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  • परमेश्‍वर के प्रार्थना के भवन में परदेशी इकट्ठे किए गए
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • परदेशी और खोजे के लिए दिलासा

      6. अब किन दो समूहों पर ध्यान दिया जाता है?

      6 यहोवा अब ऐसे दो समूहों से बात करता है जो उसकी सेवा करना तो चाहते हैं, मगर मूसा की व्यवस्था के मुताबिक वे यहूदियों की मंडली में शामिल होने के योग्य नहीं हैं। हम पढ़ते हैं: “जो परदेशी यहोवा से मिल गए हैं, वे न कहें कि यहोवा हमें अपनी प्रजा से निश्‍चय अलग करेगा; और खोजे भी न कहें कि हम तो सूखे वृक्ष हैं।” (यशायाह 56:3) परदेशियों को हमेशा यह डर रहता था कि उन्हें इस्राएलियों के बीच में से निकाल दिया जाएगा। और खोजे को यह दुःख खाए जाता था कि उसकी कभी कोई संतान नहीं होगी जो उसके वंश को आगे बढ़ाए। लेकिन भविष्यवाणी में उन्हें हिम्मत न हारने के लिए कहा जाता है। इसका कारण जानने से पहले आइए देखें कि मूसा की व्यवस्था के तहत इस्राएल जाति में इन दोनों समूह के लोगों की क्या जगह थी।

      7. इस्राएल देश में रहनेवाले परदेशियों पर व्यवस्था ने कौन-सी पाबंदियाँ लगायी थीं?

      7 खतनारहित परदेशियों को इस्राएलियों के साथ उपासना करने की इजाज़त नहीं थी। मिसाल के लिए, वे फसह के भोज में हिस्सा नहीं ले सकते थे। (निर्गमन 12:43) देश की कानून-व्यवस्था का आदर करनेवाले परदेशियों को इंसाफ मिलता था और उनका सत्कार किया जाता था। लेकिन इस्राएल जाति के साथ उनका कोई पक्का रिश्‍ता नहीं था। दूसरी तरफ, ऐसे परदेशी भी थे जो व्यवस्था के सभी नियमों को मानते थे और इसकी निशानी के तौर पर उनके पुरुष खतना करवाते थे। इस तरह वे यहूदी मतधारक बन जाते थे, जिन्हें यहोवा के भवन के आँगन में उपासना करने का अवसर मिलता था और उन्हें इस्राएल की मंडली का एक हिस्सा माना जाता था। (लैव्यव्यवस्था 17:10-14; 20:2; 24:22) लेकिन ये यहूदी मतधारक भी, इस्राएलियों के साथ यहोवा की वाचा के पूरी तरह भागीदार नहीं हो सकते थे, और वादा किए हुए देश में उन्हें ज़मीन का कोई हिस्सा नहीं मिलता। बाकी परदेशी, यहोवा के मंदिर की ओर मुँह करके प्रार्थना कर सकते थे और जैसा शायद बाद में होने लगा वे याजकवर्ग के ज़रिए बलिदान भी चढ़ा सकते थे, बशर्ते ये बलिदान व्यवस्था के नियमों के मुताबिक होते। (लैव्यव्यवस्था 22:25; 1 राजा 8:41-43) लेकिन इस्राएलियों को उनके साथ ज़्यादा मेल-जोल नहीं बढ़ाना था।

      खोजों को न मिटनेवाला नाम दिया जाता है

      8. (क) मूसा की व्यवस्था के मुताबिक खोजों की क्या जगह थी? (ख) गैर-यहूदी जातियों में खोजों को किस काम के लिए इस्तेमाल किया जाता था, और कभी-कभी शब्द “खोजा” का क्या मतलब हो सकता है?

      8 किसी भी खोजे को पूरी तरह इस्राएल जाति का सदस्य नहीं माना जाता था, फिर चाहे उसका जन्म यहूदी माता-पिता से ही क्यों न हुआ हो।a (व्यवस्थाविवरण 23:1) उस ज़माने की कुछ गैर-यहूदी जातियों में खोजों को खास पदवियाँ दी जाती थीं और युद्ध में बंदी बनाए गए कुछ बच्चों के लिंग काटकर उन्हें खोजे बनाना एक आम रिवाज़ था। खोजों को राजा के दरबार में अधिकारियों का पद सौंपा जाता था। वे “स्त्रियों के रखवाले,” “रखेलियों के रखवाले” या रानी के सेवक हुआ करते थे। (एस्तेर 2:3,12-15; 4:4-6,9) लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं मिलता कि इस्राएलियों में ऐसा किया जाता था, ना ही वे अपने राजाओं की सेवा के लिए खास तौर पर खोजों को नियुक्‍त करते थे।b

      9. यहोवा सचमुच के खोजों को क्या दिलासा देता है?

      9 इस्राएल में शारीरिक रूप से खोजों पर, एक तो यहोवा की उपासना के मामले में कई पाबंदियाँ लगी हुई थीं। इसके अलावा, यह बड़े शर्म की बात मानी जाती थी कि वे अपना वंश चलाने के लिए संतान पैदा करने के काबिल नहीं थे। इसलिए भविष्यवाणी के अगले शब्दों से उनको कितना दिलासा मिला होगा! हम पढ़ते हैं: “यहोवा यों कहता है: ‘जो खोजे मेरे सब्तों को मानते और वही करते हैं जो मुझे भाता है तथा मेरी वाचा का दृढ़ता से पालन करते हैं, मैं उन्हें अपने भवन और अपनी शहरपनाह में एक स्मारक, और एक ऐसा नाम दूंगा जो पुत्र और पुत्रियों से उत्तम होगा, मैं उनको सदा का एक ऐसा नाम दूंगा जो मिटाया न जाएगा।’”—यशायाह 56:4,5, NHT.

  • परमेश्‍वर के प्रार्थना के भवन में परदेशी इकट्ठे किए गए
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • a कुछ समय बाद, “खोजा” शब्द दरबारियों के लिए भी इस्तेमाल होने लगा, जिनके बारे में यह नहीं कहा गया है कि उन्हें खोजा बनाने के लिए उनके लिंग काटे जाते थे। जिस कूशी आदमी को फिलिप्पुस ने बपतिस्मा दिया था, उसे भी शायद इसी अर्थ में खोजा कहा गया है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि वह पहले से ही यहूदी मतधारक बन चुका था और उसका बपतिस्मा, खतनारहित गैर-यहूदियों को मसीही बनने का मौका मिलने से पहले हुआ था।—प्रेरितों 8:27-39.

      b यिर्मयाह की मदद करनेवाले एबेदमेलेक को भी एक खोजा कहा गया है, जिसे सीधे राजा से मिलने की इजाज़त थी। वह भी एक दरबारी था, न कि उसे लिंग काटकर खोजा बनाया गया था।—यिर्मयाह 38:7-13.

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