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परमेश्वर का दूत हिम्मत बँधाता हैदानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
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17, 18. दूसरी बार दानिय्येल की किस तरह मदद की गई, और इससे वह क्या कर सका?
17 एक रहस्य-भरा दर्शन पाने की आशा में, उमंग से भर जाने की बजाय ऐसा लगता है कि दानिय्येल पर इसका कुछ उलटा ही असर हुआ। उसने लिखा: “जब वह पुरुष मुझ से ऐसी बातें कह चुका, तब मैं ने भूमि की ओर मुंह किया और चुपका रह गया।” लेकिन इस दूसरी बार भी वह स्वर्गदूत दानिय्येल की मदद करने और उसे सहारा देने के लिए तैयार था। दानिय्येल ने कहा: “तब मनुष्य के सन्तान के समान किसी ने मेरे ओंठ छूए, और मैं मुंह खोलकर बोलने लगा।”b—दानिय्येल 10:15, 16क.
18 जैसे ही स्वर्गदूत ने दानिय्येल के होंठ छूए, तो उसकी जान में जान आ गई। (यशायाह 6:7 से तुलना कीजिए।) बोलने की ताकत पाकर, दानिय्येल ने स्वर्गदूत को बताया कि वह किस तकलीफ में था। उसने कहा: “हे मेरे प्रभु, दर्शन की बातों के कारण मुझ को पीड़ा सी उठी, और मुझ में कुछ भी बल नहीं रहा। सो प्रभु का दास, अपने प्रभु के साथ क्योंकर बातें कर सके? क्योंकि मेरी देह में न तो कुछ बल रहा, और न कुछ सांस ही रह गई।”—दानिय्येल 10:16ख, 17.
19. किस तरह तीसरी बार भी दानिय्येल की मदद की गई, और इसका नतीजा क्या हुआ?
19 दानिय्येल शिकायत नहीं कर रहा था ना ही वह बहाने बना रहा था। वह तो सिर्फ अपनी हालत बयान कर रहा था और स्वर्गदूत ने उसकी बात का एतबार भी किया। इसलिए, तीसरी बार फिर उस दूत ने दानिय्येल की मदद की। दानिय्येल कहता है, “तब मनुष्य के समान किसी ने मुझे छूकर फिर मेरा हियाव बन्धाया।” दानिय्येल को छूकर उसे बल देने के अलावा उस दूत ने यह कहकर दानिय्येल को तसल्ली दी: “हे अति प्रिय पुरुष, मत डर, तुझे शान्ति मिले; तू दृढ़ हो और तेरा हियाव बन्धा रहे।” इसका नतीजा क्या हुआ? डूबते को मानो तिनके का सहारा मिल गया! इस प्यार-भरे सहारे और हौसला देनेवाले शब्दों से दानिय्येल सँभल गया। वह लिखता है: “जब उस ने यह कहा, तब मैं ने हियाव बान्धकर कहा, हे मेरे प्रभु, अब कह, क्योंकि तू ने मेरा हियाव बन्धाया है।” इस तरह दानिय्येल एक और भारी ज़िम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हो गया।—दानिय्येल 10:18, 19.
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परमेश्वर का दूत हिम्मत बँधाता हैदानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
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b जो स्वर्गदूत दानिय्येल से बात कर रहा था शायद उसी ने उसके होंठ छूए और उसे बल दिया। मगर जिस तरह से यह बात लिखी गयी है उससे इस बात की भी गुंजाइश रहती है कि किसी और स्वर्गदूत ने, शायद जिब्राएल ने ऐसा किया था। जो भी हो, वह परमेश्वर का भेजा हुआ एक स्वर्गदूत ही था जिसने दानिय्येल की हिम्मत बँधाई।
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