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  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2017
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  • 3-9 अप्रैल
  • 10-16 अप्रैल
  • 17-23 अप्रैल
  • 24-30 अप्रैल
मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2017
mwbr17 अप्रैल पेज 1-3

मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले

3-9 अप्रैल

पाएँ बाइबल का खज़ाना | यिर्मयाह 17-21

“यहोवा को आपकी सोच और आपका चालचलन ढालने दीजिए”

इंसाइट-2 पेज 776 पै 4

पश्‍चाताप

हो सकता है कि एक कुम्हार मिट्टी का कोई बरतन बनाना शुरू करे, लेकिन “उसके हाथ” से “बिगड़” जाने पर वह उसी मिट्टी से दूसरा बरतन बना दे। (यिर्म 18:3, 4) इस उदाहरण के ज़रिए यहोवा यह नहीं कहना चाहता कि जैसे इंसानी कुम्हार के हाथ से बरतन बिगड़ जाता है, वैसे ही “उसके हाथ” से भी “बिगड़” जाता है, बल्कि वह यह कहना चाहता है कि उसे इंसानों पर अधिकार है। जैसे, जब यहोवा इंसानों पर दया और नेकी करता है, तब वे कैसा रवैया रखते हैं? क्या वे उसकी सुनते हैं या अनसुना कर देते हैं? वे जैसा रवैया रखते हैं, वह उनसे वैसा ही व्यवहार करता है। (यश 45:9 और रोम 9:19-21 से तुलना कीजिए।) इस तरह वह “अपनी सोच बदल” सकता है यानी अगर किसी राष्ट्र पर उसने “विपत्ति” लाने की ठानी हो, तो वह उसे ‘नहीं लाएगा’ या अगर उसने उस राष्ट्र के लोगों पर “भलाई करने की ठानी” हो, तो वह उन पर भलाई ‘नहीं करेगा।’ यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि जब यहोवा लोगों के साथ अच्छे से पेश आता है, तब वे कैसा रवैया दिखाते हैं। (यिर्म 18:5-10) इससे पता चलता है कि महान कुम्हार यहोवा गलती नहीं करता है। सबकुछ इंसानों के रवैए पर निर्भर करता है। इंसान मिट्टी की तरह होते हैं, बदलते रहते हैं। जब वे बदलते हैं, तब यहोवा भी उनके मुताबिक अपनी सोच या मन बदलता है।

10-16 अप्रैल

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प्र07 3/15 पेज 11 पै 1, अँग्रेज़ी

यिर्मयाह किताब की झलकियाँ

23:33—“यहोवा का बोझ” क्या है? यिर्मयाह अपने समय में लोगों को यरूशलेम के विनाश के बारे में जो भारी संदेश सुना रहा था, वह संदेश उसके देश के लोगों के लिए एक बोझ जैसा था। लेकिन यहोवा के लिए यही लोग बोझ बन गए थे, क्योंकि वे उसकी नहीं सुन रहे थे, इसलिए वह उन्हें उठाकर फेंक देनेवाला था। इसी तरह ईसाईजगत के नाश के बारे में बाइबल का संदेश ईसाईजगत के लोगों के लिए एक बोझ है और जो लोग इस संदेश पर ध्यान नहीं देते, वे परमेश्‍वर के लिए बोझ हैं।

17-23 अप्रैल

पाएँ बाइबल का खज़ाना | यिर्मयाह 25-28

“यिर्मयाह की तरह साहसी बनिए”

जेरेमायाह पेज 21 पै 13

“आखिरी दिनों” में सेवा करना

13 यिर्मयाह के वक्‍त में यहूदा देश में राजनैतिक उथल-पुथल थी और धार्मिक माहौल बिगड़ा हुआ था, तो फिर यिर्मयाह का संदेश सुनकर धर्मगुरुओं ने क्या किया? भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने बताया, “याजकों, भविष्यवक्‍ताओं और सब लोगों ने [मुझे] पकड़ लिया और कहा, ‘हम तुझे मार डालेंगे।’” वे गुस्से में कहने लगे, “यह आदमी मौत की सज़ा पाने के लायक है।” (यिर्मयाह 26:8-11 पढ़िए।) लेकिन यिर्मयाह के विरोधी कामयाब नहीं हो पाए। यहोवा अपने भविष्यवक्‍ता को बचाने के लिए उसके साथ था। खुद यिर्मयाह भी उनसे नहीं डरा, जबकि उस वक्‍त बहुत सारे लोग उसके खिलाफ उठ खड़े हुए थे और उसे धमकी दे रहे थे। हमें भी ऐसे हालात में डरना नहीं चाहिए।

ढूँढ़ें अनमोल रत्न

जेरेमायाह पेज 27 पै 21

“आखिरी दिनों” में सेवा करना

21 सिदकियाह के राज की शुरूआत में एदोम, मोआब, अम्मोन, सोर और सीदोन के राजाओं ने अपने दूत यरूशलेम भेजे। शायद उनका मकसद था कि वे सिदकियाह को अपने साथ मिला लें और नबूकदनेस्सर के खिलाफ जाएँ। लेकिन यिर्मयाह ने सिदकियाह से बिनती की कि वह बैबिलोन के अधीन हो जाए। साथ ही, उसने दूतों के हाथ जुए भेजे। इससे वह यह दर्शाना चाहता था कि जिन राष्ट्रों से ये दूत आए हैं, उन राष्ट्रों को भी बैबिलोन के अधीन हो जाना चाहिए। (यिर्म. 27:1-3, 14; आयत 1 में यहोयाकीम का ज़िक्र शायद नकलनवीस की गलती की वजह से हुआ है, क्योंकि आयत 3 और 12 में सिदकियाह का ज़िक्र किया गया है।) उस वक्‍त यह सलाह किसी को पसंद नहीं आ रही थी। यिर्मयाह का यह संदेश देने का काम हनन्याह ने और भी मुश्‍किल कर दिया था। हनन्याह एक झूठा भविष्यवक्‍ता था, जो लोगों से कहता था कि परमेश्‍वर बैबिलोन का जुआ तोड़ देगा। लेकिन यहोवा ने यिर्मयाह के ज़रिए यह संदेश दिया कि पाखंडी हनन्याह एक साल के अंदर मर जाएगा। ठीक वही हुआ।—यिर्म. 28:1-3, 16, 17.

जेरेमायाह पेज 187-188 पै 11-12

“मैं चुप नहीं रह सकता”

11 यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि यिर्मयाह सनकी नहीं था। उसने विरोधियों का सामना करने के लिए समझ-बूझ से काम लिया। उसे पता था कि कब उनके सामने से चले जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, जब हनन्याह ने लोगों के सामने यहोवा के संदेश के खिलाफ कहा, तब यिर्मयाह ने उसकी बात सुधारी और बताया कि कैसे एक सच्चे भविष्यवक्‍ता को पहचाना जाता है। यिर्मयाह अपनी गरदन पर लकड़ी का एक जुआ रखे हुए था, ताकि लोग जानें कि उन्हें बैबिलोन के अधीन होना चाहिए। लेकिन हनन्याह ने गुस्से में आकर वह जुआ तोड़ दिया। अब न जाने वह आगे क्या-क्या करता? इस पर यिर्मयाह ने क्या किया? हम पढ़ते हैं, “तब भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह वहाँ से चला गया।” बाद में वह यहोवा से निर्देश पाकर वापस आया। उसने हनन्याह को बताया कि परमेश्‍वर क्या-क्या करनेवाला है यानी जल्द ही यहूदा के लोगों को बैबिलोन का राजा बंदी बना लेगा और हनन्याह मर जाएगा।—यिर्म. 28:1-17.

12 इस घटना से पता चलता है कि प्रचार करते वक्‍त हमें निडर होकर, लेकिन समझ-बूझ से काम लेना है। अगर किसी घर में कोई शास्त्र की बातों से सहमत न हो और गुस्सा हो जाए, यहाँ तक कि मारने-पीटने की धमकी देने लगे, तो हमें बातचीत रोककर शांति से वहाँ से चले जाना चाहिए। हमें किसी से भी राज की खुशखबरी को लेकर बहस नहीं करनी चाहिए। ‘जब कुछ बुरा होता है तब खुद को काबू में रखने’ से हमें घर के मालिक से अगली बार अच्छी बातचीत का मौका मिल सकता है।—2 तीमुथियुस 2:23-25 पढ़िए; नीत. 17:14.

24-30 अप्रैल

पाएँ बाइबल का खज़ाना | यिर्मयाह 29-31

“यहोवा ने नए करार के बारे में भविष्यवाणी की”

इंसाइट-1 पेज 524 पै 3-4

करार

नया करार। ईसा पूर्व 7वीं सदी में यहोवा ने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के ज़रिए नए करार के बारे में भविष्यवाणी की और बताया कि यह कानून के करार की तरह नहीं होगा, जिसे इसराएलियों ने तोड़ दिया। (यिर्म 31:31-34) ईसवी सन्‌ 33 में, नीसान 14 की रात को यीशु ने अपनी मौत से पहले प्रभु के संध्या भोज के इंतज़ाम की शुरूआत की। उस वक्‍त उसने नए करार की घोषणा की, जो उसके बलिदान के आधार पर लागू होता। (लूक 22:20) दोबारा ज़िंदा होने के 50वें दिन यानी स्वर्ग में लौटने के 10 दिन बाद उसने यहोवा से मिली पवित्र शक्‍ति अपने शिष्यों पर उँडेली, जो यरूशलेम में एक घर के ऊपरी कमरे में इकट्ठा थे।—प्रेष 2:1-4, 17, 33; 2कुर 3:6, 8, 9; इब्र 2:3,4.

यह नया करार यहोवा और “परमेश्‍वर के इसराएल” के बीच है। ‘परमेश्‍वर का इसराएल’ पवित्र शक्‍ति से जन्मे होने की वजह से मसीह के साथ एकता में है या यूँ कहें कि उसकी मंडली या उसका शरीर है। (इब्र 8:10; 12:22-24; गल 6:15, 16; 3:26-28; रोम 2:28, 29) नया करार यीशु मसीह के बहाए गए खून (उसके इंसानी जीवन का बलिदान) के आधार पर लागू होता है, जिसकी कीमत यीशु ने स्वर्ग लौटने पर यहोवा को दी। (मत 26:28) जब परमेश्‍वर किसी को स्वर्ग के बुलावे के लिए चुनता है (इब्र 3:1), तब परमेश्‍वर उस व्यक्‍ति को अपने नए करार का भाग बनाता है, जो मसीह के बलिदान के आधार पर किया गया है। (भज 50:5; इब्र 9:14, 15, 26) यीशु मसीह इस नए करार का बिचवई है (इब्र 8:6; 9:15) और अब्राहम का मुख्य वंश भी। (गल 3:16) इस नए करार का बिचवई होने के नाते यीशु उन्हें अब्राहम के वंश का भाग बनने में भी मदद करता है, जो करार का भाग हैं। ऐसा वह उनके पापों की माफी दिलाकर करता है। (गल 3:29; इब्र 2:16) यहोवा उन लोगों को नेक ठहराता है।—रोम 5:1, 2; 8:33; इब्र 10:16, 17.

जेरेमायाह पेज 173-174 पै 11-12

आप नए करार से फायदा पा सकते हैं

11 क्या आप इस नए करार के दूसरे खास पहलुओं के बारे में जानना चाहेंगे? कानून के करार और नए करार के बीच एक बड़ा फर्क यह है कि वे अलग-अलग चीज़ों पर लिखे गए थे। (यिर्मयाह 31:33 पढ़िए।) कानून के करार की दस आज्ञाएँ पत्थर की पटियाओं पर लिखी गयी थीं, जो बाद में गायब हो गयीं। लेकिन यिर्मयाह ने नए करार के बारे में भविष्यवाणी की थी कि यह कानून के करार से बिलकुल अलग इंसानों के दिलों पर लिखा जाएगा और कभी गायब नहीं होगा, बल्कि हमेशा रहेगा। जो अभिषिक्‍त मसीही इस नए करार का भाग हैं, वे इस करार की बहुत कदर करते हैं। जो लोग इस करार का सीधा-सीधा भाग नहीं हैं यानी “दूसरी भेड़ें” जिन्हें इस धरती पर हमेशा जीने की आशा है, वे इस करार के बारे में क्या सोचते हैं? (यूह. 10:16) वे भी ­परमेश्‍वर के इस करार में दिए नियम-कानून से खुशी पाते हैं। एक तरह से कहें तो वे इसराएलियों के बीच रहनेवाले परदेसियों की तरह हैं, जिन्होंने मूसा के ज़रिए दिया गया कानून माना और उससे फायदा पाया।—लैव्य. 24:22; गिन. 15:15.

12 वे कौन-से नियम-कानून हैं, जो अभिषिक्‍त मसीहियों के दिलों पर लिखे हुए हैं? ये वही नियम-कानून हैं, जिन्हें “मसीह का कानून” भी कहा जाता है। इसे पहले परमेश्‍वर के इसराएल को दिया गया, जो नए करार का भाग है। (गला. 6:2; रोमि. 2:28, 29) ‘मसीह के कानून’ का निचोड़ है, प्यार। (मत्ती 22:36-39) जो अभिषिक्‍त हैं, वे अपने दिलों में इस कानून को कैसे लिख पाते हैं? खास तौर पर परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करके और यहोवा से प्रार्थना करके। सच्ची उपासना के ये पहलू उन सभी सच्चे मसीहियों की ज़िंदगी का भाग होने चाहिए, जो नए करार से फायदा पाना चाहते हैं, भले ही वे इस करार का भाग हों या नहीं।

जेरेमायाह पेज 177 पै 18

आप नए करार से फायदा पा सकते हैं

18 इस तरह नए करार की वजह से पापी इंसानों के साथ यहोवा के व्यवहार का एक बहुत ही अच्छा पहलू उभरकर आता है। फिर चाहे वे लोग अभिषिक्‍त और नए करार के भाग हों या वे लोग जिन्हें धरती पर जीवन पाने की आशा है। आप यह भरोसा रख सकते हैं कि एक बार यहोवा ने आपके पाप माफ कर दिए, तो वह दोबारा उन्हें याद नहीं करेगा। नए करार के बारे में परमेश्‍वर के वादे से हम सभी एक ज़रूरी बात सीखते हैं। जब हम दूसरों की गलतियाँ माफ कर देते हैं, तो हमें उनका दोबारा ज़िक्र नहीं करना चाहिए। खुद से पूछिए, ‘क्या मैं यहोवा की मिसाल पर चलकर ऐसा करता हूँ?’ (मत्ती 6:14, 15) यह हर तरह की गलतियों पर लागू होता है, फिर चाहे वे छोटी हों या बड़ी। मान लीजिए किसी शादीशुदा मसीही के जीवन साथी ने व्यभिचार किया। लेकिन अब वह बहुत पछता रहा है और उसके निर्दोष साथी ने उसे दिल से माफ करने की हामी भरी है। ऐसे में क्या यह सही नहीं होगा कि वह अपने साथी का ‘पाप फिर कभी याद न करे’? माना कि दूसरों की गलतियाँ भूल जाना आसान नहीं है, लेकिन इस तरह हम यहोवा की मिसाल पर चल सकते हैं।

ढूँढ़ें अनमोल रत्न

सज 6/12 पेज 14 पै 1-2, अँग्रेज़ी

बाइबल—सही-सही भविष्यवाणी करनेवाली किताब, भाग 2

पूर्ति: ईसा पूर्व 607 से लेकर ईसा पूर्व 537 तक यानी 70 साल की कैद के बाद राजा कुसरू ने यहूदी बंदियों को रिहा किया और उन्हें अपने देश वापस जाने की इजाज़त दी, ताकि वे यरूशलेम जाकर मंदिर दोबारा बनाएँ।—एज्रा 1:2-4.

इतिहास क्या बताता है:

● जैसे बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी, क्या इसराएली बैबिलोन में 70 साल तक कैद में रहे? ध्यान दीजिए कि एक नामी इसराएली पुरातत्वज्ञानी एफ्रैम स्टर्न ने इस बारे में क्या कहा, “ईसा पूर्व 604 से लेकर ईसा पूर्व 538 तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिलता, जिससे पता चले कि कोई इलाका बसाया गया था। इस दौरान बैबिलोन के लोगों ने जिन शहरों का नाश किया था, उनमें से एक भी दोबारा नहीं बसाया गया।” जिस दौर में कोई इलाका नहीं बसाया गया, यह वही दौर है जब इसराएली बैबिलोन की कैद में थे यानी ईसा पूर्व 607 से लेकर ईसा पूर्व 537 तक।—2 इतिहास 36:20, 21.

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