:1-12; योए. 3:18) क्या आप रोज़मर्रा की ज़िंदगी में यह देखकर रोमांचित नहीं होते कि यहोवा बहुतायत में सबकुछ देने का वादा पूरा कर रहा है? क्या आप यहोवा की मेज़ से नियमित तौर पर खाते हैं?
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-1 पेज 220 पै 1
रवैया और हाव-भाव
मरे हुए व्यक्ति की आँखें बंद करना। यहोवा ने याकूब से कहा था, “जब तेरी मौत हो जाएगी तो यूसुफ अपने हाथ से तेरी आँखें बंद करेगा।” (उत 46:4) यहोवा ने याकूब से ऐसा क्यों कहा था? उस ज़माने में जब किसी की मौत हो जाती थी, तो उसकी आँखें बंद करने का फर्ज़ उसके पहलौठे का होता था। ऐसा मालूम होता है कि यहोवा याकूब से यह कहना चाह रहा था कि पहलौठे का अधिकार यूसुफ को मिलेगा।—1इत 5:2.
प्रेष 7:14 अ.बाइ. नोट
कुल मिलाकर 75 लोग: जब स्तिफनुस ने कहा कि मिस्र में याकूब के परिवार की कुल गिनती 75 थी, तो शायद वह इब्रानी शास्त्र की किसी आयत का ज़िक्र नहीं कर रहा था। यह गिनती इब्रानी शास्त्र के मसोरा पाठ में भी कहीं नहीं पायी जाती। उत 46:26 बताता है, “याकूब के सभी वंशज जो उसके साथ मिस्र आए उनकी गिनती 66 थी। इसमें याकूब की बहुओं की गिनती शामिल नहीं है।” आयत 27 बताती है, “इस तरह मिस्र में याकूब के घराने के लोगों की कुल गिनती 70 थी।” इन दोनों आयतों में लोगों की गिनती दो अलग तरीकों से की गयी है। आयत 26 में शायद सिर्फ याकूब के वंशजों की बात की गयी है, जबकि आयत 27 में याकूब के घराने के उन सभी लोगों की बात की गयी है जो मिस्र आए थे। निर्ग 1:5 और व्य 10:22 में भी गिनती “70” दी गयी है। स्तिफनुस ने तीसरी गिनती “75” का ज़िक्र किया। उसने शायद याकूब के घराने के और भी लोगों को शामिल किया होगा। कुछ लोगों का मानना है कि स्तिफनुस ने मनश्शे और एप्रैम के बेटों और पोतों को गिना होगा। यूसुफ के बेटों मनश्शे और एप्रैम का ज़िक्र सेप्टुआजेंट अनुवाद में उत 46:20 में आता है। कुछ और का मानना है कि इस गिनती में याकूब की बहुएँ भी शामिल हैं, जिन्हें उत 46:26 में नहीं गिना गया था। तो फिर हम इस नतीजे पर पहुँच सकते हैं कि मिस्र में याकूब के घराने की कुल गिनती “75” थी। पहली सदी में इब्रानी शास्त्र की जो कॉपियाँ उपलब्ध थीं, शायद उसी के आधार पर यह गिनती बतायी गयी थी। सालों से विद्वानों का मानना है कि यूनानी सेप्टुआजेंट में उत 46:27 और निर्ग 1:5 में लोगों की गिनती “75” बतायी गयी थी। इसके अलावा, 20वीं सदी में मृत सागर के पास दो खर्रों के टुकड़े मिले थे, जिनमें इब्रानी में निर्ग 1:5 की आयत दी गयी है। उनमें भी यह गिनती “75” आती है। मुमकिन है कि स्तिफनुस ने इन प्राचीन पाठों के आधार पर लोगों की गिनती “75” बतायी। इस बात में कितनी सच्चाई है, यह तो हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते हैं। लेकिन एक बात पक्की है कि स्तिफनुस ने अलग तरीके से लोगों का हिसाब लगाया और उत्पत्ति में अलग तरीके से लोगों का हिसाब लगाया गया है।
15-21 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 48-50
“हमारे बुज़ुर्ग भाई-बहन खज़ाने के भंडार हैं”
इंसाइट-1 पेज 1246 पै 8
याकूब
याकूब ने अपनी मौत से कुछ समय पहले यूसुफ के बेटों यानी अपने पोतों को आशीर्वाद दिया। परमेश्वर की मरज़ी से उसने पहले छोटे बेटे एप्रैम को आशीर्वाद दिया, फिर मनश्शे को। इसके बाद याकूब ने यूसुफ को, जिसे पहलौठा होने के नाते विरासत का दुगना हिस्सा मिलता, यह भरोसा दिलाया, “मैं तुझे तेरे भाइयों से उस ज़मीन का एक हिस्सा ज़्यादा देता हूँ, जो मैंने तीर-कमान और तलवार के दम पर एमोरियों से हासिल की थी।” (उत 48:1-22; 1इत 5:1) क्या याकूब उस ज़मीन की बात कर रहा था, जो उसने हमोर के बेटों से ली थी? नहीं, उसने शेकेम के पास की वह ज़मीन युद्ध करके नहीं बल्कि पैसे देकर खरीदी थी। (उत 33:19, 20) तो फिर ऐसा मालूम होता है कि याकूब ने यूसुफ से जो वादा किया था, वह दरअसल इस बात की भविष्यवाणी थी कि आगे चलकर याकूब के वंशज कनान देश पर जीत हासिल करेंगे। याकूब को इस भविष्यवाणी के पूरा होने का इतना विश्वास था कि उसने यह बात ऐसे कही मानो उसने खुद अपने तीर-कमान और तलवार से कनान पर जीत हासिल कर ली हो। आगे चलकर जब इसराएली कनान देश में बसे, तब एप्रैम और मनश्शे को ज़मीन का दो हिस्सा मिला। इस तरह यूसुफ को पहलौठा होने का दुगना हिस्सा मिला।
इंसाइट-2 पेज 206 पै 1
आखिरी दिन
अपनी मौत से पहले याकूब की भविष्यवाणी। याकूब ने अपने बेटों से कहा, “तुम सब मेरे पास इकट्ठा हो जाओ, मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि आगे चलकर तुम्हारे साथ क्या-क्या होगा।” शब्द “आगे चलकर” से याकूब का क्या मतलब था? वह भविष्य में उस समय की बात कर रहा था, जब उसकी कही बातें पूरी होने लगेंगी। (उत 49:1) इसके करीब 200 साल पहले यहोवा ने उसके दादा अब्राम (अब्राहम) से कहा था कि उसके वंशजों को 400 साल तक सताया जाएगा। (उत 15:13) इस बात को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि याकूब जिस समय की बात कर रहा था, वह तब तक शुरू नहीं होता जब तक कि यह 400 साल खत्म नहीं होते। इस भविष्यवाणी की दूसरी पूर्ति भी होनी थी और यह “परमेश्वर के इसराएल” पर पूरी होती।—गल 6:16; रोम 9:6.
बुज़ुर्ग जन—जवानों के लिए एक आशीष
10 बुज़ुर्ग अपने साथी उपासकों पर भी अच्छा असर डाल सकते हैं। याकूब के बेटे, यूसुफ की मिसाल लीजिए। वह जब 110 साल का था, तब उसने “अपनी हड्डियों के विषय में आज्ञा दी।” उसने कहा कि आखिरकार जब इस्राएली मिस्र देश छोड़कर जाएँगे, तो उन्हें उसकी हड्डियों को अपने साथ ले जाना है। (इब्रानियों 11:22; उत्पत्ति 50:25) अपने बुढ़ापे में यह छोटी-सी बात कहकर उसने अपना विश्वास दिखाया। नतीजा, इसका उन लाखों सच्चे उपासकों पर गहरा असर हुआ जो उसके बाद जीए। वह कैसे? दरअसल, उसकी मौत के बाद, मिस्र के लोगों ने इस्राएलियों को अपना गुलाम बना लिया और उनसे कई सालों तक कड़ी मेहनत करवाते रहे। उस दौरान, यूसुफ की दी आज्ञा उम्मीद की किरण बनकर उन्हें भरोसा दिलाती रही कि उनका छुटकारा ज़रूर होगा।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
परमेश्वर की महिमा करनेवाले धन्य हैं
4 वादा किए गए देश में दाखिल होने से पहले, इस्राएलियों के गाद गोत्र के लोगों ने बिनती की कि उन्हें यरदन के पूर्व के चरागाहों में बस जाने की इजाज़त दी जाए। (गिनती 32:1-5) वहाँ रहने से गादियों को बड़ी-बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता। यरदन के पश्चिम तरफ के गोत्र यरदन घाटी की वजह से सुरक्षित थे। इस घाटी की वजह से दुश्मनों की फौज आसानी से उन पर चढ़ाई नहीं कर सकती थी। (यहोशू 3:13-17) मगर यरदन के पूर्व में बसे देशों के बारे में जॉर्ज एडम स्मिथ अपनी किताब, पवित्र देश का प्राचीन भूगोल (अँग्रेज़ी) में कहते हैं: “[वे] सभी देश सपाट और खुली ज़मीन पर थे, उन तक पहुँचने में लगभग कोई रुकावट नहीं थी, और वे सब विशाल अरेबियाई पठार पर बसे हुए थे। इसी वजह से, इन देशों पर हमेशा से लालची खानाबदोशों के हमले का खतरा मँडराता रहा है। और इनमें से कुछ झुंड हर साल यहाँ चरागाहों पर आकर धावा बोलते थे।”
5 गाद का गोत्र सिर पर मँडराते इस खतरे का सामना कैसे करता? सदियों पहले, उनके पुरखा याकूब ने मरने से पहले भविष्यवाणी की थी: “गाद पर एक दल चढ़ाई तो करेगा; पर वह उसी दल के पिछले भाग पर छापा मारेगा।” (उत्पत्ति 49:19) ऊपरी तौर पर ये शब्द शायद निराश करनेवाले लगें। मगर असल में, इन शब्दों से मानो गाद के गोत्र को यह हुक्म मिला था कि वे भी जवाबी हमला करें। याकूब ने उन्हें भरोसा दिलाया कि अगर वे हमला करेंगे, तो लुटेरों को हार मानकर भागना पड़ेगा और गाद के लोग उनका पीछा करेंगे।
इंसाइट-1 पेज 289 पै 2
बिन्यामीन
याकूब ने अपनी मौत से पहले अपने प्यारे बेटे बिन्यामीन के बारे में कहा, “बिन्यामीन एक भेड़िए की तरह अपने शिकार को फाड़ खाता रहेगा। सुबह वह अपना शिकार खाएगा और शाम को लूट का माल बाँटेगा।” (उत 49:27) इस तरह याकूब ने भविष्यवाणी की कि बिन्यामीन के वंशज युद्ध में माहिर होंगे। सच में ऐसा ही था। बिन्यामीन गोत्र के सैनिक दाएँ-बाएँ दोनों हाथों से गोफन चला सकते थे और उनका निशाना अचूक होता था। कहा जाता था कि अगर वे “एक बाल पर भी निशाना लगाते,” तो उनका निशाना खाली नहीं जाता था। (न्या 20:16, फु.; 1इत 12:2) क्रूर राजा एगलोन को मारनेवाला बिन्यामीन गोत्र का एहूद था। वह एक न्यायी था और बाएँ हाथ से काम करता था। (न्या 3:15-21) यह भी गौर करनेवाली बात है कि जब इसराएल राष्ट्र की हुकूमत की “सुबह” यानी शुरूआत हुई, तब बिन्यामीन का गोत्र ‘इसराएल का सबसे छोटा गोत्र’ था। फिर भी इसराएल का पहला राजा उसी गोत्र से आया। उसका नाम शाऊल था और वह कीश का बेटा था। वह एक बहादुर सैनिक था और उसने कई बार पलिश्तियों पर जीत हासिल की। (1शम 9:15-17, 21) उसी तरह, जब इसराएल राष्ट्र की मानो “शाम” हुई, तब भी बिन्यामीन गोत्र में से रानी एस्तेर और प्रधानमंत्री मोर्दकै ने इसराएलियों को मिटने से बचाया। यह तब की बात थी जब इसराएली फारस के साम्राज्य के अधीन थे।—एस 2:5-7.
22-28 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | निर्गमन 1-3
“मैं वह बन जाऊँगा जो मैं बनना चाहता हूँ”
यहोवा के महान नाम का आदर कीजिए
4 निर्गमन 3:10-15 पढ़िए। जब मूसा 80 साल का था, तब परमेश्वर ने उसे एक भारी ज़िम्मेदारी सौंपी। उसने मूसा को आज्ञा दी, ‘तू मेरी इसराएली प्रजा को मिस्र से निकाल ले आ।’ इस पर मूसा ने बड़े आदर के साथ परमेश्वर से एक सवाल पूछा, जो बहुत अहमियत रखता है। एक तरह से उसने पूछा, ‘तेरा नाम क्या है?’ लेकिन परमेश्वर का नाम तो उसके सेवक बरसों से जानते थे, तो फिर मूसा ने यह सवाल क्यों पूछा? ज़ाहिर है वह इस बारे में और जानना चाहता था कि यहोवा कैसा शख्स है। वह परमेश्वर के बारे में ऐसी बात जानना चाहता था जिससे वह उसके लोगों को यकीन दिला पाता कि वह वाकई उन्हें छुटकारा दिलाएगा। मूसा का यह पूछना वाजिब था क्योंकि इसराएली काफी समय से गुलाम थे। शायद वे इस बात का यकीन नहीं करते कि उनके पुरखों का परमेश्वर उन्हें छुड़ा सकता है। कुछ इसराएली तो मिस्र के देवी-देवताओं की उपासना तक करने लगे थे!—यहे. 20:7, 8.
राज किताब पेज 43, बक्स
परमेश्वर के नाम का मतलब
इब्रानी में यहोवा नाम एक क्रिया से निकला है जिसका मतलब है “बनना।” कुछ विद्वानों को लगता है कि यह क्रिया बताती है कि कोई है जो बना रहा है। इसलिए बहुत-से लोग मानते हैं कि परमेश्वर के नाम का मतलब है, “वह बनने का कारण होता है।” यह परिभाषा यहोवा पर बिलकुल ठीक बैठती है क्योंकि वह सब चीज़ों का बनानेवाला है। उसने इस विश्व, इंसानों और स्वर्गदूतों की सृष्टि की है (या उनके बनने का कारण हुआ)। साथ ही समय के गुज़रते वह ऐसे काम करता आया है जिससे उसकी मरज़ी और उसका मकसद पूरा हो।
तो फिर, निर्गमन 3:13, 14 में यहोवा ने जो कहा उसका क्या मतलब है? मूसा ने उससे पूछा था, “अगर मैं इसराएलियों के पास जाकर उनसे कहूँ, ‘तुम्हारे पुरखों के परमेश्वर ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है’ और वे मुझसे पूछें, ‘उस परमेश्वर का नाम क्या है?’ तो मैं उनसे क्या कहूँ?” यहोवा ने कहा, “मैं वह बन जाऊँगा जो मैं बनना चाहता हूँ।”
ध्यान दीजिए कि मूसा ने यहोवा से यह नहीं पूछा कि उसका नाम क्या है। मूसा और इसराएली उसका नाम अच्छी तरह जानते थे। मूसा चाहता था कि यहोवा अपने बारे में कोई ऐसी बात बताए जिससे उस पर लोगों का विश्वास मज़बूत हो, ऐसी बात जो उसके नाम के मतलब से भी ज़ाहिर हो। इसलिए जवाब में जब यहोवा ने कहा, “मैं वह बन जाऊँगा जो मैं बनना चाहता हूँ” तो उसने अपने बारे में यह रोमांचक बात बतायी: अपना मकसद पूरा करने के लिए उसे जो बनना ज़रूरी है वह बन जाता है। मिसाल के लिए, मूसा और इसराएलियों की खातिर यहोवा एक छुड़ानेवाला, कानून बनानेवाला, ज़रूरी चीज़ें देनेवाला और बहुत कुछ बना। इस तरह यहोवा अपने लोगों से किए वादों को पूरा करने के लिए जो ज़रूरी है वह बनने का फैसला करता है। मगर यहोवा नाम का मतलब सिर्फ इतना नहीं कि वह जो चाहे बन सकता है बल्कि इसमें यह भी शामिल है कि अपना मकसद पूरा करने के लिए वह अपनी सृष्टि को भी जो चाहे बना सकता है।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
सज04 4/8 पेज 6 पै 5, अँग्रेज़ी
क्या मूसा नाम का सच में कोई आदमी था?
क्या इस बात पर हमें ताज्जुब करना चाहिए कि एक मिस्री राजकुमारी ने एक इब्री बच्चे को गोद लिया था? नहीं, क्योंकि मिस्रियों के धर्म में सिखाया जाता था कि अच्छे काम करके ही स्वर्ग हासिल होता है। जहाँ तक गोद लेने की बात है, पुरातत्ववेत्ता जॉइस टिल्डेसली का कहना है, “मिस्र में आदमी-औरत का समान दर्जा होता था। वहाँ ऐसे नियम बनाए गए थे जिससे औरतों को कानूनी और आर्थिक तौर पर वही अधिकार दिए जाते, जो आम तौर पर आदमियों को मिलते थे . . . और औरतें चाहें तो बच्चे गोद ले सकती थीं।” गोद लेने के बारे में एक प्राचीन दस्तावेज़ में बताया गया है कि एक मिस्री औरत ने अपने गुलामों को गोद लिया था। बाइबल में हम पढ़ते हैं कि फिरौन की बेटी ने मूसा की असली माँ को बच्चे की देखभाल करने के लिए रखा था और उसे मज़दूरी दी गयी थी। दी ऐंकर बाइबल डिक्शनरी के मुताबिक प्राचीन मेसोपोटामिया में बच्चे गोद लेने पर इसी तरह के इंतज़ाम किए जाते थे।
निर्गमन किताब की झलकियाँ
3:1—यित्रो किस तरह का याजक था? कुलपिताओं के ज़माने में, परिवार का मुखिया अपने परिवार के लिए याजक का काम करता था। सबूतों से ज़ाहिर होता है कि यित्रो किसी मिद्यानी गोत्र का कुलपिता था। मिद्यानी, इब्राहीम की पत्नी कतूरा की संतान थे, इसलिए शायद वे भी यहोवा की उपासना के बारे में जानते थे।—उत्पत्ति 25:1, 2.
29 जून–5 जुलाई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | निर्गमन 4-5
“तू बात कर, मैं तेरी मदद करूँगा”
सफाई पेश करना—यहोवा इसे किस नज़र से देखता है?
“मैं इतना काबिल नहीं।” आप शायद सोचें कि आप खुशखबरी सुनाने के काबिल नहीं। बाइबल के ज़माने में भी यहोवा के कुछ वफादार सेवकों को लगा था कि वे यहोवा के दिए काम को पूरा करने के काबिल नहीं हैं। मूसा का उदाहरण ही ले लीजिए। जब मूसा को यहोवा से एक खास काम करने की आज्ञा मिली तो मूसा ने कहा: “माफ करना यहोवा, मैं बोलने में निपुण नहीं हूँ, मैं साफ-साफ बोल नहीं पाता। न तो मैं पहले कभी बोलने में कुशल था और न ही जब से तूने मुझसे बात की तब से कुशल बना हूँ।” हालाँकि यहोवा ने उसे भरोसा दिलाया मगर मूसा ने कहा: “माफ करना यहोवा, तू इस काम के लिए किसी और को चुनकर भेज।” (निर्ग. 4:10-13) तब यहोवा ने क्या किया?
क्या आप “अदृश्य परमेश्वर” को देख सकते हैं?
5 मूसा के मिस्र वापस लौटने से पहले, परमेश्वर ने उसे एक ज़रूरी सबक सिखाया। इस सबक के बारे में मूसा ने आगे चलकर अय्यूब की किताब में लिखा: “प्रभु [यहोवा] का भय मानना यही बुद्धि है।” (अय्यू. 28:28) मूसा को अपने अंदर सही किस्म का भय पैदा करना और बुद्धि से चलना सिखाने के लिए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा ने इंसानों की तुलना खुद से की। उसने मूसा से पूछा: “मनुष्य का मुंह किस ने बनाया है? और मनुष्य को गूंगा, वा बहिरा, वा देखनेवाला, वा अन्धा, मुझ यहोवा को छोड़ कौन बनाता है?”—निर्ग. 4:11.
6 यहोवा दरअसल मूसा से क्या कहना चाहता था? यही कि मूसा को फिरौन के पास भेजनेवाला खुद यहोवा था, इसलिए उसे डरने की ज़रूरत नहीं थी। परमेश्वर मूसा को हिम्मत देता, ताकि वह फिरौन को परमेश्वर का पैगाम सुना सके। और यह पहली बार नहीं था कि मिस्र में परमेश्वर के लोगों की जान खतरे में थी। हो सकता है मूसा ने याद किया हो कि कैसे पहले भी यहोवा ने अब्राहम, यूसुफ और खुद उसे मिस्र के दूसरे कुछ फिरौन से बचाया था। जी हाँ, यहोवा के आगे फिरौन कुछ भी नहीं था। (उत्प. 12:17-19; 41:14, 39-41; निर्ग. 1:22–2:10) मूसा “अदृश्य परमेश्वर” को देख सकता था, इसलिए वह हिम्मत के साथ फिरौन के पास गया और उसे यहोवा का संदेश शब्द-ब-शब्द कह सुनाया।
सफाई पेश करना—यहोवा इसे किस नज़र से देखता है?
यहोवा ने फिर भी मूसा से ही काम लिया, लेकिन उसकी मदद के लिए हारून को साथ भेजा। (निर्ग. 4:14-17) इसके अलावा जैसे-जैसे साल गुज़रे यहोवा मूसा के साथ रहा और जो काम उसने मूसा को दिया था उसे पूरा करने के लिए उसे हर तरह से मदद दी। आप इस बात का भरोसा रख सकते हैं कि आज भी यहोवा अनुभवी भाई-बहनों के ज़रिए प्रचार काम को पूरा करने के लिए आपकी मदद कर सकता है। इस सबसे बढ़कर परमेश्वर का वचन हमें यकीन दिलाता है कि यहोवा उसके दिए काम को पूरा करने के लिए हमें काबिल बनाएगा।—2 कुरिं. 3:5; “मेरी ज़िंदगी के सबसे खुशहाल साल” बक्स देखिए।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
पाठकों के प्रश्न
“तू मेरे लिए खून का दूल्हा है,” सिप्पोरा का यह कहना कुछ अजीब-सा लगता है। सिप्पोरा के इन शब्दों से खुद उसके बारे में क्या पता चलता है? उसने खतने के नियम का पालन करके यह कबूल किया कि वह यहोवा के साथ एक करार में बंधी है। बाद में इसराएलियों के साथ किए गए कानून के करार ने दिखाया कि यहोवा के साथ जो भी करार किया जाता है, उसमें यहोवा एक पति जैसा होता है जबकि दूसरा पक्ष एक पत्नी की भूमिका अदा करता है। (यिर्मयाह 31:32) तो यहोवा को (उसके प्रतिनिधि, स्वर्गदूत के ज़रिए) “खून का दूल्हा” कहकर, सिप्पोरा शायद यह बता रही थी कि उसे उस करार की शर्तों को पूरा करना मंज़ूर है। यह ऐसा था मानो खतने के करार के तहत उसने यहोवा को अपना पति माना और एक पत्नी की तरह उसके अधीन रहना कबूल किया। सिप्पोरा के कहने का जो भी मतलब रहा हो, मगर यह साफ है कि उसने परमेश्वर के नियम को मानने के लिए तुरंत और सही कार्यवाही की जिस वजह से उसके बेटे की जान बच गयी।
इंसाइट-2 पेज 12 पै 5
यहोवा
किसी व्यक्ति को महज़ पहचानने का यह मतलब नहीं कि हम उसे अच्छी तरह ‘जानते’ हैं। मूर्ख नाबाल दाविद को नाम से पहचानता था। फिर भी जब उसने कहा कि “दाविद कौन है?” तो उसके कहने का मतलब था कि “उसकी औकात क्या है?” (1शम 25:9-11; कृपया 2शम 8:13 से तुलना करें।) उसी तरह फिरौन ने भी मूसा से पूछा, “यह यहोवा कौन है कि मैं उसकी बात मानकर इसराएल को जाने दूँ? मैं किसी यहोवा को नहीं जानता और मैं इसराएल को हरगिज़ नहीं जाने दूँगा।” (निर्ग 5:1, 2) दरअसल फिरौन यह कहना चाह रहा था कि वह यहोवा को सच्चा परमेश्वर नहीं मानता, न ही वह यह मानता है कि यहोवा को मिस्र के राजा और उसके फैसलों पर कोई अधिकार है। वह यह भी कबूल नहीं कर रहा था कि यहोवा ने मूसा और हारून के ज़रिए अपना जो मकसद बताया था, उसे वह पूरा करने की ताकत रखता है। लेकिन अब फिरौन, मिस्र के सभी लोग और इसराएली सही मायनो में जान जाएँगे कि यहोवा कौन है। यह कैसे होता? जैसे यहोवा ने मूसा को समझाया था, वह इसराएल से जुड़ा अपना मकसद पूरा करता यानी उन्हें गुलामी से आज़ाद करवाता, वादा किए गए देश में पहुँचाता और उनके पुरखों से किया करार पूरा करता। इस तरह परमेश्वर के वे शब्द पूरे होते जो उसने इसराएलियों से कहे थे, “तुम बेशक जान लोगे कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”—निर्ग 6:4-8.