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  • संकट की घड़ी में यहोवा पर पूरा भरोसा रखिए
    प्रहरीदुर्ग—2003 | सितंबर 1
    • 7, 8. (क) यीशु ने कैसे ज़ाहिर किया कि वह जानता था कि असिद्ध इंसान बुनियादी चीज़ों के बारे में बेवजह चिंता करते हैं? (फुटनोट भी देखिए।) (ख) बेवजह की चिंता से दूर रहने के बारे में यीशु ने कौन-सी बुद्धि भरी सलाह दी?

      7 यीशु ने पहाड़ी उपदेश में यह सलाह दी: “अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे?”b (मत्ती 6:25) यीशु जानता था कि ज़िंदगी की बुनियादी ज़रूरतों के बारे में चिंता करना, असिद्ध इंसानों में स्वाभाविक है। लेकिन क्या किया जा सकता है जिससे हम इनके बारे में ‘चिंता करना’ छोड़ दें? यीशु ने कहा: ‘पहिले तुम उसके राज्य की खोज करो।’ हमारे सामने चाहे जो भी समस्या आए, हमें यहोवा की उपासना को हमेशा ज़िंदगी में पहली जगह देनी चाहिए। ऐसा करने से, हमें अपने स्वर्गीय पिता से वे सारी चीज़ें “मिल जाएंगी” जो रोज़मर्रा ज़िंदगी के लिए ज़रूरी हैं। यहोवा किसी-न-किसी तरीके से हमारी ज़रूरतों को पूरा करेगा।—मत्ती 6:33.

  • संकट की घड़ी में यहोवा पर पूरा भरोसा रखिए
    प्रहरीदुर्ग—2003 | सितंबर 1
    • b यहाँ जिस चिंता की बात हो रही है, वह “ऐसी चिंता और डर है जो हमारी ज़िंदगी का सुख-चैन पूरी तरह छीन लेता है।” शब्द “चिन्ता न करना” से ज़ाहिर होता है कि फिलहाल हमें चिंता नहीं है मगर आगे चलकर हमें चिंता नहीं करनी चाहिए या परेशान नहीं होना चाहिए। लेकिन, एक किताब कहती है: “यहाँ इस्तेमाल की गयी यूनानी क्रिया, वर्तमानकाल में है जो दिखाती है कि यहाँ किसी ऐसे काम को बंद करने की आज्ञा दी गयी है, जो जारी है।”

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