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दूसरों को यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश कीजिएप्रहरीदुर्ग—2003 | मार्च 15
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7. योना, इस्राएल में मौजूद किन हालात में यहोवा की सेवा कर रहा था और यह जानने के बाद आप उसके बारे में कैसा महसूस करते हैं?
7 योना ने दरअसल एक ऐसे इलाके में लगातार मेहनत की थी, जहाँ उसकी बातों पर लगभग किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। तकरीबन उसी समय के आसपास आमोस भविष्यवक्ता भी जीया था, उसने बताया कि उस वक्त के इस्राएली ऐशो-आराम और धन-दौलत के पुजारी थे।b उस देश में बुरे-बुरे काम हो रहे थे, मगर इस्राएलियों ने इनकी तरफ अपनी आँखें मूंद रखी थीं। (आमोस 3:13-15; 4:4; 6:4-6) ऐसे हालात के बावजूद, योना ने हिम्मत नही हारी और वह उन्हें सिखाने-समझाने की अपनी ज़िम्मेदारी वफादारी से निभाता रहा। अगर आप सुसमाचार का प्रचार करते हैं, तो आप बखूबी जानते हैं कि ऐसे लोगों से बात करना कितना मुश्किल होता है जो अपनी दुनिया में मस्त रहते हैं और आपके संदेश पर बिलकुल ध्यान नहीं देते। तो फिर, हम योना की कमज़ोरियों से इनकार नहीं करते, मगर हमें उसकी वफादारी और धीरज के गुण भी याद रखने चाहिए, जो उसने अविश्वासी इस्राएलियों को परमेश्वर का वचन सुनाते वक्त दिखाए थे।
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दूसरों को यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश कीजिएप्रहरीदुर्ग—2003 | मार्च 15
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b यारोबाम II ने शायद कई बड़ी लड़ाइयों में जीत हासिल की और इस्राएल के उन इलाकों पर फिर से कब्ज़ा कर लिया जो उनके हाथ से निकल गए थे। इन इलाकों से शायद उन्हें नज़राना भी मिलने लगा, इसलिए यारोबाम II के राज में उत्तर में इस्राएल राज्य की धन-दौलत बहुत बढ़ गयी थी।—2 शमूएल 8:6; 2 राजा 14:23-28; 2 इतिहास 8:3, 4; आमोस 6:2.
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