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कोई भी चीज़ ‘हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग न कर सकेगी’यहोवा के करीब आओ
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19 यहोवा हमारा हमदर्द है। हमदर्दी क्या होती है? एक वफादार बुज़ुर्ग मसीही ने कहा: “हमदर्दी का मतलब है, तुम्हारा दर्द जिसे मैं अपने सीने में महसूस करता हूँ।” क्या यहोवा को सचमुच हमारे दर्द से दर्द होता है? हम उसके लोगों, इस्राएल की तकलीफों के बारे में यूँ पढ़ते हैं: “उनके सारे संकट में उस ने भी कष्ट उठाया।” (यशायाह 63:9) यहोवा न सिर्फ उनकी मुसीबतों को देख रहा था, बल्कि उसे अपने लोगों से हमदर्दी थी। वह कितनी गहराई तक यह दर्द महसूस करता है, यह यहोवा के अपने सेवकों से कहे शब्दों से पता लगता है: “जो तुम को छूता है, वह मेरी आंख की पुतली ही को छूता है।”b (जकर्याह 2:8) आँख की पुतली को छूने से कितना दर्द होता है! जी हाँ, यहोवा हमारा दर्द महसूस करता है। जब हमें चोट पहुँचती है, तो उसे भी चोट पहुँचती है।
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कोई भी चीज़ ‘हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग न कर सकेगी’यहोवा के करीब आओ
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b कुछ अनुवादों में यहाँ कहा गया है कि जो परमेश्वर के लोगों को छूता है वह उसकी ही यानी इस्राएल की आँख को, न कि परमेश्वर की आँख को छूता है। यह गलती कुछ शास्त्रियों ने की थी, जिन्हें लगता था कि ये शब्द परमेश्वर के लिए श्रद्धा की कमी दिखाते हैं और इसलिए उन्होंने इसमें फेरबदल की। उनकी इस गलत सोच से यह बात छिप गयी कि हमारे लिए यहोवा की हमदर्दी कितनी गहरी है।
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