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“तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना”यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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9. शीलो कौन था, और वह किस तरह का शिक्षक था?
9 सदियाँ बीत गयीं। और “जब उचित अवसर आया,” तब शीलो यानी प्रभु यीशु मसीह इस पृथ्वी पर प्रकट हुआ। (गलतियों 4:4, ईज़ी-टू-रीड वर्शन; इब्रानियों 1:1,2) इस तरह जब यहोवा ने अपने सबसे अज़ीज़ सेवक को प्रवक्ता बनाकर यहूदियों के पास भेजा तो इससे ज़ाहिर हुआ कि वह अपने लोगों से कितना प्रेम करता है। यीशु किस तरह का प्रवक्ता साबित हुआ? सर्वश्रेष्ठ! यीशु सिर्फ प्रवक्ता ही नहीं बल्कि एक निपुण शिक्षक भी था। और क्यों ना हो, आखिर उसका सिखानेवाला, यहोवा परमेश्वर खुद एक बेजोड़ उपदेशक है। (यूहन्ना 5:30; 6:45; 7:15,16,46; 8:26) इस बात का सबूत हम यशायाह की भविष्यवाणी में यीशु के इन शब्दों से देख सकते हैं: “प्रभु यहोवा ने मुझे सीखनेवालों की जीभ दी है कि मैं थके हुए को अपने वचन के द्वारा संभालना जानूं। भोर को वह नित मुझे जगाता और मेरा कान खोलता है कि मैं शिष्य के समान सुनू।”—यशायाह 50:4.b
10. यहोवा को अपने लोगों से जो प्यार है, वही प्यार यीशु ने कैसे दिखाया मगर बदले में लोगों ने क्या नज़रिया दिखाया?
10 धरती पर आने से पहले, यीशु ने स्वर्ग में अपने पिता के साथ काम किया था। पिता और पुत्र के बीच कितना प्यारा और गहरा रिश्ता है, इस बारे में नीतिवचन 8:30 में एक कविता के रूप में वर्णन किया गया है: ‘तब मैं कारीगर सा [यहोवा के] पास था; और प्रति दिन मैं उसकी प्रसन्नता था, और हर समय उसके साम्हने आनन्दित रहता था।’ यीशु को अपने पिता की बातें सुनने में बड़ा आनंद मिलता था। अपने पिता की तरह उसे भी “मनुष्यों” से प्रेम था। (नीतिवचन 8:31) इसलिए जब वह पृथ्वी पर आया, तो उसने “थके हुए को अपने वचन” से सँभाला। उसने अपनी सेवकाई की शुरूआत, यशायाह की भविष्यवाणी के ये दिलासा देनेवाले शब्द पढ़कर की: “प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उस ने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, . . . [कि] कुचले हुओं को छुड़ाऊं।” (लूका 4:18; यशायाह 61:1) कंगालों के लिए सुसमाचार! थके-हारे लोगों के लिए विश्राम! यह घोषणा सुनकर लोगों को कितना खुश होना चाहिए! कुछ लोग वाकई खुश हुए मगर सभी नहीं। अंत में, कई लोगों ने उन सबूतों को ठुकरा दिया जिनसे पता लगता था कि यीशु, यहोवा का सिखलाया हुआ है।
11. कौन यीशु के साथ उसका जूआ उठाते हैं, और उन्हें कैसा महसूस होता है?
11 मगर कुछ लोग यीशु की शिक्षाएँ सुनना चाहते थे। इसलिए उन्होंने यीशु का यह प्यार-भरा न्यौता बड़ी खुशी से स्वीकार किया: “हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे।” (मत्ती 11:28,29) यीशु के पास आनेवालों में वे लोग भी शामिल थे जो उसके प्रेरित बने। वे जानते थे कि यीशु का जूआ उठाने का मतलब है, कड़ी मेहनत करना। उन पर कई ज़िम्मेदारियाँ आतीं जिनमें एक थी, दुनिया के कोने-कोने तक राज्य का सुसमाचार फैलाना। (मत्ती 24:14) जब प्रेरित और बाकी चेले यह काम करने में जुट गए, तो उनके मन को सचमुच विश्राम मिला। आज वफादार मसीही भी यही काम कर रहे हैं और उन्हें भी प्रेरितों जैसी खुशियाँ मिलती हैं।
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“तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना”यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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b ऐसा लगता है कि आयत 4 से लेकर अध्याय के आखिर तक लेखक, यशायाह अपने ही बारे में बात कर रहा है। इन आयतों में वह जिन परीक्षाओं का ज़िक्र करता है, उनमें से कुछ से शायद वह भी गुज़रा हो। मगर, इस भविष्यवाणी का एक-एक शब्द सही मायनों में यीशु मसीह पर पूरा उतरता है।
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