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दिल से माफ कीजिएप्रहरीदुर्ग—1999 | अक्टूबर 15
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१५, १६. (क) मीका ने यहोवा परमेश्वर के बारे में क्या लिखा? (ख) इसका मतलब क्या है कि यहोवा “अपराधों को अनदेखा” करता है?
१५ माफ करने के मामले में आइए हम कभी-भी यहोवा परमेश्वर के आदर्श को न भूलें। (इफिसियों ४:३२–५:१) वह बार-बार हमारे पापों को अनदेखा करता है, इस बारे में भविष्यवक्ता मीका ने लिखा: “तेरे समान परमेश्वर कौन है जो अधर्म को क्षमा करता और अपने निज भाग के बचे हुओं के अपराधों को अनदेखा करता है? तू सदा क्रोधित नहीं रहता, क्योंकि करुणा दिखाना तुझे भाता है।”—मीका ७:१८, NHT.
१६ बाइबल जब कहती है कि यहोवा हमारे “अपराधों को अनदेखा” करता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह पापों को देख नहीं पाता मानो इस मामले में वह अपनी याददाश्त खो बैठता है। ज़रा शिमशोन और दाऊद को याद कीजिए। उन दोनों ने ही बहुत बड़े और गंभीर पाप किए। काफी वक्त बीत जाने के बाद भी यहोवा को उनके पाप याद थे; और उसने उन्हें बाइबल में लिखवा दिया था इसलिए हमें भी उनके कुछ पापों के बारे में पता है। फिर भी, माफ करने में हमारे आर्दश, यहोवा परमेश्वर ने उन्हें दया दिखायी और अपने वचन में उनकी मिसाल दर्ज की जिससे हम भी उनके जैसा विश्वास बढ़ा सकें।—इब्रानियों ११:३२; १२:१.
१७. (क) दूसरों की गलतियों या उनके द्वारा किए गए अपमान को अनदेखा करने में कौन-सी बात हमारी मदद करेगी? (ख) अगर हम ऐसा करते हैं तो हम किस तरह यहोवा की तरह काम कर रहे होंगे? (फुटनोट देखिए।)
१७ जी हाँ, यहोवा बार-बार हमारे अपराधों को ‘अनदेखा’a करता या मानो अपनी नज़रों से दूर करता है, और दाऊद ने भी कई बार उससे ऐसी ही बिनती की थी। (२ शमूएल १२:१३; २४:१०) क्या हम भी इस मामले में परमेश्वर जैसे हो सकते हैं? अगर हमारे भाई-बहन असिद्धता की वज़ह से कभी हमारी बेइज़्ज़ती करें या हमारे साथ रूखा व्यवहार करें तो क्या हम उनकी गलती भूल जाने के लिए तैयार हैं? मान लीजिए कि आप एक ऐसे जैट विमान में बैठे हैं जो उड़ान भरने के लिए हवाई-पट्टी पर तेज़ी से चला जा रहा है। आप बाहर देखते हैं और आपको हवाई-पट्टी के पास अपनी जान-पहचान का कोई व्यक्ति नज़र आता है। वह बड़े ही भद्दे ढंग से जीभ बाहर निकालकर आपको चिढ़ाने की बचकानी हरकत करता है। आप जान जाते हैं कि वह आदमी गुस्से में है और शायद आपको देखकर ही उसने मुँह चिढ़ाया है। या हो सकता है कि आपको नहीं किसी और को देखकर उसने ऐसा किया हो। जो भी हो, जब आपका विमान उड़ान भरने के लिए चक्कर लगाता है तो आप उस आदमी से काफी ऊँचाई पर होते हैं और वह सिर्फ एक चींटी जैसा नज़र आता है। एक ही घंटे के अंदर आप उससे मीलों दूर चले आते हैं और उसका वह चिढ़ाता हुआ मुँह बहुत पीछे छूट जाता है। उसी तरह, अगर हम यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश करें और अपमान को देखकर भी अनदेखा कर दें तो कई बार हमें दूसरों को माफ करने में आसानी होगी और इसी में अक्लमंदी है। (नीतिवचन १९:११) आज से दस साल बाद या परमेश्वर के राज्य में दो सौ साल बाद क्या वह अपमान बेमाने नहीं हो जाएगा? तो क्यों न आज उसे अनदेखा कर दिया जाए?
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दिल से माफ कीजिएप्रहरीदुर्ग—1999 | अक्टूबर 15
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a एक विद्वान कहते हैं कि मीका ७:१८ में इब्रानी की जो लाक्षणिक भाषा इस्तेमाल की गयी है वह “एक ऐसे मुसाफिर को ध्यान में रखकर की गयी है जो रास्ते में पड़ी किसी चीज़ को अनदेखा करके आगे बढ़ जाता है, क्योंकि वह उस चीज़ पर अपना ध्यान नहीं लगाना चाहता। इसका मतलब है कि परमेश्वर को हमारे पाप नज़र तो आते हैं पर उसे लगता है कि उन पर ध्यान देना ज़रूरी नहीं है। वह जान-बूझकर इन्हें नज़रअंदाज़ करता है क्योंकि वह इन पापों के लिए कोई सज़ा नहीं देना चाहता। जी हाँ वह सज़ा नहीं देता, बल्कि माफ करता है।”—न्यायियों ३:२६; १ शमूएल १६:८.
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