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  • आपका भाईचारे का प्रेम बना रहे!
    प्रहरीदुर्ग—1997 | अगस्त 1
    • ५. हम यह कैसे जानते हैं कि यहोवा सहानुभूति रखता है?

      ५ क्या यहोवा ऐसी सहानुभूति रखता है? बेशक़। उदाहरण के लिए, हम उसके लोगों, इस्राएल की सताहटों के बारे में पढ़ते हैं: “उनके सारे संकट में उस ने भी कष्ट उठाया।” (यशायाह ६३:९) यहोवा ने उनकी परेशानियों को मात्र देखा नहीं; उसने लोगों के लिए संवेदना महसूस की। वह कितना संवेदनशील है यह यहोवा के अपने ही शब्दों में जकर्याह २:८ में अभिलिखित है: “जो तुम को छूता है, वह मेरी आंख की पुतली ही को छूता है।”a एक व्याख्याकार इस आयत के बारे में नोट करता है: “मानव रचना में आँख सबसे जटिल और कोमल संरचना है; और आँख की पुतली—वह झरोखा जिसके द्वारा दृष्टि के लिए बाहर से रोशनी प्रवेश करती है—उस संरचना का सबसे संवेदनशील, साथ ही साथ सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। कोई भी अन्य वस्तु यहोवा के प्यारों के प्रति उसके प्रेम की अत्यधिक कोमल परवाह को इससे अच्छी तरह व्यक्‍त नहीं कर सकती।”

  • आपका भाईचारे का प्रेम बना रहे!
    प्रहरीदुर्ग—1997 | अगस्त 1
    • a कुछ अनुवाद यहाँ यह अर्थ देते हैं कि जो परमेश्‍वर के लोगों को छूता है, वह परमेश्‍वर की नहीं, बल्कि इस्राएल की आँख या ख़ुद अपनी ही आँख को छूता है। यह त्रुटि मध्ययुगीन शास्त्रीयों से आयी है, जिन्होंने उन संदर्भों को जिन्हें वे श्रद्धाहीन समझते थे, सुधारने के अपने ग़लत प्रयासों में इस आयत को बदल दिया। उन्होंने इस प्रकार यहोवा की व्यक्‍तिगत हमदर्दी की गहराई को कम कर दिया।

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