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  • “मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले”—यीशु के कहने का क्या मतलब था?
    मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले
    • अध्याय 1

      “मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले”—यीशु के कहने का क्या मतलब था?

      पेज 4 पर दी तसवीर

      “हमेशा की ज़िंदगी का वारिस बनने के लिए मैं क्या काम करूँ?”

      1, 2. वह सबसे बढ़िया न्यौता क्या है जो एक इंसान को मिल सकता है? हमें खुद से कौन-सा सवाल पूछना चाहिए?

      क्या आपको कभी ऐसा न्यौता मिला है जिससे आपकी खुशी का ठिकाना न रहा हो? शायद वह न्यौता ऐसे दो लोगों की शादी का हो, जो आपके दिल के बहुत करीब हैं। या शायद आपको कोई बड़ी ज़िम्मेदारी उठाने का बुलावा मिला हो। बेशक यह न्यौता पाकर आप रोमांचित हो उठे होंगे। और-तो-और आपने सोचा होगा कि यह न्यौता मेरे लिए किसी सम्मान से कम नहीं। लेकिन सच तो यह है कि आपको इससे कहीं बढ़कर एक न्यौता मिला है। दरअसल हममें से हरेक को यह न्यौता दिया गया है। हम इसे कबूल करेंगे या नहीं, उसका हम पर गहरा असर होगा। बल्कि कहा जाए तो यह हमारी ज़िंदगी का सबसे ज़रूरी फैसला होगा।

      2 आखिर यह कौन-सा न्यौता है? यह न्यौता यीशु मसीह ने दिया है, जो सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर यहोवा का इकलौता बेटा है। यह बुलावा बाइबल में मरकुस 10:21 में दर्ज़ है, जहाँ यीशु ने कहा: “मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले।” हालाँकि यीशु ने यह न्यौता एक ही व्यक्‍ति को दिया था, लेकिन आज यह हममें से हरेक के लिए है। इसलिए हमें खुद से पूछना चाहिए: ‘क्या मैं इस न्यौते को कबूल करूँगा?’ हो सकता है आप सोचें, भला इतना शानदार न्यौता कौन ठुकरा सकता है? आपको शायद ताज्जुब हो मगर ज़्यादातर लोग इसे कबूल करने से इनकार कर देते हैं। वह क्यों?

      3, 4. (क) यीशु से सवाल पूछनेवाले व्यक्‍ति के पास ऐसी कौन-सी चीज़ें थीं, जिसे पाने की ख्वाहिश हर कोई रखता है? (ख) उस अमीर अधिकारी में यीशु ने कौन-से अच्छे गुण देखे होंगे?

      3 इसे समझने के लिए उस व्यक्‍ति पर गौर कीजिए जिसे खुद यीशु ने यह न्यौता दिया था। करीब 2,000 साल पहले की बात है। वह व्यक्‍ति अपने समाज का बहुत इज़्ज़तदार आदमी था। उसके पास ऐसी तीन चीज़ें थीं जिसे पाने की ख्वाहिश हर कोई रखता है—जवानी, दौलत और अधिकार। बाइबल उस आदमी के बारे में बताती है कि वह “नौजवान” था, “बहुत अमीर” था और एक “अधिकारी” था। (मत्ती 19:20; लूका 18:18, 23) लेकिन उसमें कुछ अहम गुण भी थे, जो इन चीज़ों से कहीं ज़्यादा मायने रखते हैं।

      4 उस ज़माने के बहुत-से अधिकारी, यीशु को वह सम्मान नहीं देते थे जिसका वह हकदार था। (यूहन्‍ना 7:48; 12:42) लेकिन यह अधिकारी ऐसा नहीं था। उसने महान शिक्षक यीशु के बारे में जो कुछ सुना था उसे अच्छा लगा। बाइबल बताती है कि उसने क्या किया: “जब [यीशु] निकलकर अपने रास्ते जा रहा था, तो एक आदमी दौड़कर आया और उसके सामने घुटनों के बल गिरा और उससे यह सवाल किया: ‘अच्छे गुरु, हमेशा की ज़िंदगी का वारिस बनने के लिए मैं क्या काम करूँ?’” (मरकुस 10:17) क्या आपने ध्यान दिया कि यह आदमी, यीशु से बात करने के लिए कैसा बेताब था! वह गरीब और मामूली लोगों की तरह यीशु के पास दौड़ा-दौड़ा आया। उसने यह परवाह नहीं की कि लोग क्या सोचेंगे। इतना ही नहीं, उसने यीशु के आगे घुटनों के बल गिरकर उसे आदर दिया। यह दिखाता है कि उसमें नम्रता और परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की भूख थी। यीशु की नज़रों में इन गुणों का बड़ा मोल है। (मत्ती 5:3; 18:4) इसलिए इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि “यीशु ने प्यार से उसकी तरफ देखा।” (मरकुस 10:21) मगर यीशु ने उस नौजवान के सवाल का क्या जवाब दिया?

      ज़िंदगी का सबसे बेहतरीन न्यौता

      5. यीशु ने उस अमीर नौजवान के सवाल का क्या जवाब दिया? हम कैसे जानते हैं कि उसमें जिस “एक चीज़” की कमी थी, वह गरीबी नहीं हो सकती? (फुटनोट भी देखिए।)

      5 यीशु ने दिखाया कि उसके पिता ने पहले ही इस अहम सवाल का जवाब दिया था कि हमेशा की ज़िंदगी कैसे पायी जा सकती है। उसने उस नौजवान का ध्यान शास्त्र की तरफ खींचा। नौजवान ने हामी भरी कि वह मूसा के कानून को पूरी वफादारी से मानता है। लेकिन यीशु के पास एक अनोखी काबिलीयत है। वह एक इंसान के मन में झाँककर देख सकता है कि वह अंदर से कैसा है। (यूहन्‍ना 2:25) उसे इस अधिकारी में एक खामी नज़र आयी, जो परमेश्‍वर के साथ उसके रिश्‍ते पर बुरा असर कर रही थी। इसलिए यीशु ने कहा: “तुझमें एक चीज़ की कमी है: जा और जो कुछ तेरे पास है उसे बेचकर कंगालों को दे दे।” (मरकुस 10:21) क्या यीशु का मतलब था कि अपनी धन-संपत्ति बेचने के बाद ही एक व्यक्‍ति परमेश्‍वर की सेवा कर सकता है? जी नहीं।a दरअसल यीशु ने एक अहम बात समझाने के लिए ऐसा कहा।

      6. यीशु ने उस अमीर अधिकारी को क्या न्यौता दिया? उस नौजवान ने जो रवैया दिखाया, उससे उसके दिल के बारे में क्या पता चलता है?

      6 उस आदमी में किस चीज़ की कमी है, यह समझाने के लिए यीशु ने उसे एक सुनहरा मौका दिया: “मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले।” ज़रा सोचिए, परमप्रधान परमेश्‍वर का बेटा खुद उसे बुला रहा था कि वह उसके पीछे हो ले! यीशु ने एक ऐसे इनाम का भी वादा किया जिसकी उस व्यक्‍ति ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। यीशु ने कहा: “तुझे स्वर्ग में खज़ाना मिलेगा।” क्या उस अमीर अधिकारी ने इस शानदार न्यौते को कबूल किया? बाइबल बताती है: “इस बात पर वह उदास हो गया और दुःखी होकर चला गया, क्योंकि उसके पास बहुत धन-संपत्ति थी।” (मरकुस 10:21, 22) यीशु की बातों ने खुलासा किया कि उस नौजवान में क्या खामी थी। उसे अपनी धन-दौलत से और उससे मिलनेवाले अधिकार और रुतबे से बहुत लगाव था। इतना कि उसके दिल में यीशु से ज़्यादा इन चीज़ों के लिए प्यार था। तो फिर उसमें जिस “एक चीज़” की कमी थी वह है, यीशु और यहोवा के लिए प्यार। ऐसा प्यार जो सच्चे दिल से किया जाता है और जो दूसरों की खातिर त्याग करने के लिए तैयार रहता है। उस नौजवान में इसी प्यार की कमी थी, इसलिए उसने यीशु का लाजवाब न्यौता ठुकरा दिया। लेकिन यह न्यौता आपके लिए क्या मायने रखता है?

      7. हम क्यों कह सकते हैं कि यीशु का न्यौता आज हमारे लिए भी है?

      7 यीशु का न्यौता सिर्फ उस नौजवान के लिए नहीं था, न ही यह इक्का-दुक्का लोगों को दिया गया था। यीशु ने कहा: “अगर कोई मेरे पीछे आना चाहता है, तो वह . . . लगातार मेरे पीछे चलता रहे।” (लूका 9:23) गौर कीजिए कि “कोई” भी मसीह का चेला बन सकता है, बशर्ते वह सचमुच ऐसा “चाहता” हो। परमेश्‍वर ऐसे नेकदिल लोगों को अपने बेटे की तरफ खींचता है। (यूहन्‍ना 6:44) यीशु का यह न्यौता सिर्फ अमीर, गरीब, किसी एक जाति या राष्ट्र या सिर्फ उसके ज़माने के लोगों को नहीं दिया गया था बल्कि यह न्यौता सभी के लिए है। इसलिए यीशु के ये शब्द, “मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले,” आप पर भी लागू होते हैं। लेकिन सवाल है कि आपको मसीह के पीछे क्यों हो लेना चाहिए? मसीह के पीछे हो लेने में क्या शामिल है?

  • “मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले”—यीशु के कहने का क्या मतलब था?
    मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले
    • a यीशु ने अपने हर चेले से नहीं कहा कि वह अपनी ज़मीन-जायदाद बेच दे। यह सच है कि उसने बताया कि पैसेवालों के लिए परमेश्‍वर के राज में दाखिल होना बहुत मुश्‍किल है, मगर उसने यह भी कहा: “परमेश्‍वर के लिए सबकुछ मुमकिन है।” (मरकुस 10:23, 27) आगे चलकर कुछ अमीर लोग भी यीशु के चेले बने। हालाँकि उन्हें रुपये-पैसों के बारे में सही नज़रिया रखने की सलाह दी गयी। लेकिन उन्हें अपना धन गरीबों में बाँटने के लिए नहीं कहा गया।—1 तीमुथियुस 6:17.

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