क्या आप परमेश्वर की वाचाओं से लाभ उठाएंगे?
“‘तुझ में सब जातियां आशीष पाएंगी’। तो जो विश्वास करनेवाले हैं, वे विश्वासी इब्राहीम के साथ आशीष पाते हैं।”—गलतियों ३:८, ९.
१. बहुत से शासनों के प्रभाव के विषय में इतिहास क्या बताता है?
अठराहवीं शताब्दी के युरापीय राजा, “परोपकारी (या, प्रबुद्ध) निरंकुश शासक” कहलाये जाते हैं। वह ‘अपनी प्रजा के ऊपर, पिता की दया दिखाते हुये अच्छी तरह से शासन करने की कोशिश करते थे, लेकिन उनकी योजनायें गलत हो जाती थी और उनके किये गये सुधार असफल हो जोते थे।’a (द इनसाइक्लोपीडिया अमेरिकाना) यह यूरोप में शीघ्र होने वाली क्रान्तियों का एक मुख्य कारण था।
२, ३. यहोवा मानवशासकों से कैसे अलग हैं?
२ यहोवा उन मानवीय शासकों से कितने भिन्न हैं जिनके भविष्य के विषय में कुछ कहा नहीं जा सकता है। हम कितनी आसानी से देख सकते हैं कि मनुष्यजाति को ऐसे परिवर्तन की अति आवश्यकता है जो आखिरकार, अन्याय और पीड़ाओं का वास्तविक उपचार होगा। लेकिन हमें चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं कि ऐसा करने के लिये परमेश्वर की क्रियायें किसी काल्पनिक तरंग पर आधारित हैं। दुनिया में सबसे अधिक वितरण होनेवाली पुस्तक में उन्होंने अपनी इस प्रतिज्ञा का प्रमाण दिया है कि वह विश्वासी मानवजाति को हमेशा की आशीषें देंगे। यह इस बात पर निर्भर नहीं करेगा कि लोगों की पहली राष्ट्रीयता, जाति, शिक्षा या सामाजिक स्थिति क्या थी। (गलतियों ३:२८) लेकिन क्या आप इस पर भरोसा कर सकते हैं?
३ प्रेरित पौलुस ने, परमेश्वर द्वारा इब्राहीम को दिये गये आश्वासन के कुछ भाग का उल्लेख करते हुये कहा: “मैं सचमुच तुझे बहुत आशीषें दूँगा।” आगे चलकर पौलुस ने कहा क्योंकि “परमेश्वर का झूठा ठहरना अनहोना है,” हमारा “दृढ़ता से ढाढ़स बन्ध जाये, कि उस आशा को जो सम्हने रखी हुई है प्राप्त करें।” (इब्रानियों ६:१३-१८) उन आशीषों पर हमारा भरोसा और भी ज़्यादा मज़बूत हो जाता है जब हम इस बात की ओर ध्यान देते हैं कि किस क्रमानुसार परमेश्वर ने इसे पूरा करने का आधार रखा है।
४. परमेश्वर ने अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिये कैसे विभिन्न वाचाओ को उपयोग किया?
४ हम देख चुके हैं कि परमेश्वर ने इब्राहिम के साथ एक वाचा बाँधी जिसमें, एक वंश है जो “पृथ्वी के सब राज्यों” को आशीश देने के उपकरण के रूप में हैं। (उत्पत्ति २२:१७, १८) इस्राएली एक शारिरिक वंश बनें, परन्तु एक और अधिक महत्त्वपूर्ण आत्मिक रीति से यीशु मसीह इब्राहीम के वंश का एक मुख्य भाग साबित हुये। यीशु मसीह बड़े इब्राहिम यहोवा के पुत्र या वंश भी थे। इब्राहीम के वंश का दूसरा भाग उन मसीहियों से बना है जो “मसीह के हैं”। (गलतियों ३:१६, २९) इब्राहीम की वाचा के बाद परमेश्वर ने अस्थायी रूप से इस्राएल के साथ व्यवस्था की वाचा बाँधी। जिससे यह सिद्ध हुआ कि इस्राएली पापी हैं और उन्हें एक स्थायी याजक और एक सिद्ध बलिदान की आवश्यकता है। इससे वंश के कुल की रक्षा हुई और उसे पहचानने में सहायता मिली। व्यवस्था की वाचा ने यह भी दिखाया कि किस तरह परमेश्वर, राजा-याजको का एक राज्य लायेंगे। जब व्यवस्था की वाचा लागू ही थी, परमेश्वर ने दाऊद के साथ यह वाचा बाँधी कि इस्राएल में एक राजकीय राजवंश होगा। दाऊद के राज्य की वाचा ने यह भी संकेत किया कि पृथ्वी पर किसी का स्थायी शासन होगा।
५. किन प्रश्नों या समस्याओं का हल करने की अभी भी आवश्यकता थी?
५ फिर भी इन वाचाओं के ऐसे पहलु या लक्ष्य थे जो अधूरे और अस्पष्ट मालूम पड़ते थे। उदाहरण के लिये, यदि आनेवाला वंश दाऊद के कुल से राजा बनेगा, तो वह कैसे एक स्थायी याजक हो सकता है जो पिछले याजकों से ज्यादा कुछ कर सकेगा? (इब्रानियों ५:१; ७:१३, १४) क्या यह राजा एक सीमित, पृथ्वी के क्षेत्र से अधिक क्षेत्र पर शासन करेगा? वंश के द्वितीय भाग बड़े इब्राहीम के कुल में होने के योग्य कैसे हो सकते हैं? और यदि वह हो भी सकते हैं तो उनका क्षेत्र कौनसा होगा, क्योंकि उसके अधिकतर सदस्य दाऊद के वंशज नहीं है? आइये देखें की कैसे परमेश्वर ने कानूनी कदम उठाये कुछ और वाचाओं को उसमें जोड़कर, जिससे इन सवालों का जवाब मिल सकता है और हमारे अनन्त आशीषों का रास्ता खुल गया।
एक स्वर्गीय याजक के लिये वाचा
६, ७. (क) भजनसंहिता ११०:४ के अनुसार, परमेश्वर ने कौन सी अतिरिक्त वाचा स्थापित की? (ख) कौन सी पृष्टभूमिका इस अतिरिक्त वाचा को समझने में सहायक है?
६ जैसा कि हमने देखा, व्यवस्था की वाचा के क्षेत्र में ही परमेश्वर ने दाऊद से वाचा बाँधी जिसमें एक उत्तराधिकारी (एक वंश) पृथ्वी के क्षेत्र पर सदा शासन करेगा। परन्तु यहोवा ने दाऊद पर यह भी प्रकट किया कि एक, हमेशा का याजक भी आने वाला है। दाऊद ने लिखा: “यहोवा ने शपथ खाई (और न पछतायेंगे) कि ‘तू मेल्कीसेदेक की रीति पर सर्वदा का याजक है!’” (भजन संहिता ११०:४ न्यू.व) परमेश्वर के शपथ के इस वचन के पीछे ऐसा क्या था जो यहोवा और आने वाले याजक के बीच एक व्यक्तिगत वाचा के बराबर था?
७ मेल्कीसेदेक, प्राचीन शालेम का राजा था जो सही ढंग से उस जगह पर था जहाँ बाद में येरूशलेम (एक नाम जो “शालेम” से मिलकर बना था) के शहर को बनाया गया। उससे, इब्राहीम के व्यवहार का लेख यह विशेष रूप से प्रदर्शित करता है कि वह एक राजा था जो “परमप्रधान ईश्वर” की उपासना करता था। (उत्पत्ति १४:१७-२०) लेकिन भजन संहिता ११०:४ में परमेश्वर के द्वारा कहे वचन यह बताता हैं कि मेल्कीसेदेक एक याजक भी था, जिससे वह एक अतुलनीय व्यक्ति बन गया। वह एक राजा और याजक दोनों था, और वह, वहाँ सेवा करता था जहाँ बाद में दाऊद के वंश के राजा और लेवी याजक अपने परमेश्वर द्वारा प्रबन्ध किये गये कार्यों को करते थे।
८. मेल्कीसेदेक की रीति पर याजक की वाचा किस के याथ की गई, और किस नतीजे के साथ?
८ मेल्कीसेदेक की रीति पर याजक की वाचा के विषय में पौलुस हमें कुछ और सूचनायें देता है। उदाहरण के लिये, वह कहता है कि वह यीशु मसीह है जो “परमेश्वर की ओर से मेल्कीसेदेक की रीति पर महायाजक कहलाया गया।” (इब्रानियों ५:४-१०; ६:२०; ७:१७, २१, २२) यद्यपि, प्रत्यक्ष रूप से मेल्कीसेदेक के मानवीय माता-पिता थे, परन्तु उसकी वंशावली का कोई लेख नहीं है। इसलिये, मल्कीसेदेक की लिखित वंशावली के अनुसार महायाजक का पद ग्रहण करने के अपेक्षया यीशु की नियुक्ति बल्कि, सीधे रूप से परमेश्वर की ओर से थी। यीशु का याजकीय पद किसी और को उत्तराधिकार के रूप में नहीं दिया जाएगा, “क्योंकि वह चिरस्थायी रूप से याजक रहेंगे।” यह इसलिये है कि उनकी याजकीय सेवा के लाभ भी हमेशा के लिये हैं। हम निश्चय ही ऐसा याजक होने से, आशीष पा सकते हैं जो “उसके द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं, वह उनका पूरा-पूरा उद्धार कर सकता है” और जो विश्वासीयों को हमेशा निर्देशन और सुरक्षा दे सकते हैं।—इब्रानियों ७:१-३, १५-१७, २३-२५.
९, १०. परमेश्वर के उद्देश्य की पूर्ति कैसे होगी, इसके बारे में पाँचवी वाचा का ज्ञान, हमारी समझ को कैसे बढ़ाएगा?
९ एक और आवश्यक तथ्य यह है कि यीशु का एक राजा-याजक होने का काम, पृथ्वी के क्षेत्र से भी बाहर तक है। दाऊद ने उसी लेख में जहाँ उसने मेल्कीसेदेक की रीति पर याजक का यह वाचा का वर्णन किया था, लिखा: “मेरे प्रभु से यहोवा की यह वाणी: ‘मेरे दाहिने हाथ बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों तले की चौकी न कर दुँ।’” तो हम देख सकते हैं कि यीशु—दाऊद के प्रभु—को स्वर्ग में यहोवा के साथ एक स्थान मिलना था जो उनका स्वर्ग पर चढ़ने पर हुआ। स्वर्ग से मसीह अपने पिता के साथ, कुशलतापूर्वक अपने अधिकार से, शत्रुओं को अपने आधीन करके न्याय ला सकते हैं।—भजन संहिता ११०:१, २ न्यू.व; प्रेरितों के काम २:३३-३६; इब्रानियों १:३; ८:१; १२:२.
१० इस पाँचवी वाचा के बारे में जानने के बाद हमें, यहोवा का, अपने उद्देश्य को पूरा करने का क्रमानुसार, पूर्ण ढंग का एक विस्तरित दृष्टिकोण मिलता है। इससे यह स्थापित होता है कि वंश का प्रथम भाग स्वर्ग में एक याजक भी होगा और उसका राजा-याजक होने का अधिकार विश्वव्यापी क्षेत्र में होगा।—१ पतरस ३:२२.
नई वाचा और वंश का द्वितीय भाग
११. वंश के द्वितीय भाग के सम्बन्ध में कौन सी कठिनाइयाँ थी?
११ जब हमने पहले इब्राहीम की वाचा को देखा था तो ध्यान दिया था कि स्वाभाविक रूप से यीशु वंश का प्रथम भाग बन गये थे। वह कुलपिता इब्राहीम के सीधे रूप से वंशज थे और एक सिद्ध मानव होने के नाते वह बड़े इब्राहीम के स्वीकृत पुत्र थे। लेकिन उन मनुष्यों के बारे में क्या जिन्हें इब्राहीम के वंश का द्वितीय भाग बनने का विशेषाधिकार प्राप्त है, जो “प्रतिज्ञा के अनुसार वारिस” है? (गलतियों ३:२९) पापी आदम के परिवार के भाग और असिद्ध होने के नाते वह यहोवा यानी बड़े इब्राहीम के परिवार के सदस्य होने के योग्य नहीं होंगे। असिद्धता की इस रुकावट को कैसे दूर किया जा सकता था? यह मनुष्यों के लिये असम्भव था, परन्तु परमेश्वर के लिये असम्भव नहीं था।—मत्ती १९:२५, २६.
१२, १३. (क)परमेश्वर ने एक और वाचा के बारे में पहले से कैसे बताया ? (ख) इस वाचा की कौन सी विशेषता हमारा ध्यान आकर्षित करती है?
१२ जब व्यवस्था की वाचा लागू ही थी, परमेश्वर ने अपने भविष्यवक्ता द्वारा पूर्व बताया: “मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बान्धूंगा। वह उस वाचा के समान न होगी जो मैं ने उनके पुरखाओं से उस समय बाँधी थी . . . ‘उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली’ . . . मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, ओर वे मेरी प्रजा ठहरेंगे . . . और तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा . . . ‘यहोवा को जानो’ क्योंकि . . . सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करुंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करुंगा।”— यिर्मयाह ३१:३१-३४.
१३ इस नई वाचा के एक और पहलु पर गौर कीजिये जो गुनाहो की माफी थी, प्रत्यक्ष रूप से ऐसे ‘तरीके से नहीं’ जो व्यवस्था के आधीन पशुबलियों का प्रबन्ध था। यीशु ने अपने मृत्यु के दिन इस बात पर रौशनी डाली थी। व्यवस्था की माँग के अनुसार उन्होंने अपने शिष्यों के साथ मिलकर फसह का पर्भ मनाया फिर मसीह ने प्रभु के संध्या भोज को स्थापित किया। इस वार्षिक उत्सव में, एक आपस में बांटकर पीने वाला दाखरस का प्याला होना था, जिसके विषय में यीशु ने कहा: “यह कटोरा मेरे उस लोहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नयी वाचा है।”—लूका २२:१४-२०.
१४. वंश के द्वितीय भाग को उत्पन्न करने के लिये नई वाचा क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
१४ इस तरह से यह नई वाचा यीशु के लोहू द्वारा कारगर की जायेगी। इस अति सिद्ध बलिदान के आधार पर परमेश्वर, एक बार हमेशा के लिये ‘गलतीयों और गुनाहों की माफ़ी’ दे सकेगा। सोचिये इसका क्या अर्थ हो सकता है! आदम के परिवार से भक्त मनुष्यों के पापों की पूर्ण रूप से क्षमा करने से, परमेश्वर की दृष्टि में वह पापरहित हो सकते हैं, और वह बड़े इब्राहीम के आत्मिक पुत्रों के रूप में उत्पन्न हो सकता है तथा उनका आत्मा द्वारा अभिषेक हो सकता है। (रोमियों ८:१४-१७) यीशु के बलिदान द्वारा मान्यता प्राप्त इस नई वाचा से उनके शिष्य, इब्राहीम के वंश के द्वितीय भाग बन सकते हैं। पौलुस ने लिखा: “मृत्यु के द्वारा [यीशु] जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे। और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे हैं, उन्हें (वह) छुड़ा ले। क्योंकि वह तो स्वर्गदूतों को नहीं वरन इब्राहीम को संभालता है।”—इब्रानियों २:१४-१६; ९:१४.
१५. नई वाचाओं में कौन-कौन से पक्ष हैं?
१५ जब यीशु उस नई वाचा के मध्यस्थ और मान्यता प्राप्त बलिदान हैं, तो यह वाचा किन-किन के बीच में है? यिर्मयाह ने पूर्व बताया था कि परमेश्वर इस वाचा को “इस्राएल के घराने” के साथ बाँधेंगे। कौन सा इस्राएल? खतनाप्राप्त और व्यवस्था के आधीन शारिरिक इस्राएल नहीं, क्योंकि इस नई वाचा ने पुरानी वाचा को अप्रचलित कर दिया था। (इब्रानियों ८:७, १३; पृष्ठ ३२ देखें।) अब परमेश्वर यहूदी और गैर-यहूदी कौमों के उन लोगों से व्यवहार करेंगे जिनका लाक्षिणक रूप से, विश्वास के द्वारा, ‘हृदय में आत्मा से खतना’ हुआ था। यह उनकी उस बात से मेल खाती है कि, जो कोई नई वाचा में है, उनके ‘मनों और हृदयों पर उनकी व्यवस्था लिखी होगी।’—रोमियों २:२८, २९; इब्रानियों ८:१०) पौलुस ने इन आत्मिक यहूदियों को “परमेश्वर का इस्राएल” कहा है—गलतियों ६:१६; याकूब१:१.
१६. जिस ओर निर्गमन १९:६ संकेत करता है उसे पूरा करने के लिये नई वाचा कैसे सहायता करती है?
१६ क्योंकि परमेश्वर अब आत्मिक इस्राएल से व्यवहार कर रहे थे तो अवसर का एक द्वार खुला। जब परमेश्वर ने व्यवस्था को स्थापित किया था उन्होंने इस्राएल की संतान को “याजको का राज्य और पवित्र जाति” बन जाने को कहा था। (निर्गमन १९:६) वास्तव में शारीरिक इस्राएल कभी भी एक ऐसा राज्य न तो बन सकते थे और न बने जहाँ सब के सब राजा-याहक हो। परन्तु यहूदी और अन्य जाति के वे लोग जो इब्राहीम के वंश के द्वितीय भाग होने के लिये स्वीकृत किये गये वह राजा-याजक बन सकते थे।b पौलस ने ऐसो से कहते हुए पुष्टि की: “तुम एक चुना हुआ वंश और राज-पदधारी, याजको का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिसने तुम्हें अन्धकार में से . . . बुलाया है उसके गुण प्रगट करों।” उसने यह भी लिखा कि ‘एक अजर मीरास उनके लिये स्वर्ग में रखी है।’—१ पतरस १:४; २:९, १०.
१७. नई वाचा, व्यवस्था वाचा से क्यों “बेहतर” है?
१७ नई वाचा, पूर्वस्थापित इब्राहीम की वाचा के साथ मिलकर, परिणामस्वरूप वंश के द्वितीय भाग को उत्पन्न करने का कार्य करती है। यहोवा और आत्मा से अभिषिक्त मसीहियों के बीच की यह वाचा, बड़े इब्राहीम के शाही परिवार में राजा याजकों का एक स्वर्गीय राष्ट्र बनाने की अनुमति देती है। इसलिये हम देख सकते हैं कि पौलुस ने ऐसा क्यों कहा कि यह एक “और भी उत्तम वाचा है, जो और उत्तम प्रतिज्ञाओं के सहारे बान्धी गई है।” (इब्रानियों ८:६) उन प्रतिज्ञाओं में यह भी सम्मिलित है कि परमेश्वर के नियम उनके उन भक्तों के हृदयों पर लिखे होंगे जिनके पाप स्मरण नहीं होंगे और उन सब ‘यहोवा को जाननेवाले छोटे से बड़े तक सब जान लेंगे।’—इब्रानियों ८:११.
यीशु की एक राज्य के लिए वाचा
१८. अब तक विचार की गयी वाचाएँ, किस प्रकार से पूर्ण रूप से परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा नहीं किया?
१८ जिन छः वाचाओं की अभी हमने चर्चा की है उन्हें देखते हुये ऐसा प्रतीत हो सकता है कि यहोवा को अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिये, जो आवश्यकतायें हैं, उनका उन्होंने कानूनी रूप से प्रबन्ध किया है। फिर भी बाइबल एक और वाचा को सामने लाता है जो इन बातों से बंध जाती है जिन पर अभी हमने विचार किया है, एक ऐसी वाचा जो इस अति आवश्यक विषय के कुछ और पहलुओं पर ध्यान दिलाती है। आत्मा से अभिषिक्त मसीही सही रूप से इस बात की प्रतिक्षा करते हैं कि ‘प्रभु उन्हें हरेक बुरे काम से छुड़ायेगा, और अपने स्वर्गीय राज्य में उद्धार करके पहुँचायेगा।’ (२ तीमुथियुस ४:१८) वह स्वर्ग में राजा-याजको का एक राज्य होगे लेकिन उनका क्षेत्र कौन सा होगा? जब वह स्वर्ग में उठाये जाते हैं, मसीह एक सिद्ध महायाजक के रूप में पहले ही से हैं। वह विश्वव्यापी शासन करने के लिये राजकीय शक्ति के साथ खड़ा होगा। (भजन-सहिंता २:६-९; प्रकाशितवाक्य ११:१५) तो फिर दूसरे राजा-याजकों को करने के लिये वहाँ कौनसा काम है?
१९. सातवीं महत्त्वपूर्ण वाचा, कब ओर कैसे बाँधी गई?
१९ निसान १४, सा. यू. ३३ में जिस शाम यीशु ने प्रभु सन्ध्या भोज को आरम्भ किया था और कहा था “नई वाचा जो (उनके) लोहू द्वारा” है, तब उन्होंने एक और वाचा की बात कही थी, जो चर्चा के लिये सातवीं वाचा है। उन्होंने अपने वफादार प्रेरितों को कहा था: “तुम वह हो, जो मेरी परीक्षओं में लगातार मेरे साथ रहे; और जैसे मेरे पिता ने मेरे साथ एक राज्य की वाचा बाँधी है, वैसे ही मैं भी तुम्हारे साथ एक वाचा बाँधता हूँ, ताकि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज़ पर खाओ-पिओ, बरन सिंहासनों पर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करो।” (लूका २२:२०, २८-३०, न्यू. व.) जिस प्रकार पिता ने यीशु के साथ वाचा बाँधी थी मेल्कीसेदेक की रीति पर याजक होने के लिये, उसी प्रकार मसीह ने भी अपने विश्वासी अनुयायीयों के साथ एक व्यक्तिगत वाचा बाँधी थी।
२०. एक राज्य के लिये वाचा किस से की गई और क्यों? (दनियेल ७:१८; २ तीमुथियुस २:११-१३)
२० यीशु की परीक्षाओं में उन ११ प्रेरितों ने निश्चय ही उसका साथ दिया था और वाचा दिखाती है कि वह सिंहासनों पर बैठेंगे। आगे चलकर प्रकाशितवाक्य ३:२१ में यह साबित होता है कि सब आत्मा से अभिषिक्त मसीही जो वफ़ादार सिद्ध होंगे स्वर्गीय सिंहासनों पर बैठेंगे। इसलिये यह वाचा उन सब १,४४,००० जनों से की गई है जो यीशु के लोहु द्वारा मोल लेकर स्वर्ग में याजकों की तरह हैं और वह “पृथ्वी पर राजाओं की तरह शासन करेंगे”। (प्रकाशितवाक्य १:४-६; ५:९, १०; २०:६) यह वाचा जो यीशु ने उनके साथ बाँधी थी, उन्हें, उनके साथ राज्य में हिस्सेदार होने के लिये जोड़ देती है। उसी प्रकार से जैसे मानो एक कुलीन घराने की दुल्हन, विवाह के द्वारा, शासन कर रहे राजा के साथ जोड़ दी गई हो। इससे वह, उस राजा के शासकीय शासन में हिस्सेदार होने के लायक हो जाती है।—यूहन्ना ३:२९; २ कुरिन्थियों ११:२; प्रकाशितवाक्य १९:७, ८.
२१, २२. यह वाचाएं जो कुछ पूरा करेगी, उनसे किन आशीषों की उम्मीद हैं?
२१ इससे आज्ञाकारी मानवजाति को क्या लाभ प्राप्त होंगे? यीशु और १,४४,००० जन उन परोपकारी निरंकुश शासकों की तरह नहीं होंगे जो “सही समाधान न कर सके।” इसके विपरीत हमें विश्वास है कि यीशु एक ऐसे महायाजक हैं जो “सब बातों में हमारी नाई परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला।” इसलिये हम यह समझ सकते हैं कि वह मनुष्य की दुर्बलताओं में ‘दुखी’ हो सकते हैं और क्यों “दूसरी भेड़” भी, अभिष्क्ति मसीहियों की तरह, मसीह द्वारा परमेश्वर के सिंहासन के सामने “हियाव बाँधकर” जा सकती हैं। इस तरह कि उन पर भी “दया हो और वह भी अनुग्रह पायें, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करें।”—इब्रानियों ४:१४-१६; यूहन्ना १०:१६.
२२ जो यीशु के साथ राजा-याजक होने के लिये बँधे हैं, वह मनुष्यजाति पर आशीष लाने में भी भागीदार होंगे। जैसे कि प्राचीन लेवीय याजक इस्राएल के सम्पूर्ण राष्ट्र को लाभ पहुँचाते थे, उसी तरह यीशु के साथ स्वर्गीय सिंहासनों पर बैठने वाले लोग, सब पृथ्वी के रहनेवालों पर धार्मिकता से न्याय करेंगे। (लूका २२:३०) वह राजा-याजक भी कभी मनुष्य थे, इसलिये वे मानवजाति की आवश्यकताओं के प्रति दयनीय होंगे। वंश का यह द्वितीय भाग, यीशु के साथ सहयोग करके यह देखेंगे कि “सब जातियाँ आशीष पायें।”—गलतियों ३:८.
२३. इस वाचाओं के सहयोग में, हरेक व्यक्ति को क्या करना चाहिये?
२३ परमेश्वर की वाचाओं से लाभ उठाने के लिए उन सब लोगों को आज निमंत्रण दिया जा रहा है, जो मनुष्य जाति पर आशीषों के हकदार होना चाहते हैं। (प्रकाशितवाक्य २२:१७) जब वह प्रभु संध्या भोज के उत्सव में, जो सूर्यास्त होने के बाद मंगलवार, अप्रैल १०, १९९० को मनाया जायेगा, उपस्थित होंगे तो वह एक अच्छा कदम होगा। यहोवा के गवाहों की किसी एक मण्डली में उपस्थित होने के लिये, अभी से योजना बनायें। वहाँ आप दैव्य वाचाओं के विषय में और सीख सकेंगे और देख सकेंगे कि कैसे आप उनसे लाभ उठा सकते हैं
[फुटनोट]
a “बहुत अधिक साहसिक सुधार नें भी कृषक वर्ग को दरिद्र बना दिया, अधिक विशेषाधिकार, कर की छूट की एक अभिजात वर्ग, एक मध्यम वर्ग को सरकार और समाज में अपर्याप्तता में एक करना . . . यह अवश्य कहा जा सकता है कि परोपकारी निरंकुश शासकों ने उन प्रश्नों का सामना करना शुरु किया, जो टाल नहीं सकते थे, उस युग की राजनीति और आर्थिक सच्चाईयों के अन्दर कोई वास्तविक हल प्रदान नहीं कर सके।”—वेस्टन सिविलाइज़ेशन—इटस जेनिसिस ऐण्ड डेस्टिनी: द मॉर्डन हेरीटेज।
b यीशु नई वाचा का एक पक्ष नही हैं। वह उसका मध्यस्थ हैं, और निष्पाप हैं और क्षमा की आवश्यकता नहीं है। और उसके लिये यह आवश्यक नहीं वह इसके द्वारा राज-याजक बनें क्योंकि दाऊद की वाचा के अनुसार वह एक राजा है और मेल्कीसेदेक की तरह एक याजक भी है।
क्या आप याद करते हैं?
◻ भजन संहिता ११०:४ मे उस वाचा का उल्लेख क्यों किया गया था, और उसने क्या सम्पदित किया?
◻ उस नयी वाचा में कौन हैं, और यह राजा-याजकों का एक राष्ट्र उत्पन्न करने में कैसे सहायता की है?
◻ यीशु ने अपने शिष्यों से एक व्यक्तिगत वाचा क्यों की?
◻ वे सात वाचाएँ क्या थी जिन पर हम ने विचार की है?
[पेज 17 पर रेखाचित्र]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
अदनी वाचा उत्पत्ति ३:१५
इब्राहीमी वाचा
व्यवस्था वाचा
दाऊदी राज्य वाचा
मेलकीसेदेक के समान एक याजक बनने का वाचा
प्रधान वंश
गौण वंश
अनन्त आशीषें
[पेज 17 पर रेखाचित्र]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
अदनी वाचा उत्पत्ति ३:१५
इब्राहिमी वाचा
व्यवस्था वाचा
नयी वाचा
दाऊदी राज्य वाचा
मेलकीसेदेक के समान एक याजक बनने का वाचा
प्रधान वंश
एक स्वर्गीय राज्य के लिए वाचा
गौण वंश
अनन्त आशिषें